Concept of Charge | आवेश की अवधारणा
आवेश किसी भी वस्तु का आंतरिक गुण होता है जो विधुत बल (Electric Force) आरोपित करता है या आरोपित करने की प्रवृति रखता है।
आवेश दुनिया के प्रत्येक वस्तु में मौजूद है लेकिन यह संतुलित अवस्था में रहता है। यदि हम इस संतुलन को बिगाड़ दे तो हमें इसका प्रभाव दिखने लगते है। जैसा की हमने देखा है की जब एम्बर नामक पदार्थ को उन से रगड़ते है तब उसमे अपने से हल्की वस्तु को अपनी तरफ आकर्षित करने का गुण उत्पन्न हो जाता है।
यह घटना केवल एम्बर तथा उन के साथ ही नहीं होती है अपितु दुनिया के प्रत्येक पदार्थ के साथ होती है। जब वस्तुए इस अवस्था को प्राप्त कर लेती है तब उन्हें आवेशित कहा जाता है।
आवेश को पूर्ण रूप से परिभाषित नहीं किया जा सकता है लेकिन परिभाषा के तौर पर इतना जरूर कहा जा सकता है की आवेश किसी भी वस्तु का आंतरिक गुण है जो असंतुलन के अवस्था में वस्तु में एक अलग तरह का प्रभाव उत्पन्न कर देता है।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रेंक्लिन ने आवेश की स्टडी की तथा बताया की आवेश मुख्यतः दो प्रकार के होते है
- धन आवेश (Positive Charge)
- ऋण आवेश (Negative Charge)
आवेश संरक्षण सिद्धांत | Law of Conservation of charge
आवेश से जुड़ा यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण नियम है। इस नियम के अनुसारआवेश अनाश्वर है अर्थात आवेश को न ही नष्ट किया जा सकता और न ही उत्पन्न किया जा सकता है।
अगर हम इसे दूसरे भाषा में बोले तो किसी भी निकाय (System) में निहित कुल आवेश हमेशा संरक्षित रहते है। इन्हे हम किसी भी तरीके से नष्ट नहीं कर सकते है और न ही उत्पन्न कर सकते है। हम केवल इनको एक जगह से दूसरे जगह पर ट्रांसफर कर सकते है। आवेश संरक्षण का सिद्धांत ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत के ही सामान है।
विधुत धारा क्या होता है?| What is electric Current?
आज के आधुनिक युग में हम सभी विधुत धारा से अच्छी तरह परिचित है। हम सभी के घरो में विधुत उपकरण लगे है जो हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है। विधुत धारा का नाम तो हम बहुत ही सुनते है लेकिन जब हमसे कोई ये पूछता है की विधुत धारा की परिभाषा बताओ उस वक्त हमारा जबान रूक जाता है। अगर ये सभी चीजे आपके साथ भी होती है तब अब आपको घबराने की जरुरत नहीं है क्योकि हम आपको बड़े ही आसान तरीके से विधुत धारा की परिभाषा समझा देंगे।
किसी भी प्रकार के आवेश के प्रवाह के दर को विधुत धारा कहते है।चूँकि आवेश की सबसे छोटी इकाई इलेक्ट्रान होते है इसलिए जब किसी चालक से विधुत धारा का प्रवाह होता है उस समय उस चालक के अनुप्रस्थ से प्रति सेकंड आवेश एक प्रवाह होता रहता है। बिना आवेश प्रवाह का विधुत धारा का अस्तित्व ही नहीं है।
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विधुत धारा एक भौतिक राशि है इसलिए इसे मापना जरुरी होता है और इसे एम्पेयर में मापा जाता है। जो युक्ति विधुत धारा को मापने के लिए प्रयोग की जाती है उसे Ammeter कटे है।
Voltage क्या होता है? (What is Voltage?)
