संदेश

power Plant लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बसबार प्रोटेक्शन इंटरफ़ेस( BPI) क्या है तथा कैसे कार्य करता है ?

चित्र
बसबार प्रोटेक्शन इंटरफेस बसबार सबस्टेशन का एक महत्वपूर्ण भाग होता है जो विभिन्न फीडर या लाइन और उपकरण को आपस मे जोड़ता है। बसबार प्रोटेक्शन इंटरफ़ेस  का उद्देश्य बसबार और उससे जुड़े सर्किट्स को फॉल्ट जैसे शॉर्ट सर्किट से सुरक्षा प्रदान करना होता है इसलिए बसबार प्रोटेक्शन इंटरफेस (BPI) का उपयोग सबस्टेशन में  किया जाता है। बसबार प्रोटेक्शन इंटरफेस (BPI) का परिचय यह एक इंटरफेस होता है जो बसबार प्रोटेक्शन सिस्टम को सबस्टेशन के अन्य  सुरक्षा प्रदान करने वाले उपकरण जैसे सर्किट ब्रेकर, करंट ट्रांसफॉर्मर आदि) से जोड़ता है। फॉल्ट डिटेक्शन और ट्रिप कमांड देने के लिए बसबार प्रोटेक्शन सिस्टम और सबस्टेशन के अन्य कंट्रोल उपकरणों के बीच डेटा का आदान-प्रदान करता है। बसबार प्रोटेक्शन इंटरफ़ेस  की  विशेषता BPI तेज़ी से फॉल्ट को डिटेक्ट करता  है तथा सर्किट ब्रेकर को ट्रिप होने का सिग्नल देता है। करंट और वोल्टेज ट्रांसफॉर्मर से डेटा प्राप्त करके फॉल्ट की सही लोकेशन और प्रकार का पता लगाता  है। BPI को  SCADA और रिले प्रोटेक्शन सिस्टम्स के साथ जोड़कर रीयल-टाइम जानकारी प्र...

विधुत सबस्टेशन में आइसोलेटर क्या होते है तथा कितने प्रकार के होते है।

चित्र
आइसोलेटर क्या होते है ? आइसोलेटर  एक विद्युत स्विचिंग डिवाइस है जो सबस्टेशन और पावर सिस्टम में सुरक्षा और संचालन के लिए उपयोग होते है। इसे डिसकनेक्ट स्विच Disconnect Switch भी कहते है। इसका मुख्य कार्य विधुत सर्किट को सुरक्षित रूप से अलग  करना है। यह उपकरण उच्च वोल्टेज सबस्टेशन और ट्रांसमिशन लाइन में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। आइसोलेटर का कार्य आइसोलेटर का प्राथमिक कार्य विधुत प्रवाह को पूरी तरह से बंद करना तथा  पावर सर्किट को भौतिक रूप से अलग करना है। यह सर्किट में  लोड तहा विधुत श्रोत को आपस में जोड़कर रखता है। विधुत लोड तथा विधुत ऊर्जा श्रोत के बीच ऊर्जा परवाह को रोकने  या  ऊर्जा परवाह को स्टार्ट करने के लिए  आइसोलेटर को ऑपरेट किया जाता है। पावर स्टेशन या सबस्टेशन में  आइसोलेटर ट्रांसफार्मर के आउटगोइंग टर्मिनल तथा बसबार के बीच जुड़े हुए होते है।  जब सबस्टेशन में कोई अस्थिरता उत्पन्न होती है उस समय  आइसोलेटर ट्रांसफार्मर तथा बसबार के बीच डिसकनेक्ट होकर ऊर्जा प्रवाह को रोक देता है।  आइसोलेटर को आप एक स्विच की तरह समझ सकते है ल...

WIP स्विच क्या है?

