इन्वर्टर क्या होता है ?
हम अपने पड़ोसियों को अक्सर यह कहते हुए सुने है की बिजली चली गयी है इन्वर्टर ऑन कर लो। इन्वर्टर के बारे में इससे ज्यादा हमें कुछ मालूम नहीं होता है। इस ब्लॉग पोस्ट मैं आज इन्वर्टर के बारे में आप लोगो को पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराएँगे।
इन्वर्टर एक ऐसी इलेक्ट्रिकल मशीन होता है जो दिष्ट धारा (DC Voltage) को प्रत्यावर्ती धारा (AC Voltage) में परिवर्तित करता है। कुछ इन्वर्टर ऐसे भी होते है जो AC को DC में भी बदलने का कार्य करते है। इन्वर्टर को Silent Generator भी कहा जाता है।
यदि हम इसे साधारण भाषा में बोले तो यह एक प्रकार का ऐसा मशीन होता है जो बैटरी में संचित रसायनिक ऊर्जा (DC) को विधुत ऊर्जा में विधुत ऊर्जा के AC रूप में बदलता है। इसका उपयोग इमरजेंसी जनरेटर के तौर पर किया जाता है।
इन्वर्टर कार्य कैसे करता है ?
हमारे घर में उपयोग होने वाले इन्वर्टर सिस्टम में मुख्य रूप से दो कॉम्पोनेन्ट का उपयोग किया जाता है :-
- (1) बैटरी
- (2) इलेक्ट्रॉनिक इन्वर्टर
इन्वर्टर सिस्टम में बैटरी का क्या कार्य होता है ?
इन्वर्टर सिस्टम में बैटरी ही विधुत ऊर्जा का मुख्य श्रोत होता है। इस बैटरी में संचित रासायनिक ऊर्जा को AC वोल्टेज में परिवर्तित किया जाता है। हमारे घर में लगे इन्वर्टर सिस्टम के बैटरी की क्षमता जितनी अधिक होती है हमारा इन्वर्टर सिस्टम उतना ही बढ़िया और लम्बे समय तक कार्य करता है।अगर हम साधारण भाषा में बोले तो बैटरी इन्वर्टर सिस्टम के लिए विधुत ऊर्जा का बैंक होता है।
इलेक्ट्रॉनिक इन्वर्टर क्या होता है ?
इन्वर्टर सिस्टम का दूसरा बसबसे महत्वपूर्ण भाग इलेक्ट्रॉनिक इन्वर्टर होता है। इसे कुछ लोग यूपीएस भी कहते है। यह विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट के मदद से तैयार किया जाता है। जिसमे मुख्य रूप से पावर मॉस्फेट , ट्रांजिस्टर या दूसरे फ़ास्ट स्विचिंग डिवाइस का प्रयोग किया जाता है। यह बैटरी में संचित रासायनिक विधुत ऊर्जा DC को AC विधुत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
इन्वर्टर कैसे कार्य करता है ?
सबसे पहले बैटरी के दोनों टर्मिनल को इन्वर्टर के इनपुट टर्मिनल से जोड़ दिया जाता है। इसके बाद इन्वर्टर के आउटपुट को अपने घर या ऑफिस के मुख्य बोर्ड (Main Board) से जोड़ दिया जाता है। जब हमारे घर या ऑफिस में बिजली गुल हो जाती है तब इन्वर्टर के इलेक्ट्रॉनिक सर्किट से जुड़ा हुआ Relay ,बैटरी को इलेक्ट्रॉनिक इन्वर्टर से जोड़ देता है ,जिससे बैटरी से DC विधुत धारा का प्रवाह इन्वर्टर में होने लगता है।
बैटरी से प्रवाहित इस विधुत धारा को इन्वर्टर में लगे हुए इलेक्ट्रॉनिक स्विच AC विधुत धारा में परिवर्तित कर देते है जो इन्वर्टर के आउटपुट टर्मिनल पर प्राप्त होता है। चूँकि इन्वर्टर का आउटपुट Main Supply जुड़ा हुआ रहता है इसलिए इन्वर्टर से उत्पन्न AC Voltage की सप्लाई Main Board में होने लगती है। इस प्रकार विधुत धारा की सप्लाई होने लगती है। जैसे जैसे समय गुजरता जाता है वैसे वैसे बैटरी में संचित रासायनिक विधुत ऊर्जा घटने लगता है। इसलिए बैटरी को चार्ज करना भी जरुरी होता है।
जैसे ही मुख्य बोर्ड में बिजली चली आती है वैसे इन्वर्टर में लगा हुआ Relay बैटरी को इन्वर्टर के इलेक्ट्रॉनिक सर्किट से अलग कर देता है तथा दूसरा Relay इसे चार्ज होने के लिए दूसरे चार्जिंग सर्किट से जोड़ देता है। जिससे पुनः दुबारा बैटरी चार्ज होने लगता है और प्रक्रिया लगातार चलती रहती है।
इन्वर्टर उपयोग के लाभ
- इससे किसी भी प्रकार का प्रदुषण नहीं होता है।
- इससे AC वोल्टेज उत्पन्न करना आसान होता है।
- यह सस्ता होता है।
- इसका उपयोग करना बहुत ही आसान होता है।
- इसका उपयोग आसानी से कही भी AC वोल्टेज उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है।
इन्वर्टर खरीदते वक्त क्या देखना चाहिए ?
वैसे तो यह बताना थोड़ा मुश्किल है की हमें इन्वर्टर खरीदते वक्त किन बातो का ध्यान रखना चाहिए क्योकि इन्वर्टर की क्वालिटी इसके अंदर उपयोग होने वाले इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट पर निर्भर करता है। इन्वर्टर सिस्टम को बहार से देखकर कोई नहीं कह सकता की कौन सा इन्वर्टर बढ़िया है और दूसरी बात विभिन्न प्रकार के इन्वर्टर की क्षमता भी अलग अलग होती है और इसलिए इन्वर्टर का चयन अपनी उपयोगिता के अनुसार करना चाहिए। यदि आप इन्वर्टर खरीदने जा रहे है तो आप निम्न मापदंडो के आधार पर एक बढ़िया इन्वर्टर का चयन कर सकते है :-
- इन्वर्टर में उपयोग ट्रांसफार्मर का Coil कॉपर का होना चाहिए।
- इन्वर्टर में उपयोग स्विचिंग कॉम्पोनेन्ट IGBT या MOSFET होना चाहिए।
- इन्वर्टर से आउटपुट वोल्टेज का Shape Sinusoidal होना चाहिए।
- इन्वर्टर का पावर फैक्टर 0.9 या इससे अधिक होना चाहिए।
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