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विधुत ऊर्जा के श्रोत : विधुत ऊर्जा का उत्पादन कैसे किया जाता है ?

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विधुत ऊर्जा,ऊर्जा का एक रूप है जो किसी चालक में एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक इलेक्ट्रॉनों की गति के परिणामस्वरूप होता है। यह एक द्वितीयक ऊर्जा स्रोत है क्योकि इसे ऊर्जा के अन्य प्राथमिक स्रोत, जैसे जीवाश्म ईंधन,परमाणु ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट, आदि से प्राप्त किया जाता है। ऊर्जा के  प्राथमिक स्रोतों से उनकी प्रकृति और उपलब्धता के आधार पर विभिन्न तरीकों से विधुत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है । इस पोस्ट में, हम विधुत ऊर्जा के मुख्य स्रोतों की चर्चा करेंगे और उससे बिजली उत्पन्न करने के तरीको के बारे में जानेंगे।  विधुत ऊर्जा क्या है ? विधुत धारा द्वारा किये गए कार्य को विधुत ऊर्जा कहते है। यह विधुत क्षेत्र के रूप में संचित होता है। विधुत ऊर्जा को विधुत परिपथ के  मदद से एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थान्तरित किया जाता है और इसे ऊर्जा के दूसरे रूप जैसे ध्वनि ऊर्जा , उष्मीय ऊर्जा , प्रकाश ऊर्जा आदि में परिवर्तित किया जा सकता है। विधुत ऊर्जा जूल या किलो वाट ऑवर में मापा जाता है।  विधुत ऊर्जा के मुख्य श्रोत क्या है ? विधुत ऊर्जा श्रोत को मुख्य ...

फोटो वोल्टेइक : परिभाषा , कार्य सिद्धांत तथा उपयोग -हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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फोटो वोल्टेइक सेल क्या है ? फोटो वोल्टेइक सेल को हिंदी में प्रकाश विधुत कहते है। यह अर्द्धचालक उपकरण है जो प्रकाश को सीधे विधुत में परिवर्तित कर देता है। इसे सोलर सेल भी कहते है। अर्द्धचालक एक विशेष प्रकार का पदार्थ है जिसमे विधुत चालकता चालक तथा कुचालक के मध्य होती है। जब सोलर सेल पर प्रकाश की किरणे पड़ती है तो अर्द्धचालक के अंदर इलेक्ट्रान - होल्स पेअर बनते है जो बाहरी सर्किट में विधुत प्रवाह बनाते है।  सोलर सेल का निर्माण कैसे किया जाता है ? सोलर सेल के निर्माण में अशुद्ध (P - टाइप तथा N - टाइप ) अर्द्धचालक का उपयोग किया जाता है। सोलर सेल एक प्रकार का डायोड ही होता है लेकिन इसके PN जंक्शन के निर्माण में थोड़ा अंतर होता है। P-टाइप सेमीकंडक्टर की बहुत ही पतली परत को अपेक्षाकृत मोटी N-टाइप परत के ऊपर चढ़ाई जाती है। इसके बाद PN जंक्शन के ऊपर इलेक्ट्रोड सेट किया जाता है। जंक्शन के ऊपर इलेक्ट्रोड को ऐसे सेट किया जाता है की यह प्रकाश के लिए अवरोध उत्पन्न न करे। सोलर सेल का निर्माण एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है। सोलर सेल के निर्माण को निचे दिए गए चित्र में दिखाया गया है।  image source ...

रासायनिक संयोग के नियम क्या है ? Laws of chemical Combination

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प्रकृति में रासायनिक अभिक्रिया  प्रकृति में होने वाली सभी घटाएँ कुछ निश्चित नियम के अनुसार होती है। रासायनिक अभिक्रिया जो रसायनशास्त्र  रीढ़ की हड्डी है , ये भी कुछ निश्चित नियम के अनुसार होती है। ये नियम रासायनिक संयोग के नियम कहलाते है।  रासायनिक संयोग के कुल पांच नियम है जो निम्न है : पदार्थ के अनश्वरता के नियम  (Laws of Conservation of Matter) स्थिर अनुपात का नियम (Law of Constant Proportion) गुणित अनुपात का नियम (Law of multiple Proportion) व्युत्क्रम अनुपात का नियम (Law of Reciprocal Proportion) गे लूसेक का गैसीय अनुपात का नियम (Gay-Lussac's Law of gaseous Volume) पदार्थ के अनश्वरता के नियम  इस नियम के अनुसार  किसी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान (मात्रा) न तो उत्पन्न होता है और न ही नष्ट होता है। अर्थात रसायनिक अभिक्रिया के बाद अभिकारक तथा प्रतिफल का कुल द्रव्यमान निश्चित रहता है।इस नियम का प्रतिपादन फ्रांसिस वैज्ञानिक लाभ्वाजे ने किया था। जैसे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन मिलकर पानी बनाते हैं। इस अभिक्रिया में, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का कुल द्रव्यमान पान...

