HVDC transmission क्या होता है ?
जब बहुत ही ज्यादा मात्रा में विधुत उर्जा को एक स्थान से दुसरे स्थान तक डीसी वोल्टेज पर भेजा जाता है तब ऐसे पॉवर सिस्टम को HVDC Transmission सिस्टम कहा जाता है। उच्च DC वोल्टेज पर विधुत उर्जा को लम्बे दुरी तक भेजना कम खर्चीला (Less Expensive) होता है। AC ट्रांसमिशन लाइन के तुलना में DC ट्रांसमिशन लाइन सस्ता होता है। DC ट्रांसमिशन लाइन AC ट्रांसमिशन लाइन के तुलना में ज्यादा Efficient होता है। HVDC सिस्टम में अलग अलग फ्रीक्वेंसी वाले पॉवर प्लांट को आसानी से आपस में जोड़ा जा सकता है।
AC ट्रांसमिशन सिस्टम में विधुत उर्जा वोल्टेज तरंग(Voltage Wave) या करंट तरंग (Current Wave) के रूप में प्रवाहित होता है जिसकी दिशा प्रत्येक क्षण बदलता रहता है जिससे ऊष्मा के रूप में ज्यादा मात्रा विधुत उर्जा का ह्रास (loss) होता है। जबकि HVDC सिस्टम में विधुत उर्जा डीसी वोल्टेज के रूप में प्रवाहित होता है जिससे विधुत उर्जा का ह्रास बहुत कम होता है जिसके वजह से HVDC की Efficiency बढ़ जाती है।
HVDC सिस्टम 600 किलोमीटर या इससे अधिक दूरी तक विधुत उर्जा को भेजने के लिए किफायती होता है। एक संयुक्त AC तथा DC सिस्टम में उत्पन्न AC वोल्टेज को भेजने से पहले DC में परिवर्तित किया जाता है उसके बाद उसे ट्रांसमिशन लाइन द्वारा उपयोग करने वाके स्थान पर भेजा जाता है। उपयोग करने वाले स्थान पर पुनः DC को AC में परिवर्तित किया जाता है। अर्थात HVDC सिस्टम में दोनों छोर पर AC से DC तथा DC से AC में परिवर्तन करने वाले इलेक्ट्रिकल डिवाइस की जरुरत पड़ती है।
HVDC सिस्टम कैसे कार्य करता है ?
चूँकि पॉवर प्लांट में विधुत उर्जा का उत्पादन AC पॉवर के रूप में होता है। AC पॉवर के रूप में उत्पादित इस विधुत उर्जा को रेक्टिफायर के मदद से DC में बदला जाता है। विधुत उर्जा को DC में बदलने के बाद इसे ट्रांसमिशन लाइन द्वारा सुदूर उपयोग करने वाले स्थान जिसे User End कहते है ,पर भेजा जाता है। User End पर प्राप्त विधुत उर्जा को पुनः दुबारा इन्वर्टर के मदद से DC को AC में बदला जाता है। AC में परिवर्तित विधुत उर्जा को उपयोग करने के लिए ग्राहक को दिया जाता है। अर्थात HVDC सिस्टम में ट्रांसमिशन लाइन के दोनों छोर पर कन्वर्शन तथा इन्वर्जन करना पड़ता है। DC के रूप में विधुत उर्जा को लम्बे दुरी तक भेजना फायदेमंद होता है क्योकि DC ट्रांसमिशन लाइन में विधुत उर्जा का ह्रास बहुत कम होता है जिससे ट्रांसमिशन लाइन की दक्षता(Efficiency) बढ़ जाती है।
HVDC उपयोग के लाभ
- HVDC सिस्टम डिजाईन में कम मात्रा कंडक्टर्स तथा इंसुलेटर की जरुरत पड़ती है इसलिए HVDC सस्ता पड़ता है।
- HVDC सिस्टम में टावर डिजाईन सस्ता होता है।
- HVAC की तुलना में HVDC सिस्टम में कोरोना लोस कम होता है।
- चूँकि HVDC सिस्टम उपयोग होने वाले चालको की संख्या कम होती है इसलिए विधुत उर्जा का ह्रास (loss)कम होता है।
- HVDC सिस्टम में रिटर्निंग करंट के लिए अर्थिंग का उपयोग किया जाता है इसलिए ट्रांसमिशन लाइन में फाल्ट होने पर यह सुरक्षित रहता है।
- HVDC में फ्रीक्वेंसी नहीं होती है इसलिए इसमें स्किन इफ़ेक्ट , प्रोक्सिमिटी इफ़ेक्ट आदि नहीं होता है।
HVDC उपयोग के हानि
- HVDC सिस्टम के दोनों छोर पर कनवर्टर तथा इन्वर्टर का उपयोग होता है इसलिए इसका प्रारंभिक लागत ज्यादा होता है।
- इन्वर्टर के उपयोग होने की वजह से आउटपुट वोल्टेज तरंग में हर्मोनिक्स होते है जिन्हें हटाने के लिए फ़िल्टर का उपयोग करना पड़ता है जिससे HVDC का लागत बढ़ जाता है।
- DC को AC में बदलने वाले इन्वर्टर की क्षमता सिमित होती है।
- एचवीडीसी सिस्टम में ज्यादा मात्रा में सर्किट ब्रेकर का उपयोग किया जाता है जिससे लागत बढ़ जाता है।
- एचवीडीसी लिंक काफी Complicated होते है।
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