स्किन प्रभाव क्या होता है?
जब स्थिर दिष्ट धारा किसी चालक से प्रवाहित होती है तब वह चालक के पुरे अनुप्रस्थ क्षेत्रफल में सामान रूप से वितरित(Distributed) होकर प्रवाहित होती है। चालक के प्रत्येक हिस्से में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा का परिमाण सामान होता है। इसके विपरीत जब प्रत्यावर्ती विधुत धारा (AC) को किसी चालक से प्रवाहित किया जाता है तब वह पुरे चालक के अन्दर सामान रूप से वितरित नही होता है बल्कि असमान रूप से वितरित होकर प्रवाहित होता है। चालक से प्रवाहित होने वाली प्रत्यावर्ती विधुत धारा ,चालक के सतह पर वितरित होकर प्रवाहित होती है। प्रत्यावर्ती विधुत धारा हमेशा चालक के बाहरी सतह से प्रवाहित होने की कोशिश करती है। प्रत्यावर्ती विधुत धारा के अन्दर उत्पन्न हुए इस प्रभाव को स्किन प्रभाव कहा जाता है। यदि स्किन प्रभाव को साधारण भाषा में परिभाषित करे तो यह कुछ ऐसा होगा :-
चालक के बाहरी सतह पर असमान रूप से वितरित प्रत्यावर्ती विधुत धारा के प्रवाह को स्किन प्रभाव (Skin Effect) कहा जाता है।
स्किन प्रभाव की वजह से चालक के आंतरिक कोर के तुलना में ज्यादा मात्रा में विधुत आवेश उसके सतह पर इकठ्ठा हुए रहते है। जिससे ज्यादा विधुत धारा बाहरी सतह से प्रवाहित होता है। बाहरी सतह से विधुत धारा प्रवाहित होने की वजह से चालक का ओह्मिक प्रतिरोध (Ohmic Resistance) बढ़ जाता है। चालक से प्रवाहित विधुत धारा की आवृति को बढ़ाने से स्किन प्रभाव बढ़ जाता है। जैसे 50 Hz आवृति पर बहुत कम मात्रा में विधुत आवेश सतह से प्रवाहित होते है लेकिन जैसे ही आवृति को रेडियो आवृति के बराबर कर दिया जाता है तब लगभग सब विधुत धारा चालक के सतह से प्रवाहित होने लगता है।
यदि प्रवाहित विधुत धारा के आवृति को कम लगभग शून्य कर दिया जाए (जैसे की दिष्ट धारा में होता है ) तब चालक के पुरे भाग में विधुत धारा सामान रूप से वितरित हो जाएगी और किसी भी प्रकार का स्किन प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा।
स्किन प्रभाव क्यों उत्पन्न होता है?
ट्रांसमिशन लाइन में उपयोग किये जाने वाले विधुत चालक पतले पतले चालक को आपस में ट्विस्ट कर बनाये जाते है ,जिन्हें स्ट्रैंड कहा जाता है। चालक में उपयोग होने वाले प्रत्येक स्ट्रैंड से विधुत धारा का छोटा हिस्सा प्रवाहित होता है। जब चालक से प्रत्यावर्ती विधुत धारा प्रवाहित होती है तब उसमे चुंबकीय फ्लक्स उत्पन्न हो जाता है। चालक के आंतरिक कोर अर्थात बीच में मौजूद स्ट्रैंड ,उसके ऊपर बाहरी भाग में मौजूद स्ट्रैंड के तुलना में ज्यादा चुंबकीय फ्लक्स जुडा हुआ होता है जिससे बीच (Core) वाले स्ट्रैंड का Self Inductance अन्य दुसरे स्ट्रैंड के तुलना में ज्यादा होता है जिससे वह अन्य सभी स्ट्रैंड से ज्यादा प्रतिरोध (Inductive Reactance) उत्पन्न करता है। जैसे जैसे केन्द्रीय स्ट्रैंड से सतह की तरफ बढ़ते है वैसे-वैसे Inductive reactance कम होता जाता है और सबसे कम inductive Reactance बाहरी सतह वाले स्ट्रैंड का होता है। इसी वजह से चालक से प्रवाहित विधुत धारा पर वितरित हो जाती है।
स्किन प्रभाव को प्रभावित करने वाले कारक क्या है?
स्किन प्रभाव निम्न कारको को वजह से प्रभावित होता है:-
- चालक में प्रयुक्त पदार्थ की प्रकृति (Material used in Conductor)
- चालक की मोटाई (Diameter of Conductor )
- चालक का आकार (Size of Conductor)
- चालक से प्रवाहित विधुत धारा की आवृति (Frequency of Current)
चालक में प्रयुक्त पदार्थ स्किन प्रभाव को कैसे प्रभावित करता है?
यदि चालक को बनाने में प्रयुक्त पदार्थ की चुंबकशीलता ज्यादा होगी तब उस चालक में स्किन प्रभाव ज्यादा उत्पन्न होगा क्योकि चुंबकशीलता चुंबकीय फ्लक्स का सपोर्ट करता है।
चालक की मोटाई स्किन प्रभाव को कैसे प्रभावित करता है?
चालक की मोटाई बढ़ने की वजह से केन्द्रीय स्ट्रैंड की दुरी सतह से बढ़ती जाती है जिससे सबसे बाहरी सतह पर मौजूद स्ट्रैंड का Inductive Reactance सबसे कम होगा। कम Inductive Reactance होने की वजह से ज्यादा मात्रा में विधुत धारा सतह से प्रवाहित होने की कोशिश करेगा जिससे स्किन प्रभाव बढ़ जायेगा।
चालक का आकार स्किन प्रभाव को कैसे प्रभावित करता है?
यदि ट्रांसमिशन लाइन में प्रयुक्त पतला तथा स्ट्रैंड वायर का बना हुआ है तब स्किन प्रभाव कम उत्पन्न होगा क्योकि चालक की मोटाई कम होने होने की वजह से पूरा करंट केन्द्रीय भाग से प्रवाहित होगा।
विधुत आवृति स्किन प्रभाव को कैसे प्रभावित करता है?
चूँकि स्किन प्रभाव Inductive reactance की वजह से उत्पन्न होता है और Inductance reactance आवृति के समानुपाती होता है। इसलिए आवृति को बढ़ाने की वजह से स्किन प्रभाव भी बढ़ता है।
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