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Chemical Effect of Electric Current : सिद्धांत तथा उपयोग - इलेक्ट्रिकल डायरी

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विधुत धारा का रासायनिक प्रभाव क्या होता है?

जब दो धातु के इलेक्ट्रोड से किसी रासायनिक विलयन में विधुत धारा को  प्रवाहित किया जाता है तब ,रसायनिक विलयन में रासायनिक अभिक्रिया प्रारम्भ हो जाती है जिसके फलस्वरूप विलयन से गैस के बुलबुले निकलने लगते है। इसके अतिरिक्त धातु के इलेक्ट्रोड पर विलयन में घुली हुयी धातु इलेक्ट्रोड पर इकठ्ठा होने लगती है। कभी यह भी देखने को मिलता है की विलयन का रंग भी बदलने लगता है। विधुत धारा के कारण विलयन में इस प्रकार उत्पन्न होने वाले प्रभाव को विधुत धारा का रासायनिक प्रभाव कहा जाता है। 
chemical effect of electric current

 विधुत धारा के रासायनिक प्रभाव का प्राम्भिक अध्ययन सर्वप्रथम ब्रिटिश वैज्ञानिक विलियम निकोल्सन ने सन 1800 में किया था। निकोल्सन ने अपने प्रयोग में विलयन के जगह पर पानी का उपयोग किया था। उन्होंने जब बैटरी से जुड़े धातु के इलेक्ट्रोड को पानी में डुबोया तो देखा की पानी से हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के बुल बुले निकलने लगे। अपने प्रयोग में उन्होंने पाया की  बैटरी के धनात्मक सिरे से जुड़े इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीजन के बुलबुले तथा बैटरी के ऋणात्मक सिरे से  जुड़े इलेक्ट्रोड पर हाइड्रोजन के बुलबुले इकठ्ठा हो रहे है। 

अपने प्रारंभिक प्रयोग में विलियम निकोल्सन ने  विभिन्न प्रकार के विलयन का प्रयोग किया। अपने प्रयोग के दौरान उन्होंने ने पाया की विधुत धारा कुछ विशेष प्रकार के विलयन से प्रवाहित होती है। निकोल्सन ने अपने प्रयोग में पाया की  जिस विलयन में ध्रुवीय विलेय ( जैसे NaCl  Al2SO4 ,CaSO4) का प्रयोग हुआ उस विलयन से विधुत धारा का प्रवाह आसानी से हो जाता है। अपने  प्रयोग के आधार पर निकोल्सन ने विलयन को दो भाग  में विभाजित किया :-
  • ध्रुवीय विलयन (Polar Solution)
  • अध्रुवीय विलयन (Non Polar Solution)

ध्रुवीय विलयन क्या होता है ?

ध्रुवीय विलयन वैसे विलयन होते है जो ध्रुवीय विलेय (जैसे NaCl  Al2SO4 ,CaSO4) को ध्रुवीय विलायक (Solvent) में घोल कर बनाया जाता है। ध्रुवीय विलयन से जब विधुत धारा को प्रवाहित किया जाता है तब ये विलेय अपने आयन में टूटने  लगते है। आयन विखंडन के बाद ये आयन अपने विपरीत प्रकृति के इलेक्ट्रोड के तरफ गति करने लगते है जिससे विलयन से विधुत धारा का प्रवाह होने लगता है। विलयन में आयन इलेक्ट्रोड पर इकठ्ठा होकर एक ध्रुव (Pole)की तरह  कार्य करते है इसलिए इसे ध्रुवीय विलयन कहा जाता है। 
(विपरीत प्रकृति  मतलब धन आयन ऋणात्मक इलेक्ट्रोड तथा ऋण आयन धनात्मक इलेक्ट्रोड के तरफ भागने लगते है)

अध्रुवीय विलयन क्या होता है ?

अध्रुवीय विलयन वैसे विलयन होते है जिसमे विलायक (Solvent) अध्रुवीय यौगिक (Non Polar Compound)  (जैसे बेंजीन, कार्बन टेट्रा क्लोराइड आदि) होते है। इसके अतिरिक्त यदि  विलायक में अध्रुवीय विलेय जैसे चीनी (Sugar) को घोल देने से प्राप्त विलयन भी अध्रुवीय विलयन होता है। अध्रुवीय विलयन में इलेक्ट्रोड के मदद से  जब  विधुत धारा प्रवाहित कि जाती है तब इससे विधुत धारा का प्रवाह नहीं होता है क्योकि विलायक अध्रुवीय होने के कारण आयन में नहीं टूटते है। इस प्रकार के विलयन में आयन न होने के कारण इसे अध्रुवीय विलयन कहा जाता है। 

विधुत धारा के रासायनिक प्रभाव का  उपयोग 

 आज के समय में विधुत धारा  रासायनिक प्रभाव का बहुत से कार्यो में किया  रहा है जिनमे से कुछ निम्न है :-
  • धातुओं का उनके अयस्क से निष्कर्षण में 
  •  धातुओं के शुद्धिकरण  में 
  • विभिन्न प्रकार के यौगिक निर्माण में 
  • यौगिक को विघटित करने में  
  • विधुत लोपन  में 

धातुओं का उनके अयस्क से निष्कर्षण 

विधुत धारा के रासायनिक प्रभाव का सबसे ज्यादा उपयोग शुद्ध धातु का उनके अयस्क (Ores) से निष्कर्षण में किया जाता है। जिस धातु का निष्कर्षण करना होता है उस धातु के अयस्क को विलयन में डालकर ,अयस्क से  विधुत धारा को प्रवाहित किया जाता है। जब अयस्क से विधुत धारा का परवाह होता है तब अयस्क से धातु अपने आयन  में टूटने लगता है और ऋणात्मक इलेक्ट्रोड पर इकठ्ठा होने लगता है। अयस्क से धातु का इस प्रकार निष्कर्षण विधुत विच्छेदन (Electrolysis) कहलाता है। पुरे विश्व में बहुत से धातुओं का निष्कर्षण इस विधि द्वारा किया जाता है। 

धातुओं के शुद्धिकरण  में 

विधुत विच्छेदन विधि का उपयोग धातुओं के शुद्धिकरण में भी होता है। जिस धातु का शुद्धिकरण करना होता है उस धातु को विधुत सेल के धनात्मक सिरे से जोड़कर ध्रुवीय विलयन में डुबोया जाता है।जब अशुद्ध धातु से विधुत धारा  को प्रवाहित किया जाता है तब यह अपने आयन में विघटित होकर विधुत सेल से जुड़े ऋणात्मक सिरे पर एकत्रित होने लगता है तथा अशुद्ध धातु विलयन में निचे इकठ्ठा होने लगते है। 

यौगिक उत्पादन में 

विधुत धारा के रासायनिक प्रभाव का सबसे आसान उपयोग यौगिक उत्पादन होता है। आज बहुत ही ज्यादा मात्रा में यौगिक के निर्माण में विधुत विच्छेदन विधि का उपयोग किया जा रहा है। 

यौगिक का विघटन 

विधुत विच्छेदन (Electrolysis) प्रक्रिया के मदद से विभिन्न प्रकार के यौगिक को उसके मूल तत्वों में विघटित किया जाता है। जैसे जल का विधुत विच्छेदन करने से हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन गैस प्राप्त होता है। 

विधुत लेपन (Electroplating)

विधुत लेपन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे एक धातु के सतह पर किसी दूसरे धातु की परत चढ़ाई जाती है। 


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