WIP स्विच क्या है? WIP स्विच का पूरा नाम Work In Progress Switch  है। यह एक ऐसा स्विच है जिसका उपयोग औद्योगिक, वाणिज्यिक और तकनीकी क्षेत्र में किया जाता है। यह स्विच किसी उपकरण प्रक्रिया या मशीन में कार्य की प्रगति को नियंत्रित करने तथा संकेत देने या किसी विशेष स्थिति को संभालने के लिए डिज़ाइन किया गया है। WIP स्विच के उपयोग WIP स्विच का उपयोग निम्न है : उद्योग में नियंत्रणउत्पादन प्रक्रिया मे प्रगति को ट्रैक करने के लिए मशीन को स्वचालित रूप से चालू या बंद करने के लिए सुरक्षा के लिए किसी प्रक्रिया के दौरान मैन्युअल हस्तक्षेप की आवश्यकता को कम करने के लिए गलत संचालन से बचाव के लिए प्रगति की निगरानी यह संकेत देता है कि किसी कार्य का कौन सा चरण पूरा हो चुका है और अगले चरण को शुरू करने की आवश्यकता है। WIP स्विच के लाभ  स्विच का उपयोग करके मशीन और उपकरण को ऑटोमेट किया जा सकता है। स्विच के माध्यम से प्रक्रियाओं को तेज और कुशल बनाया जा सकता है। स्विच सही समय पर कार्य करता है जिससे त्रुटि की संभावना कम हो जाती है। WIP स्विच कैसे काम करता है? यह स्विच सेंसर, सिग्नल और पावर सप्लाई के मा...

सर्किट ब्रेकर में उत्पन्न होने आग की चिंगारी को कैसे बुझाते है ?

सर्किट ब्रेकर में आग की चिंगारी कैसे उत्पन्न होती है ? जब सर्किट ब्रेकर में विधुत धारा वहन करने वाले कांटेक्ट थोड़े समय के लिए अलग होते है तब  उनके बीच आग की लपटे या चिंगारी देखने को मिलती है। चूँकि यहाँ उत्पन ऊर्जा आग के रूप में होती है इसलिए यह खतरनाक होती है। अगर इन्हे नियंत्रित नहीं किया गया तब ये विस्फोट हो सकती है जिससे बड़ा नुकसान हो सकता है। जब दोनों कांटेक्ट एक दूसरे से अलग होते है उस वक्त उनके बीच बहुत ज्यादा वोल्टेज ग्रेडिएंट उत्पन्न हो जाता है जो उनके बीच मौजूद वायु के परमाणुओं पर एक विधुत बल आरोपत करता है जिससे इलेक्ट्रान निकलने लगते है जो आग की लपट या चिंगारी के  रूप में दिखाई देते है।  वैसे सर्किट ब्रेकर का निर्माण इस प्रकार से किया जाता है की यह उत्पन्न होने वाली आग के लपटों पर आसानी से काबू पा  लेता है किसी भी प्रकार के दुर्घटना के संभावना को समाप्त कर देता है। ए०सी तथा डीसी दोनों प्रकार के करंट के कारण कांटेक्ट के बीच चिंगारी उत्पन्न होती है। डीसी करंट की तुलना में ए०सी करंट से उत्पन्न होने वालीआग की लपट नियंत्रित करना आसान होती है क्योकि ए०सी करंट एक...

विधुत ऊर्जा के श्रोत : विधुत ऊर्जा का उत्पादन कैसे किया जाता है ?

चित्र
विधुत ऊर्जा,ऊर्जा का एक रूप है जो किसी चालक में एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक इलेक्ट्रॉनों की गति के परिणामस्वरूप होता है। यह एक द्वितीयक ऊर्जा स्रोत है क्योकि इसे ऊर्जा के अन्य प्राथमिक स्रोत, जैसे जीवाश्म ईंधन,परमाणु ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट, आदि से प्राप्त किया जाता है। ऊर्जा के  प्राथमिक स्रोतों से उनकी प्रकृति और उपलब्धता के आधार पर विभिन्न तरीकों से विधुत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है । इस पोस्ट में, हम विधुत ऊर्जा के मुख्य स्रोतों की चर्चा करेंगे और उससे बिजली उत्पन्न करने के तरीको के बारे में जानेंगे।  विधुत ऊर्जा क्या है ? विधुत धारा द्वारा किये गए कार्य को विधुत ऊर्जा कहते है। यह विधुत क्षेत्र के रूप में संचित होता है। विधुत ऊर्जा को विधुत परिपथ के  मदद से एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थान्तरित किया जाता है और इसे ऊर्जा के दूसरे रूप जैसे ध्वनि ऊर्जा , उष्मीय ऊर्जा , प्रकाश ऊर्जा आदि में परिवर्तित किया जा सकता है। विधुत ऊर्जा जूल या किलो वाट ऑवर में मापा जाता है।  विधुत ऊर्जा के मुख्य श्रोत क्या है ? विधुत ऊर्जा श्रोत को मुख्य ...

थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर:परिभाषा ,कार्य सिद्धांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर क्या है ? थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर (TEG) एक ऐसा उपकरण है जो सीबेक प्रभाव का उपयोग करके थर्मल एनर्जी  को विधुत  ऊर्जा में परिवर्तित करता है। थर्मो इलेक्ट्रिक जनरेटर सॉलिड स्टेट डिवाइस होती है जो लम्बे समय तक बिना शोर किये विधुत उत्पादन कर सकती है। थर्मो इलेक्ट्रिक जनरेटर के मदद से पावर प्लांट ,ऑटोमोबाइल , इंडस्ट्री आदि से निकले उष्मीय ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में बदला जा सकता है।  थर्मो इलेक्ट्रिक जनरेटर के मदद से दूर स्थित डिवाइस जैसे सेंसर , वायरलेस ट्रांसमीटर , स्पेसक्राफ्ट आदि को ऊर्जा पहुंचाया जा सकता है।  थर्मो इलेक्ट्रिक जनरेटर कार्य कैसे करता है ? जैसे की ऊपर बताया गया है की थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर सीबैक प्रभाव पर कार्य करता है। जब दो भिन्न प्रकार के धातुओं के बीच तापांतर उत्पन्न किया जाता है तब दोनों धातुओं के बीच विभवांतर उत्पन्न हो जाता है। थर्मोजेनेटर के मुख्य दो भाग होते है : थर्मोइलेक्ट्रिक पदार्थ  थर्मोइलेक्ट्रिक मॉड्यूल  थर्मोइलेक्ट्रिक पदार्थ के बीच तापान्तर (Temperature Difference) उत्पन्न करने पर सीबैक प्रभाव से विधुत वोल्...

विधुत इंजीनियरिंग में बहुफेज ( 2 फेज,3 फेज ,4 फेज ) क्या होता है ?

चित्र
बहुफेज एसी सर्किट की अवधारणा तथा सिंगल फेज के तुलना में उसके लाभ विधुत  इंजीनियरिंग में विधुत ऊर्जा के दो मुख्य स्वरूप होते है : दिष्ट धारा (DC) और प्रत्यावर्ती धारा (AC)। एसी का मतलब है कि विधुत धारा और वोल्टेज का परिमाण  समय के साथ दिशा बदलते रहते हैं। सिंगल फेज AC सर्किट सबसे सिंपल  प्रकार के AC सर्किट होते है जिसमे एक ही वोल्टेज और करंट एक तार से गुजरते हैं। जबकि हाई पावर के अनुप्रयोग के लिए बहुफेज AC सर्किट अधिक कुशल और लाभप्रद होते है। Poly Phase क्या है? पोली फेज को हिंदी में बहुफेज कहते है। बहुफेज सर्किट दो या दो से अधिक एसी वोल्टेज का उपयोग करते है जिसमे दोनो या तीनो वोल्टेज की आवृत्ति समान होती है लेकिन एक-दूसरे से एक निश्चित फेज कोण से विस्थापित होते है। दुनिया में सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला बहुफेज सर्किट थ्री फेज सर्किट है जिसमें तीन वोल्टेज होते है जो एक-दूसरे से 120 डिग्री के कोण पर विस्थापित होते है।थ्री फेज के अतिरिक्त अन्य बहुफेज सर्किट भी होते है जिनमे दो फेज (Two-Phase) और छह फेज (Six-Phase) शामिल हैं लेकिन ये बहुत प्रचलित नही हैं। बहुफेज सर्किट...

