बायलर क्या होता है?
यह एक विशेष प्रकार का बंद बर्तन होता है जिसमे पानी या अन्य दुसरे द्रव को गर्म किया जाता है। यह जरुरी नहीं है कि बायलर में गर्म किया जाने वाला द्रव गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो लेकिन ज्यादातर पानी को भाप में परिवर्तित करने के लिए ही बायलर का उपयोग किया जाता है। बायलर में निर्मित वाष्प या भाप का उपयोग विभिन्न प्रकार के कार्यो में किया जाता है। जैसे खाना पकाने में प्रयोगशाला में ,विधुत उत्पादन में इत्यादि। बायलर का अधिकांशउपयोग थर्मल पॉवर प्लांट तथा न्यूक्लियर पॉवर प्लांट में विधुत उर्जा के उत्पादन में किया जाता है।
बायलर का कार्य सिध्दांत क्या है?
बॉयलर का मूल कार्य सिद्धांत बहुत ही सरल जिसे आसानी से समझा जा सकता है। बॉयलर एक बंद बर्तन होता है जिसके अंदर पानी जमा होता है। कोयला या अन्य दुसरे इंधन को जलाकर उष्मीय उर्जा उत्पन्न किया जाता है। इस प्रकार इंधन के जलने से जो उष्मीय उर्जा उत्पन्न होती है उसे बायलर के संपर्क में लाया जाता है जहा बायलर में रखा हुआ पानी गर्म होता है और वाष्प में परिवर्तित होता है। जैसे जैसे बायलर के अन्दर पानी गर्म होकर वाष्प में परिवर्तित होता है बायलर का आंतरिक दवाब बढ़ने लगता है। इस उच्च दाब भाप को किसी पाइप द्वारा निकालकर टरबाइन को चलाया जाता या दुसरे कार्य में उपयोग किया जाता है। चूँकि बायलर से भाप का उत्पादन होता है इसलिए इसे भाप उत्पादक भी कहा जाता है।
स्टीम बायलर की दक्षता क्या होती है ?
चूँकि बायलर का उपयोग थर्मल पॉवर प्लांट में विधुत उर्जा उत्पादन में होता है इसलिए यह जरुरी बन जाता है की इसकी दक्षता उच्च हो। इसकी दक्षता जितनी ही ज्यादा होगी उतने ही ज्यादा मात्रा में उष्मीय उर्जा की हानि कम होगी। स्टीम बायलर से निकलने वाली उच्च दाब वाष्प में निहित उर्जा तथा इंधन के जलने से उत्पन्न उर्जा के अनुपात ही स्टीम बायलर की दक्षता कहलाता है। दक्षता को हमेशा प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है।
बायलर की दक्षता इसके आकार पर निर्भर करता है। इसके यह अतिरिक्त इंधन के गुणवता पर भी निर्भर करता है। सामान्यतः बायलर की दक्षता 80 से 88 प्रतिशत के करीब होता है।
बायलर कितने प्रकार के होते है?
बायलर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है जो निम्न है :
- वाटर ट्यूब बायलर (Water Tube Boiler)
- फायर ट्यूब बायलर (Fire Tube Boiler)
इन दो प्रकार के बायलर को पुनः विभिन्न उपवर्गों में विभाजित किया जाता है।
वाटर ट्यूब बायलर क्या होता है?
