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भारत में इंजीनियरिंग कॉलेज स्टूडेंट को दी जाने वाली स्कालरशिप ,यदि आप इंजीनियरिंग छात्र है तो अभी अप्लाई करे

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भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली स्कालरशिप  इंडिया के किसी प्राइवेट या सरकारी कॉलेज या यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग करने का पूरा फी सामान्यतः 8 से 20 लाख के करीब होता है। बहुत से स्टूडेंट के लिए इतनी बड़ी राशि का खर्च मुश्किल हो जाता है। ऐसे में छात्रों को अपने इंजीनियरिंग कोर्स को पूरा करने के लिए वित्तीय सहायता की जरुरत पड़ती है। इस परिस्थिति में स्कालरशिप छात्रों के लिए बहुत ही मददगार साबित होता है। इंजीनियरिंग स्टूडेंट के सपनो को साकार करने के लिए केंद्र सरकार ,राज्य सरकार , प्राइवेट तथा सरकारी यूनिवर्सिटी के साथ साथ कुछ निजी संगठन और कारपोरेट सेक्टर विभन्न प्रकार के स्कालरशिप प्रदान करते है।इस लेख में इंडिया में दी जाने वाली सभी प्रकार के स्कालरशिप की जानकारी दी जाएगी। इंडिया में कॉलेज यूनिवर्सिटी स्तर की ज्यादतर स्कॉलरशिप केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा दी जाती है। अपने आने वाली पीढ़ी को टेक्निकल तथा प्रोफेशनल से पारंगत करने के लिए सरकारे इंजीनियरिंग स्टूडेंट को स्कालरशिप देती है। केंद्र और राज्य दोनों सरकारें छात्रों को भारत में एक प्रतिष्ठित संस्थान से इंजीनियरिंग करने और एक ह...

ऑप्टिकल फाइबर : परिभाषा , कंस्ट्रक्शन , कार्य सिद्धांत ,फार्मूला ,लाभ ,हानि तथा उपयोग

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ऑप्टिकल फाइबर क्या है ? ऑप्टिकल फाइबर को हिंदी में प्रकाश तंतु कहते है। यह  एक पतला और लचीला तंतु होता है जो  कांच (सिलिका) या प्लास्टिक से बना हुआ होता है। प्रकाश तंतु का उपयोग सूचना को प्रकाश के रूप में  भेजने के लिए किया जाता है। ऑप्टिकल फाइबर इंसान के बाल से थोड़ा मोटा होता है। लेकिन इसके पास सूचना को लम्बे दुरी तक भेजने की असीम क्षमता होती है।  ऑप्टिकल फाइबर का कंस्ट्रक्शन  ऑप्टिकल फाइबर के निर्माण में सिलिका या उच्च किस्म के ग्लास (सीसा) का उपयोग किया जाता है। इसका आकर इससे होकर प्रवाहित होने वाले सूचना के अनुपाती होता है। जितना ज्यादा मोटा ऑप्टिकल फाइबर होगा उतना ज्यादा सूचना उससे प्रशारित होगी। ऑप्टिकल फाइबर का निर्माण तीन भाग में किया जाता है जो निम्न है : कोर (Core): यह ऑप्टिकल फाइबर के केंद्र में स्थित परत होती है जो प्रकाश(सूचना) को प्रसारित करती है। इसका निर्माण उच्च किस्म के सीसा से किया जाता है जिसे अपवर्तनांक उच्च  होता है।  क्लैडिंग (Cladding): यह कोर के चारों ओर की परत होती है जिसका अपवर्तनांक कोर के तुलना में  कम होता है।...