विधुत से संबंधित उपकरण में Voltage शब्द भी बहुत बार सुनने को मिलता है और बहुत ऐसे लोग है जो Voltage तथा Current में अंतर ही नहीं समझ पाते। जबकि दोनों अलग अलग राशि है। यदि यह Confusion आपको भी है तो घबराये नहीं हम आपके इस Confusion को भी दूर कर देते है।
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पावर फैक्टर क्या होता है ? जानने के लिए यहाँ क्लिक करे।
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Voltage को परिभाषित करना तथा इसके व्यावहारिक प्रभाव को समझना थोड़ा कठिन है। परिभाषा को समझने से पहले इसके प्रभाव को जान लेते है। हमने ऊपर देखा की आवेश के प्रवाह दर को विधुत धारा कहते है।
लेकिन हम नहीं जानते है की आवेश का प्रवाह किस दिशा में होगा। आवेश के प्रवाह की दिशा आवेश के Potential Energy पर निर्भर करती है। आवेश हमेशा High Potential Energy से Low Potential Energy के तरफ प्रवाहीत होता है।
आवेश के इसी Potential Energy को Voltage कहते है। अर्थात जिधर Voltage का मान ज्यादा रहेगा उधर से आवेश का प्रवाह Low Voltage के तरफ होगा। हम अकसर देखते है की बैटरी के दो टर्मिनल होते है। उनमे से एक पॉजिटिव तथा दूसरा नेगेटिव टर्मिनल होता है।
पॉजिटिव टर्मिनल का वोल्टेज हमेशा नेगेटिव टर्मिनल के वोल्टेज अधिक होता है इसलिए विधुत धारा का प्रवाह हमेशा पॉजिटिव टर्मिनल से नेगेटिव टर्मिनल के तरफ होता है। यदि हम वोल्टेज का मान बढ़ा दे तभी विधुत धारा का प्रवाह बढ़ जाता है।
विधुत धारा की तरह Voltage भी एक भौतिक राशि है इसलिए इसको मापा जा सकता है। Voltage की माप Volt में की जाती है तथा इसको मापने के लिए जिस यंत्र का प्रयोग किया जाता है उसको Voltmeter कहते है।
EMF क्या होता है ?(what is EMF ?)
यह एक अजीब सा शब्द है जो इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से जुड़ा हुआ है। यह शब्द बहुत ही कम सुनने को मिलता है। यदि आप किसी हाई स्कूल में पढ़ाने वाले विज्ञानं के शिक्षक से Voltage तथा EMF में अंतर को पूछो तो वे भी Confusion में पड़ जाते है। इसका मतलब यह नहीं है की उन्हें इस विषय का ज्ञान नहीं है।
लेकिन ये दोनों शब्द इतने सिमिलर है की इनके बीच के अंतर को समझना मुश्किल हो जाता है। खैर हम आपको इसका मतलब बताने की कोशिश करता हु।
EMF का पूरा नाम होता है Electromotive Force
इसके नाम से मालूम होता है की यह किसी तरह का एक Force अर्थात बल है जिसकी इकाई newton होगी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है।
वास्तव में जब किसी बैटरी के टर्मिनल को किसी बाहरी लोड के साथ जोड़ा जाता है तब बैटरी से विधुत ऊर्जा का प्रवाह लोड की तरफ होता है तथा इस ऊर्जा को लोड के तरफ ढोकर ले जाने का कार्य इलेक्ट्रान करते है।
इन इलेक्ट्रान को सर्किट में चलने के लिए बैटरी को हमेशा इन इलेक्ट्रॉन्स को एक नियत बल से धक्का देना पड़ता है जिससे की वे आगे बढे। बैटरी द्वारा आरोपित इस बल को ही emf कहते है। EMF का मान लोड बढ़ने या घटने से बदलता नहीं है बल्कि यह नियत रहता है। यह भी एक भौतिक राशि है जिसे Volt में मापा जाता है।
Resistance क्या होता है ? (What is Resistance?)
