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विधुत ऊर्जा के श्रोत : विधुत ऊर्जा का उत्पादन कैसे किया जाता है ?

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विधुत ऊर्जा,ऊर्जा का एक रूप है जो किसी चालक में एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक इलेक्ट्रॉनों की गति के परिणामस्वरूप होता है। यह एक द्वितीयक ऊर्जा स्रोत है क्योकि इसे ऊर्जा के अन्य प्राथमिक स्रोत, जैसे जीवाश्म ईंधन,परमाणु ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट, आदि से प्राप्त किया जाता है। ऊर्जा के  प्राथमिक स्रोतों से उनकी प्रकृति और उपलब्धता के आधार पर विभिन्न तरीकों से विधुत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है । इस पोस्ट में, हम विधुत ऊर्जा के मुख्य स्रोतों की चर्चा करेंगे और उससे बिजली उत्पन्न करने के तरीको के बारे में जानेंगे।  विधुत ऊर्जा क्या है ? विधुत धारा द्वारा किये गए कार्य को विधुत ऊर्जा कहते है। यह विधुत क्षेत्र के रूप में संचित होता है। विधुत ऊर्जा को विधुत परिपथ के  मदद से एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थान्तरित किया जाता है और इसे ऊर्जा के दूसरे रूप जैसे ध्वनि ऊर्जा , उष्मीय ऊर्जा , प्रकाश ऊर्जा आदि में परिवर्तित किया जा सकता है। विधुत ऊर्जा जूल या किलो वाट ऑवर में मापा जाता है।  विधुत ऊर्जा के मुख्य श्रोत क्या है ? विधुत ऊर्जा श्रोत को मुख्य ...

फोटो वोल्टेइक : परिभाषा , कार्य सिद्धांत तथा उपयोग -हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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फोटो वोल्टेइक सेल क्या है ? फोटो वोल्टेइक सेल को हिंदी में प्रकाश विधुत कहते है। यह अर्द्धचालक उपकरण है जो प्रकाश को सीधे विधुत में परिवर्तित कर देता है। इसे सोलर सेल भी कहते है। अर्द्धचालक एक विशेष प्रकार का पदार्थ है जिसमे विधुत चालकता चालक तथा कुचालक के मध्य होती है। जब सोलर सेल पर प्रकाश की किरणे पड़ती है तो अर्द्धचालक के अंदर इलेक्ट्रान - होल्स पेअर बनते है जो बाहरी सर्किट में विधुत प्रवाह बनाते है।  सोलर सेल का निर्माण कैसे किया जाता है ? सोलर सेल के निर्माण में अशुद्ध (P - टाइप तथा N - टाइप ) अर्द्धचालक का उपयोग किया जाता है। सोलर सेल एक प्रकार का डायोड ही होता है लेकिन इसके PN जंक्शन के निर्माण में थोड़ा अंतर होता है। P-टाइप सेमीकंडक्टर की बहुत ही पतली परत को अपेक्षाकृत मोटी N-टाइप परत के ऊपर चढ़ाई जाती है। इसके बाद PN जंक्शन के ऊपर इलेक्ट्रोड सेट किया जाता है। जंक्शन के ऊपर इलेक्ट्रोड को ऐसे सेट किया जाता है की यह प्रकाश के लिए अवरोध उत्पन्न न करे। सोलर सेल का निर्माण एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है। सोलर सेल के निर्माण को निचे दिए गए चित्र में दिखाया गया है।  image source ...