नॉर्मलता : परिभाषा ,फार्मूला ,उदहारण तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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नॉर्मलता क्या होती  है ? नॉर्मलिटी रसायन विज्ञान में किसी विलयन की सांद्रता व्यक्त करने का तरीका है। यह किसी विलयन के एक लीटर में घुले हुए विलायक के ग्राम तुल्यांकी(Gram Equivalent) भार को व्यक्त करता है। इसे हिंदी में नॉर्मलता कहते हैं। इसे निम्न तरीके से परिभाषित किया जाता है : किसी  विलयन के एकांक आयतन में घुले हुए विलेय के ग्राम  तुल्यांको की संख्या को नॉर्मलता कहते हैं। इसे N से व्यक्त किया जाता है। नॉर्मलता की फार्मूला   किसी विलयन के सांद्रता को नॉर्मलता  के रूप में निम्नांकित फार्मूला से ज्ञात किया जाता है।  नॉर्मलता  = विलेय के ग्राम-तुल्यांक / घोल का आयतन (लीटर में) W = विलेय का भार (ग्राम में) E = विलेय का तुल्यांकी भार V = घोल का आयतन (ml में) नॉर्मलता की मात्रक   चूँकि नॉर्मलता एक भौतिक राशि है जिससे विलयन की सांद्रता व्यक्त की जाती है।  इसलिए इसका मात्रक Gram Equivalent Weight Per liter होता है। जिसे निम्न तरीके से लिखा जाता है।  मात्रक = gram-equivalent/liter नॉर्मलता का उपयोग  नोर्मेलिटी का उपयोग निम्न स्...

तत्व किसे कहते है : परिभाषा ,प्रकार तथा उदहारण - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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तत्व किसे कहते है ? ELEMENT को हिंदी में तत्व कहते है। यह एक शुद्ध पदार्थ है जो एक ही प्रकार के परमाणुओं से  मिलकर बना होता है। परमाणु किसी भी पदार्थ का सबसे छोटा कण होता है जो पदार्थ के रासायनिक गुण को बनाए रखता है। तत्व को किसी भी भौतिक या रासायनिक विधि द्वारा और अधिक सरल पदार्थ में विभाजित नहीं किया जा सकता है। यह प्रकृति की मूलभूत रचनात्मक इकाई है। जैसे सोना ,चांदी ,हाइड्रोजन ,लिथियम ,सोडियम इत्यादि ये सभी तत्व है। तत्व आपस में रासायनिक अभिक्रिया कर यौगिक का निर्माण करते है।  तत्व के प्रकार   तत्व को उसके रासयनिक तथा भौतिक गुण  के आधार पर तीन वर्गो मे वर्गीकृत किया गया है जो निम्न है : धातु (Metal) अधातु  (Non Metal) उपधातु (Metalloids) धातु किसे कहते  है? वैसे तत्व धातु कहलाते है जो चमकदार, कठोर, मजबूत,ऊष्मा तथा विधुत के  सुचालक होते हैं। जैसे सोना (Gold), चांदी (Silver), लोहा (Iron), तांबा (Copper), एल्युमिनियम (Aluminium) इत्यादि  अधातु किसे कहते  है ? वैसे तत्व अधातु कहलाते है जो भंगुर, मुलायम, ऊष्मा तथा विधुत की कुचालक होते...

Spider Box Electrical : परिभाषा ,कॉम्पोनेन्ट,उपयोग ,लाभ एवं हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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Spider Box क्या है?  स्पाइडर बॉक्स एक प्रकार का पावर सप्लाई है  जिसका उपयोग विभिन्न स्थानों पर टेम्पोरेरी पावर सप्लाई के लिए किया जाता है। इसे बिजली वितरण बॉक्स के नाम से भी जाना जाता है। इसका नाम मकड़ी जिसे इंग्लिश में स्पाइडर कहते है से लिया गया है क्योकि इसकी डिज़ाइन मकड़ी की जैसी होती है। इसके केंद्र के चारो तरफ बहुत से पैर निकले हुए होते है। ऐसे स्थान जहा पर स्टैण्डर्ड आउटलेट उपलब्ध न हो वैसे स्थान पर बिजली आपूर्ति के लिए स्पाइडर बॉक्स का उपयोग किया जाता है। शादी समारोह , पार्टी , कंस्ट्रक्शन साइट आदि जैसे स्थान पर विधुत आपूर्ति के लिए स्पाइडर बॉक्स का  उपयोग किया जाता है।  स्पाइडर बॉक्स के कॉम्पोनेन्ट एवं विशेषता  यह आमतौर पर हैवी ड्यूटी प्लास्टिक या धातु से बना हुआ बंद घेरा होता है। इस बंद घेरे के अंदर कुछ आवश्यक कॉम्पोनेन्ट जैसे इनपुट आउटपुट  कनेक्टर ,सर्किट ब्रेकर ,ओवर लोड प्रोटेक्शन सिस्टम ,पावर इंडिक्टर लाइट तथा वोल्टेज ,करंट डिस्प्ले लगा हुआ होता है।  इनपुट पावर कनेक्शन  इस कनेक्शन के मदद से स्पाइडर बॉक्स को किसी प्राइमरी विधुत श्रोत जैसे...