इसके नाम से ही ज्ञात होता है की पानी को ट्यूब से प्रवाहित किया जाता है तथा उष्मीय ऊर्जा उस ट्यूब के चारो तरफ प्रवाहित होती है। अर्थात वाटर ट्यूब बॉयलर एक ऐसा बॉयलर होता है जिसमे पानी को ट्यूब के अंदर प्रवाहित कर ट्यूब के चारो तरफ गर्म गैस प्रवाहित कर गर्म कर भाप में परिवर्तित किया जाता है। जैसे कि निचे के चित्र में दिखाया गया है।
image source :www.researchgate.net/figure/Water-tube-boilers
जैसे चित्र में दिखाया गया है की आग को एक कोने में जलाया जा रहा है और गर्म गैसे पाइप से प्रवाहित होने वाली पानी को भाप में परिवर्त्तित कर रही है जो ऊपर से आउटलेट से बाहर निकल रहा है। वाटर ट्यूब बायलर से ज्यादा मात्रा में भाप उत्पन होता है। वाटर ट्यूब बायलर भी विभिन्न प्रकार के होते है जैसे :-- हॉरिजॉन्टल स्ट्रैट ट्यूब बायलर
- बेंट ट्यूब बायलर
- सायक्लोन ट्यूब बायलर
वाटर ट्यूब बायलर के लाभ एवं हानि
वाटर ट्यूब बायलर के लाभ एवं हानि निम्न है :-
लाभ
- अधिक संख्या में पानी की ट्यूब का उपयोग कर बड़ी तापीय सतह प्राप्त की जा सकती है।
- फायर ट्यूब बायलर की त्तुलना में वाटर ट्यूब बायलर की दक्षता ज्यादा होती है।
- वाटर ट्यूब बायलर में आसानी से उच्च दाब पर भाप उत्पन्न किया जा सकता है।
हानि
- आकर में बड़ा होने की वजह से वाटर ट्यूब बायलर को एक स्थान से दुसरे स्थान तक लेकर जाना कठिन होता है।
- वाटर ट्यूब बायलर को निर्मित करने की लागत ज्यादा होती है।
फायर ट्यूब बायलर क्या होता है?
यह वाटर ट्यूब बायलर का उल्टा होता है। जैसे इसके नाम से ही ज्ञात होता है की उष्मीय उर्जा को ट्यूब द्वारा प्रवाहित किया जाता है और इस ट्यूब के चारो तरफ पानी रहता है। पाइप के माध्यम से आग प्रवाहित होने की वजह से पानी गर्म होने लगता है और भाप में परिवर्तित होने लगता है। फायर ट्यूब बायलर को निचे के चित्र में दिखाया गया है
जैसे की उपर के चित्र में दिखाया गया है बगल के Furnace में आग जल रहा है और उष्मीय उर्जा पाइप द्वारा पानी से होते हुए बाहर निकल रहा है जिससे पानी गर्म होकर भाप में परिवर्तित हो रहा है। फायर ट्यूब बायलर भी तीन प्रकार के होते है जो निम्न है :
- हॉरिजॉन्टल रिटर्न टैबुलर बायलर
- शार्ट फायर बॉक्स बायलर
- कॉम्पैक्ट बायलर
फायर ट्यूब बायलर के लाभ एवं हानि
फायर ट्यूब बायलर के लाभ एवं हानि निम्न है :-
लाभ
- इसका निर्माण आसान होता है।
- इसको निर्मित करने का लागत कम होता है।
- भाप निर्माण को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
हानि
- इससे पूर्ण रूप से सुखा हुआ भाप उत्पन्न नहीं हो पाता है।
- इससे उच्च दाब पर भाप उत्पन्न नहीं किया जा सकता है।
- इसमें भाप उत्पन्न करने में समय लगता है।
इन सभी के अतिरिक्त बायलर को उसके द्वारा उत्पन्न दाब के आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है जो निम्न है :
- हाई प्रेशर बायलर
- लो प्रेशर बायलर
हाई प्रेशर बायलर क्या होता है?
जिस बायलर का दाब 80 bar से ज्यादा होता वैसे बायलर को हाई प्रेशर बायलर कहते है।
लो प्रेशर बायलर किसे कहते है?
जिस बॉयलर का प्रेशर 80bar से कम होता है उसे हम लो प्रेशर बायलर कहते है। कभी कभी कई बार हम 40bar से कम प्रेशर वाले बायलर को लो प्रेशर बॉयलर तथा 40 bar से 80 bar प्रेशर तक के बॉयलर को मीडियम प्रेशर बायलर कहते है।
Post a Comment
Post a Comment