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डीसी जनरेटर में होने वाली विभिन्न प्रकार की हानि एवं दक्षता - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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डीसी जनरेटर में होने वाली हानि क्या है ? डीसी जनरेटर यांत्रिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। जनरेटर को जो यांत्रिक ऊर्जा प्रवाहित की जाती है वह सभी ऊर्जा विधुत ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होती है। उसका कुछ भाग मशीन में व्यर्थ हो जाता है। व्यर्थ होने वाली ऊर्जा के इस भाग को हानि कहते है। डीसी जनरेटर के अंदर होने वाली ऊर्जा हानि को निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है : कॉपर लॉस  यह हानि जनरेटर के विभिन्न भाग में बहने वाली विधुत धारा की वजह से होती है। कॉपर लॉस को हिंदी में ताम्र हानि कहते है।  चूँकि जनरेटर के अंदर विधुत धारा का प्रवाह आर्मेचर तथा फील्ड वाइंडिंग में होता है। अतः कॉपर लॉस आर्मेचर तथा फील्ड वाइंडिंग में ही होती है। कॉपर लॉस को निम्न फार्मूला द्वारा ज्ञात किया जाता है : आर्मेचर कॉपर लॉस  = Ia^2 * Ra फील्ड वाइंडिंग कॉपर  = Ise^2 * Rse आयरन लॉस  डीसी जनरेटर के अंदर होने वाला दूसरी हानि आयरन लॉस है। यह हानि जनरेटर को बनाने वाली लोहे की बॉडी में होती है। इसलिए इसे आयरन लॉस कहते है। इसे हिंदी में लौह हानि कहते है। ये हानियाँ मुख्य रूप से आर्...

डीसी सीरीज जनरेटर : परिभाषा , कार्य सिद्धांत , कंस्ट्रक्शन तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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डीसी सीरीज जनरेटर क्या है ? डीसी श्रेणी जनरेटर एक विधुत मशीन है जो यांत्रिक ऊर्जा को दिष्ट  धारा (DC) के रूप मे विधुत ऊर्जा मे परिवर्तित करता है। इसकी विशेषता यह है कि इसके आर्मेचर कुंडली और चुंबकीय क्षेत्र कुंडली दोनों सीरीज में जुडी हुई होती है।  इसका मतलब है कि दोनों कुंडलियो से समान धारा प्रवाहित होती है। डीसी जनरेटर के समतुल्य परिपथ को निचे चित्र में दिखाया गया है।  डीसी सीरीज जनरेटर का कंस्ट्रक्शन  डीसी श्रेणी जनरेटर के मुख्य भाग है: आर्मेचर: यह  जनरेटर का घूमने वाला बेलनाकार भाग  है जिस पर तारो की कुंडली बनी होती है। आर्मेचर में ही विधुत धारा उत्पन्न होती है।  क्षेत्र चुम्बक:  यह जनरेटर के आंतरिक भाग में लगा हुआ होता है  जिसमे कुंडली लपेटी हुई होती है यह  आर्मेचर के चारों तरफ  एक मजबूत चुम्बकीय क्षेत्र पैदा करता है।  कम्यूटेटर: यह धातु के खंडों का एक रिंग होता है जो आर्मेचर की कुंडलियो से जुड़ा होता है। कम्यूटेटर का काम  आर्मेचर में उत्पन्न हुई विधुत धारा को दिष्ट धारा में परिवर्तित करना होता है।  ब्रश: ये स्थ...