रासायनिक संयोग के नियम क्या है ? Laws of chemical Combination

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प्रकृति में रासायनिक अभिक्रिया  प्रकृति में होने वाली सभी घटाएँ कुछ निश्चित नियम के अनुसार होती है। रासायनिक अभिक्रिया जो रसायनशास्त्र  रीढ़ की हड्डी है , ये भी कुछ निश्चित नियम के अनुसार होती है। ये नियम रासायनिक संयोग के नियम कहलाते है।  रासायनिक संयोग के कुल पांच नियम है जो निम्न है : पदार्थ के अनश्वरता के नियम  (Laws of Conservation of Matter) स्थिर अनुपात का नियम (Law of Constant Proportion) गुणित अनुपात का नियम (Law of multiple Proportion) व्युत्क्रम अनुपात का नियम (Law of Reciprocal Proportion) गे लूसेक का गैसीय अनुपात का नियम (Gay-Lussac's Law of gaseous Volume) पदार्थ के अनश्वरता के नियम  इस नियम के अनुसार  किसी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान (मात्रा) न तो उत्पन्न होता है और न ही नष्ट होता है। अर्थात रसायनिक अभिक्रिया के बाद अभिकारक तथा प्रतिफल का कुल द्रव्यमान निश्चित रहता है।इस नियम का प्रतिपादन फ्रांसिस वैज्ञानिक लाभ्वाजे ने किया था। जैसे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन मिलकर पानी बनाते हैं। इस अभिक्रिया में, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का कुल द्रव्यमान पान...

इन्ट्रिंसिक तथा एक्सट्रिन्सिक सेमीकंडक्टर पदार्थ क्या होते है। यहाँ जाने सब कुछ - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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अर्द्धचालक पदार्थ : इन्ट्रिंसिक तथा एक्सट्रिंसिक्स  आज के तकनीकी युग में सेमीकंडक्टर इंसानी जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुके हैं। कंप्यूटर, स्मार्टफोन, सोलर पैनल जैसे अनगिनत इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण इन्हीं अर्ध्दचालक से बनाये जा रहे है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये अर्द्धचालक दो तरह के होते हैं जिन्हे न्ट्रिंसिक तथा एक्सट्रिन्सिक अर्द्धचालक कहते है। इस पोस्ट में हम इन्ही दोनों अर्द्धचालक की व्याख्या करने वाले है। इन्ट्रिंसिक सेमीकंडक्टर क्या है ? इन्ट्रिंसिक सेमीकंडक्टर को हिंदी में स्वयंसंचालक कहते है। ये धरती से प्राप्त शुद्ध अर्द्धचालक होते है। लेकिन इनकी विधुत चालकता बहुत ही कम होती है। जिससे इनमे विधुत धारा को प्रवाहित करने की क्षमता बहुत कम होती है। जैसे ,सिलिकॉन और जर्मेनियम ऐसे ही स्वयंसंचालक अर्द्धचालक हैं। इन पदार्थों में इलेक्ट्रॉन और होल की संख्या लगभग बराबर होती है। इलेक्ट्रॉन पर ऋणात्मक आवेश तथा होल पर धन आवेश होता हैं। सामान्य तापमान पर इन पदार्थों में वैलेंस बैंड और कंडक्शन बैंड के बीच पर्याप्त ऊर्जा अंतर होता है। इस वजह से वैलेंस बैंड में अधिकांश इलेक्ट्रॉन बंधे ह...

नॉर्मलता : परिभाषा ,फार्मूला ,उदहारण तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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नॉर्मलता क्या होती  है ? नॉर्मलिटी रसायन विज्ञान में किसी विलयन की सांद्रता व्यक्त करने का तरीका है। यह किसी विलयन के एक लीटर में घुले हुए विलायक के ग्राम तुल्यांकी(Gram Equivalent) भार को व्यक्त करता है। इसे हिंदी में नॉर्मलता कहते हैं। इसे निम्न तरीके से परिभाषित किया जाता है : किसी  विलयन के एकांक आयतन में घुले हुए विलेय के ग्राम  तुल्यांको की संख्या को नॉर्मलता कहते हैं। इसे N से व्यक्त किया जाता है। नॉर्मलता की फार्मूला   किसी विलयन के सांद्रता को नॉर्मलता  के रूप में निम्नांकित फार्मूला से ज्ञात किया जाता है।  नॉर्मलता  = विलेय के ग्राम-तुल्यांक / घोल का आयतन (लीटर में) W = विलेय का भार (ग्राम में) E = विलेय का तुल्यांकी भार V = घोल का आयतन (ml में) नॉर्मलता की मात्रक   चूँकि नॉर्मलता एक भौतिक राशि है जिससे विलयन की सांद्रता व्यक्त की जाती है।  इसलिए इसका मात्रक Gram Equivalent Weight Per liter होता है। जिसे निम्न तरीके से लिखा जाता है।  मात्रक = gram-equivalent/liter नॉर्मलता का उपयोग  नोर्मेलिटी का उपयोग निम्न स्...

