PLC क्या होता है?
यह एक प्रकार का इंडस्ट्रियल कंप्यूटर होता है जिसका उपयोग इंडस्ट्री में संचालित होने वाली मशीन को स्वतः नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। पीएलसी (PLC) ऑफिस कार्य में उपयोग होने वाले कंप्यूटर से बिल्कुल भिन्न होते है। इसे Programmable Controller भी कहा जाता है। ये इंडस्ट्री में उत्पादन क्षमता को बढाने के लिए उपयोग किये जाते है। ये पहले से दिए गए इंस्ट्रक्शन अर्थात निर्देश के अनुसार अपने कार्य को शुद्धता के साथ तेजी से पूरा करते है।
PLC का पूरा नाम क्या होता है?
PLC का पूरा नाम Programmable Logic Controller होता है। अर्थात यह एक प्रकार का कंट्रोलर होता है जो किसी भी कार्य को पहले से दिए गए लॉजिकल निर्देश(Logical program) के मदद से संचालित करता है।
PLC के मुख्य भाग क्या होते है?
जैसे एक साधारण कंप्यूटर बहुत से कॉम्पोनेन्ट जैसे CPU ,मॉनिटर ,कीबोर्ड आदि को आपस में जोड़कर तैयार किया जाता है वैसे ही PLC में भी बहुत से बाहरी कॉम्पोनेन्ट को आपस में जोड़कर तैयार किया जाता है। पीएलसी को तैयार करने में उपयोग किये जाने वाले सभी कॉम्पोनेन्ट को PLC का Architecture कहते है। पीएलसी में निम्न मुख्य भाग या कॉम्पोनेन्ट होटर है :-
- प्रोसेसिंग यूनिट जो इनपुट को पढ़कर ,पहले से दिए गए निर्देश के अनुसार आउटपुट देता है
- पॉवर सप्लाई यूनिट जो पीएलसी के लिए विधुत उर्जा उपलब्ध करता है।
- मेमोरी यूनिट जो इनपुट तथा पहले से दिए निर्देश को स्टोर अर्थात इकठ्ठा करता है।
- इनपुट आउटपुट पोर्ट जिसके मदद से पीएलसी को इनपुट दिया जाता है और आउटपुट लिया जाता है
- कम्युनिकेशन इंटरफ़ेस यूनिट -यह दूर स्थित मशीन को नियंत्रित करने के लिए उपयोग होता है।
PLC कार्य कैसे करता है?
यह बिलकुल एक साधारण कंप्यूटर की ही तरह कार्य करता है। अंतर बस इतना है की यहाँ आउटपुट इससे जुड़े हुए मशीन से कार्य के रूप में मिलता जबकि इनपुट विभिन्न प्रकार के सेंसर द्वारा मिलता है। इसके विपरीत साधारण कंप्यूटर से आउटपुट साउंड ,विडियो ,ऑडियो या प्रिंट के रूप में मिलता है और इनपुट कीबोर्ड द्वारा दिया जाता है.पीएलसी को कार्य करने के लिए निर्देश अर्थात प्रोग्रम्म की जरुरत होती है।
किसी कार्य को मशीन द्वारा संचालित करने के लिए पहले से दिए गए निर्देश को प्रोग्राम कहते है। पीएलसी को संचालित करने वाला व्यक्ति एक विशेष कार्य के लिए प्रोग्राम तैयार करता है और इसे पीएलसी के मेमोरी इकाई (Memory Unit) में डाल देता है। जैसे किसी व्यक्ति ने ,इंडस्ट्री में लगने वाली आग को बुझाने के लिए एक प्रोग्राम बनाया और इसे पीएलसी के मेमोरी में इंस्टाल कर दिया।
पीएलसी के इनपुट पोर्ट से एक आग को सेंस करने वाले सेंसर को जोड़ दिया गया और इस सेंसर को आग लगने वाली जगह पर इंस्टाल कर दिया गया। इसके विपरीत आग को बुझाने वाली मोटर को पीएलसी के आउटपुट टर्मिनल से जोड़ दिया गया।
भविष्य में जब भी आग लगेगी सेंसर उसको पहचान लेगा और पीएलसी को इनपुट दे देगा। पीएलसी के मेमोरी में पहले से मौजूद प्रोग्राम के मुताबिक आउटपुट पोर्ट पर एक सिग्नल उत्पन्न करेगा जो आग को बुझाने वाली मोटर को संचालित कर देगा जिससे आग को बुझा दिया जायेगा।
PLC के लिए प्रोग्राम कैसे बनाया जाता है?