डीसी शंट जनरेटर : परिभाषा , कंस्ट्रक्शन , कार्य सिद्धांत तथा अनुप्रयोग

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डीसी शंट जनरेटर क्या है ? यह एक प्रकार का सेल्फ एक्ससाइटेड डीसी जनरेटर है जिसमे आर्मेचर में उत्पन्न हुए विधुत धारा का एक हिस्सा फील्ड सिस्टम में चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे डीसी शंट जनरेटर इसलिए कहते है क्योकि इसमें फील्ड COIL आर्मेचर COIL के समांतर क्रम में जुड़ा हुआ होता है। डीसी शंट जनरेटर के समतुल्य सर्किट को निचे चित्र में दिखाया गया है डीसी जनरेटर का निर्माण  डीसी शंट जनरेटर में निम्नलिखित मुख्य भाग होते है: आर्मेचर: यह एक बेलनाकार घूर्णन करने वाला हिस्सा है जिसमे चालको  का एक सेट होता है। आर्मेचर में प्रेरित विधुत धारा उत्पन्न होती है। फील्ड फ्रेम: यह चुंबकीय फील्ड सिस्टम के सुपोर्ट के लिए एक स्थिर ढांचा है।  चुंबकीय क्षेत्र कुंडल: ये तांबे के तारो से बने कॉइल होते है जिसमे  चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने  के लिए  विधुत धारा प्रवाहित होती है। डीसी शंट जनरेटर मे चुंबकीय क्षेत्र कुंडली आर्मेचर के साथ समांतर क्रम में जुडी हुई होती है।  कम्यूटेटर: यह एक रिंग के आकार का उपकरण है जो आर्मेचर में प्रेरित प्रत्यावर्ती...

कम्यूटेशन , इंटरपोल तथा कम्पेन्सेटिंग वाइंडिंग | RGPV डिप्लोमा सेमेस्टर -3 मशीन -1

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कम्यूटेशन क्या होता है ? कम्यूटेशन का शाब्दिक अर्थ बदलना या रूपान्तरित करना होता है। डीसी जनरेटर में आर्मेचर चुंबकीय क्षेत्र में घूमता है। आर्मेचर चालक चुंबकीय क्षेत्र को काटते है जिससे चालक के सिरों के बीच वोल्टेज (EMF) उत्पन्न हो जाता है। चूँकि आर्मेचर चालक आवर्ती रूप से नार्थ पोल तथा साउथ पोल के बीच घूमते रहते है इसलिए चालक में उत्पन्न विधुत धारा भी आवर्ती रूप से अपनी दिशा बदलती रहती है। अर्थात आर्मेचर में उत्पन्न विधुत धारा DC नहीं AC होती है। AC धारा को डीसी में बदलने की प्रक्रिया कम्यूटेशन कहलाती है।  डीसी जनरेटर में कम्यूटेशन कैसे होता है ?  जब आर्मेचर को चुंबकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है तब विधुत चुम्बकीय प्रेरण  सिद्धांत के अनुसार आर्मेचर के  कुंडलियों में AC उत्पन्न होती है। यह AC धारा हर आधे घूर्णन के बाद अपनी दिशा बदलती है।  कम्यूटेटर एक तांबे के सिलेंडर पर बने हुए तांबे के खंडों (segments) का एक सेट होता है जो आर्मेचर के शाफ्ट से जुड़ा रहता है। यह आर्मेचर के साथ-साथ घूमता है। कम्यूटेटर के खंडों से कार्बन ब्रश संपर्क करते हैं। ये ब्रश एक स्थिर स्थित...

डीसी`जनरेटरआर्मेचर वाइंडिंग तथा वाइंडिंग प्रकार | RGPV डिप्लोमा - 3 सेमेस्टर Machine -1