भौतिकी क्या है? परिभाषा ,प्रकार ,नियम तथा अनुप्रयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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भौतिकी क्या है?  फिजिक्स को हिंदी में भौतिकी या भौतिक विज्ञानं कहते है।भौतिकी विज्ञान की एक शाखा है जिसके केअंतर्गत पदार्थ,ऊर्जा और ब्रह्मांड को संचालित करने वाले मूलभूत सिद्धांतों का अध्ययन किया जाता है। यह कणों के बीच लगने वाले बल वस्तुओं की गति,और विभिन्न घटनाओं को नियंत्रित करने वाले नियम,जैसे गुरुत्वाकर्षण का नियम, विद्युत चुंबकत्व का नियम तथा उष्मागतिकी का नियम इत्यादि का व्याख्या करता है। भौतिकी मे वैज्ञानिक उन सिद्धांतों को समझने की कोशिश करते है जो दुनिया मे घटने वाली प्राकृतिक घटनाओं की व्याख्या करते हैं ।वैज्ञानिक भौतिक सिस्टम के व्यवहार की व्याख्या करने और भविष्यवाणी करने के लिए गणितीय समीकरणों, प्रयोगों और सैद्धांतिक मॉडल का उपयोग करते हैं ।  ब्रह्मांड में घटने वाली विभिन्न घटनाओ को समझने मे भौतिकी हमारी मदद करता है। फिजिक्स की मदद से हमने इस दुनिया में तकनिकी प्रगति किया है।इसमें शास्त्रीय यांत्रिकी, क्वांटम यांत्रिकी, ऊष्मप्रवैगिकी, विद्युत चुंबकत्व, प्रकाशिकी और खगोल भौतिकी सहित विभिन्न उप-क्षेत्र शामिल है ।  फिजिक्स के अध्ययन के माध्यम से हम ब्रह्मांड के ...

प्रोटोन क्या है ? परिभाषा,खोज,द्रव्यमान तथा आवेश - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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प्रोटोन क्या है ?  प्रोटोन एकआवेश युक्त उप-परमाणु कण है जो परमाणु के नाभिक में न्यूट्रॉन के साथ पाया जाता है। इस पर इलेक्ट्रान के बराबर परिमाण लेकिन विपरीत प्रवृति का आवेश पाया जाता है अर्थात इलेक्ट्रान के विपरीत प्रोटोन धन आवेशित होता है। किसी परमाणु के अंदर इलेक्ट्रान तथा प्रोटोन की संख्या बराबर होती है इसलिए परमाणु उदासीन होते है।  प्रोटोन की खोज  प्रोटोन की खोजकर्ता कौन है इसके लिए थोड़ा कन्फूशन रहता है। कुछ लोग मानते है की गोल्डस्टीन ने प्रोटोन की खोज किया था तो कुछ लोग मानते है की रुदरफोर्ड ने प्रोटोन की खोज किया था। ये दोनों लोग कही न कही प्रोटोन के खोज से सम्बंधित है लेकिन इसकी पूरी  सटीक जानकरी  सन 1920 में रदरफोर्ड ने प्रस्तुत किया। रुदरफोर्ड से पहले गोल्डस्टीन ने कैनाल किरणों के अध्ययन के आधार पर प्रोटोन की होने की संभावना व्यक्त किया था। अतः प्रोटोन की खोजकर्ता का श्रेय रुदरफोर्ड को माना जाता है।  प्रोटोन की खोज कैसे हुई ? गोल्डस्टीन , जे जे थॉमसन के कैथोड रे विकरण का अध्ययन कर रहे थे। उन्होंने देखा की जब निम्न दाब  पर विसर्ग नली में कैथोड त...

