-->

ideal transformer in Hindi - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

1 comment

 Ideal transformer किसे कहते है?

ideal transformer को हिंदी में आदर्श ट्रांसफार्मर कहा जाता है। यह एक ऐसा ट्रांसफार्मर होता है जिसमे किसी भी प्रकार के विधुत उर्जा का ह्रास (loss of electrical energy) नहीं होता है। अर्थात यह एक ऐसा ट्रांसफार्मर होता है जिसमे Leakage ,Core loss ,eddy current loss आदि प्रकार के loss नहीं होते है। यह एक हानि रहित ट्रांसफार्मर होता है और हानि रहित ट्रांसफार्मर की दक्षता 100 प्रतिशत होती है। वैसे यह एक काल्पनिक ट्रांसफार्मर होता है क्योकि दुनिया में ऐसी कोई भी मशीन नहीं है जिसमे किसी प्रकार की हानि नहीं होती है। 

ideal Transformer के गुण 

ideal ट्रांसफार्मर के निम्न गुण होते है :-
  • इसके प्राइमरी तथा सेकेंडरी वाइंडिंग के प्रतिरोध (Resistance) नगण्य होते है। 
  • इसके कोर की चुंबकशीलता अनंत होती है। 
  • चुंबक शीलता अनंत होने की वजह से इसके कोर में चुंबकीय फ्लक्स प्रवाहित करने के लिए एमएमएफ उत्पन्न करने की जरुरत नहीं होती है। 
  • इसके वाइंडिंग में प्रयुक्त Coil की Inductance शून्य होता है। इसलिए पूरा का पूरा चुंबकीय फ्लक्स कोर से लिंक हो जाता है। 
  • चूँकि ट्रांसफार्मर में किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है इसलिए ट्रांसफार्मर की दक्षता 100 प्रतिशत होती है। 
किसी ideal ट्रांसफार्मर में विधुत उर्जा का ह्रास शून्य होता है इसलिए हम कह सकते है की ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग को जितनी विधुत उर्जा दी जाती है उतनी ही विधुत उर्जा ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी वाइंडिंग से बाहर निकाली  भी जा सकती है। अर्थात 
(प्राइमरी वाइंडिंग को दी जाने वाली विधुत उर्जा) = (सेकेंडरी वाइंडिंग से प्राप्त कुल विधुत उर्जा)
ideal transformer
ideal transformer
ideal transformer
इस प्रकार ऊपर प्राप्त किए गए समीकरण को ट्रांसफार्मर का emf समीकरण कहा जाता है। जिसमे 
E= प्राइमरी वाइंडिंग में सेल्फ इंडक्शन के कारण उत्पन्न वोल्टेज है। 
E= सेकेंडरी वाइंडिंग में इंडक्शन के कारण उत्पन्न वोल्टेज है। 
I1= प्राइमरी वाइंडिंग में प्रवाहित विधुत धारा है। 
I= सेकेंडरी वाइंडिंग में प्रवाहित विधुत धारा है। 
CosΦ = ट्रांसफार्मर का शक्ति गुणांक (Power factor)

ideal ट्रांसफार्मर कैसे कार्य करता है?

एक ideal ट्रांसफार्मर के सर्किट डायग्राम को निचे दिखाया गया है। इस ट्रांसफार्मर के उभयनिष्ट चुंबकीय  कोर के दोनों तरफ प्राइमरी तथा सेकेंडरी वाइंडिंग को चढाया गया है। प्राइमरी वाइंडिंग को वोल्टेज V1तथा सेकेंडरी वाइंडिंग को लोड Zसे जोड़ा गया है। 
चूँकि ideal ट्रांसफार्मर के प्राइमरी तथा सेकेंडरी वाइंडिंग का प्रतिरोध शून्य होता है इसलिए ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग में स्वप्रेरण (Self Induction) के कारण उत्पन्न emf  (E1) का परिमाण बाह्य आरोपित वोल्टेज(V1) के बराबर होगा और इसी प्रकार सेकेंडरी वाइंडिंग में इंडक्शन के कारण उत्पन्न emf(E2) ,सेकेंडरी वाइंडिंग के टर्मिनल वोल्टेज(V2) के बराबर होगा। 

जब ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग को बाह्य विधुत श्रोत वोल्टेज से जोड़ा जाता है वैसे ही एक प्राइमरी वाइंडिंग में एक विधुत धारा का प्रवाह होने लगता है। इस विधुत धारा का एक भाग ,ट्रांसफार्मर के कोर को चुम्बकित करने में लग जाता है जिसे magnetizing component कहा जाता है तथा विधुत धारा का दूसरा भाग वाइंडिंग में चुंबकीय फ्लक्स उत्पन्न करने लगता है। चूँकि ideal ट्रांसफार्मर के कोर की चुंबकशीलता अनंत होती है इसलिए प्राइमरी वाइंडिंग में उत्पन्न चुंबकीय फ्लक्स का पूरा भाग ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी वाइंडिंग से लिंक हो जाता है। जिससे ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी वाइंडिंग में emf उत्पन्न हो जाता है। 

ideal ट्रांसफार्मर का Phasor डायग्राम

लेन्ज के नियम के अनुसार ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग में उत्पन्न emf  (E1) परिमाण में प्राइमरी वाइंडिंग में आरोपित वोल्टेज(V1) के बराबर परन्तु इसकी दिशा आरोपित वोल्टेज के विपरीत होती  है। चूँकि प्राइमरी तथा सेकेंडरी वाइंडिंग में एक ही प्रकार का चुंबकीय फ्लक्स विद्यमान रहता है इसलिए इससे इंडक्शन के कारण प्राइमरी तथा सेकेंडरी वाइंडिंग में उत्पन्न emf की दिशा एक ही होगी परन्तु इनका परिमाण अलग हो सकता है।
चूँकि ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग में प्रवाहित विधुत धारा का एक भाग (Iμ) कोर को चुम्बकित कर उसमे चुंबकीय फ्लक्स संचालित करने में उपयोग होता है इसलिए विधुत धारा का यह भाग आरोपित वोल्टेज से V90 डिग्री पिछड़ (lag) जाता है। चूँकि विधुत धारा का यह भाग चुंबकीय फ्लक्स को कोर में संचालित करता है इसलिए इसे चुंबकीय फ्लक्स(Φm) के दिशा में दिखाया जाता है। 
दोनों वाइंडिंग में उत्पन्न emf ( Eतथा E2) चुंबकीय फ्लक्स (Φm) से 90 डिग्री पीछे (lag) होता है। इसलिए फेज़र डायग्राम में इसे निचे के तरफ दिखाया जाता है। सेकेंडरी वाइंडिंग में उत्पन्न emf तथा टर्मिनल वोल्टेज का सामान होता है अर्थात ( E2= V2) जैसे की निचे फेज़र डायग्राम मी दिखाया गया है। 
transformer phasor diagram
ट्रांसफार्मर फेज़र डायग्राम 

यह भी पढ़े 

1 comment

Post a Comment

Subscribe Our Newsletter