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आर्मेचर वाइंडिंग क्या होती है? आर्मेचर वाइंडिंग तांबे या अल्लुमिनियम के तारों से बनी कुंडलियों का जटिल नेटवर्क है जो आर्मेचर कोर पर व्यवस्थित रूप से लपेटी हुई होती हैं। जब  ये कुंडलियां चुंबकीय क्षेत्र में घूमती हैं तब इनमे  विधुत  धारा उत्पन्न होती है। आर्मेचर वाइंडिंग के प्रकार और डिजाइन डीसी जनरेटर की वोल्टेज, धारा और अन्य  दूसरी विशेषताओं पर निर्भर करता है। डीसी मोटर या जनरेटर , दोनों में दो प्रकार से वाइंडिंग की जाती है।  आर्मेचर वाइंडिंग के प्रकार  डीसी मशीन में होने वाली वाइंडिंग को दो वर्गों में बाटा गया है : लैप वाइंडिंग (lap Winding) वेव वाइंडिंग (Wave Winding) कंपाउंड वाइंडिंग (CompoundWinding) लैप वाइंडिंग  लैप वाइंडिंग एक विशेष प्रकार की वाइंडिंग है। इस वाइंडिंग में आर्मेचर के स्लॉट में लगे COIL हुए इस प्रकार से जुड़े होते है जैसे की एक दूसरे के गोद में है। इसलिए इसे लैप वाइंडिंग कहते है। इस वाइंडिंग में पहले कुंडली का अंतिम सिरा और उसके बाद वाले कुंडली का पहला सिरा आपस में जुड़कर कम्यूटेटर से जुड़े हुए होते है। दोनों कुंडली में उत्पन्न वोल्ट...

थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर:परिभाषा ,कार्य सिद्धांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर क्या है ? थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर (TEG) एक ऐसा उपकरण है जो सीबेक प्रभाव का उपयोग करके थर्मल एनर्जी  को विधुत  ऊर्जा में परिवर्तित करता है। थर्मो इलेक्ट्रिक जनरेटर सॉलिड स्टेट डिवाइस होती है जो लम्बे समय तक बिना शोर किये विधुत उत्पादन कर सकती है। थर्मो इलेक्ट्रिक जनरेटर के मदद से पावर प्लांट ,ऑटोमोबाइल , इंडस्ट्री आदि से निकले उष्मीय ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में बदला जा सकता है।  थर्मो इलेक्ट्रिक जनरेटर के मदद से दूर स्थित डिवाइस जैसे सेंसर , वायरलेस ट्रांसमीटर , स्पेसक्राफ्ट आदि को ऊर्जा पहुंचाया जा सकता है।  थर्मो इलेक्ट्रिक जनरेटर कार्य कैसे करता है ? जैसे की ऊपर बताया गया है की थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर सीबैक प्रभाव पर कार्य करता है। जब दो भिन्न प्रकार के धातुओं के बीच तापांतर उत्पन्न किया जाता है तब दोनों धातुओं के बीच विभवांतर उत्पन्न हो जाता है। थर्मोजेनेटर के मुख्य दो भाग होते है : थर्मोइलेक्ट्रिक पदार्थ  थर्मोइलेक्ट्रिक मॉड्यूल  थर्मोइलेक्ट्रिक पदार्थ के बीच तापान्तर (Temperature Difference) उत्पन्न करने पर सीबैक प्रभाव से विधुत वोल्...

linear Induction Motor[LIM] : परिभाषा ,कार्य सिद्धांत , प्रकार तथा उपयोग

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लीनियर इंडक्शन मोटर क्या है ? लीनियर इंडक्शन मोटर को हिंदी में रैखिक प्रेरण मोटर कहते है। यह एक विशेष प्रकार की विधुत चुंबकीय मशीन  है जो विधुत धारा तथा चुंबकीय क्षेत्र के परस्पर क्रिया द्वारा रैखिक गति उत्पन्न करती है। सामान्य मोटर घूर्णन गति उत्पन्न करते है जबकि लीनियर इंडक्शन मोटर रैखिक गति उत्पन्न करते है। इसमें दो मुख्य भाग होते हैं:  स्थिर प्राथमिक भाग चलने वाला द्वितीयक भाग प्राथमिक भाग में थ्री -फेज कुंडली  अर्थात कोइल होती है, जबकि द्वितीयक भाग में चालक होते है जिसमे चुंबकीय क्षेत्र से प्रेरित विधुत धाराएं प्रवाहित होती है । प्राथमिक और द्वितीयक भाग के बीच चुंबकीय क्षेत्र का इंटरेक्शन बल उत्पन्न करता है जिससे द्वितीयक भाग को गति मिलता है। लीनियर इंडक्शन मोटर का कार्य सिद्धांत रैखिक प्रेरण मोटर का कार्य सिद्धांत फराडे के विधुत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित है।लीनियर इंडक्शन मोटर के प्राथमिक भाग को थ्री फेज ए०सी सप्लाई से जोड़ने पर एक प्रत्यावर्ती प्रकृति का चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह चुंबकीय क्षेत्र द्वितीयक भाग में स्थित चालको में विधुत धारा को प्...

