छत पंखा क्या होता है?
यह एक विशेष प्रकार का सिंगल फेज इंडक्शन मोटर होता है जिसका उपयोग गर्मी से बचने के लिए किया जाता है। यह सिंगल फेज AC विधुत सप्लाई से संचालित होता है। यह दुनिया में सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। इसके रोटर पर तीन या दो पतली ब्लेड जुड़ा रहता है। इस मोटर को छत से लटकाकर उपयोग किया जाता है इसलिए इसे छत पंखा कहते है। इसे अंग्रेजी में सीलिंग फेन (Ceiling Fan) कहा जाता है।
सीलिंग फैन का कनेक्शन कैसे किया जाता है?
सामान्यतः सीलिंग फैन स्पिल्ट फेज सिंगल फेज इंडक्शन मोटर होता है। इसके आंतरिक भाग में दो प्रकार की वाइंडिंग किया जाता है जिसे स्टार्टिंग वाइंडिंग तथा रनिंग वाइंडिंग के नाम से जाना जाता है। कुछ लोग स्टार्टिंग वाइंडिंग को Auxiliary Winding तथा रनिंग वाइंडिंग को Main Winding भी कहते है। निचे एक स्पिल्ट फेज इंडक्शन मोटर का सर्किट डायग्राम दिया गया है जिसमे साफ साफ देखा जा सकता है की स्टार्टिंग वाइंडिंग के श्रेणी क्रम (Series) में एक कंडेंसर जोड़ा गया है। पहले हम ये देखते है की यदि कंडेंसर को सिलिन्फ़ फेन में नहीं जोड़ेंगे तो क्या होगा
यदि सीलिंग फैन में कैपासिटर को नहीं जोड़ा जाए तब क्या होगा?
यदि स्टार्टिंग वाइंडिंग के श्रेणी क्रम में कैपासिटर को नहीं लगाया जाए तब दोनों वाइंडिंग एक दुसरे के साथ समांतर क्रम में होंगी तथा दोनों के टर्मिनल के बीच वोल्टेज ,सप्लाई वोल्टेज के बराबर होगा। जब दोनों वाइंडिंग में विधुत धारा का प्रवाह होगा तब इससे दोनों वाइंडिंग में एक पुलास्टिंग चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होगा जबकि मोटर को घुमाने के लिए रोटेटिंग चुंबकीय क्षेत्र की जरुरत होती है।
अर्थात सिंगल फेज विधुत सप्लाई होने के कारण वाइंडिंग द्वारा एक ही प्रकार का चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है जो आधे समय अन्तराल के लिए क्लॉक वाइज तथा अगले आधे समय अंतराल के लिए एंटी क्लॉक वाइज घूमता है। अर्थात विधुत सप्लाई के सम्पूर्ण समय अंतराल के लिए ,मोटर की दिशा आधे समय के लिए क्लॉक वाइज तथा अगले आधे समय अन्तराल के लिए एंटी क्लॉक वाइज होता है। जिससे पुरे समय अंतराल में मोटर जड़त्व के कारण किसी भी दिशा में घूम नहीं पाता है और कुल नेट टार्क शून्य होता है। इसलिए मोटर का स्टार्टिंग टार्क शून्य होता है।
सीलिंग फैन में कैपासिटर का क्या कार्य होता है?
कैपासिटर ऐसा कौन सा जादू करता है की सिंगल फेज इंडक्शन मोटर खुद ब खुद (Self Start) स्टार्ट हो जाता है। चलिए कैपासिटर द्वारा किए जाने वाली जादू के पीछे छिपे हुए विज्ञान या इंजीनियरिंग को समझते है। हम सभी जानते है की किसी भी ए०सी मोटर को सेल्फ स्टार्टिंग अर्थात खुद ब खुद स्टार्ट होने के लिए कम सेकम दो या इससे अधिक फेज की जरुरत पड़ती है। दो अलग अलग फेज की विधुत धारा ,दो अलग अलग फेज वाली चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है जिससे मोटर के अन्दर नेट चुंबकीय क्षेत्र का योग रोटेटिंग प्रवृति का हो जाता है जो मोटर के रोटर पर एक रोटेटिंग टार्क उत्पन्न करता है जिससे मोटर घुमने लगता है। लेकिन हमारे घर में आने वाली विधुत सप्लाई सिंगल फेज होती है इसलिए मोटर के अन्दर दूसरा फेज उत्पन्न करने के लिए कैपासिटर को स्टार्टिंग वाइंडिंग के श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है। मोटर के रनिंग वाइंडिंग के साथ भी कैपासिटर को जोड़ा जा सकता है लेकिन मोटर की दिशा बदल जाएगी।
हम सभी यह भी जानते है की यदि किसी Resistive सर्किट में प्रवाहित ए०सी विधुत धारा तथा वोल्टेज दोनों एक ही फेज में होते है लेकिन Inductive सर्किट में विधुत धारा ,वोल्टेज से पिछड़ जाता है अर्थात वोल्टेज तथा करंट में फेज डिफरेंस उत्पन्न हो जाता है। इसके विपरीत Capacitive सर्किट में विधुत धारा ,वोल्टेज से आगे निकल जाता है अर्थात वोल्टेज तथा करंट में फेज डिफरेंस उत्पन्न हो जाता है। अर्थात Inductance तथा Capacitance सर्किट में दो अलग अलग फेज उत्पन्न कर देता है। इसका मतलब हुआ की किसी भी सर्किट में Inductor या Capacitor लगाकर दो अलग अलग फेज उत्पन्न किया जा सकता है।
इसी वजह से सिंगल फेज मोटर के स्टार्टिंग वाइंडिंग में कंडेंसर को जोड़ा जाता है। कंडेंसर को जोड़ने पर मोटर के साथ निम्न घटना घटती है:-
- स्टार्टिंग वाइंडिंग के साथ कैपासिटर जुड़े होने की वजह से करंट ,वोल्टेज से 45 डिग्री आगे रहता है।
- स्टार्टिंग वाइंडिंग में फेरो की संख्या ज्यादा होने की वजह से यह एक Inductor की तरह कार्य करता है जिससे इसमें वोल्टेज ,करंट से 45 डिग्री आगे रहता है।
इस प्रकार से मोटर में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा का परिमाण ,वोल्टेज से 90 डिग्री पीछे जो जाता है और मोटर के अन्दर दो फेज उत्पन्न हो जाते है और मोटर स्वतः स्टार्ट हो जाता है।
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