तत्व किसे कहते है : परिभाषा ,प्रकार तथा उदहारण - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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तत्व किसे कहते है ? ELEMENT को हिंदी में तत्व कहते है। यह एक शुद्ध पदार्थ है जो एक ही प्रकार के परमाणुओं से  मिलकर बना होता है। परमाणु किसी भी पदार्थ का सबसे छोटा कण होता है जो पदार्थ के रासायनिक गुण को बनाए रखता है। तत्व को किसी भी भौतिक या रासायनिक विधि द्वारा और अधिक सरल पदार्थ में विभाजित नहीं किया जा सकता है। यह प्रकृति की मूलभूत रचनात्मक इकाई है। जैसे सोना ,चांदी ,हाइड्रोजन ,लिथियम ,सोडियम इत्यादि ये सभी तत्व है। तत्व आपस में रासायनिक अभिक्रिया कर यौगिक का निर्माण करते है।  तत्व के प्रकार   तत्व को उसके रासयनिक तथा भौतिक गुण  के आधार पर तीन वर्गो मे वर्गीकृत किया गया है जो निम्न है : धातु (Metal) अधातु  (Non Metal) उपधातु (Metalloids) धातु किसे कहते  है? वैसे तत्व धातु कहलाते है जो चमकदार, कठोर, मजबूत,ऊष्मा तथा विधुत के  सुचालक होते हैं। जैसे सोना (Gold), चांदी (Silver), लोहा (Iron), तांबा (Copper), एल्युमिनियम (Aluminium) इत्यादि  अधातु किसे कहते  है ? वैसे तत्व अधातु कहलाते है जो भंगुर, मुलायम, ऊष्मा तथा विधुत की कुचालक होते...

जड़त्व : परिभाषा ,प्रकार ,उदहारण तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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जडत्व की परिभाषा  INERTIA को हिंदी में जड़ता या जड़त्व कहते है। यह प्रत्येक वस्तु का गुण है जो वस्तु के गति या विराम की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करता है। आसान शब्द में बोले तो जड़त्व किसी द्र्व्यमानयुक्त वस्तु का वह  गुण है जो उसके विराम या गति की अवस्था मे होने वाले बदलाव को रोकने की कोशिश करता है। यदि कोई वस्तु विराम की अवस्था में है तब वह जड़त्व के कारण विराम में रहना चाहेगी जब तक कोई बाहरी बल उसके स्थिति में परिवर्तन नहीं लाता है। इसके विपरीत यदि कोई वस्तु गति की अवस्था में है तब वह गति की अवस्था में तब तक रहना चाहेगी जब तक कोई बाहरी असंतुलित बल आरोपित नहीं किया जाता है।    जड़त्व के प्रकार स्थिर जड़त्व(Inertia of Rest) यह एक वस्तु को स्थिर अवस्था में बनाये रखने प्रवृत्ति है। जैसे टेबल पर रखी हुई किताब स्थिर पड़ी रहती है जब तक कोई बाहरी बल उसे न हिलाए। गति का जड़त्व(Inertia of Motion) यह  गतिमान वस्तु को अपनी गति को बनाए रखने की प्रवृत्ति है। जैसे एकसामान वेग से चलती हुई गाड़ी तब तक चलती रहती है जब तक ब्रेक लगाकर उसे रोका नहीं जाता। दिशा का जड़त्व (Inert...