Spider Box Electrical : परिभाषा ,कॉम्पोनेन्ट,उपयोग ,लाभ एवं हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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Spider Box क्या है?  स्पाइडर बॉक्स एक प्रकार का पावर सप्लाई है  जिसका उपयोग विभिन्न स्थानों पर टेम्पोरेरी पावर सप्लाई के लिए किया जाता है। इसे बिजली वितरण बॉक्स के नाम से भी जाना जाता है। इसका नाम मकड़ी जिसे इंग्लिश में स्पाइडर कहते है से लिया गया है क्योकि इसकी डिज़ाइन मकड़ी की जैसी होती है। इसके केंद्र के चारो तरफ बहुत से पैर निकले हुए होते है। ऐसे स्थान जहा पर स्टैण्डर्ड आउटलेट उपलब्ध न हो वैसे स्थान पर बिजली आपूर्ति के लिए स्पाइडर बॉक्स का उपयोग किया जाता है। शादी समारोह , पार्टी , कंस्ट्रक्शन साइट आदि जैसे स्थान पर विधुत आपूर्ति के लिए स्पाइडर बॉक्स का  उपयोग किया जाता है।  स्पाइडर बॉक्स के कॉम्पोनेन्ट एवं विशेषता  यह आमतौर पर हैवी ड्यूटी प्लास्टिक या धातु से बना हुआ बंद घेरा होता है। इस बंद घेरे के अंदर कुछ आवश्यक कॉम्पोनेन्ट जैसे इनपुट आउटपुट  कनेक्टर ,सर्किट ब्रेकर ,ओवर लोड प्रोटेक्शन सिस्टम ,पावर इंडिक्टर लाइट तथा वोल्टेज ,करंट डिस्प्ले लगा हुआ होता है।  इनपुट पावर कनेक्शन  इस कनेक्शन के मदद से स्पाइडर बॉक्स को किसी प्राइमरी विधुत श्रोत जैसे...

डीजल जनरेटर सेट (DG) में रखने वाली सावधानिया

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डीजल जनरेटर सेट क्या होता है ? डीजल जनरेटर सेट एक विशेष प्रकार का विधुत ऊर्जा उत्पन्न करने वाला यन्त्र होता है जिसका उपयोग विधुत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है । यह डीजल इंजन तथा विधुत जनरेटर का एक सेट होता है । डीजल इंजन मैकेनिकल ऊर्जा उत्पन करता है जिससे जनरेटर को घुमाया जाता है और जनरेटर द्वारा विधुत ऊर्जा उत्पन्न होती है । यह कंस्ट्रक्शन साइट , शादी , त्यौहार इत्यादि स्थानों पर अस्थयी रूप से विधुत ऊर्जा सप्लाई के लिए उपयोग किया जाता है । इसे चलता फिरत पावर ग्रिड भी ककहते है । डीजल जनरेटर सेट (DG) के रख रखाव से सम्बंधित सावधानिया   डीजल जनरेटर सेट  के संचालन तथा रखाव के वक्त उपभोगता को कुछ सावधानिया बरतनी चाहिए  जिससे कोई दुर्घटना  न घटे तथा विधुत ऊर्जा का उत्पादन निरंतर रूप से होता रहे । डीजल जनरेटर सेट के रख रखाव में निम्न  सावधानिया बरतनी  चाहिए है   किसी  विशेष डीजी के लिए डीजी निर्माता कंपनी द्वारा पहले से निर्धारित सभी मापदंडो सावधानीपूर्वक अध्ययन करे   डीजी को  हवादार , समतल सतह तथा आग के  पहुंच से दूर वाले स्...

