पिन इंसुलेटर क्या होता है ?
यह एक प्रकार का इंसुलेटर होता है जिसका उपयोग 11 हज़ार वोल्टेज से 33 हज़ार वोल्टेज वाले ट्रांसमिशन लाइन में में किया जाता है। इसे सपोर्टिंग पोल या टावर के क्रॉस आर्म पर लगाया जाता है। इंसुलेटर के उपरी भाग में केबल या वायर को सपोर्ट करने के लिए खांचे बने हुए होते है। इन्ही खांचो में विधुत धारा को वहन करने वाले चालक को रखकर ,उसी धातु के बने हुए दुसरे पतले वायर से क्रॉस एंगल बनाते हुए बांध दिया जाता है जिससे आंधी या तूफान आने पर चालक इंसुलेटर से अलग न हो जाए। एक पिन इंसुलेटर को निचे के डायग्राम में दिखाया गया है।
पिन इंसुलेटर को कैसे बनाया जाता है ?
पिन इंसुलेटर को बनाने के लिए कुचालक पदार्थ जैसे पोर्सलिन ,चीनी मिटटी ,सिलिकॉन रबर तथा पोलीमर आदि का उपयोग किया जाता है। इंसुलेटर को पोल के क्रॉस आर्म में कसने के लिए इसके बीच वाले भाग में स्टील से बने हुए बोल्ट को लगा दिया जाता है। जैसे की ऊपर के चित्र में दिखाया गया है। चूँकि इंसुलेटर के उपरी भाग पर चालक लगा हुआ होता है जिसमे उच्च वोल्टेज पर विधुत धारा प्रवाहित होती है और इंसुलेटर में लगा हुआ बोल्ट पोल से जुडा हुआ होता जिसकी वोल्टेज शून्य होती है। बोल्ट तथा चालक के वोल्टेज के बीच बहुत बड़ा विभवान्तर होता है इसलिए इस वोल्टेज दवाब को देखते हुए ऐसे पदार्थ का चयन किया जाता है जो इस दबाव को आसानी से सह सके। इसके अतिरिक्त जब इंसुलेटर के सतह पर वर्षा का पानी पड़ता है तब इसके सतह की चालकता बढ़ जाती है जिससे फ़्लैश ओवर होने की संभावना बढ़ जाती है। इस समस्या को दूर करने के लिए इंसुलेटर को छतरी के आकार में डिजाईन किया जाता है।
पिन इंसुलेटर उपयोग के लाभ क्या है ?
पिन इंसुलेटर उपयोग के निम्न लाभ है :-
- इसका मैकेनिकल स्ट्रेंग्थ बहुत ज्यादा होता है।
- इसको हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन में किया जा सकता है।
- इसका निर्माण करना आसान होता है।
- इसका मेंटेनेंस खर्च बहुत कम होता है।
- इसका उपयोग क्षैतिज तथा उर्ध्वाधर दोनों प्रकार से किया जा सकता है।
- यह सस्ता होता है।
पिन इंसुलेटर उपयोग के हानि क्या है ?
पिन इंसुलेटर के निम्न हानि है :-
- यह केवल ट्रांसमिशन लाइन में ही उपयोग किया जा सकता है।
- यह अधिकतम 33 हज़ार वोल्टेज तक ही उपयोग किया जा सकता है।
- इसका उपयोग स्पिंडल के साथ करना चाहिए।
Hi
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