भौतिकी क्या है? परिभाषा ,प्रकार ,नियम तथा अनुप्रयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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भौतिकी क्या है?  फिजिक्स को हिंदी में भौतिकी या भौतिक विज्ञानं कहते है।भौतिकी विज्ञान की एक शाखा है जिसके केअंतर्गत पदार्थ,ऊर्जा और ब्रह्मांड को संचालित करने वाले मूलभूत सिद्धांतों का अध्ययन किया जाता है। यह कणों के बीच लगने वाले बल वस्तुओं की गति,और विभिन्न घटनाओं को नियंत्रित करने वाले नियम,जैसे गुरुत्वाकर्षण का नियम, विद्युत चुंबकत्व का नियम तथा उष्मागतिकी का नियम इत्यादि का व्याख्या करता है। भौतिकी मे वैज्ञानिक उन सिद्धांतों को समझने की कोशिश करते है जो दुनिया मे घटने वाली प्राकृतिक घटनाओं की व्याख्या करते हैं ।वैज्ञानिक भौतिक सिस्टम के व्यवहार की व्याख्या करने और भविष्यवाणी करने के लिए गणितीय समीकरणों, प्रयोगों और सैद्धांतिक मॉडल का उपयोग करते हैं ।  ब्रह्मांड में घटने वाली विभिन्न घटनाओ को समझने मे भौतिकी हमारी मदद करता है। फिजिक्स की मदद से हमने इस दुनिया में तकनिकी प्रगति किया है।इसमें शास्त्रीय यांत्रिकी, क्वांटम यांत्रिकी, ऊष्मप्रवैगिकी, विद्युत चुंबकत्व, प्रकाशिकी और खगोल भौतिकी सहित विभिन्न उप-क्षेत्र शामिल है ।  फिजिक्स के अध्ययन के माध्यम से हम ब्रह्मांड के ...

प्रोटोन क्या है ? परिभाषा,खोज,द्रव्यमान तथा आवेश - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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प्रोटोन क्या है ?  प्रोटोन एकआवेश युक्त उप-परमाणु कण है जो परमाणु के नाभिक में न्यूट्रॉन के साथ पाया जाता है। इस पर इलेक्ट्रान के बराबर परिमाण लेकिन विपरीत प्रवृति का आवेश पाया जाता है अर्थात इलेक्ट्रान के विपरीत प्रोटोन धन आवेशित होता है। किसी परमाणु के अंदर इलेक्ट्रान तथा प्रोटोन की संख्या बराबर होती है इसलिए परमाणु उदासीन होते है।  प्रोटोन की खोज  प्रोटोन की खोजकर्ता कौन है इसके लिए थोड़ा कन्फूशन रहता है। कुछ लोग मानते है की गोल्डस्टीन ने प्रोटोन की खोज किया था तो कुछ लोग मानते है की रुदरफोर्ड ने प्रोटोन की खोज किया था। ये दोनों लोग कही न कही प्रोटोन के खोज से सम्बंधित है लेकिन इसकी पूरी  सटीक जानकरी  सन 1920 में रदरफोर्ड ने प्रस्तुत किया। रुदरफोर्ड से पहले गोल्डस्टीन ने कैनाल किरणों के अध्ययन के आधार पर प्रोटोन की होने की संभावना व्यक्त किया था। अतः प्रोटोन की खोजकर्ता का श्रेय रुदरफोर्ड को माना जाता है।  प्रोटोन की खोज कैसे हुई ? गोल्डस्टीन , जे जे थॉमसन के कैथोड रे विकरण का अध्ययन कर रहे थे। उन्होंने देखा की जब निम्न दाब  पर विसर्ग नली में कैथोड त...

विधुत धारा : परिभाषा ,मात्रक तथा धारा बहाव की दिशा - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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विधुत धारा क्या होती है? आवेश प्रवाह की दर को विधुत धारा कहते है। किसी चालक से विधुत धारा के प्रवाह का मतलब हुआ की उस चालक से आवेश प्रवाहित हो रहे है। जब चालक को किसी विधुत उर्जा श्रोत (जैसे बैटरी ,सोलर सेल ,जनरेटर आदि) से जोड़ा जाता है तब विधुत उर्जा श्रोत से ऋण आवेशित इलेक्ट्रान निकलकर चालक से होकर चलने लगते है। इस प्रकार ऋण आवेशित इलेक्ट्रान के प्रवाह की दर विधुत धारा कहलाती है। धातुयिक पदार्थ (Conducting Material) में बहुत ही ज्यादा मात्र में मुक्त इलेक्ट्रान (Free Electrons) रहते है इसलिए जब धतुयिक पदार्थ को किसी विधुत उर्जा श्रोत से जोड़ा जाता है तब उससे विधुत धारा का प्रवाह होने लगता  है। धन आवेशित या  ऋण आवेशित दोनों प्रकार के पदार्थ के  प्रवाह के दर को  विधुत धारा कहते है। विधुत धारा को किताब में निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है :- किसी चालक के पृष्ठ क्षेत्रफल से प्रति सेकंड प्रवाहित होने वाले आवेश के दर को विधुत धारा कहा जाता है।  यदि किसी चालक  से  t समय में प्रवाहित होने वाले कुल आवेश की संख्या Q है तब चालक से प्रवाहित विधुत धारा (I) क...