आरसीबीओ : परिभाषा, फुल फॉर्म ,कार्य सिद्धांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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आरसीबीओ  क्या होता  है  तथा कैसे कार्य करता है ? यह एक विधुत सुरक्षा उपकरण है जिसमे RCD तथा MCB दोनों का गुण होता है। इसका उपयोग विधुत सुरक्षा के लिए किया जाता है।  यह  किसी व्यक्ति को इलेक्ट्रिक शॉक या  लीकेज  करंट या ओवर करंट के कारण लगने वाली आग से सुरक्षा प्रदान करता है।  RCBO लाइव वायर में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा की निगरानी सटीकता से करता रहता है। जैसे ही करंट लीकेज,ओवर वोल्टेज ,इलेक्ट्रिक शॉक के कारण प्रवाहित विधुत धारा में कोई असंतुलन नजर आती है यह मुख्य सप्लाई को विधुत सर्किट से डिसकनेक्ट कर देता है। RCBO की इस तुरंत एक्शन के कारण कोई बड़ी विधुत दुर्घटना या आग या कोई विधुत उपकरण डैमेज होने से बच जाता है।  उच्च स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आरसीबीओ का उपयोग आमतौर पर घरों, ऑफिस,औद्योगिक सुविधाओं और वाणिज्यिक भवनों सहित विभिन्न विद्युत प्रतिष्ठानों में किया जाता है। ये  पारंपरिक सर्किट ब्रेकरों की तुलना में बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं, क्योंकि येओवरकरंट और लीकेज करंट दोनों का पता लगा सकते है।  RCBOका फुल फॉर्म क्...

RCCB क्या है ? परिभाषा ,कार्य सिध्दांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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यह एक विधुत परिपथ सुरक्षा उपकरण है। यह विधुत परिपथ में विधुत धारा लीकेज होने पर मुख्य विधुत सप्लाई से विधुत परिपथ को डिसकनेक्ट कर देता है। यह बहुत ही संवेदी होता है। विधुत परिपथ में करंट लीकेज होने पर बड़ी हानि होती है। जैसे कोई व्यक्ति परिपथ को गलती से टच करता है तो उसे विधुत का झटका लगता है जिससे उसकी मौत हो जाती है।  इस प्रकार के हानि से बचने के लिए RCCB का उपयोग किया जाता है। महंगे विधुत उपकरण की सुरक्षा के लिए भी RCCB का उपयोग किया जाता है।  RCCB Full Form  RCCB एक विधुतीय उपकरण है। इसका विस्तारित रूप रेसिडुअल करंट सर्किट ब्रेकर ( Residual Current Circuit Breaker ) होता है। जैसे नाम से ही ज्ञात होता है  यह लीकेज करंट को डिटेक्ट कर मुख्य सर्किट को डिस्कनेक्ट कर देता है।  RCCB कैसे कार्य करता है ? RCCB का मूल कार्य सिध्दांत किरचॉफ का करंट नियम है। जिसके अनुसार परिपथ के किसी जंक्शन पर आने वाले सभी विधुत धारा का योग  जंक्शन से जाने वाले सभी विधुत धारा के योग के बराबर होता है। RCCB ठीक इसी सिद्धांत पर कार्य करता है। RCCB को इस प्रकार से डिज़ाइन किया जाता है क...