इलेक्ट्रिकल बस बार : परिभाषा , प्रकार ,लाभ तथा हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
इलेक्ट्रिकल बस बार क्या है ? चालक या चालकों का ऐसा समूह जो विभिन्न फीडर से आने वाली विधुत ऊर्जा को एक जंक्शन पर इकठ्ठा कर , आवश्यकतानुसार आगे उपयोग के लिए बांटता है उसे इलेक्ट्रिकल बस बार कहते है। विधुत ऊर्जा उत्पादन तथा संचरण प्रणाली में बस बार विधुत ऊर्जा के बंटन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इससे विधुत ऊर्जा को विभिन्न ऊर्जा श्रोत से आसानी ग्रहण कर ,विभिन्न लोड को आसनी से बाँट दिया जाता है।  बस बार में किसी भी प्रकार के दुर्घटना से बचने के लिए Isolaterतथा सर्किट ब्रेकर का उपयोग किया जाता है। किसी भी फाल्ट या शार्ट सर्किट के कंडीशन में सर्किट ब्रेकर ब्रेक हो जाता है जिससे बस बार का फॉल्टी भाग अलग हो जाता है। बस बार के निर्माण में ताम्बा (Copper) या अल्लुमिनियम का उपयोग किया जाता है। बस बार आयताकार ,वर्गाकार  आदि आकर में उपलब्ध होते है। लेकिन पावर सिस्टम में अधिकांशतः आयताकार बस बार ही उपयोग किया जाता है। किसी विशेष कार्य के लिए उपयोग किये जाने वाले बस बार का चयन निम्न कारको पर निर्भर करता है : विश्वसनीयता बस बार का इंस्टालेशन तथा मेंटेनेंस आसान हो।  बस बार  की ला...

इलेक्ट्रिकल पावर सिस्टम को बनाने वाले विभिन्न प्रकार के कॉम्पोनेन्ट - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
इलेक्ट्रिकल पावर सिस्टम क्या है ? विधुत ऊर्जा का उत्पादन सुदूर किसी इलाके में किया जाता है। उत्पन्न हुए विधुत ऊर्जा को ट्रांसमिशन लाइन के मदद से उपयोग करने वाले स्थान पर पहुंचाया जाता है। विधुत उत्पादन क्षेत्र से उपयोग करने तक पहुंचाने ,विधुत ऊर्जा को पहुंचने में एक जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इस प्रक्रिय में विधुत जनित्र ,ट्रांसमिशन लाइन ,ट्रांसफार्मर तथा अन्य दूसरे कॉम्पोनेन्ट भाग लेते है। इस प्रकार सभी प्रकार के कॉम्पोनेन्ट से आपस में जुड़कर जो सिस्टम बनता है उसे पावर सिस्टम कहते है। पावर सिस्टम में जुड़े हुए इन सभी कॉम्पोनेन्ट को एक सिंगल लाइन द्वारा दिखाया जाता है जिसे सिंगल लाइन डायग्राम कहते है। जिसे निचे दिखाया गया है।  पावर सिस्टम कॉम्पोनेन्ट  किसी भी पावर सिस्टम में निम्न कम्पोनेंट पाए जाते है : विधुत उत्पादन स्टेशन (Generating Station) ट्रांसमिशन सिस्टम (transmission System) विधुत वितरण सिस्टम (Distribution System) लोड स्टेशन (load Station) विधुत उत्पादन सिस्टम  जैसे की ऊपर सिंगल लाइन डायग्राम में दिखाया गया है की पावर सिस्टम का पहला और मुख्य कॉम्पोनेन्ट G...

जैव ईंधन: परिभाषा ,प्रकार ,लाभ तथा हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
जैव ईंधन क्या है ?(biofuel kya hai) कोई भी पदार्थ जिसके जलने से प्रचुर मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है उसे ईंधन कहते है। जब यह ईंधन कृषि उत्पाद से प्राप्त होती है तब इसे जैव ईंधन कहते है। विभिन्न प्रकार की फसलों तथा पौधों से जैव ईंधन प्राप्त किए जाते है। जैव ईंधन को तकनीक के मदद से गतिज ऊर्जा ,उष्मीय ऊर्जा ,विधुत ऊर्जा आदि में परिवर्तित किया जाता है। प्रकृति में मौजूद सभी प्रकार के वनस्पति तथा जीव पदार्थ को बायोमास कहते है। जैव ईंधन का उपयोग करना आसान है तथा ये प्रकृति रूप से आसानी से संश्लेषित हो जाते है। इनमे सल्फर तथा गंध की मात्रा नहीं पाई जाती है।  हमारे सौरमंडल में ऊर्जा का मुख्य श्रोत सूर्य है। सूर्य द्वारा प्राप्त ऊर्जा को पौधे प्रकाश संशलेषण की प्रक्रिया से जैव ईंधन में परिवर्तित करते है। पौधों में यह जैव ऊर्जा विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरते हुए विभिन्न प्रकार के ऊर्जा श्रोत का निर्माण करती है। उदारहण के लिए मवेशी पौधों के पतियों को भोजन के रूप में ग्रहण करते है और गोबर करते है। इस गोबर को जलाकर उष्मीय ऊर्जा उत्पन्न किया जाता है।  जैव ईंधन कितने प्रकार के होते है ? ...