आरसीबीओ : परिभाषा, फुल फॉर्म ,कार्य सिद्धांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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आरसीबीओ  क्या होता  है  तथा कैसे कार्य करता है ? यह एक विधुत सुरक्षा उपकरण है जिसमे RCD तथा MCB दोनों का गुण होता है। इसका उपयोग विधुत सुरक्षा के लिए किया जाता है।  यह  किसी व्यक्ति को इलेक्ट्रिक शॉक या  लीकेज  करंट या ओवर करंट के कारण लगने वाली आग से सुरक्षा प्रदान करता है।  RCBO लाइव वायर में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा की निगरानी सटीकता से करता रहता है। जैसे ही करंट लीकेज,ओवर वोल्टेज ,इलेक्ट्रिक शॉक के कारण प्रवाहित विधुत धारा में कोई असंतुलन नजर आती है यह मुख्य सप्लाई को विधुत सर्किट से डिसकनेक्ट कर देता है। RCBO की इस तुरंत एक्शन के कारण कोई बड़ी विधुत दुर्घटना या आग या कोई विधुत उपकरण डैमेज होने से बच जाता है।  उच्च स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आरसीबीओ का उपयोग आमतौर पर घरों, ऑफिस,औद्योगिक सुविधाओं और वाणिज्यिक भवनों सहित विभिन्न विद्युत प्रतिष्ठानों में किया जाता है। ये  पारंपरिक सर्किट ब्रेकरों की तुलना में बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं, क्योंकि येओवरकरंट और लीकेज करंट दोनों का पता लगा सकते है।  RCBOका फुल फॉर्म क्...

जैव ईंधन: परिभाषा ,प्रकार ,लाभ तथा हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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जैव ईंधन क्या है ?(biofuel kya hai) कोई भी पदार्थ जिसके जलने से प्रचुर मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है उसे ईंधन कहते है। जब यह ईंधन कृषि उत्पाद से प्राप्त होती है तब इसे जैव ईंधन कहते है। विभिन्न प्रकार की फसलों तथा पौधों से जैव ईंधन प्राप्त किए जाते है। जैव ईंधन को तकनीक के मदद से गतिज ऊर्जा ,उष्मीय ऊर्जा ,विधुत ऊर्जा आदि में परिवर्तित किया जाता है। प्रकृति में मौजूद सभी प्रकार के वनस्पति तथा जीव पदार्थ को बायोमास कहते है। जैव ईंधन का उपयोग करना आसान है तथा ये प्रकृति रूप से आसानी से संश्लेषित हो जाते है। इनमे सल्फर तथा गंध की मात्रा नहीं पाई जाती है।  हमारे सौरमंडल में ऊर्जा का मुख्य श्रोत सूर्य है। सूर्य द्वारा प्राप्त ऊर्जा को पौधे प्रकाश संशलेषण की प्रक्रिया से जैव ईंधन में परिवर्तित करते है। पौधों में यह जैव ऊर्जा विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरते हुए विभिन्न प्रकार के ऊर्जा श्रोत का निर्माण करती है। उदारहण के लिए मवेशी पौधों के पतियों को भोजन के रूप में ग्रहण करते है और गोबर करते है। इस गोबर को जलाकर उष्मीय ऊर्जा उत्पन्न किया जाता है।  जैव ईंधन कितने प्रकार के होते है ? ...

द्रव्यमान तथा आवेश में अंतर क्या होता है - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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द्रव्यमान तथा आवेश (Mass and Charge) आवेश और द्रव्यमान दोनों ही पदार्थ के आतंरिक प्रकृतिप्रदत्त गुण  हैं। इन दोनों (आवेश तथा द्रव्यमान) के बीच मुख्य अंतर यह है कि आवेश को दो वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है जबकि द्रव्यमान का वर्गीकरण  संभव नहीं  है। आवेश मुख्यतः धनात्मक और ऋणात्मक दो प्रकार के होते हैं लेकिन द्रव्यमान कभी भी ऋणात्मक नहीं हो सकता, यह सदैव धनात्मक होता है। किसी वस्तु में  विधुतीय गुण आवेश के वजह से होते है जबकि कोई वस्तु पृथ्वी के तरफ द्रव्यमान के कारण आकर्षित होता है।  आवेश की परिभाषा तथा गुण  आवेश को पदार्थ के गुण के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसे q द्वारा निरूपित किया जाता है और  यह दो प्रकार का  होता है  जो निम्न है :  ऋणात्मक  आवेश   धनात्मक आवेश   हम जानते हैं कि  पदार्थ का निर्माण तत्व से होता है और परमाणु  तत्व का सबसे छोटा मूल कण होता है।  परमाणु के अंदर मूल आवेशयुक्त कण मौजूद होते है जिन्हे इलेक्ट्रान तथा प्रोटोन कहते है। इलेक्ट्रान ऋणावेशित तथा प्रोटोन धनावेशित कण ह...

