शिखर मान (Peak value) क्या होता है?
प्रत्यावर्ती विधुत धारा या वोल्टेज का मान एक निश्चित समय अन्तराल में बदलता रहता है। पुरे समय अन्तराल के दौरान किसी एक निश्चित समय पर प्रत्यावर्ती विधुत धारा या वोल्टेज का मान अधिकतम होता है। प्रत्यावर्ती विधुत धारा या वोल्टेज के इस अधिकतम मान को ही शिखर मान या peak value कहते है। इसे आयाम (Amplitude) भी कहते है। यदि प्रत्यावर्ती विधुत धारा या वोल्टेज का wave form ज्यावाक्रिय (Sinusoidal) हो तब इसका शिखर मान 90 डिग्री पर होता है। प्रत्यावर्ती विधुत धारा या वोल्टेज को गणितीय रूप में निम्न फार्मूला से दिखाया जाता है।
I = I0Sin(ωt) (प्रत्यावर्ती विधुत धारा )
V =V0Sin(ωt) (प्रत्यावर्ती विधुत वोल्टेज )
औसत मान (Average Value) क्या होता है?
जब कोई प्रत्यावर्ती विधुत धारा किसी परिपथ से प्रवाहित होता है तब यह उस परिपथ में कुछ विधुतीय कार्य करता है। चूँकि हमने देखा की प्रत्यावर्ती विधुत धारा अपने पुरे एक समय काल में आधे समय के लिए धनात्मक दिशा में कार्य करता है तथा अगले आधे समय
अन्तराल में ऋणात्मक दिशा में कार्य करता है। इस प्रकार पुरे समय अन्तराल में प्रत्यावर्ती धारा द्वारा किया गया कार्य का योग शून्य हो जाता है। लेकिन भौतिक रूप से विधुत धारा द्वारा कुछ कार्य किया जाता है।
अतः उर्जा गणना के दौरान प्रत्यावर्ती विधुत धारा के ऋणात्मक या धनात्मक चिन्ह को गणना में शामिल नहीं किया जाता है और विधुत धारा के किसी एक आधे समय अन्तराल में किए गए कार्य का औसत मान की गणना कर ली जाती है।
RMS Value क्या होता है ?
RMS Value का फुल फॉर्म Root Mean Square Value होता है जिसे हिंदी में वर्ग माध्य मूल मान कहते है। RMS Value को निम्न रूप से परिभाषित किया जाता है।
प्रत्यावर्ती धारा पुरे एक चक्र के लिए धारा के वर्ग के औसत मान के वर्गमूल को धारा का वर्ग माध्य मूल मान कहते है
यदि किसी परिपथ में प्रवाहित प्रत्यावर्ती विधुत धारा I = ImSin(ωt) प्रवाहित हो रही है तो इसका RMS Value निम्न तरीके से ज्ञात किया जायेगा।
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image credit :electricaleasy.com |
दिए गए फार्मूला से ज्ञात होता है की RMS Value विधुत धारा के अधिकतम मान का 0.707 गुना होता है अर्थात
Irms = Im /√2
RMS Value का महत्व
माना R प्रतिरोध के एक तार में प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित हो रही है। इस धारा के कारण t समय में उत्पन्न विधुत उर्जा H = I2Rt होगी क्योकि धारा I का मान आवर्त रूप बदलता रहता है अतः उष्मीय उर्जा उत्पन्न होने की दर सम्पूर्ण चक्र में एक सामान न रहकर लगातार बदलती रहती है। धारा के एक पुरे चक्र में उत्पन्न उष्मीय उर्जा का औसत मान H = Irms2Rt होगी।
यदि इस R प्रतिरोध वाले तार में डीसी धारा उतने ही t समय के लिए प्रवाहित की जाए और इससे उतने मात्रा में उष्मीय उर्जा उत्पन्न होती है जितनी प्रत्यावर्ती धारा के कारण हुयी थी तब वह प्रत्यावर्ती धारा इस दिष्ट धारा के तुल्य होगी। अर्थात
प्रत्यावर्ती धारा का RMS Value दिष्ट धारा (DC) के उस मान के बराबर होता है जिसे किसी प्रतिरोध वाले तार पर लगाने से प्रति सेकंड उतनी ही ऊष्मा उत्पन्न होगी जितनी प्रत्यावर्ती धारा से उत्पन्न होगी।
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