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ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत : ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत के नियम | RGPV Diploma 3 सेमेस्टर Machine -1 (Unit-1)

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इलेक्ट्रोमेकैनिकल ऊर्जा रूपांतरण मशीन

ऊर्जा संरक्षण का नियम: ब्रह्मांड का बुनियादी सच

हम सभी जानते हैं कि ऊर्जा कभी समाप्त नहीं होती है वह सिर्फ अपना रूप बदलती है। यही ऊर्जा संरक्षण का नियम है। भौतिकी का मूल सिद्धांत  कहता है कि किसी बंद सिस्टम में ऊर्जा की कुल मात्रा हमेशा स्थिर रहती है। यह नियम  ब्रह्मांड के काम करने के तरीका को समझने में मदद करता है। ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत का प्रभाव विभिन्न क्षेत्र  जैसे कि इंजीनियरिंग, रसायन विज्ञान, और पर्यावरण विज्ञान में  देखने को मिलता है। 

 ऊर्जा संरक्षण का नियम कैसे काम करता है?

ऊर्जा संरक्षण का नियम कहने में सरल लगता है लेकिन इसके मूल को समझना जटिल होता है। ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत कैसे कार्य  करता है। इसका सार यह है कि किसी बंद सिस्टम में ऊर्जा के विभिन्न रूपों का आपस में  परिवर्तन होता रहता है लेकिन सिस्टम की  कुल ऊर्जा की मात्रा स्थिर रहती है। उदाहरण के लिए, जब आप एक गेंद को हवा में फेंकते हैं, तो गेंद की गतिज ऊर्जा  गुरुत्वाकर्षण के कारण स्थितिज ऊर्जा  में परिवर्तित हो जाती है। जब गेंद अपने उच्चतम बिंदु पर पहुँचती है तो उस समय  इसकी गतिज ऊर्जा शून्य होती है और इसकी सभी ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा के रूप में परिवर्तित हो जाती है। दुबारा जब गेंद नीचे गिरती है, तो यह प्रक्रिया उलट जाती है और गेंद की स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदलने लगती है। ऊर्जा संरक्षण के नियम को  कई रूपों में व्यक्त किया जा सकता है लेकिन सबसे आम समीकरण है:
ΔE = W + Q
जहां
  • ΔE सिस्टम की कुल ऊर्जा में परिवर्तन है। 
  • W सिस्टम द्वारा किए गए कार्य की मात्रा है। 
  • Q सिस्टम द्वारा अवशोषित या निकाली गई ऊष्मा की मात्रा है। 
यह समीकरण बताता है कि किसी सिस्टम की कुल ऊर्जा में परिवर्तन उस सिस्टम द्वारा किए गए कार्य और उस सिस्टम के माध्यम से प्रवाहित होने वाली ऊष्मा के योग के बराबर होता है।

ऊर्जा संरक्षण के उदाहरण

ऊर्जा संरक्षण के नियम का रोजमर्रा की जिंदगी में कई तरह के अनुप्रयोग हैं। इनमे से कुछ उदाहरण निचे दिए गए हैं:
  •  जब आप एक बल्ब ऑन करते हैं तब बल्ब द्वारा  विधुत  ऊर्जा प्रकाश और ऊष्मा  में परिवर्तित हो जाती है लेकिन ऊर्जा की  कुल मात्रा वही रहती है केवल इसका रूप बदलता है।
  •  जब आप कार चलाते हैं तो गैसोलीन की रासायनिक ऊर्जा इंजन में गतिज ऊर्जा और ऊष्मा  में बदल जाती है। कार का इंजन इस ऊर्जा का उपयोग पहियों को घुमाने के लिए करता है जिससे कार चलती है।
  • पौधे प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से सूर्य की प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।  जिसे वे भोजन बनाने के लिए उपयोग करते हैं। कुल ऊर्जा की मात्रा वही रहती है लेकिन इसका रूप बदल जाता है।

ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत का महत्व

ऊर्जा संरक्षण के नियम का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। यह हमें यह समझने में मदद करता है कि ऊर्जा का उपयोग कैसे करें और इसे कैसे संरक्षित करें
  • ऊर्जा दक्षता: ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांतों का उपयोग करके इंजीनियर अधिक कुशल मशीन और उपकरणों को डिजाइन करते हैं जो कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं।
  • पर्यावरण संरक्षण: ऊर्जा संरक्षण से कम जीवाश्म ईंधन जलने की आवश्यकता होती है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है और पर्यावरण की रक्षा होती है।
  • आर्थिक बचत: ऊर्जा संरक्षण से हम कम ऊर्जा का उपयोग करके पैसे बचा सकते हैं।

Electromechanical Energy Conversion and classification of machines

हमारी इस आधुनिक दुनिया में मशीनो एक अहम भूमिका हैं और उनमें से कई मशीनें विधुत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा (गति या बल) या इसके विपरीत यांत्रिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में बदलती हैं। मशीनों द्वारा ऊर्जा को बदलने की इस प्रक्रिया को इलेक्ट्रोमेकैनिकल ऊर्जा रूपांतरण (electromechanical energy conversion) कहते हैं। इस पोस्ट में इन मशीनों के वर्गीकरण ,उनके कार्य सिद्धांत और अनुप्रयोगों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।

मशीनो के वर्गीकरण का आधार

इलेक्ट्रोमेकैनिकल ऊर्जा रूपांतरण मशीनों को मुख्य रूप से चार आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है जैसे 

ऊर्जा रूपांतरण की दिशा

  • मोटर (Motors): मोटर विधुत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता हैं। इलेक्ट्रिक मोटर विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे  डीसी मोटर, एसी मोटर, स्टेपर मोटर आदि शामिल हैं।
  • जनरेटर (Generators): जनरेटर यांत्रिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में बदलता हैं। 

 कार्य  करने के  सिद्धांत के आधार पर 

  • विधुत चुम्बकीय (Electromagnetic): अधिकांश मशीनें इस सिद्धांत पर कार्य  करती हैं। चुंबकीय क्षेत्र और विधुत धारा के बीच परस्पर क्रिया से बल उत्पन्न होता है जो मशीन को घुमाता है और यांत्रिक ऊर्जा उत्पन्न  करता है।
  • इलेक्ट्रोस्टैटिक (Electrostatic): इन मशीनों में विधुत आवेश के आकर्षण और प्रतिकर्षण बल का उपयोग करके यांत्रिक ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।
  • थर्मोइलेक्ट्रिक (Thermoelectric): ये मशीनें तापमान के अंतर का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करती हैं।
  • पिएजोइलेक्ट्रिक (Piezoelectric): ये मशीनें दबाव या बल के परिवर्तन को विधुत संकेत में बदलती है

बिजली आपूर्ति (Power supply)

  • डीसी मशीन : ये मशीनें डायरेक्ट करंट (DC)  पर कार्य  करती हैं।
  • एसी मशीनें : ये मशीनें अल्टरनेटिंग करंट (AC) पर कार्य  करती हैं।

मशीनों के अनुप्रयोग

इलेक्ट्रोमेकैनिकल ऊर्जा रूपांतरण मशीनों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूप से किया जाता है जैसे :
  • औद्योगिक क्षेत्र में मशीन टूल्स, कन्वेयर बेल्ट, पंप, कंप्रेशर आदि
  • घरेलू उपकरण जैसे पंखे, वॉशिंग मशीन, मिक्सर, रेफ्रिजरेटर आदि
  • इलेक्ट्रिक वाहन, ट्रेन, लिफ्ट आदि
  • हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट, विंड टर्बाइन, थर्मल पावर प्लांट आदि
  • चिकित्सा उपकरण जैसे वेंटिलेटर

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