ट्रांसफार्मर: परिभाषा ,प्रकार ,कार्य सिद्धांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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ट्रांसफार्मर क्या है? | Transformer Kya hai ट्रांसफार्मर एक प्रकार का इलेक्ट्रिकल मशीन है जो विधुत ऊर्जा को इसके वोल्टेज स्तर में परिवर्तन के साथ एक सर्किट से दूसरे सर्किट में ट्रांसफर करता है। इस ऊर्जा ट्रांसफर में विधुत ऊर्जा के फ्रीक्वेंसी में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता है। ट्रांसफार्मर में विधुत ऊर्जा का एक सर्किट से दूसरे सर्किट में ट्रांसफर एक चुम्बकीय क्षेत्र के उपस्थिति में होता है। बिना चुम्बकीय क्षेत्र के उपस्थिति विधुत ऊर्जा का ट्रांसफार्मर संभव नहीं है। चूँकि ट्रांसफार्मर में किसी भी प्रकार का घूमने वाला भाग नहीं होता है इसलिए इसमें किसी भी प्रकार का घर्षण नहीं उत्पन्न होता है जिससे घर्षण ऊर्जा के रूप में ऊर्जा हानि नहीं होती है इसलिए ट्रांसफार्मर की दक्षता सबसे ज्यादा होती है। ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर कार्य करता है? | Transformer Hindi ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत बहुत ही सरल है। यह दो या दो से अधिक Coil में उत्पन्न म्यूच्यूअल  इंडक्शन सिद्धांत पर कार्य करता है। Mutual Induction सिद्धांत फैराडे के इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सिद्धांत को ही कहते है। इस सिद्धा...

Stepper Motor In Hindi : परिभाषा ,कार्य सिद्धांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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Stepper Motor क्या होता है ? यह एक विशेष प्रकार का ब्रशलेश डीसी मोटर होता है जो विधुत उर्जा को यांत्रिक उर्जा में परिवर्तित करता है। इसके रोटर का घूर्णन छोटे छोटे स्टेप में होता है। अर्थात इसका रोटर एक निश्चित कोण से घूमता है। छोटे छोटे स्टेप में घुमने की वजह से ही इसे स्टेपर मोटर कहा जाता है। स्टेपर मोटर के पुरे घूर्णन को छोटे छोटे कोणों में बाट दिया जाता है। जैसे 5,10,15,20,25,30,35 ,40 आदि। मोटर अपने पुरे घूर्णन काल में प्रत्येक स्टेप में केवल 5 डिग्री ही विस्थापित होता है। यह वैसे स्थानों पर उपयोग किया जाता है जहा नियत बलाघूर्ण या किसी वस्तु के स्थान को नियत बनाये रखना होता है।  स्टेपर मोटर कैसे कार्य करता है? अन्य दुसरे मोटर की तरह  स्टेपर मोटर का बेसिक कार्य सिध्दांत भी फैराडे के म्यूच्यूअल इंडक्शन सिध्दांत ही है। लेकिन इसकी कार्य प्रणाली दुसरे सामान्य विधुत मोटर से बिलकुल भिन्न होती है। स्टेपर मोटर के स्टेटर में विभिन्न स्लॉट बनाये हुए होते है जिनमे वाइंडिंग रखी हुई होती है। सॉफ्ट आयरन से इसके रोटर को बनाया जाता है जिस पर किसी भी प्रकार की वाइंडिंग नहीं होती है।...

Regenerative Braking : परिभाषा ,कार्य सिध्दांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

Regenerative Braking क्या होता है? हम सभी जानते है कि चलती हुई गाडियों के पास गतिज उर्जा होता है। गाडियों को रोकने के लिए जब ब्रेक लगाया जाता है तब घर्षण द्वारा यह गतिज ऊर्जा उष्मीय तथा दुसरे उर्जा में परिवर्तित होकर वातावरण में चला जाता है। इस प्रकार यह उर्जा बर्बाद हो जाता है। पेट्रोल तथा डीजल से संचालित होने वाली गाडियों में ऐसा होता है। Regenerative Braking एक ऐसा ब्रेकिंग सिस्टम है जो ब्रेकिंग के दौरान गतिज उर्जा को विधुत उर्जा में परिवर्तित कर देता है और इस उर्जा को बैटरी में स्टोर कर लिया जाता है। यह ब्रेकिंग सिस्टम विधुत से संचालित होने वाली गाडियों में उपयोग किया जाता है। दुबारा जब गाड़ी को त्वरित करना होता है तब बैटरी में स्टोर हुई उर्जा को ,त्वरित करने के लिए उपयोग कर लिया जाता है।  विधुत वाहन के अतिरिक्त इस प्रकार के ब्रेकिंग के उपयोग डीजल तथा पेट्रोल से चलने वाली वाहनों में भी किया जा रहा है। ब्रेकिंग के दौरान उत्पन होने वाली विधुत उर्जा  को इकठ्ठा कर ,दुसरे कार्यो में कर लिया जाता है।  Regenerative Braking कैसे कार्य करता है? हाइब्रिड कार या दुसरे विधुत वाहन ...