विधुत बल्ब में प्रकाश कैसे उत्पन्न होता है? - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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प्रकाश क्या होता है? प्रकाश एक  भौतिक कारक है जिससे वस्तुओ को देखने की संवेदना प्राप्त होती है। आधुनिक विज्ञानं के अनुसार  यह एक प्रकार का विधुत चुमबकीय तरंग होता है जिसकी तरंगदैर्घ्य की परास दृश्य होती है। यह निर्वात में 3 × 108 m/s की गति से चलता है। जिस स्थान पर प्रकाश नहीं होता है उस स्थान पर किसी भी वस्तु को देखा नहीं जा सकता है। दृश्य प्रकाश की तरंगदैर्घ्य 400 से 700 नैनोमीटर होता है।  प्रकाश का उत्पादन कैसे होता है? किसी परमाणु में इलेक्ट्रान नाभिक के चारो तरफ निश्चित कक्षाओ में घूमते रहते है। यदि परमाणु को किसी बाहरी उर्जा श्रोत से उष्मीय उर्जा प्राप्त होती है तब ये घुमने वाले इलेक्ट्रान इस उर्जा को प्राप्त कर उतेजित हो जाते है और अपनी कक्षा को छोडकर अगली उच्च उर्जा स्तर वाले कक्षा में चले जाते है। चूँकि इस दशा में इलेक्ट्रान उतेजित अवस्था में होते है इसलिए ये अस्थिर होते है अतः कुछ क्षण उच्च उर्जा स्तर में रहने के बाद पुनः दुबारा अपने पहले वाली कक्षा में चले आते है। उच्च उर्जा स्तर से निम्न उर्जा स्तर में आते समय ये इलेक्ट्रान प्राप्त किये गए उर्जा को फोटोन के र...

सौर ऊर्जा : परिभाषा ,विशेषता ,उपयोग तथा सीमा - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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सौर ऊर्जा क्या है ? हमारे सोलर सिस्टम में ऊर्जा के एक मात्र श्रोत सूर्य है। इससे विकिरण के रूप में जो ऊर्जा प्राप्त होती है उसे सौर ऊर्जा कहते है। यह एक नवीकरणीय ऊर्जा है। सौर ऊर्जा को विभिन्न तकनीकों द्वारा ऊर्जा के अन्य दूसरे रूप में परिवर्तित कर विभिन्न कार्य में उपयोग किया जाता है। जैसे सोलर प्लेट (सोलर वोल्टेइक सेल) के मदद से सौर ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। सोलर कुकर में सौर ऊर्जा से खाना पकाया जाता है। सौर जल तापन के मदद से पानी गर्म किया जाता है। यह ऊर्जा का स्वच्छ रूप है जो प्राकृति  में मुफ्त में उपलब्ध है।  सौर ऊर्जा की विशेषता क्या है ? सूर्य ऊर्जा एक प्रकृतिक ऊर्जा स्रोत है, इसलिए इसमें प्रदूषण की कोई समस्या नहीं होती।  सूर्य ऊर्जा हमेशा उपलब्ध होता है, इसलिए कभी भी कमी नहीं होती। सौर ऊर्जा बिना किसी प्राथमिक ऊर्जा श्रोत के ही प्राप्त होता है।  यह मुफ्त की ऊर्जा है।  यह एक स्वच्छ ऊर्जा है।  यह एक नवीकरणीय ऊर्जा है।  इंडिया में वर्ष के 250 से 300 दिन पूर्ण सूर्य ऊर्जा की प्राप्ति होती है।  इंडिया में प्रति वर्ग मीटर...

