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Corona Effect In Hindi : परिभाषा ,प्रभाव तथा कम करने की उपाय - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

कोरोना प्रभाव क्या होता है?

दो या दो से अधिक चालक को उसके ब्यास के तुलना में ज्यादा दुरी पर रख कर उसमे लो वोल्टेज पर प्रत्यावर्ती विधुत धारा प्रवाहित किया जाता है तब दोनों चालक के चारो तरफ कुछ दुरी तक वातावरण में मौजूद हवा में कुछ ज्यादा परिवर्तन नहीं होता है। लेकिन यदि आरोपित प्रत्यावर्ती विधुत वोल्टेज को लगातार बढ़ाते रहे तब एक निश्चित वोल्टेज के बाद चालक के चारो तरह हवा में एक बैगनी रंग प्रकाश उत्पन्न होने लगता है। प्रकाश उत्पति के साथ साथ शी-शी-शी-शी की आवाज़ भी आती है। इस प्रकार चालक के चारो तरफ  प्रकाश उत्पन्न तथा आवाज़ उत्पन्न होने की घटना कोरोना प्रभाव कहलाता है। जिस वोल्टेज पर यह घटना घटती है उस वोल्टेज को Critical Disruptive Voltage कहते है। 
Corona Effect

यदि आरोपित वोल्टेज के परिमाण को लगातार बढ़ाते रहे तब उत्पन्न प्रकाश की तीव्रता ,आवाज़ उत्पन्न होने की तीव्रता , तथा उर्जा हानि भी आरोपित वोल्टेज के अनुपात में बढ़ता रहता है। यदि आरोपित वोल्टेज के परिमाण को हवा के ब्रेकडाउन वोल्टेज तक बढ़ाते है तब दोनों चालक के बीच मौजूद हवा का इंसुलेशन टूट जाता है जिससे Flash-Over हो जाता है और एक आग की लव उत्पन्न हो जाती है। यदि चालक के बाहरी सतह को पॉलिश कर दिया जाए तब चालक के चारो तरफ उत्पन्न होने वाला प्रकाश सामान रूप से उसके लम्बाई के अनुदिश उत्पन्न होता है। 

कोरोना प्रभाव क्यों उत्पन्न होता है?

सामान्य वायुमंडलीय दाब एवं ताप पर हवा में कुछ आयांक्रित (Ionized) तथा उदासीन हवा के कण मौजूद रहते है। कॉस्मिक किरण ,रेडियोसक्रियता या अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन के कारण ,हवा के ये कण आयांक्रित हो जाते है। आयांक्रित कण (ionized particle) के साथ साथ कुछ उदासीन कण (neutral particle) भी होते है। जब चालक के सिरों के बीच वोल्टेज आरोपित किया जाता है तब चालक के चारो तरफ हवा में एक विधुत क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। इस विधुत क्षेत्र का परिमाण चालक के सतह के नजदीक सबसे ज्यादा होता है। इस विधुत क्षेत्र की वजह से , चालक के नजदीक हवा में मौजूद मुक्त इलेक्ट्रान अपने ऊपर एक बल का अनुभव करते है जिससे वे गति करने लगते है। जैसे जैसे आरोपित वोल्टेज का परिमाण बढाया जाता है वैसे वैसे विधुत क्षेत्र का परिमाण भी बढ़ता जाता है। जिससे मुक्त इलेक्ट्रान की गति भी बढ़ती जाती है।

जब आरोपित वोल्टेज का परिमाण लगभग 30 हज़ार  वोल्टेज के बराबर हो जाता है तब मुक्त इलेक्ट्रान की गतिज उर्जा इतनी ज्यादा हो जाती है की यह किसी उदासीन परमाणु या अणु से टकरा कर उससे दो या तीन इलेक्ट्रान को बाहर निकाल देता है जिससे वह उदासीन परमाणु आयनकृत(Ionized) हो जाता है। यह आयनकृत परमाणु किसी दुसरे अणु या परमाणु से टकरा कर उसे आयनकृत कर देता है। यह प्रक्रिया इतनी तेजी से होती है की बहुत ही कम समय में चालक के चारो तरफ मौजूद पुरे अणु आयन में परिवर्तित हो जाते है जिससे जिससे ,चालक के चारो तरफ एक बैगनी प्रकाश दिखाई देता है। 

कोरोना प्रभाव के लाभ एवं हानि 

कोरोना प्रभाव से होने वाली हानि एवं लाभ निम्न है :-

लाभ 

  • चालक के चारो तरफ कोरोना प्रभाव उत्पन्न होने की वजह से ,चालक का आभासी मोटाई बढ़ जाती है जिससे चालक के चारो तरफ हवा के कण पर पड़ने वाला विधुत दबाव कम हो जाता है। 
  • कोरोना प्रभाव के कारन दो चालक या ट्रांसमिशन लाइन के बीच विधुत दबाव कम हो जाता है जिससे Flash Over होने की संभावन कम हो जाती है। जो पॉवर सिस्टम के क्षमता को बढ़ा देता है। 
  • कोरोना प्रभाव तडित आघात अर्थात आसमानी बिजली (lightning) के प्रभाव को कम कर देता है। 

हानि 

  • कोरोना प्रभाव के कारन उष्मीय उर्जा ,प्रकाश उर्जा ,ध्वनि उर्जा आदि के रूप में विधुत उर्जा का ह्रास होता है। 
  • कोरोना प्रभाव के कारण ओजोन गैस (o-3) उत्पन्न होता है जो ट्रांसमिशन लाइन से रासायनिक अभिक्रिया कर ,जंग उत्पन्न कर देता है जिससे ट्रांसमिशन लाइन का जीवन काल कम हो जाता है। 
  • कोरोना प्रभाव के कारण ,उसके सतह पर Non Sinusoidal विधुत धारा उत्पन्न हो जाती है जो दुसरे विधुत तरंग  के साथ Interfere कर लेती है। 

कोरोना प्रभाव को प्रभावित करने वाले कारक क्या है?