Load Flow Study : परिभाषा , लोड फ्लो कॉम्पोनेन्ट तथा इससे प्राप्त जानकारी - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में लोड फ्लो  क्या है ? पावर इंजीनियरिंग या इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में किसी इंटरकनेक्टेड नेटवर्क में विधुत ऊर्जा प्रवाह का आंकिक आकलन करना(Numerical Calculation) लोड फ्लो एनालिसिस या लोड फ्लो स्टडी कहलाता है। लोड फ्लो स्टडी  इलेक्ट्रिकल इंजीनियर द्वारा किए गए विद्युत नेटवर्क का विश्लेषण है। इसका मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि विद्युत नेटवर्क के चारों ओर विधुत ऊर्जा कैसे प्रवाहित होती है।  लोड फ्लो अध्ययन करने से इंजीनियर को विद्युत प्रणालियों (इलेक्ट्रिकल सिस्टम) को डिजाइन करने में सहायता मिलती है तथा पावर सिस्टम के विभिन्न भाग में वोल्टेज तथा विधुत धारा का परिमाण क्या है। लोड फ्लो एनालिसिस के उपरांत डिज़ाइन किया इलेक्ट्रिकल सिस्टम सही तरीके से कार्य करता है और पावर ग्रिड द्वारा पर्याप्त  मात्रा में विधुत ऊर्जा की आपूर्ति आसानी से की जाती है। किसी पावर सिस्टम में लोड फ्लो या पावर फ्लो स्टडी से इंजीनियर सिस्टम को इस प्रकार से डिज़ाइन करता है जो वर्तमान में विधुत आपूर्ति के साथ साथ भविष्य में बढ़ते हुए विधुत लोड पर आसानी से संचालित हो सके। ...

स्काडा: परिभाषा ,उपयोग लाभ तथा हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
स्काडा क्या है ? स्काडा (SCADA) एक संक्षिप रूप है जिसका विस्तारित रूप Supervisory Control And Data Acquisition होता है। यह एक कंप्यूटर प्रणाली है जिसमे किसी फैक्ट्री ,रिसर्च लैब आदि के विभिन्न विभागों से विभिन्न प्रकार से सूचना को प्राप्त कर उसका एनालिसिस किया जाता है तत्पश्चात उस लैब या फैक्ट्री को नियंत्रित एवं संचालित किया जाता है। स्काडा आज के आधुनिक युग में बड़े स्तर पर फैले हुए फैक्ट्री ,पावर प्लांट या रिसर्च लैब में होने वाली विभिन्न क्रियाकलापों को सुचारु रूप से नियंत्रित कर उसे संचालित करने के लिए उपयोग किया जाता है।  बड़े औद्योगिक संस्थानों में बहुत सारी  मशीने एक साथ विभिन्न प्रकार के काम करती है और इन सभी मशीनों की  निगरानी करना एक बहुत ही जटिल  काम हैं ।  इन सभी मशीनों के निगरानी तथा संचालन का कार्य SCADA Syatem आसानी से करता है और इनके  दक्षता को बनाए रखता है।  स्काडा एक सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर का सम्मिलित सिस्टम है जो नियंत्रण एवं संचालन की सुविधा प्रदान करता है। इसके केंद्रीय नियंत्रण प्रणाली में संचार उपकरण, नेटवर्क इंटरफेस, इनपुट/...