अतिचालकता : परिभाषा ,खोज तथा लाभ - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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अतिचालकता क्या है? यदि किसी पदार्थ की चालकताअनंत हो जाए तब इस पदार्थ को अतिचालक कहा जायेगा और इसके गुण को अतिचालकत कहते है। अतिचालकता प्रदर्शित करने वाले पदार्थ का आंतरिक प्रतिरोध शून्य होता है लेकिन वास्तव में अभी तक ऐसा कोई पदार्थ नहीं पाया गया है जिसकी आन्तरिक प्रतिरोधकता शून्य होती है लेकिन कुछ ऐसे पदार्थ पाए गए है जिनकी प्रतिरोधकता तापमान कम करने पर असामान्य रूप से घटती है तथा एक विशेष तापमान आने पर आचानक शून्य हो जाती है। इसका मतलब यह हुआ की इस तापमान पर पदार्थ की चालकता अनंत हो जाती है। जिस तापमान पर पदार्थ की चालकता अनंत हो जाती है उस तापमान को क्रांतिक ताप कहते  है। अतिचालकता की घटना सामान्यतः बहुत ही कम तापमान पर देखने को मिलता है। अतिचालकता को निम्न तरीके से परिभाषित किया जा सकता है :- कम ताप पर किसी पदार्थ की प्रतिरोधकता के शून्य हो जाने की घटना अतिचालकता कहलाती है। इसे अंग्रेजी में Super-Conductivity कहा जाता है।   अति-चालकता की खोज किसने किया? सर्वप्रथम नीदरलैंड के भौतिक वैज्ञानिक केमरलिंग ओन्नेस ने सन 1911 में अतिचालकता की खोज किया था। जिन पदार्थो में अतिच...

Regenerative Braking : परिभाषा ,कार्य सिध्दांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

Regenerative Braking क्या होता है? हम सभी जानते है कि चलती हुई गाडियों के पास गतिज उर्जा होता है। गाडियों को रोकने के लिए जब ब्रेक लगाया जाता है तब घर्षण द्वारा यह गतिज ऊर्जा उष्मीय तथा दुसरे उर्जा में परिवर्तित होकर वातावरण में चला जाता है। इस प्रकार यह उर्जा बर्बाद हो जाता है। पेट्रोल तथा डीजल से संचालित होने वाली गाडियों में ऐसा होता है। Regenerative Braking एक ऐसा ब्रेकिंग सिस्टम है जो ब्रेकिंग के दौरान गतिज उर्जा को विधुत उर्जा में परिवर्तित कर देता है और इस उर्जा को बैटरी में स्टोर कर लिया जाता है। यह ब्रेकिंग सिस्टम विधुत से संचालित होने वाली गाडियों में उपयोग किया जाता है। दुबारा जब गाड़ी को त्वरित करना होता है तब बैटरी में स्टोर हुई उर्जा को ,त्वरित करने के लिए उपयोग कर लिया जाता है।  विधुत वाहन के अतिरिक्त इस प्रकार के ब्रेकिंग के उपयोग डीजल तथा पेट्रोल से चलने वाली वाहनों में भी किया जा रहा है। ब्रेकिंग के दौरान उत्पन होने वाली विधुत उर्जा  को इकठ्ठा कर ,दुसरे कार्यो में कर लिया जाता है।  Regenerative Braking कैसे कार्य करता है? हाइब्रिड कार या दुसरे विधुत वाहन ...

