चालक (Conductor) क्या होता है?
Conductor को हिंदी में चालक कहा जाता है। यह ऐसा पदार्थ होता है जो अपने अन्दर से होकर विधुत धारा (Electric Current) को प्रवाहित होने देता है। दैनिक जीवन में विधुत धारा प्रवाहित के लिए उपयोग किए जाने वाले चालक के ऊपर एक कुचालक (Insulator) की एक परत चढ़ा दी जाती है जिससे की इसे छूने वाले जीव जंतु को किसी भी प्रकार का विधुत का झटका ना लगे। चालक के ऊपर इस प्रकार लगे हुए कुचालक के परत वाले चालक को इंसुलेटेड कंडक्टर कहा जाता है। चालक में विधुत चालन की क्षमता विधुत चालकता कहलाती है जिसे अंग्रेजी में Conductivity कहते है।
दुनिया में उपयोग होने वाले अधिक चालकता (Conductivity) वाले चालक
दुनिया में उपयोग होने वाले अधिक चालकता वाले चालक निम्न है :-
- चांदी (Silver)
- तांबा (Copper)
- सोना (Gold)
- एल्युमीनियम (Aluminium)
चालक के गुण
एक अच्छे चालक के पास निम्न गुण होने चाहिए :-
- यांत्रिक रूप (Mechanically) से मजबूत होना चाहिए
- इसका गलनांक (melting Point) उच्च होनी चाहिए
- चालकता (Conductivity) अधिक होनी चाहिए
- प्रतिरोधकता(Resistivity) कम होनी चाहिए
- सस्ता (Cheap) होना चाहिए
- तन्यता (Tensile) होनी चाहिए
- जंग (Corrosion) के प्रभाव से मुक्त होना चाहिए
Semiconductor क्या होता है?
चालक के अलवा एक प्रकार का ऐसा पदार्थ भी पाया जाता है जिसमे विधुत धारा चालन की क्षमता चालक से कम परन्तु कुचालक पदार्थ से ज्यादा होती है। ऐसे पदार्थ को अंग्रेजी में सेमीकंडक्टर तथा हिंदी में अर्द्धचालक कहा जाता है। अर्द्धचालक में विधुत चालन की क्षमता चालक तथा कुचालक के मध्यतर (intermediate) होता है। अर्द्धचालक की विधुत चालन क्षमता तापमान पर निर्भर करता है। अर्द्धचालक के अगल बगल के पर्यावरण के तापमान में परिवर्तन होने की वजह से इसकी चालकता बदलती रहती है। यह तापमान बढ़ने से बढ़ती है तथा तापमान घटने से घटती है।
अर्द्धचालक के गुण
एक अर्द्धचालक के पास निम्न गुण होते है :-
- अर्द्धचालक की प्रतिरोधकता बहुत कम होती है।
- अर्द्धचालक हल्के होते है।
- इस पर जंग का प्रभाव बहुत कम पड़ता है।
- अर्द्धचालक की दक्षता (efficiency) अधिक होती है।
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