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द्रव्यमान तथा आवेश में अंतर क्या होता है - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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द्रव्यमान तथा आवेश (Mass and Charge)

आवेश और द्रव्यमान दोनों ही पदार्थ के आतंरिक प्रकृतिप्रदत्त गुण  हैं। इन दोनों (आवेश तथा द्रव्यमान) के बीच मुख्य अंतर यह है कि आवेश को दो वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है जबकि द्रव्यमान का वर्गीकरण  संभव नहीं  है। आवेश मुख्यतः धनात्मक और ऋणात्मक दो प्रकार के होते हैं लेकिन द्रव्यमान कभी भी ऋणात्मक नहीं हो सकता, यह सदैव धनात्मक होता है। किसी वस्तु में  विधुतीय गुण आवेश के वजह से होते है जबकि कोई वस्तु पृथ्वी के तरफ द्रव्यमान के कारण आकर्षित होता है। 

द्रव्यमान तथा आवेश कैसे अलग है ?

आवेश की परिभाषा तथा गुण 

आवेश को पदार्थ के गुण के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसे q द्वारा निरूपित किया जाता है और  यह दो प्रकार का  होता है  जो निम्न है :
  •  ऋणात्मक  आवेश 
  •  धनात्मक आवेश 
 हम जानते हैं कि  पदार्थ का निर्माण तत्व से होता है और परमाणु  तत्व का सबसे छोटा मूल कण होता है।  परमाणु के अंदर मूल आवेशयुक्त कण मौजूद होते है जिन्हे इलेक्ट्रान तथा प्रोटोन कहते है। इलेक्ट्रान ऋणावेशित तथा प्रोटोन धनावेशित कण होता है और प्रत्येक वस्तु में इलेक्ट्रान तथा प्रोटोन की संख्या बराबर होती है। जब परमाणु के अंदर  किसी बाहरी कारण की वजह से जब इलेक्ट्रान तथा प्रोटोन की संख्या असंतुलित हो जाती है तब वह वस्तु आवेशित हो जाती है। 

आवेश की विशेषता 

  • आवेश दो प्रकार के होते है। 
  • आवेश अपने चारो तरफ विधुत क्षेत्र उत्पन्न करते है। 
  • आवेश को कूलम्ब में मापा जाता है। 
  • आवेश संरक्षित रहते है। 
  • आवेश क़्वाटंकृत होते है। 
  • आवेश किसी दूसरे भौतिक राशि पर निर्भर नहीं करता है। 

द्रव्यमान की परिभाषा तथा गुण 

द्रव्यमान को पदार्थ का मूलभूत गुण माना जाता है। किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके अंदर मौजूद परमाणुओं की मात्रा या घनत्व का माप होता है। द्रव्यमान किसी भी दूसरे भौतिक कारक पर निर्भर नहीं करता है। इसके किसी दूसरे पिंड का गुरुत्वीय क्षेत्र प्रभावित नहीं कर सकता है। आम तौर पर, द्रव्यमान को पदार्थ की अपरिवर्तनीय संपत्ति के रूप में माना जाता है लेकिन गति में वृद्धि के साथ गतिमान पिंड का द्रव्यमान भी बढ़ता है। 

द्रव्यमान की विशेषता 

  • इसे अन्य वर्गों में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है। 
  • इसका SI मात्रक किलोग्राम होता है। 
  • यह अपने चारो तरफ गुरुत्वीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। 
  • यह लगभव अपरिवर्तनशील होता है। 
  • दो द्रव्यमान के बीच हमेशा गुरुत्वीय आकर्षण का बल कार्य करता है। 

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