द्रव्यमान तथा आवेश में अंतर क्या होता है - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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द्रव्यमान तथा आवेश (Mass and Charge) आवेश और द्रव्यमान दोनों ही पदार्थ के आतंरिक प्रकृतिप्रदत्त गुण  हैं। इन दोनों (आवेश तथा द्रव्यमान) के बीच मुख्य अंतर यह है कि आवेश को दो वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है जबकि द्रव्यमान का वर्गीकरण  संभव नहीं  है। आवेश मुख्यतः धनात्मक और ऋणात्मक दो प्रकार के होते हैं लेकिन द्रव्यमान कभी भी ऋणात्मक नहीं हो सकता, यह सदैव धनात्मक होता है। किसी वस्तु में  विधुतीय गुण आवेश के वजह से होते है जबकि कोई वस्तु पृथ्वी के तरफ द्रव्यमान के कारण आकर्षित होता है।  आवेश की परिभाषा तथा गुण  आवेश को पदार्थ के गुण के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसे q द्वारा निरूपित किया जाता है और  यह दो प्रकार का  होता है  जो निम्न है :  ऋणात्मक  आवेश   धनात्मक आवेश   हम जानते हैं कि  पदार्थ का निर्माण तत्व से होता है और परमाणु  तत्व का सबसे छोटा मूल कण होता है।  परमाणु के अंदर मूल आवेशयुक्त कण मौजूद होते है जिन्हे इलेक्ट्रान तथा प्रोटोन कहते है। इलेक्ट्रान ऋणावेशित तथा प्रोटोन धनावेशित कण ह...

अग्निशामक : परिभाषा ,प्रकार तथा विशेषता - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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अग्निशामक यन्त्र क्या होता है? यह एक सक्रिय अग्नि सुरक्षा उपकरण है जिसका उपयोग अक्सर आपात स्थिति में छोटी आग को बुझाने या नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग वृहत स्तर पर फैले हुए आग को नियंत्रित करने के लिए नहीं किया जा सकता है। वृहत स्तर पर फैले हुए आग को नियंत्रित करने के लिए फायर ब्रिगेड का उपयोग किया जाता है। आमतौर पर एक अग्निशामक यन्त्र में रासायनिक पदार्थ होते है जिसके पास आग को बुझाने की क्षमता होती है। अग्निशामक यन्त्र को दबाव दिया जाता है तब यह पदार्थ दुसरे पदार्थ के साथ रासायनिक अभिक्रिया कर एक गैस मुक्त करता है जिससे आग की लपटे समाप्त हो जाती है। सामान्यतः पब्लिक प्लेस ,मॉल ,कारखाने ,स्कूल ,कॉलेज या ऑफिस में शोर्ट सर्किट या दुसरे वजह से लगाने वाले आग कको नियंत्रित करने के लिए जिस अग्निशामक यन्त्र का उपयोग किया जाता है उसे निचे के चित्र में दिखाया गया है।   अग्निशामक यन्त्र कितने प्रकार के होते है ? चूँकि आग विभिन्न प्रकार के होती है जैसे विधुत के कारण आग ,लकड़ी में लगा हुआ आग ,पेट्रोल में लगा हुआ आग , कार्बनिक गैस में लगा हुआ आग आदि ,इन सभी विभि...