इन्ट्रिंसिक तथा एक्सट्रिन्सिक सेमीकंडक्टर पदार्थ क्या होते है। यहाँ जाने सब कुछ - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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अर्द्धचालक पदार्थ : इन्ट्रिंसिक तथा एक्सट्रिंसिक्स  आज के तकनीकी युग में सेमीकंडक्टर इंसानी जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुके हैं। कंप्यूटर, स्मार्टफोन, सोलर पैनल जैसे अनगिनत इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण इन्हीं अर्ध्दचालक से बनाये जा रहे है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये अर्द्धचालक दो तरह के होते हैं जिन्हे न्ट्रिंसिक तथा एक्सट्रिन्सिक अर्द्धचालक कहते है। इस पोस्ट में हम इन्ही दोनों अर्द्धचालक की व्याख्या करने वाले है। इन्ट्रिंसिक सेमीकंडक्टर क्या है ? इन्ट्रिंसिक सेमीकंडक्टर को हिंदी में स्वयंसंचालक कहते है। ये धरती से प्राप्त शुद्ध अर्द्धचालक होते है। लेकिन इनकी विधुत चालकता बहुत ही कम होती है। जिससे इनमे विधुत धारा को प्रवाहित करने की क्षमता बहुत कम होती है। जैसे ,सिलिकॉन और जर्मेनियम ऐसे ही स्वयंसंचालक अर्द्धचालक हैं। इन पदार्थों में इलेक्ट्रॉन और होल की संख्या लगभग बराबर होती है। इलेक्ट्रॉन पर ऋणात्मक आवेश तथा होल पर धन आवेश होता हैं। सामान्य तापमान पर इन पदार्थों में वैलेंस बैंड और कंडक्शन बैंड के बीच पर्याप्त ऊर्जा अंतर होता है। इस वजह से वैलेंस बैंड में अधिकांश इलेक्ट्रॉन बंधे ह...

नॉर्मलता : परिभाषा ,फार्मूला ,उदहारण तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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नॉर्मलता क्या होती  है ? नॉर्मलिटी रसायन विज्ञान में किसी विलयन की सांद्रता व्यक्त करने का तरीका है। यह किसी विलयन के एक लीटर में घुले हुए विलायक के ग्राम तुल्यांकी(Gram Equivalent) भार को व्यक्त करता है। इसे हिंदी में नॉर्मलता कहते हैं। इसे निम्न तरीके से परिभाषित किया जाता है : किसी  विलयन के एकांक आयतन में घुले हुए विलेय के ग्राम  तुल्यांको की संख्या को नॉर्मलता कहते हैं। इसे N से व्यक्त किया जाता है। नॉर्मलता की फार्मूला   किसी विलयन के सांद्रता को नॉर्मलता  के रूप में निम्नांकित फार्मूला से ज्ञात किया जाता है।  नॉर्मलता  = विलेय के ग्राम-तुल्यांक / घोल का आयतन (लीटर में) W = विलेय का भार (ग्राम में) E = विलेय का तुल्यांकी भार V = घोल का आयतन (ml में) नॉर्मलता की मात्रक   चूँकि नॉर्मलता एक भौतिक राशि है जिससे विलयन की सांद्रता व्यक्त की जाती है।  इसलिए इसका मात्रक Gram Equivalent Weight Per liter होता है। जिसे निम्न तरीके से लिखा जाता है।  मात्रक = gram-equivalent/liter नॉर्मलता का उपयोग  नोर्मेलिटी का उपयोग निम्न स्...

