SF6 सर्किट ब्रेकर क्या होता है?
SF6 का फुल फॉर्म Sulphur Hexafluride होता है। यह एक विशेष प्रकार का सर्किट ब्रेकर होता है जिसमे SF6 नामक गैस का प्रयोग आग के लपटों को बुझाने के लिए किया जाता है। सल्फर हेक्सा फ्लोराइड एक ऐसा कार्बनिक गैस होता है जिसकी dielectric strength अन्य सभी प्रकार के पदार्थ से अधिक होता है। इसके अतिरिक्त इसमें अन्य गैस के तुलना में शमन की क्षमता अत्यधिक होती है। (शमन का मतलब आग को बुझाकर चारो तरफ फैली हुई गैस में मौजूद उष्मीय उर्जा का अवशोषण कर ठंडक पहुचना)
अन्य सर्किट ब्रेकर जिसमे आग बुझाने के लिए कार्बनिक तेल(आयल) या हवा का प्रयोग Dielectric पदार्थ के तौर पर किया जाता है। वे सर्किट ब्रेकर कम वोल्टेज पर बढ़िया से कार्य करते है। लेकिन जिस स्थान पर सर्किट ब्रेकर में लगे दो कांटेक्ट बीच उत्पन्न आग के लपट को तेजी से बुझाना होता है उस स्थान पर कार्बनिक तेल(आयल) या हवा ,उतनी तेजी से कार्य नहीं कर पाते है। लेकिन ऐसे स्थान पर सल्फर हेक्सा फ्लोराइड बड़ी ही तेजी से आग के लपटों पर कार्य करता है।
सामान्य अवस्था में सर्किट ब्रेकर से जुड़े लोड में किसी भी प्रकार का कोई फाल्ट नहीं होता है तब सर्किट ब्रेकर के दोनों इलेक्ट्रोड आपस में जुड़े हुए होते है तथा कार्य कर रहे होते है। जब सर्किट ब्रेकर से जुड़े हुए लोड में किसी भी प्रकार का फाल्ट उत्पन्न होता है उस समय दोनों इलेक्ट्रोड एक दुसरे से अलग हो जाते है ,चूँकि एक इलेक्ट्रोड जो विधुत श्रोत (जनरेटर ,अल्टरनेटर) आदि से जुड़ा हुआ रहता है ,उसका वोल्टेज बहुत ज्यादा (33kv) होता है तथा दोनों इलेक्ट्रोड के बीच बहुत ही कम स्थान (0.2cm)खाली रहता है। इस खाली स्थान में बहुत दोनों इलेक्ट्रोड के बीच बहुत ज्यादा वोल्टेज डिफरेंस होने के कारण,एक बहुत ही प्रबल विधुत क्षेत्र (Electric Field)उत्पन्न हो जाता है। विधुत क्षेत्र = (33kv / 0. 0 0 2 = 16.5 x 106v/m)
यह विधुत क्षेत्र इतना प्रबल होता है की यह दोनों इलेक्ट्रोड के बीच मौजूद हवा के कण में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स को बाहर निकाल देता है। ये इलेक्ट्रान अपने आस पास मौजूद दुसरे परमाणु से टकराते है और उसे भी आयनकृत कर देते है और यह प्रक्रिया बहुत ही तेजी से घटती है जिसे दोनों इलेक्ट्रोड के बीच इलेक्ट्रॉन्स के बाढ़ सी आ जाती है जो एक आग के लपट जैसी दिखाई देती है। अगर इस तरह अचानक उत्पन्न हुए आग के लपट को नहीं बुझाया गया तो कुछ ही समय में पूरा सर्किट ब्रेकर जल कर राख हो जायेगा।
जैसे ही सर्किट ब्रेकर से जुड़े सर्किट में फाल्ट उत्पन्न होता है वैसे दोनों इलेक्ट्रोड एक दुसरे से अलग हो जाते है तथा इलेक्ट्रोड से जुड़े SF6 गैस चैम्बर का मुख खुल जाता है और उच्च दब पर गैस दोनों इलेक्ट्रोड के बीच प्रवाहित होने लगती है। यह गैस इलेक्ट्रोड के बीच मौजूद मुक्त इलेक्ट्रान(free Electron) को शोख कर पुरे क्षेत्र को उदासीन बना देती है जिससे आग की लपट तुरंत समाप्त हो जाता है तथा इलेक्ट्रान उत्पन्न होने का श्रृखला टूट जाता है।
सर्किट ब्रेकर को मुख्य रूप से दो भाग में विभाजित किया जा सकता है :-
- Gas Chamber
- Interrupter Unit
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image credit :https://mariaelectricals.com/sf6-circuit-breaker/ |
Interrupter Unit
यह सर्किट ब्रेकर का वह भाग होता है जिससे दोनों इलेक्ट्रोड शामिल होते है। दोनों इलेक्ट्रोड में एक इलेक्ट्रोड घुमने वाला तथा दूसरा फिक्स्ड होता है। यह वही भाग होता है जिससे सर्किट में विधुत धारा का प्रवाह होता है। घुमने वाले इलेक्ट्रोड गैस चमबेर से जुड़ा हुआ रहता है।
Gas Chamber
यह सर्किट ब्रेकर का उपरी हिस्सा होता है एक मैकेनिकल विधि द्वारा Interrupter unit से जुड़ा हुआ रहता है। इसी चैम्बर में गैस भरा रहता है। फाल्ट के कारण जब घुमने वाला इलेक्ट्रोड अपने स्थान से खिसकता है तब वह इस चैम्बर का मुख खोल देता है जिससे उच्च दाब पर गैस बाहर निकलने लगती है।
लाभ
- आग के लपट को बुझाने के अच्छे गुण के होने के कारण इन सर्किट ब्रेकर का समय बहुत कम होता है।
- SF6 गैस की dielectric strength, हवा की अपेक्षा 2 से 3 गुना अधिक होती है जिसके कारण यह सर्किट ब्रेकर उच्च धाराओं को भी रोक सकता हैं।
- SF6 सर्किट ब्रेकर का उपयोग करना आसान होता है।
- यह एक बंद चमबेर में होता है इसलिए इसमें नमी होने का खतरा बहुत कम होता है।
- इस सर्किट ब्रेकर में आग लगने का कोई खतरा नहीं होता क्योंकि इसमें उपयोग होने वाली SF6 गैस अज्वलनशील होता है।
- अन्य सर्किट ब्रेकर के तुलना में इसका Maintenece आसान होता है।
- इसमें उपयोग होने वाला गैस अक्रिय तथा अज्वलनशील होता है।
हानि
- यह सर्किट ब्रेकर अन्य सर्किट ब्रेकर के तुलना में महंगा होता है।
- इसमें उपयोग होनी वाली गैस को प्रत्येक ऑपरेशन के बाद दुबारा भरना पड़ता है।
- SF6 गैस एक महंगी गैस होती है।
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