दुनिया में जितने भी पदार्थ है उन सबके अंदर एक ऐसा गुण होता है जिससे वे उनसे होकर चलने वाली विधुत धारा का विरोध करते है। विधुत धारा के इस प्रकार विरोध करने वाली गुण को Resistance कहते है।
जो पदार्थ इस गुण को प्रदर्शित करता है उसे Resistor कहते है। इलेक्ट्रिक सर्किट में विधुत धारा के प्रवाह को कम करने के लिए Resistor का प्रयोग किया जाता है। Resistance एक भौतिक राशि है।
इसलिए इसका मापन जरुरी है। रेजिस्टेंस को ओह्म में मापा जाता है। यह इसका SI मात्रक है तथा यह ग्रीक अक्षर ओमेगा (Ω) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। Resistor को सर्किट में निम्न चित्र द्वारा दिखाया जाता है।
Resistor |
किसी पदार्थ का Resistance उसके भौतिक आकर पर निर्भर करता है। यदि किसी पदार्थ के Resistance R हो तो उस पदार्थ का रेजिस्टेंस निम्न बातो पर निर्भर करता है :-
(1) पदार्थ का Resistance उसके लम्बाई के समानुपाती होता है
R ∝ L --------(1)
(2) पदार्थ का Resistance उसके अनुप्रस्थ के क्षेत्रफल का व्युत्क्रमानुपाती होता है
R ∝ 1/A ----- (2)
अगर ऊपर के दोनों समीकरण को एक किया जाये तो
R ∝ (1/A)L
R = ρ(L /A )
जहाँ ρ एक Proportionality Constant है। इस Constant को ही पदार्थ का Resistivity या Specific Resistance कहते है।
जिस पदार्थ का Specific Resistance जितना अधिक होता है। उस पदार्थ का Resistance उतना ही ज्यादा होता है। अर्थात उस पदार्थ में विधुत धारा के परवाह को रोकने की क्षमता उतनी ही ज्यादा होती है। इसलिए उच्च मान के विधुत Resistance बनाने के लिए ऐसे पदार्थ का चयन किया जाता है जिसका Specific Resistance बहुत ज्यादा हो।
Grouping of Resistor | Series and Parallel Connection of Resistor
कभी कभी काम करते वक्त एक निश्चित मान का Resistor की जरुरत पड़ती है लेकिन वह हमारे पास उपलब्ध नहीं रहता है लेकिन उससे बड़े या छोटे मान के Resistor हमारे पास उपलब्ध रहते है।
इस कंडीशन में अपने पास उपलब्ध Resistor को ही आपस में विभिन्न तरीके से जोड़कर आवश्यकतानुसार मान वाले Resistor को बना लेते है। इस तरह Resistor को आपस में जोड़ने की प्रक्रिया ग्रुपिंग ऑफ़ Resistance कहलाती है।
Resistor को मुख्यतः दो प्रकार से जोड़ा जाता है :-
- (1) Series Connection
- (2) Parallel Connection
Series Connection of Resistor | सीरीज कनेक्शन क्या होता है?
जब दो या दो से अधिक Resistor को एक दूसरे से ऐसे जोड़ते है की पहले का टर्मिनल दूसरे के एक टर्मिनल से दूसरे का एक टर्मिनल तीसरे के एक टर्मिनल से और इसी तरह आगे भी जुड़ा रहे जैसा की नीचे दिए गए सर्किट डायग्राम में दिखाया गया है। तो इस तरह के कनेक्शन को Series Connection कहते है।
Series Connection of Resistor |
इस सर्किट डायग्राम में कुल चार Resistor को Series में जोड़ा गया है। इन चारो Resistor को जोड़ने से जो एक नया Resistor बनेगा उसका Resistance वैल्यू निम्न सूत्र द्वारा दिया जायेगा।
Req
= R1+R2 + R3 + R4
यदि मान लेते है की जुड़े Resistor का मान क्रमशः 2 Ω, 24Ω, 3Ω तथा 20Ω है। तब पुरे सर्किट का रेजिस्टेंस होगा
R = 2+24+3+20
R =49Ω
Parallel Connection of Resistor | समांतर कनेक्शन क्या होता है?
जब दो या दो से अधिक Resistor के टर्मिनल को एक साथ जोड़कर केवल टर्मिनल बनाया जाता है तब इस प्रकार के कनेक्शन को Parallel Connection कहा जाता है। जैसा की नीचे के सर्किट डायग्राम में दिखाया गया है।
Parallel Connection में सभी Resistor के बीच Voltage का मान सामान रहता है। विभिन्न Resistor में प्रवाहित विधुत धारा का मान अलग अलग हो सकता है अगर उनके Resistance का मान असमान हो तो। इस प्रकार कहा जा सकता है की Parallel Connection में विधुत धारा का बटवारा हो जाता है।
Parallel Connection |
Parallel Connection में जुड़े Resistor का कुल प्रभावी Resistance मान निम्न फार्मूला द्वारा ज्ञात किया जाता है।
