फ्रीक्वेंसी किसे कहते है ?
यदि कोई वस्तु एक निश्चित समय अंतराल में अपने गति को दुहराती है तब इस प्रकार के गति को आवर्त गति कहते है। एक चक्कर पूरा करने में लगे हुए समय को आवर्त काल कहते है। आवर्त गति करती हुई वस्तु द्वारा इकाई समय में लगाए गए कुल चक्कर की संख्या आवृति कहलाती है जिसे अंग्रेजी में फ्रीक्वेंसी कहते है। यह आवर्त गति करती हुई वस्तु के गति की व्याख्या करने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक पद है। इससे ज्ञात होता है की गति करती हुई वस्तु किसी दिए गए समय अन्तराल में कितनी चक्कर लगाती है। इलेक्ट्रिकल में फ्रीक्वेंसी का उपयोग देखने को मिलता है। चूँकि AC वोल्टेज या करंट ,दोनों आवर्त गति करते है इसलिए इनकी जानकारी के लिए फ्रीक्वेंसी के बारे में जानना जरुरी बन जाता है।
फ्रीक्वेंसी का फार्मूला क्या होता है?
चूँकि फ्रीक्वेंसी इकाई समय में गति करती हुई वस्तु द्वारा लगाई गई कुल चक्कर की संख्या होती है इसलिए इसे आवर्त काल के रूप में निम्न तरीके से व्यक्त किया जा सकता है।
आवृति = 1/(आवर्त काल)
यदि आवृति = f तथा आवर्त काल = T हो तब फ्रीक्वेंसी को निम्न तरीके से फार्मूला द्वारा व्यक्त किया जा सकता है।
यह आवृति ज्ञात करने का साधारण फार्मूला होता है। इसके अतिरिक्त आवृति का संबंध अन्य दुसरे पैरामीटर से भी होता है।
फ्रीक्वेंसी का SI मात्रक क्या होता है?
फ्रीक्वेंसी एक भौतिक राशि है इसलिए इसे मापा जा सकता है और मापे गए परिमाण को एक मात्रक के रूप में व्यक्त भी किया जा सकता है। चूँकि फ्रीक्वेंसी आवर्त काल के रूप में व्यक्त किया गया इसलिए इसका SI मात्रक भी ऊपर दिए गए फार्मूला से ही ज्ञात किया जायेगा। समय (T) का SI मात्रक सेकंड (s) होता है इसलिए
फ्रीक्वेंसी का SI मात्रक = 1 /(समय का SI मात्रक) = 1/s
1/s को हर्ट्ज़ कहते है जिसे Hz लिखा जाता है। इसलिए फ्रीक्वेंसी का SI मात्रक Hz होता है। यदि किसी वस्तु का आवर्त काल 2 सेकंड है तब इसकी फ्रीक्वेंसी कितनी होगी।
फ्रीक्वेंसी कितने प्रकार की होती है?
फ्रीक्वेंसी को दो प्रकार से वर्गीकृत किया गया है जो निम्न है :-
- कोणीय आवृति
- स्थानिक आवृति
कोणीय आवृति क्या होता है?
किसी वृतीय पथ पर घूम रही वस्तु द्वारा तय किए गए कोणीय विस्थापन तथा इसको पूरा करने में लगे हुए समय अंतराल के अनुपात को कोणीय आवृति है। इसे ओमेगा (ω) द्वारा सूचित किया जाता है। वृतीय पथ पर घूम रही वस्तु द्वारा एक चक्कर में कुल कोणीय विस्थापन 2𝝿 होगा। माना की एक चक्कर लगाने में लगा कुल समय = T सेकंड है तब
कोणीय आवृति = (कोणीय विस्थापन)/(आवर्त काल)
इसे आवृति f के रूप में निम्न तरीके से लिखा जा सकता है।
स्थानिक आवृति क्या होता है?
वैसी आवृति जो स्पेसियल कोआर्डिनेट पर निर्भर करता है उसे स्थानिक आवृति कहते है। यह तरंदैघ्य (Wavelength) के व्युत्क्रमानुपाती होता है। इसका भी SI मात्रक हर्ट्ज़ होता है।
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