पावर ग्रिड : परिभाषा ,प्रकार तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
इलेक्ट्रिकल ग्रिड क्या है ? ग्रिड का हिंदी मतलब जाल होता है। अर्थात इलेक्ट्रिकल ग्रिड या पावर ग्रिड एक ऐसा विधुतीय जाल है जिसमे विधुत उत्पादन केंद्र(Generating Station) ,विधुत वितरक तथा ट्रांसमिशन लाइन एक दूसरे से जुड़े हुए होते है। इस जाल में विधुत ऊर्जा का प्रवाह विधुत उत्पादन केंद्र से वितरक केंद्र के तरफ होता है। 220 kV या इससे अधिक वोल्टेज पर विधुत ऊर्जा का परवाह उत्पादन केंद्र से लोड के तरफ होता है। इस उच्च वोल्टेज पर जिस लाइन से विधुत ऊर्जा का प्रवाह होता है उसे सुपर ग्रिड कहते है। 132 kV या इससे वोल्टेज पर संचालित होने वाले सबस्टेशन में विधुत ऊर्जा का परवाह सुपर ग्रिड से होता है।  इलेक्ट्रिकल ग्रिड कितने प्रकार के होते है ? पावर स्टेशन में विधुत ऊर्जा  उत्पादन उच्च वोल्टेज पर किया जाता है और पुनः इसे सबस्टेशन में स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर के मदद से कम कर उपभोगता को दिया जाता है। इलेक्ट्रिकल ग्रिड को मुख्य रूप से दो प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है जो निम्न है : क्षेत्रीय ग्रिड या रीजनल (Regional Grid) राष्ट्रीय ग्रिड या नेशनल ग्रिड (National Grid) राष्ट्रीय ग्रिड किसे...

पावर सिस्टम स्थिरता : परिभाषा ,प्रकार तथा कारण - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
Power system stability क्या है ? पावर प्लांट में एक से अधिक सिंक्रोनस विधुत जनरेटर संचालित होते है और उन सभी के द्वारा उत्पन्न विधुत ऊर्जा को एक बस बार (Busbar) पर एकत्रित कर जरुरत के हिसाब से आगे की तरफ भेजा जाता है। जिस ग्रिड से विधुत ऊर्जा को भेजा जाता है उसे Sending End तथा जिस स्थान पर भेजा जाता है उसे Receving End कहते है। सेंडिंग एन्ड तथा रिसीविंग एन्ड आपस में विधुत चालक द्वारा जुड़े हुए होते जिन्हे विधुत ट्रांसमिशन लाइन कहते है। विधुत ऊर्जा का प्रवाह सेंडिंग एन्ड से रिसीविंग एन्ड की तरफ होता रहता है। सेंडिंग एन्ड ,रिसीविंग एन्ड तथा विधुत ट्रांसमिशन लाइन को आपस में पावर सिस्टम कहते है।  किसी कारणवश जब रिसीविंग एन्ड पर वोल्टेज ड्राप या कोई अतिरिक्त लोड जुड़ जाता है तब सेंडिंग एन्ड के तरफ से विधुत ऊर्जा का परवाह अचानक बढ़ जाता है जिससे सिंक्रोनस जनरेटर पर लोड बढ़ जाता है और यह तेजी से चलने लगता है। या इसके विपरीत ग्रिड से जुड़े हुए किसी जनरेटर में में कोई खराबी आ जाती है और वह काम करना बंद कर देता है तब अन्य दूसरे जनरेटर को अपने नॉर्मल क्षमता से ज्यादा काम करना पड़ता है। पावर सिस...

गैस टरबाइन प्लांट : परिचय ,कार्य सिध्दांत तथा दक्षता - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
 गैस टरबाइन प्लांट क्या है? सोलर प्लांट को छोड़ दिया जाए तो दुनिया में जितने भी प्रकार के प्लांट है सभी में विधुत उर्जा उत्पादन के लिए अल्टरनेटर का उपयोग किया जाता है और इस अल्टरनेटर को घुमाने के लिए बाहर से प्राइम मुभर की जरुरत पड़ती है। अर्थात पॉवर प्लांट में विधुत उर्जा उत्पादन के लिए सबसे पहले प्राइम मुभर की व्यवस्था की जाती है जिससे अल्टरनेटर को चलाया जाए। गैस टरबाइन प्लांट में उच्च ताप और दाब पर हवा का उपयोग ,अल्टरनेटर को घुमाने के लिए किया जाता है। गैस टरबाइन प्लांट की कार्य विधि बिलकुल स्टीम पॉवर प्लांट के सामान ही होता है लेकिन दोनों में जो मुख्य अंतर होता है वो यह है की स्टीम प्लांट में उच्च दाब पर संपीडित स्टीम (भाप ) का उपयोग अल्टरनेटर को घुमाने के लिए किया जाता है जबकि गैस टरबाइन में उच्च दाब पर संपीडित गैस का उपयोग अल्टरनेटर को घुमाने के लिए किया जाता है।  गैस टरबाइन प्लांट कैसे कार्य करता है? गैस टरबाइन प्लांट में सबसे पहले वायु को एक कंप्रेसर द्वारा उच्च दाब पर संपीडित किया जाता है तत्पश्चात इसे एक Combustion चैम्बर में भेजा जाता है। इस चैम्बर में इंधन के जलने से...

