इलेक्ट्रिकल पावर सिस्टम क्या है ?
विधुत ऊर्जा का उत्पादन सुदूर किसी इलाके में किया जाता है। उत्पन्न हुए विधुत ऊर्जा को ट्रांसमिशन लाइन के मदद से उपयोग करने वाले स्थान पर पहुंचाया जाता है। विधुत उत्पादन क्षेत्र से उपयोग करने तक पहुंचाने ,विधुत ऊर्जा को पहुंचने में एक जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इस प्रक्रिय में विधुत जनित्र ,ट्रांसमिशन लाइन ,ट्रांसफार्मर तथा अन्य दूसरे कॉम्पोनेन्ट भाग लेते है। इस प्रकार सभी प्रकार के कॉम्पोनेन्ट से आपस में जुड़कर जो सिस्टम बनता है उसे पावर सिस्टम कहते है। पावर सिस्टम में जुड़े हुए इन सभी कॉम्पोनेन्ट को एक सिंगल लाइन द्वारा दिखाया जाता है जिसे सिंगल लाइन डायग्राम कहते है। जिसे निचे दिखाया गया है।
पावर सिस्टम कॉम्पोनेन्ट
किसी भी पावर सिस्टम में निम्न कम्पोनेंट पाए जाते है :
- विधुत उत्पादन स्टेशन (Generating Station)
- ट्रांसमिशन सिस्टम (transmission System)
- विधुत वितरण सिस्टम (Distribution System)
- लोड स्टेशन (load Station)
विधुत उत्पादन सिस्टम
जैसे की ऊपर सिंगल लाइन डायग्राम में दिखाया गया है की पावर सिस्टम का पहला और मुख्य कॉम्पोनेन्ट GS अर्थात जनरेटिंग स्टेशन होता है। इसमें थ्री फेज जनरेटर एक साथ समान्तर क्रम में जुड़कर विधुत ऊर्जा का उत्पादन करते है। इसमें उत्पादित वोल्टेज 11 हज़ार वोल्ट होती है जिसे सुदूर भेजने के लिए ट्रांसफार्मर के मदद से 33 हज़ार या इससे अधिक वोल्टता तक बढ़ाया जाता है।
ट्रांसमिशन सिस्टम
जनित्र से उत्पान विधुत ऊर्जा को उपयोग करने वाले स्थान तक पहुंचाने वाले वायरिंग सिस्टम को ट्रांसमिशन सिस्टम कहते है। इसे दो वर्गो में वर्गीकृत किया गया है :
- प्राइमरी ट्रांसमिशन सिस्टम
- सेकंडरी ट्रांसमिशन सिस्टम
प्राइमरी ट्रांसमिशन सिस्टम
यह ट्रांसमिशन सिस्टम का वह हिस्सा है जो 132 हज़ार वोल्टेज पर विधुत ऊर्जा को उपयोग करने वाले से पहले स्थिति पावर स्टेशन तक थ्री फेज वोल्टेज में थ्री फेज वायर द्वारा पहुंचाता है।
सेकेंडरी ट्रांसमिशन सिस्टम
यह ट्रांसमिशन सिस्टम का वह हिस्सा है जो प्राइमरी ट्रांसमिशन सिस्टम से प्राप्त विधुत ऊर्जा की वोल्टता को स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर के मदद से 33 हज़ार तक कम करता है। इस 33 हज़ार वोल्टेज पर प्राप्त विधुत ऊर्जा आगे उपयोग के लिये थ्री फेज ,थ्री वायर के मदद से विभिन्न स्थान पर भेजा जाता है। सेकेंडरी ट्रांसमिशन सिस्टम द्वारा सम्प्रेषित विधुत ऊर्जा को प्राप्त करने वाले पावर स्टेशन को सब-स्टेशन कहते है।
डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम
यह पावर सिस्टम का वह हिस्सा है जो ट्रांसमिशन सिस्टम से प्राप्त विधुत ऊर्जा को उपयोग करने के लिए विभिन्न स्थानों पर आवश्यकतानुसार वोल्टेज पर वितरित करता है। डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम को दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है :
- प्राइमरी डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम
- सेकेंडरी डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम
प्राइमरी डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम
यह पावर सिस्टम सर्किट का वह हिस्सा है जो सब-स्टेशन को डिस्ट्रीब्यूशन स्टेशन से जोड़ता है। यहाँ पर सेकेंडरी ट्रांसमिशन से प्राप्त 33 हज़ार वोल्टेज को 11 हज़ार वोल्टेज तक स्टेप डाउन किया जाता है। इस 11 हज़ार वोल्टेज पर विधुत ऊर्जा को थ्री फेज वायर के मदद से पोल द्वारा इंडस्ट्री तक पहुंचाया जाता है।
सेकेंडरी डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम
सेकेंडरी डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में विधुत ऊर्जा को बहुत ही कम वोल्टेज तक स्टेप डाउन कर उपयोग करने लायक बनाया जाता है। इसमें वोल्टेज को 440 वोल्ट थ्री फेज वायर द्वारा उपयोग करने के लिए उपभोगता को भेजा जाता है। घरेलु उपयोग के लिए सिंगल फेज 240 वोल्टा तथा न्यूट्रल वायर द्वारा भेजा जाता है।
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