Star-Delta transformation In Hindi - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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स्टार कनेक्शन क्या होता है? जब तीन कुंडली (Coil) या दुसरे कॉम्पोनेन्ट को इसप्रकार से आपस में जोड़ा जाता है की उसके तीन टर्मिनल आपस में एक दुसरे से एक बिंदु पर मिलते है तो ऐसे कनेक्शन को स्टार कनेक्शन कहा जाता है। जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है। जिस बिंदु पर तीनो कुंडली आपस में मिलती ही उस बिंदु को न्यूट्रल बिंदु कहा जाता है। स्टार कनेक्शन का उपयोग हमेशा थ्री फेज पॉवर सिस्टम में किया जाता है। संतुलन की अवस्था की अवस्था में न्यूट्रल बिंदु का वोल्टेज शून्य वोल्ट होता है। इस चित्र में N न्यूट्रल बिंदु है।  डेल्टा कनेक्शन क्या होता है ? तीन कुंडली को इस प्रकार से जोड़ा जाए की पहले कुंडली का दुसर टर्मिनल ,दुसरे कुंडली के पहले टर्मिनल से ,दुसरे कुंडली का दूसरा टर्मिनल तीसरे के पहले टर्मिनल से तथा तीसरे कुंडली का दूसरा टर्मिनल पहली कुंडली के पहले टर्मिनल से  जुड़ा हो तब इस प्रकार के कनेक्शन को डेल्टा कनेक्शन कहा जाता है। जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है। तीनो कुंडली इस प्रकार से जुड़कर एक बंद पास(Close loop) बनाती है। डेल्टा कनेक्शन में किसी भी प्रकार का न्यूट्रल पॉइंट नह...

PLC in Hindi : परिभाषा ,कार्य तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 PLC क्या होता है? यह एक प्रकार का इंडस्ट्रियल कंप्यूटर होता है जिसका उपयोग इंडस्ट्री में संचालित होने वाली मशीन को स्वतः नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। पीएलसी (PLC) ऑफिस कार्य में उपयोग होने वाले कंप्यूटर से बिल्कुल भिन्न होते है। इसे Programmable Controller भी कहा जाता है। ये इंडस्ट्री में उत्पादन क्षमता को बढाने के लिए उपयोग किये जाते है। ये पहले से दिए गए इंस्ट्रक्शन अर्थात निर्देश के अनुसार अपने कार्य को शुद्धता के साथ तेजी से पूरा करते है।  PLC का पूरा नाम क्या होता है? PLC का पूरा नाम  Programmable Logic Controller होता है। अर्थात यह एक प्रकार का कंट्रोलर होता है जो किसी भी कार्य को पहले से दिए गए लॉजिकल निर्देश(Logical program) के मदद से संचालित करता है।  PLC के मुख्य भाग क्या होते है? जैसे एक साधारण कंप्यूटर बहुत से कॉम्पोनेन्ट जैसे CPU ,मॉनिटर ,कीबोर्ड आदि को आपस में जोड़कर तैयार किया जाता है वैसे ही PLC में भी बहुत से बाहरी कॉम्पोनेन्ट को आपस में जोड़कर तैयार किया जाता है। पीएलसी को तैयार करने में उपयोग किये जाने वाले सभी कॉम्पोनेन्ट को PLC का  Arc...

Best stabilizer for tv टीवी के लिए बढ़िया स्टेबलाइजर - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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स्टेबलाइजर क्या होता है? यह एक विधुतीय उपकरण है जिसको  इस प्रकार से  डिजाईन किया जाता है की यह अपने दोनों आउटपुट टर्मिनल से जुड़े हुए किसी भी दुसरे विधुत उपकरण के लिए नियत वोल्टेज (Constant Voltage) उपलब्ध करता है। यह विधुत सप्लाई में होने वाले वोल्टेज बदलाव (Voltage fluctuation) से उत्पन्न हानि से विधुत उपकरण को सुरक्षा प्रदान करता है।  कुछ लोग वोल्टेज स्टेबलाइजर को आटोमेटिक वोल्टेज रेगुलेटर भी कहते है। यह हमारे घरो में उपयोग होने वाले महंगे विधुत उपकरण जैसे एयर कंडीशनर ,फ्रीज , प्रिंटिंग मशीन ,प्रयोगशाला में उपयोग होने वाले विधुत उपकरण आदि को वोल्टेज में होने वाले उतराव चढ़ाव से उपन्न होने वाले नुकशान से सुरक्षा प्रदान करता है।  वैसे विधुत उपकरण जो थोड़े से भी वोल्टेज में होने वाले परिवर्तन को वर्दास्त नहीं कर सकते है ,को मुख्य विधुत सप्लाई से जोड़ने से पहले स्टेबलाइजर के आउटपुट टर्मिनल से जोड़ना चाहिए। स्टेबलाइजर वोल्टेज में होने वाली उतराव चढाव को रेगुलेट कर एक नियत वोल्टेज आउटपुट टर्मिनल पर बनाये रखता है। सिंगल फेज विधुत उपकरण के लिए स्टेबलाइजर 230 से 240 वोल्ट का न...