वैक्यूम सर्किट ब्रेकर : परिभाषा ,कार्य सिद्धांत तथा अनुप्रयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
वैक्यूम सर्किट ब्रेकर क्या होता है?  वैक्यूम सर्किट ब्रेकर एक प्रकार का सर्किट ब्रेकर है जिसमे उच्च विधुत धारा के कारण उत्पन्न हुए आग की  लपटों को निर्वात माध्यम में समाप्त किया जाता है। विधुत धारा के प्रवाह को बंद या चालू करने तथा इस प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न हुए आग के लपटों समाप्त करने की पूरी प्रक्रिया एक बंद निर्वात चैम्बर में होता है। इसलिए इसे वैक्यूम vacuum circuit ब्रेकर कहा जाता है।  जिस निर्वात क्षेत्र  में आग के लपटों को क्वेंच अर्थात बुझाया जाता है उस वैक्यूम सर्कि ट कहते है। इसमें वैक्यूम का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योकि वैक्यूम सबसे बढ़िया इंसुलेटिंग माध्यम का कार्य करता है।  वैक्यूम सर्किट ब्रेकर का  कंस्ट्रक्शन कैसा होता है? अन्य दुसरे circuit ब्रेकर की तुलना में वैक्यूम सर्किट ब्रेकर का कंस्ट्रक्शन बहुत ही साधारण तथा आसान होता है। वैक्यूम सर्किट ब्रेकर में विधुत धारा प्रवाहित करने वाले कांटेक्ट निर्वात में खुलते है। दोनों कांटेक्ट के बीच अलगाव होना तथा उनके बीच उत्पन्न हुए आग के लपटों को समाप्त करने का काम एक निर्वात माध्यम में होता है ज...

ज्वारीय ऊर्जा : परिभाषा ,कार्य सिद्धांत ,लाभ तथा हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

चित्र
 ज्वारीय ऊर्जा क्या है? समुन्द्र में उठने वाले ज्वार के कारण पानी में गति उत्पन्न हो जाती है जिससे समुन्द्र का पानी तेजी से किनारों के तरफ भागता है और जब ज्वार समाप्त हो जाता है तब पुनः दुबारा किनारों के तरफ  गति करने लगता है। ज्वार के कारण  पानी में उत्पन्न गति की वजह से गतिज उर्जा आ जाती है। समुन्द्र के जल में मौजूद इस उर्जा को ज्वारीय उर्जा कहते है जिसका उपयोग कर विधुत ऊर्जा उत्पन्न या अन्य दुसरे कार्य  किया जा सकता है। ज्वारीय उर्जा को अंग्रेजी में टिडल एनर्जी कहा जाता है। यह उर्जा का एक नवीकरणीय श्रोत है।  ज्वार क्या होता है? पृथ्वी के घूर्णन तथा सूर्य और चन्द्रमा के गुरत्वाकर्षण बल के कारण पृथ्वी पर मौजूद समुन्द्र तथा महासागरों के पानी के स्तर में उतराव चढाव होता रहता है जिसे ज्वार कहते है। जब समुंद्री पानी उतरकर अपने निचले स्तर पर पहुचता है तब उसे निम्न ज्वार (Low  Tides) कहते है इसके विपरीत जब पानी का स्तर अपने अधिक उचाई को प्राप्त करता है तब उसे उच्च ज्वार(High Tides) कहते है।  कार्य सिद्धांत - ज्वारीय उर्जा को विधुत उर्जा में परिवर्...