वैक्यूम सर्किट ब्रेकर क्या होता है?
वैक्यूम सर्किट ब्रेकर एक प्रकार का सर्किट ब्रेकर है जिसमे उच्च विधुत धारा के कारण उत्पन्न हुए आग की लपटों को निर्वात माध्यम में समाप्त किया जाता है। विधुत धारा के प्रवाह को बंद या चालू करने तथा इस प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न हुए आग के लपटों समाप्त करने की पूरी प्रक्रिया एक बंद निर्वात चैम्बर में होता है। इसलिए इसे वैक्यूम vacuum circuit ब्रेकर कहा जाता है। जिस निर्वात क्षेत्र में आग के लपटों को क्वेंच अर्थात बुझाया जाता है उस वैक्यूम सर्किट कहते है। इसमें वैक्यूम का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योकि वैक्यूम सबसे बढ़िया इंसुलेटिंग माध्यम का कार्य करता है।
वैक्यूम सर्किट ब्रेकर का कंस्ट्रक्शन कैसा होता है?
अन्य दुसरे circuit ब्रेकर की तुलना में वैक्यूम सर्किट ब्रेकर का कंस्ट्रक्शन बहुत ही साधारण तथा आसान होता है। वैक्यूम सर्किट ब्रेकर में विधुत धारा प्रवाहित करने वाले कांटेक्ट निर्वात में खुलते है। दोनों कांटेक्ट के बीच अलगाव होना तथा उनके बीच उत्पन्न हुए आग के लपटों को समाप्त करने का काम एक निर्वात माध्यम में होता है जिसे Vacuum Interrupter कहते है। वैक्यूम सर्किट ब्रेकर के संरचना को तीन भागो में बाटा जा सकता है :
- फिक्स्ड कांटेक्ट
- मूविंग कांटेक्ट
- आर्क शील्ड
Image Source :https://www.yourelectricalguide.com/2017/10/vcb-vacuum-circuit-breaker-working-principle.html |
फिक्स्ड कांटेक्ट तथा मूविंग कांटेक्ट से विधुत धारा का प्रवाह होता है। इसमें से एक फिक्स्ड होता है तथा दूसरा घुमने के लिए स्वतंत्र होता है। जब सर्किट ब्रेकर से उच्च विधुत धारा का प्रवाह होता है तब मूविंग कांटेक्ट ,फिक्स्ड कांटेक्ट से अलग हो जाता है जिससे विधुत धारा का प्रवाह रूक जाता है। कॉपर बिस्मुथ या कॉपर क्रोम के मिश्रण से बने हुए चालक का उपयोग मूविंग तथा फिक्स्ड कांटेक्ट के रूप में किया जाता है। मूविंग कांटेक्ट के गति को नियंत्रित करने के लिए स्प्रिंग से बने हुए यांत्रिक सिस्टम का उपयोग किया जाता है। समूचे सर्किट ब्रेकर को ढकने के लिए सीसा या सेरेमिक से बने पदार्थ का उपयोग किया जाता है।
वैक्यूम सर्किट ब्रेकर का कार्य सिध्दांत
सामान्य अवस्था में सर्किट ब्रेकर के दोनों कांटेक्ट जुड़े हुए होती है जिससे विधुत धारा का प्रवाह होता रहता है लेकिन जब किसी करणवश सर्किट ब्रेकर से उच्च विधुत धारा का प्रवाह होने लगता है तब सर्किट ब्रेकर के दोनों कांटेक्ट निर्वात में खुलते है और उच्च वोल्टता के कारण दोनों कांटेक्ट के बीच आर्क(आग की लपट) उत्पन्न होने लगता है। वैक्यूम सर्किट ब्रेकर में ये लपटें धातु के वास्पीकरण के कारण उत्पन्न होती है। अन्य दुसरे सर्किट ब्रेकर में वायु के कण आयानकृत होते है जो आग की लपट जैसे दिखते है।
जब सर्किट ब्रेकर के कांटेक्ट एक दुसरे से अलग होते है तब उससे प्रवाहित होने वाली अंतिम विधुत धारा के कारण उष्मीय उर्जा उत्पन्न होती है। यह उर्जा इतनी ज्यादा होती है की कांटेक्ट पर मौजूद धातु के अणु आयानकृत हो जाते है और दुसरे कांटेक्ट के तरफ भागने लगते है जिससे लपटे उत्पन्न होती है जो हमें बाहर दिखाई देती है।
वैक्यूम सर्किट ब्रेकर में लपटे कैसे शांत होती है?
चूँकि सर्किट से प्रवाहित होने वाली विधुत धारा की प्रकृति ज्यावाक्रिय (Sinusoidal) होती है इसलिए जब कांटेक्ट खुलते है और उनके बीच आयन के कारण जिस विधुत धारा का प्रवाह होता है उसकी प्रकृति भी ज्या वक्रीय होती है और किसी भी ज्या फलन के एक आवर्त काल में उसका परिमाण दो बार शून्य होता है। इस प्रकार जब पहली बार arcing current शून्य होता है उस टाइम वैक्यूम का Dielectric Strength अचानक बढ़ जाता है और अगले अर्द्ध काल में विधुत धारा का परिमाण अपने अधिकतम परिमाण को प्राप्त नहीं कर पाता है जिससे arcing current री-स्ट्राइक नहीं कर पाता है और थोड़े देर बाद लपटे समाप्त हो जाती है।
वैक्यूम सर्किट ब्रेकर का अनुप्रयोग
- इसका उपयोग इंडोर तथा आउटडोर दोनों प्रकार के एप्लीकेशन में किया जाता है।
- इसका मेंटेनेंस खर्च बहुत ही कम होता है इसलिए इसे दूर दराज़ के जगह पर किया जाता है।
- इसका उपयोग रिएक्टर ,ट्रांसफार्मर तथा कैपासिटर स्विचिंग में किया जाता है।
वैक्यूम सर्किट ब्रेकर के लाभ
- यह आकार में छोटा होता है।
- इसमें आग लगने का रिस्क बहुत ही कम होता है।
- इसके रिपेयर तथा मेंटेनेंस की जरुरत बहुत ही कम पड़ता है।
- यह लम्बे समय तक कार्य करता है।
- इससे किसी भी प्रकार के आवाज़ उत्पन्न नहीं होता है।
- ओवरलोड की दशा में यह आसानी से खुल जाता है।
वैक्यूम सर्किट ब्रेकर के हानि
- इसका कार्य करने का वोल्टेज सिमित होता है। यह अपने वोल्टेज लिमिट के ऊपर वोल्टेज पर कार्य नहीं करता है।
- यह अन्य दुसरे सर्किट ब्रेकर की तुलना में थोडा महंगा होता है।
- इसके वैक्यूम चैम्बर में किसी भी प्रकार से लिक न हो इसके लिए विशेष व्यवस्था करना पड़ता है।
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