Potential Transformer In Hindi : परिभाषा ,कंस्ट्रक्शन ,कार्य सिध्दांत तथा उपयोग -हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 पोटेंशियल ट्रांसफार्मर क्या होता है? यह एक प्रकार का इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफार्मर है अर्थात इसका उपयोग इलेक्ट्रिकल में औजार की तरह किया जाता है। इसका उपयोग हाई वोल्टेज को मापने के लिए किया जाता है। इसके मदद से हाई वोल्टेज को लो वोल्टेज में परिवर्तित कर दिया जाता है और इस लो वोल्टेज को किसी भी कम परिमाण वाले वोल्टमीटर से माप लिया जाता है। इसके अतिरिक्त पोटेंशियल ट्रांसफार्मर सुरक्षा के लिए भी उपयोग किये जाते है।   पोटेंशियल ट्रांसफार्मर का कंस्ट्रक्शन कैसे किया जाता है? पोटेंशियल ट्रांसफार्मर के कोर निर्माण में उच्च किस्म के पदार्थ का उपयोग किया जाता है जिससे कोर को चुम्बकित (Magnetized) करने के लिए छोटे परिमाण के विधुत धारा का प्रवाह हो। हाई वोल्टेज को लो वोल्टेज में परिवर्तित करने क लिए कोर टाइप वाले पोटेंशियल ट्रांसफार्मर का निर्माण किया जाता है। वैसे शेल टाइप पोटेंशियल ट्रांसफार्मर भी निर्मित किये जाते है लेकिन इनकी संख्या कोर टाइप के तुलना में बहुत कम होता है।  लीकेज Reactance को कम करने के लिए सह अक्षीय (Coaxial) रूप से coil को लगाया जाता है। इंसुलेशन कॉस्ट तथा ...

Reluctance Motor in hindi : परिभाषा ,कार्य सिद्धांत ,कंस्ट्रक्शन तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 Reluctance Motor क्या होता है? यह एक सिंगल फेज सिंक्रोनस मोटर होता है जो सिंक्रोनस स्पीड पर चलता है। यह बिलकुल सिंगल फेज केज टाइप इंडक्शन मोटर के जैसा ही होता है। इसके स्टेटर में Main तथा स्टार्टिंग वाइंडिंग लगी हुई होती है। सिंगल फेज Reluctance motor तथा इंडक्शन मोटर दोनों का स्टेटर एक जैसा  ही होता है अर्थात दोनों में फील्ड वाइंडिंग स्टेटर  में ही की जाती है। इसका रोटर Squirrel Cage होता है जिसके सतह पर कुछ टीथ को हटा दिया जाता है जिससे की निश्चित एक संख्या का चुंबकीय ध्रुव बन सके। जैसे की निचे के चित्र  दिखाया गया है।   Reluctance Motor का कंस्ट्रक्शन कैसा होता है? जैसे की ऊपर के चित्र में  चार चुंबकीय ध्रुव (Salient Pole) बनाने के लिए टीथ को चार  जगह से काटकर निकला गया है। रोटर के सतह पर खाँचो  में डाले गए धातु छड़ के अंतिम सिरों  को आपस में जोड़ दिया जाता है। चुंबकीय फ्लक्स उत्पन्न करने के लिए इसके स्टेटर में दो प्रकार की वाइंडिंग किया जाता है जिसमे एक Main Winding तथा दुसरे को स्टार्टिंग वाइंडिंग कहा जाता है। यह बनावट की दृष्ट...