अर्थात संधि (Junction) पर आने वाली कुल धाराओं को योग ,Junction से जाने वाली धाराओं के योग के बराबर होता है। इलेक्ट्रिक सर्किट के किसी भी बिंदु पर किरचॉफ के इस नियम को प्रयुक्त करते समय चिन्ह परिपाटी का उपयोग करना पड़ता है।
चिन्ह परिपाटी के अनुसार यदि आप Junction पर आने वाली विधुत धारा को धनात्मक मानते है तब इससे दूर जाने वाली विधुत धारा को ऋणात्मक मानना होगा और इसका उल्टा भी सही है।
ओह्म का नियम | Ohm's Law
इंग्लैंड के भौतिक वैज्ञानिक जॉर्ज साइमन ओम ने एक समदैसिक तथा नियत तापमान पर किसी चालक से प्रवाहित विधुत धारा का अध्ययन किया तो उन्होंने पाया की चालक से प्रवाहीत विधुत धारा का परिमाण चालक के दोनों टर्मिनल पर लगाए गए वोल्टेज के अंतर के समानुपाती है।
अर्थात जब दोनों टर्मिनल के बीच के वोल्टेज ( Voltage Difference) को घटाते है तो प्रवहित विधुत धारा का मान भी घट जाता है। इसके विपरीत जब वोल्टेज ( Voltage Difference) को बढ़ाते है तब प्रवाहीत विधुत धारा का मान बढ़ जाता है।
यदि प्रवाहीत विधुत धारा I तथा आरोपित Voltage V तो ओह्म के नियमानुसार
V ∝ I
V = IR
जहाँ R एक नियतांक है जिसे चालक का Resistance कहते है। Resistance की व्याख्या हम ऊपर कर चुके है।
ओम का यह नियम केवल संदैशिक तथा नियत तापमान में ही संभव है।
Ohm's Law |
KCL And KVL | Kirchoff's Current and Voltage Law In Hindi
किरचॉफ ने सन 1842 में इलेक्ट्रॉनिक्स के काम्प्लेक्स सर्किट को Solve करने के लिए दो बहुत ही महत्वपूर्ण नियम दिए। ये नियम आज भी इलेक्ट्रिकल से संबंधित अन्य इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बहुत ही उपयोगी साबित होते है। अगर इस नियम को हम बारीकी से अध्ययन करे तो हमें मालूम पड़ता है की ये वास्तव में ओह्म के नियम के विस्तारित रूप है। ये दोनों नियम निम्न प्रकार है :-
किरचॉफ का करंट नियम | Kirchoff's Current law(KCL)
किरचॉफ के इस नियम के अनुसार किसी इलेक्ट्रिक सर्किट में किसी भी Junction पर मिलने वाली समस्त धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है।अगर हम इसको सरल भाषा में बोले तो यह कह सकते है की सर्किट में किसी भी एक पॉइंट पर विधुत धारा का मान शून्य होता हैऔर यह सही भी है क्योकि किसी भी पॉइंट पर जितनी विधुत धारा आती है उतनी विधुत धारा उस बिंदु से चली भी जाती है।
अर्थात संधि (Junction) पर आने वाली कुल धाराओं को योग ,Junction से जाने वाली धाराओं के योग के बराबर होता है। इलेक्ट्रिक सर्किट के किसी भी बिंदु पर किरचॉफ के इस नियम को प्रयुक्त करते समय चिन्ह परिपाटी का उपयोग करना पड़ता है।
चिन्ह परिपाटी के अनुसार यदि आप Junction पर आने वाली विधुत धारा को धनात्मक मानते है तब इससे दूर जाने वाली विधुत धारा को ऋणात्मक मानना होगा और इसका उल्टा भी सही है।
किरचॉफ का वोल्टेज नियम | Kirchoff's Voltage Law(KVL)
किरचॉफ के इस नियम के अनुसार इलेक्ट्रिक सर्किट के किसी भी बंद पाश (Closed Loop) में जुड़े Resistor या अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स कॉम्पोनेन्ट द्वारा ड्राप वोल्टेज का योग सर्किट से जुड़े विधुत ऊर्जा श्रोत (बैटरी ,सेल आदि) के वोल्टेज के बराबर होता है।
इस नियम को प्रयुक्त करते समय भी चिन्ह परिपाटी का उपयोग करना पड़ता है। इसमें चिन्ह परिपाटी के अनुसार यदि आप विधुत श्रोत के वोल्टेज को पॉजिटिव मानते है तब आपको सर्किट में हुए वोल्टेज ड्राप को नेगेटिव मानना होगा और इसका उल्टा भी सही है।
अर्थात यदि आप बैटरी के वोल्टेज को नेगेटिव मानते है तब आपको वोल्टेज ड्राप को पॉजिटिव मानना होगा।किरचॉफ का यह नियम ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत का एक उत्पन्न रूप है क्योकि बैटरी द्वारा जितनी ऊर्जा सर्किट से जुड़े कॉम्पोनेन्ट को दी जाती है वे सब कॉम्पोनेन्ट द्वारा उपयोग कर ली जाती है।
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