कोरोना प्रभाव को प्रभावित करने वाले कारक निम्न है:-
  • पर्यावरण (Environment)
  • चालक का आकार (Size of Conductor)
  • चालक के बीच स्थान (Spacing Between Conductor)
  • लाइन वोल्टेज (Line Voltage)

पर्यावरण कोरोना प्रभाव को कैसे प्रभावित करता है?

जैसे हमने जाना की कोरोना प्रभाव चालक के चारो तरफ मौजूद हवा कण के आयनकृत (Ionized) हो जाने की वजह से होता है। इससे साबित होता है की पर्यावरण का प्रभाव कोरोना प्रभाव पर पड़ता है। गर्मी के दिनों में जब काफी तेज हवा चलती है तब हवा में घर्सन की वजह से हवा में मौजूद परमाणु आयनकृत हो जाते है जिससे इस समय कोरोना प्रभाव ज्यादा देखने को मिलता है।  

चालक का आकार  कोरोना प्रभाव को कैसे प्रभावित करता है?

चालक के आकार का प्रभाव ,कोरोना प्रभाव पर पड़ता है। यदि चालक के बाहरी सतह असमान (irregular) है तब यहाँ कोरोना प्रभाव ज्यादा देखने को मिलता है क्योकि यह ब्रेकडाउन वोल्टेज को कम क्र देता है। 

चालक के बीच का स्थान कोरोना प्रभाव को कैसे प्रभावित करता है?

दो चालक के बीच उत्पन्न विधुत क्षेत्र ,चालको के बीच के दुरी का व्युत्क्रमानुपती (Inverse) होता है। यदि चालक के बीच की दुरी को बढ़ा दिया जाए तब उत्पन्न विधुत क्षेत्र भी कम  हो जाता है जिससे कोरोना प्रभाव कम हो जाता है। 

लाइन वोल्टेज  कोरोना प्रभाव को कैसे प्रभावित करता है?

ऊपर लिखित सभी कारणों में सबसे ज्यादा कोरोना प्रभाव को लाइन वोल्टेज प्रभावित करता है। यदि चालक के चारो तरफ के दशा (तापमान ,दाब आदि) को बदला नहीं जाए ,और चालक पर एक लो वोल्टेज आरोपित किया जाए तब कोरोना प्रभाव देखने को नहीं मिलता है।  लेकिन जैसे जैसे आरोपित वोल्टेज का परिमाण बढाया जाता है ,वैसे वैसे उत्पन्न विधुत क्षेत्र का परिमाण भी बढ़ता जाता है जिससे ,चालक के चारो तरफ मौजूद हवा पर विधुत दबाव भी बढ़ता जाता है और कोरोना प्रभाव देखने को मिलने लगता है। 

कोरोना प्रभाव को कैसे कम किया जाता है?

ज्यादातर देखा गया है वैसे ट्रांसमिशन लाइन जो 33 हज़ार या इससे अधिक वोल्टेज पर कार्य करते है ,उनके साथ कोरोना प्रभाव जैसी घटनाए कुछ  ज्यादा ही होती है। इसलिए यह जरुरी हो जाता है की 33 हज़ार या इससे अधिक वोल्टेज पर कार्य करने वाले सबस्टेशन ,ट्रांसमिशन लाइन को इस प्रकार से डिजाईन किया जाए जिससे कोरोना प्रभाव जैसे घटना बहुत ही कम घटित हो। हमने ऊपर देखा की कुछ ऐसे करक होते है जो कोरोना प्रभाव को प्रभावित करते है ,यदि उनमे से कुछ प्रभाव को अमल में रखकर ट्रांसमिशन लाइन को डिजाईन किया जाए तब कोरोना प्रभाव को कम किया जा सकता है ,जैसे :-

ट्रांसमिशन लाइन में प्रयुक्त चालक के मोटाई बढाकर 

यदि ट्रांसमिशन लाइन में प्रयुक्त किये गए चालक के मोटाई को बढ़ा दिया जाए तो उसका ब्यास बढ़ जायेगा ,जिससे चालक के चारो तरफ उत्पन्न विधुत क्षेत्र का परिमाण घट जायेगा और कोरोना प्रभाव कम दिखने को मिलेगा।  लेकिन चालक के मोटाई बढ़ने की वजह से इसका वजन भी बढ़ जायेगा और लगत भी बढ़ जायेगा। 

दो चालक के बीच की दुरी बढाकर 

यदि दो चालको के बीच की दुरी को बढ़ा दिया जाए तब भी कोरोना प्रभाव को कम किया जा सकता है। लेकिन इसके साथ समस्या यह है की यदि चालक के बीच दुरी बढ़ने से सपोर्टिंग पोल का खर्च बढ़ जायेगा। 

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