आज के आधुनिक समय में इंडस्ट्री को स्वचालित बनाने के लिए ,बहुत सारी कम्पनी PLC निर्माण कर रही है। प्रत्येक कंपनी का अपना एक डेडिकेटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज होता है जिसके मदद से PLC के लिए प्रोग्राम बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त दुनिया में कुछ कॉमन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है जिसके मदद से PLC के लिए प्रोग्राम बनाया जाता है। पूरी दुनिया में दो प्रकार के प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उपयोग किया जाता है जो निम्न है:-
- Textual PLC प्रोग्रामिंग लैंग्वेज
- ग्राफिकल PLC प्रोग्रामिंग लैंग्वेज
ऊपर दिए गुए दोनों प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में ग्राफिकल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उपयोग बड़े स्तर पर PLC के लिए प्रोग्राम बनाने में किया जाता है। इसका मुख्य वजह इसमें किसी भी प्रकार के टेक्स्ट रूप में कोई कोड नहीं लिखना होता है। इसमें प्रोग्रामिंग के लिए विभिन्न प्रकार के Functional ब्लाक दिए होते है जिसका मुख्य कार्य सिद्धांत इसके सॉफ्टवेर के लाइब्रेरी में डिफाइंड होता है। इसमें यूजर केवल ब्लाक को अपने रियल टाइम लॉजिक के अनुसार सजाकर अपना प्रोग्राम तैयार करता है। इस प्रकार तैयार किया गया प्रोग्राम के डायग्राम के जैसा दिखता है इसलिए इसे लॉजिक लैडर डायग्राम भी कहा जाता है।
लॉजिक लैडर डायग्राम (Logic Ladder Diagram) क्या होता है?
यह PLC प्रोग्रामिंग के लिए सबसे बढ़िया तथा आसान तरीका होता है। यह पूरी दुनिया में काफी लोकप्रिय है। PLC के लिए सबसे ज्यादा प्रोग्राम इसी तरीके से तैयार किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति इस तरीके से PLC के लिए प्रोग्राम लिखना चाहता है तब उसे इससे सम्बंधित कुछ बेसिक जानकारी होनी चाहिए। निचे दिया गया चित्र एक विधुत बल्ब के लिए बनाये गए लॉजिक लैडर डायग्राम को बताता है।
उपर दिए डायग्राम में एक विधुत बल्ब को दो स्विच द्वारा नियंत्रित किया गया है। इनमे से किसी भी एक स्विच को बंद किया जायेगा तब विधुत बल्ब जलने लगेगा। इस डायग्राम में क्षैतिज खिंची गई दो रेखाए Rung कहलाती है तथा उर्ध्वाधर खिंची गई रेखाए Rail कहलाती है। प्रत्येक Rung धनात्मक Rail(L) तथा ऋणात्मक Rail (N) के बीच विधुत कनेक्टिविटी बनाता है। इस लॉजिक लैडर डायग्राम में केवल बल्ब तथा स्विच को दिखाया गया है लेकिन PLC प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेर के लाइब्रेरी में विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट उपलब्ध होते है जैसे टाइमर ,रिले ,काउंटर आदि। इन सभी के मदद से विभिन्न प्रकार के जटिल सर्किट को डिजाईन किया जा सकता है।
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