उत्तल लेंस: परिभाषा ,प्रकार ,सूत्र तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 उत्तल लेंस किसे कहते है? यह एक विशेष प्रकार का लेंस होता है जो प्रधान अक्ष के समांतर आने वाली प्रकाश किरणों को मुख्य फोकस पर केन्द्रित कर देता है। यह बीच में मोटा तथा दोनों किनारों पर पतला होता है। चूँकि यह प्रकाश किरणों को मुख्य फोकस पर केन्द्रित करता है इसलिए इसे अभिसारी लेंस  भी कहते है। इस लेंस को अंग्रेजी में CONVEX lens कहते है। उत्तल लेंस को निचे दिए चित्र में दिखाया गया है।  उत्तल लेंस कितने प्रकार के होते है? लेंस के बाहरी सतह के आधार पर तीन प्रकार से वर्गीकृत किया गया है जो निम्न है :-  उभयोत्तल लेंस(Double Convex Lens)   समतल उत्तल लेंस(Plano Convex Lens)  अवतलोत्तल लेंस(Concavo Convex Lens)  उत्तल लेंस सूत्र क्या है? उत्तल  लेंस द्वारा बने हुए प्रतिबिम्ब की लेंस से दुरी तथा लेंस से वस्तु  की दुरी ज्ञात करने के लिए एक सूत्र का उपयोग किया जाता है जिसे लेंस सूत्र कहते है। लेंस सूत्र में  वस्तु दुरी ,प्रतिबिम्ब दुरी तथा फोकस दुरी के बीच  में निम्न सम्बन्ध होता है : जिसमे  f = अवतल लेंस की फोकस दुरी है।  v = ...

अवतल लेंस: परिभाषा ,प्रकार तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 Concave लेंस क्या है? इस लेंस को हिंदी में अवतल लेंस कहते है। यह एक विशेष प्रकार का लेंस होता है जो प्रकाश श्रोत से निकलकर आने वाली प्रकाश किरणों को अपसरित कर देता है। अर्थात प्रकाश किरणों को विभिन्न दिशाओ में फैला देता है। इसके दोनों सतह में से कम से कम कोई एक सतह अन्दर की तरफ धंसा रहता है। साधारणतः दोनों सतह अन्दर की तरफ धंसे हुए होते है। जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है  अवतल लेंस कितने प्रकार के होते है? अवतल लेंस को उसके सतह के आकार के आधार पर मुख्य तिन वर्गों में वर्गीकृत किया गया है जो निम्न है :- उभयावतल लेंस  समतलावतल लेंस  उतलावतल लेंस  अवतल लेंस के लिए चिन्ह परिपाटी  किसी भी लेंस के लिए उसके सामने रखी हुई वस्तु तथा लेंस द्वारा बनाये गए प्रतिबिम्ब की दुरी को ,लेंस के प्रकाशिक केंद्र से मापा जाता है। प्रतिबिम्ब दुरी। वस्तु दुरी तथा प्रतिबिम्ब की प्रकृति का निर्धारण एक प्रचलित परिपाटी द्वारा तय किया जाता है जिसे चिन्ह परिपाटी कहते है जो निम्न है : अवतल लेंस की फोकस दुरी ऋणात्मक होती है।  अवतल लेंस के लिए वस्तु दुरी हमेशा ऋणात्मक होती ह...

विधुत विभव : परिभाषा ,सूत्र तथा अनुप्रयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 विभव किसे कहते है? जब किसी वस्तु में कार्य करने की योग्यता होती है जिससे वह भविष्य में कार्य कर  विकशित हो सकता है तब कहा जाता है की उस वस्तु के पास  पोटेंशियल है। पोटेंशियल शब्द का उपयोग विज्ञानं से सामाजिक विज्ञानं के क्षेत्र तक किया जाता है।   विधुत विभव किसे कहते है? इकाई आवेश को किसी विधुत क्षेत्र में अनंत से एक निश्चित बिंदु तक लाने में किए गए कार्य के परिमाण को उस बिंदु पर आवेश का विभव कहते है।यह एक अदिश राशी है जिसका SI मात्रक वोल्ट(V) होता है। इसे अंग्रेजी में Electric Potential कहा जाता है। इकाई आवेश को अनंत से लाने में जो कार्य किया जाता है वह कार्य उस आवेश के सिस्टम में स्थितिज उर्जा के रूप में संरक्षित हो जाता है। इस उर्जा के कारण उस आवेश में कार्य करने की क्षमता विकसित हो जाती है। यदि Q कूलम्ब आवेश को अनंत से किसी बिंदु तक लाने में किये गए कार्य  की मात्रा W जूल है तब उस बिंदु पर विभव V को निम्न तरीके से व्यक्त किया जायेगा।  विधुत विभव का मात्रक क्या होता है? चूँकि विभव कार्य तथा आवेश का अनुपात है इसलिए इसका मात्रक भी  कार्य के मा...