विधुत धारा का उष्मीय प्रभाव : परिभाषा , सूत्र तथा उदहारण - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी - बिजली, वायरिंग, सोलर और टूल्स की जानकारी -->

विधुत धारा का उष्मीय प्रभाव : परिभाषा , सूत्र तथा उदहारण - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

विधुत धारा का उष्मीय प्रभाव क्या होता है ?

हम सभी जानते है की विधुत ऊर्जा का एक रूप है। जब किसी चालक से विधुत धारा प्रवाहित होती  है तब उस चालक से विधुत ऊर्जा का स्थान्तरण एक जगह से दूसरे जगह पर होता है। ऊर्जा के इस परवाह के कारण चालक गर्म हो जाता है। चालक में विधुत धारा के कारण उत्पन्न उष्मीय ऊर्जा को ही विधुत धारा का उष्मीय प्रभाव कहलाता है। 
Heating Effect of Electric Current in Hindi

विधुत धारा से उष्मीय ऊर्जा उत्पन्न क्यों होता है ?

जब किसी चालक के दोनों सिरों के बीच कोई विभवांतर (Voltage) आरोपित किया जाता है तब चालक के परमाणु में उपस्थित ऋणावेशित इलेक्ट्रान अपने ऊपर एक बल का अनुभव करते है तथा निम्न विभव (Low voltage) से उच्च विभव (High Voltage) के तरफ भागने लगते है। ऋणावेशित इलेक्ट्रान इस प्रकार परवाह की वजह से चालक में विधुत धारा का परवाह उच्च विभव से निम्न विभव के तरफ होने लगता है। 

जब ऋणावेशित इलेक्ट्रान चलते है तब उनके पास गतिज ऊर्जा होती है, उच्च गति से भाग रहे ये मुक्त इलेक्ट्रान जब चालक के दूसरे परमाणु से टकराते है ,तब इस टकराहट की वजह से इनके  गतिज का कुछ भाग उष्मीय ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है।  

इस प्रकार उत्पन्न उष्मीय ऊर्जा से चालक  का सतह गर्म हो जाता है। चालक के अंदर , इलेक्ट्रान का परमाणु से  टकराहट की वजह से नए इलेक्ट्रान उत्पन्न होते रहते है। यह प्रक्रिया तब तक चलती  है जब तक चालक के सिरों  विभवांतर आरोपित रहता है।  

विधुत धारा से उत्पन्न  उष्मीय ऊर्जा किस पर निर्भर करती है?

चालक में विधुत धारा के प्रवाह के कारण उत्पन्न उष्मीय ऊर्जा का अध्ययन सर्वप्रथम इंग्लैंड के वैज्ञानिक जूल ने सन 1941 में किया था। अपने प्रयोग तथा अध्ययन के आधार पर जूल ने पाया की चालक से विधुत धारा के प्रवाह के कारण उत्पन्न उष्मीय ऊर्जा निम्न बात पर निर्भर करती है :-
(1) यह चालक से प्रवाहित विधुत के वर्ग के समानुपाती होता है :-
H ∝ I--------(1)
(2) यह चालक के प्रतिरोध के समानुपाती होता  है :-
H ∝ R ------(2)
(3) यह चालक में प्रवाहित धारा के समय अंतराल के समानुपाती होता है  :-
H ∝ t -------(3)
यदि हम ऊपर के तीनो समीकरण  आपस में मिलाए तो 
H ∝ I2R t
H  = K I2R t
जहाँ k एक नियतांक है जिसका मान 1 होता है ,अर्थात 
H = I2R t
यह फार्मूला चालक द्वारा उत्पन्न उष्मीय ऊर्जा की गणना करने के लिए  जाता है। 
इसको हम एक उदहारण से समझते है। 

उदहारण : (1) यदि किसी चालक से 10 मिनट के लिए 2 A विधुत प्रवाहीत की जाती है। तब चालक द्वारा उत्पन्न ऊष्मा गणना करे। यदि चालक का आंतरिक प्रतिरोध 10 Ω है। 
दिया गया है की 

 I = 2 A
R  = 10 Ω 
t = 10 x 60  सैकंड 
 माना की H जूल ऊर्जा उत्पन्न होती है  तब ऊपर  फार्मूला से 
H = I2R t
H = (2 )2x10 x 10 x 60 जूल 
H  = 24000 जूल 

उदहारण :(2) यदि किसी चालक दोनों सिरों के बीच 5 मिनट  के लिए 10 V का विभवान्तर आरोपित करे तो इस चालक द्वारा उत्पन्न उष्मीय ऊर्जा  गणना करे। यदि चालक का आंतरिक प्रतिरोध 5 Ω हो। 
दिया गया है की 
V  = 10 V 
R  = 5 Ω 
t = 5 x 60  सैकंड 
माना की चालक में प्रवाहित विधुत धारा I है तब ओह्म के नियमानुसार 

I = V / R
I = 10 / 5
I = 2 A 
माना कि चालक में उत्पन्न ऊष्मा = H 
तब ऊपर  फार्मूला 
H = I2R t
H = (2 )2x 5 x 5 x 60 जूल 
H = 6000 जूल 

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