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डीसी जनरेटर में होने वाली विभिन्न प्रकार की हानि एवं दक्षता - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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dc generator loss

डीसी जनरेटर में होने वाली हानि क्या है ?

डीसी जनरेटर यांत्रिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। जनरेटर को जो यांत्रिक ऊर्जा प्रवाहित की जाती है वह सभी ऊर्जा विधुत ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होती है। उसका कुछ भाग मशीन में व्यर्थ हो जाता है। व्यर्थ होने वाली ऊर्जा के इस भाग को हानि कहते है। डीसी जनरेटर के अंदर होने वाली ऊर्जा हानि को निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है :

कॉपर लॉस 

यह हानि जनरेटर के विभिन्न भाग में बहने वाली विधुत धारा की वजह से होती है। कॉपर लॉस को हिंदी में ताम्र हानि कहते है।  चूँकि जनरेटर के अंदर विधुत धारा का प्रवाह आर्मेचर तथा फील्ड वाइंडिंग में होता है। अतः कॉपर लॉस आर्मेचर तथा फील्ड वाइंडिंग में ही होती है। कॉपर लॉस को निम्न फार्मूला द्वारा ज्ञात किया जाता है :
  • आर्मेचर कॉपर लॉस  = Ia^2 * Ra
  • फील्ड वाइंडिंग कॉपर  = Ise^2 * Rse

आयरन लॉस 

डीसी जनरेटर के अंदर होने वाला दूसरी हानि आयरन लॉस है। यह हानि जनरेटर को बनाने वाली लोहे की बॉडी में होती है। इसलिए इसे आयरन लॉस कहते है। इसे हिंदी में लौह हानि कहते है। ये हानियाँ मुख्य रूप से आर्मेचर कोर और पोल शू में उत्पन्न होती है  जो मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं:

हिस्टेरेसिस लॉस 

यह ऊर्जा की वह मात्रा है जो कोर को चुंबकीयकरण करने में खर्च होती है।अर्थात यह हानि कोर के चुंबकीयकरण और विचुंबककरण के कारण होती है।

एड़ी धारा लॉस

यह ऊर्जा की वह मात्रा है जो कोर में उत्पन्न विधुत धारा के कारण खर्च होती है। इससे कोर गर्म हो जाता है। ये हानियाँ घूमते हुए कोर में प्रेरित धाराओं के कारण होती है।

यांत्रिक हानि 

यह ऊर्जा की वह मात्रा है जो आर्मेचर को घूमने में घर्षण के कारण खर्च हो जाती है। इस हानि को कम करने के लिए बेअरिंग के बीच के घर्षण को कम किया जाता है।

अपव्यय हानि

जनरेटर के निर्माण में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है की फील्ड वाइंडिंग में उत्पन्न सभी चुंबकीय फ्लक्स आर्मेचर से लिंक कर जाए लेकिन फ्लक्स का कुछ भाग बाहरी वातावरण में लीक होकर बह जाता है। इस प्रकार होने वाली ऊर्जा हानि को अपव्यय हानि कहते है। इसे अंग्रेजी में Stray Loss कहते है। इस हानि अन्य दूसरी हानिया भी शामिल होती है। 

दक्षता (Efficiency)

किसी भी मशीन के लिए दक्षता एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है। यह मशीन को दी जाने वाली ऊर्जा (इनपुट) के तुलना में प्राप्त अधिकतम ऊर्जा की मात्रा को व्यक्त करता है। यदि की मशीन की दक्षता 80 प्रतिशत है तब इसका मतलब हुआ की मशीन 100 में 80 जूल ऊर्जा को आउटपुट में दे रहा है। यह आउटपुट तथा इनपुट ऊर्जा के अनुपता से परिभाषित होता है। इसे निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है। 

दक्षता = निर्गत शक्ति / निवेशित शक्ति

η = (Vt * IL) / (Vt * IL + Σ हानियाँ)

जहां: Vt = टर्मिनल वोल्टेज 
IL = लोड करंट  
Σ हानियाँ = जनरेटर में होने वाली सभी के प्रकार की हानियों का योग

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