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Bldc motor in Hindi : परिभाषा ,प्रकार ,कार्य सिद्धांत तथा उपयोग- हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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bldc motor in hindi

BLDC Motor क्या होता है?

BLDC Motor का पूरा नाम Brushless Direct Current Motor होता है। जैसे नाम से ही ज्ञात होता है की इस प्रकार के मोटर में आर्मेचर में विधुत धारा प्रवाहीत करने के लिए किसी भी प्रकार के ब्रश का उपयोग नहीं किया जाता है। इस प्रकार के मोटर में विधुत धारा इलेक्ट्रॉनिक सर्किट द्वारा कण्ट्रोल कर दिया जाता है। इसलिए इसे Electronically Commuted मोटर भी कहा जाता है। इस इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को कंट्रोलर कहा जाता है। कंट्रोलर द्वारा नियंत्रित पल्स को मोटर के स्टेटर में भेजा जाता है जिससे मोटर की गति(speed) तथा बल आघूर्ण (Torque) को नियंत्रित किया जाता है। 

इस मोटर को अलग अलग speed पर संचालित कर विभिन्न प्रकार का बलाघूर्ण(Torque) उत्पन्न किया जा सकता है। BLDC मोटर के रोटर में एक स्थायी चुंबक लगा रहता है जो एक फिक्स्ड आर्मेचर के चारो तरफ घूमता रहता है।रोटर में स्थाई चुंबक होने के वजह से रोटर को अलग से विधुत धारा सप्लाई करने की जरुरत नहीं पड़ती है। 

BLDC मोटर कैसे कार्य करता है?

BLDC मोटर कैसे कार्य करता है यह जानने से पहले यह जान लेते है की नार्मल ब्रश वाला मोटर कैसे कार्य करता है। साधारण ब्रश वाले मोटर के स्टेटर में स्थायी चुंबक लगाया जाता है जो मोटर के अन्दर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते है।

 इस चुंबकीय क्षेत्र के अन्दर रोटर को लगाया जाता है और इस रोटर पर वाइंडिंग की जाती है। जब इस वाइंडिंग में ब्रश के मदद से बाहर से विधुत धारा प्रवाहित की  जाती है तब यह रोटर एक विधुत चुंबक (Electromagnet) बन जाता है और स्थायी चुंबक के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र से दूर भागने की कोशिश करने लगता है और स्टेटर के अन्दर घुमने लगता है। 

एक साधारण ब्रश मोटर तथा Brushless DC motor दोनों का कार्य सिधांत एक जैसे ही है। दोनों में अंतर बस इतना है की साधारण ब्रश मोटर में चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए स्टेटर में स्थाई चुंबक लगाया जाता है और आर्मेचर घूमता है जबकि BLDC मोटर में स्थाई चुंबक को रोटर में लगाया जाता है तथा आर्मेचर को स्टेटर में लगाया जाता है और सॉलिड स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किट के मदद से विधुत धारा को आर्मेचर में दिया जाता है। 

BLDC मोटर कितने प्रकार के होते है?

सामान्यतः BLDC मोटर को उसके रोटर के पोजीशन के आधार पर दो वर्गों में डिजाईन किया जाता है :-
  • Inner Rotor Design
  • Outer Rotor Design

Inner Rotor Design क्या होता है?

इस प्रकार के मोटर में रोटर को स्टेटर के बीच में रखा जाता है तथा रोटर के चारो तरफ से स्टेटर के वाइंडिंग होती है। चूँकि रोटर पर स्थायी चुंबक होता है जिससे रोटर में किसी भी प्रकार का उष्मीय उर्जा उत्पन्न नहीं होती है। और यह स्टेटर में उत्पन उष्मीय उर्जा को अवशोषित भी नहीं करता है इसलिए गर्म भी नहीं होता है Inner Rotor design मोटर में उत्पन्न बल आघूर्ण का परिमाण ज्यादा होता है। 
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Outer Rotor Design क्या होता है?

इस प्रकार के मोटर में स्टेटर को रोटर  के बीच में रखा जाता है तथा रोटर के बीच में स्टेटर की वाइंडिंग की जाती है।  चूँकि स्टेटर रोटर के बीच में इंस्टाल किया जाता है इसलिय स्टेटर में उत्पन्न उष्मीय उर्जा की वजह से रोटर गर्म हो जाता है जिससे रोटर में लगे चुंबक का चुंबकीय प्रभाव थोडा कम हो जाता है। और इसी वजह से इस मोटर में उत्पन्न बलआघूर्ण थोडा कमजोर होता है। 
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Image credit:https://www.flickr.com/photos/kasparsdambis/28137980911

BLDC मोटर के लाभ 

  • इस मोटर की दक्षता अन्य मोटर की तुलना में बहुत ज्यादा होती है। 
  • इस मोटर की गति को आरोपित वोल्टेज की जगह ,वोल्टेज की आवृति (Frequency) से नियंत्रित की जाती है। 
  • चूँकि मोटर में ब्रश का उपयोग नहीं किया जाता है इसलिए यांत्रिक उर्जा का ह्रास नहीं होता है। 
  • इस मोटर को किसी भी गति पर घुमाया जा सकता है। 
  • ब्रश नहीं  होने के कारण यह आवाज़ नहीं करता है। 
  • इस मोटर की बलआघूर्ण (Torque) उत्पन्न क्षमता उच्च होती है। 

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