तत्व किसे कहते है : परिभाषा ,प्रकार तथा उदहारण - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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तत्व किसे कहते है ? ELEMENT को हिंदी में तत्व कहते है। यह एक शुद्ध पदार्थ है जो एक ही प्रकार के परमाणुओं से  मिलकर बना होता है। परमाणु किसी भी पदार्थ का सबसे छोटा कण होता है जो पदार्थ के रासायनिक गुण को बनाए रखता है। तत्व को किसी भी भौतिक या रासायनिक विधि द्वारा और अधिक सरल पदार्थ में विभाजित नहीं किया जा सकता है। यह प्रकृति की मूलभूत रचनात्मक इकाई है। जैसे सोना ,चांदी ,हाइड्रोजन ,लिथियम ,सोडियम इत्यादि ये सभी तत्व है। तत्व आपस में रासायनिक अभिक्रिया कर यौगिक का निर्माण करते है।  तत्व के प्रकार   तत्व को उसके रासयनिक तथा भौतिक गुण  के आधार पर तीन वर्गो मे वर्गीकृत किया गया है जो निम्न है : धातु (Metal) अधातु  (Non Metal) उपधातु (Metalloids) धातु किसे कहते  है? वैसे तत्व धातु कहलाते है जो चमकदार, कठोर, मजबूत,ऊष्मा तथा विधुत के  सुचालक होते हैं। जैसे सोना (Gold), चांदी (Silver), लोहा (Iron), तांबा (Copper), एल्युमिनियम (Aluminium) इत्यादि  अधातु किसे कहते  है ? वैसे तत्व अधातु कहलाते है जो भंगुर, मुलायम, ऊष्मा तथा विधुत की कुचालक होते...

जड़त्व : परिभाषा ,प्रकार ,उदहारण तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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जडत्व की परिभाषा  INERTIA को हिंदी में जड़ता या जड़त्व कहते है। यह प्रत्येक वस्तु का गुण है जो वस्तु के गति या विराम की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करता है। आसान शब्द में बोले तो जड़त्व किसी द्र्व्यमानयुक्त वस्तु का वह  गुण है जो उसके विराम या गति की अवस्था मे होने वाले बदलाव को रोकने की कोशिश करता है। यदि कोई वस्तु विराम की अवस्था में है तब वह जड़त्व के कारण विराम में रहना चाहेगी जब तक कोई बाहरी बल उसके स्थिति में परिवर्तन नहीं लाता है। इसके विपरीत यदि कोई वस्तु गति की अवस्था में है तब वह गति की अवस्था में तब तक रहना चाहेगी जब तक कोई बाहरी असंतुलित बल आरोपित नहीं किया जाता है।    जड़त्व के प्रकार स्थिर जड़त्व(Inertia of Rest) यह एक वस्तु को स्थिर अवस्था में बनाये रखने प्रवृत्ति है। जैसे टेबल पर रखी हुई किताब स्थिर पड़ी रहती है जब तक कोई बाहरी बल उसे न हिलाए। गति का जड़त्व(Inertia of Motion) यह  गतिमान वस्तु को अपनी गति को बनाए रखने की प्रवृत्ति है। जैसे एकसामान वेग से चलती हुई गाड़ी तब तक चलती रहती है जब तक ब्रेक लगाकर उसे रोका नहीं जाता। दिशा का जड़त्व (Inert...

भौतिकी क्या है? परिभाषा ,प्रकार ,नियम तथा अनुप्रयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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भौतिकी क्या है?  फिजिक्स को हिंदी में भौतिकी या भौतिक विज्ञानं कहते है।भौतिकी विज्ञान की एक शाखा है जिसके केअंतर्गत पदार्थ,ऊर्जा और ब्रह्मांड को संचालित करने वाले मूलभूत सिद्धांतों का अध्ययन किया जाता है। यह कणों के बीच लगने वाले बल वस्तुओं की गति,और विभिन्न घटनाओं को नियंत्रित करने वाले नियम,जैसे गुरुत्वाकर्षण का नियम, विद्युत चुंबकत्व का नियम तथा उष्मागतिकी का नियम इत्यादि का व्याख्या करता है। भौतिकी मे वैज्ञानिक उन सिद्धांतों को समझने की कोशिश करते है जो दुनिया मे घटने वाली प्राकृतिक घटनाओं की व्याख्या करते हैं ।वैज्ञानिक भौतिक सिस्टम के व्यवहार की व्याख्या करने और भविष्यवाणी करने के लिए गणितीय समीकरणों, प्रयोगों और सैद्धांतिक मॉडल का उपयोग करते हैं ।  ब्रह्मांड में घटने वाली विभिन्न घटनाओ को समझने मे भौतिकी हमारी मदद करता है। फिजिक्स की मदद से हमने इस दुनिया में तकनिकी प्रगति किया है।इसमें शास्त्रीय यांत्रिकी, क्वांटम यांत्रिकी, ऊष्मप्रवैगिकी, विद्युत चुंबकत्व, प्रकाशिकी और खगोल भौतिकी सहित विभिन्न उप-क्षेत्र शामिल है ।  फिजिक्स के अध्ययन के माध्यम से हम ब्रह्मांड के ...