Power system stability क्या है ?
पावर प्लांट में एक से अधिक सिंक्रोनस विधुत जनरेटर संचालित होते है और उन सभी के द्वारा उत्पन्न विधुत ऊर्जा को एक बस बार (Busbar) पर एकत्रित कर जरुरत के हिसाब से आगे की तरफ भेजा जाता है। जिस ग्रिड से विधुत ऊर्जा को भेजा जाता है उसे Sending End तथा जिस स्थान पर भेजा जाता है उसे Receving End कहते है। सेंडिंग एन्ड तथा रिसीविंग एन्ड आपस में विधुत चालक द्वारा जुड़े हुए होते जिन्हे विधुत ट्रांसमिशन लाइन कहते है। विधुत ऊर्जा का प्रवाह सेंडिंग एन्ड से रिसीविंग एन्ड की तरफ होता रहता है। सेंडिंग एन्ड ,रिसीविंग एन्ड तथा विधुत ट्रांसमिशन लाइन को आपस में पावर सिस्टम कहते है।
किसी कारणवश जब रिसीविंग एन्ड पर वोल्टेज ड्राप या कोई अतिरिक्त लोड जुड़ जाता है तब सेंडिंग एन्ड के तरफ से विधुत ऊर्जा का परवाह अचानक बढ़ जाता है जिससे सिंक्रोनस जनरेटर पर लोड बढ़ जाता है और यह तेजी से चलने लगता है। या इसके विपरीत ग्रिड से जुड़े हुए किसी जनरेटर में में कोई खराबी आ जाती है और वह काम करना बंद कर देता है तब अन्य दूसरे जनरेटर को अपने नॉर्मल क्षमता से ज्यादा काम करना पड़ता है। पावर सिस्टम में अचानक उत्पन्न हुए ऐसी अवस्था पावर सिस्टरम इंस्ताबिलिटी कहलाती है।
यदि यह अवस्था लम्बे समय तक बनी रहती है तब पावर सिस्टम काम करना बंद कर सकता है या कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है। पावर सिस्टम को Unstable होने के लिए अन्य दूसरे कारण भी होते है जिनके बारे में आगे देखेंगे। पावर सिस्टम को ऐसी अवस्था से बचाने के लिए इसे इस प्रकार से डिज़ाइन किया जाता है की जब यह unstable हो तब कुछ समय बाद अपने आप को स्टेबल कर ले। पावर पावर सिस्टम की ऐसी अवस्था Power system stability कहलाती है। Power system stability को निम्न तरीके से परिभाषित किया जाता है :
पावर सिस्टम की ऐसी योग्यता जिसमे वह किसी बाहरी कारण की वजह से अपनी स्टेबिलिटी खोने के बाद स्वतः दुबारा उसे प्राप्त कर नार्मल रूप से विधुत ऊर्जा का प्रवाह करता रहे उसे Power system stability कहते है।
पावर सिस्टम Unstable होने के कारण क्या होते है?
पावर सिस्टम की स्टेब्लिटी को बनाये रखना पावर इंजीनियरिंग में कार्य करने वाले इंजीनियर के लिए बहुत बड़ा चुनौती है। पावर सिस्टम में Unstability बहुत सारी कारणों से आती है जिनमे से कुछ निम्न है :
- लाइव बस से अचानक किसी लोड को जोड़ देना
- लाइव बस से अचानक किसी लोड को निकाल देना
- अचानक सिंक्रोनस जनरेटर में खराबी आ जाना
- दो या दो से अधिक फेज लाइन का आपस में जुड़ जाना
- किसी फेज का धरती से जुड़ जाना
Power system stability कितने प्रकार की होती है ?
पावर सिस्टम स्टेबिलिटी दो प्रकार की होती है जो निम्न है :
- स्टेडी स्टेट स्टेबिलिटी
- ट्रांजिएंट स्टेबिलिटी
स्टेडी स्टेट स्टेबिलिटी क्या होती है ?
पावर सिस्टम के ऊर्जा प्रवाह में थोड़े से परिवर्तन करने के कारण जो Unstability आती है जिसे पावर सिस्टम स्वतः खुद को स्टेबल कर लेता है तब इस प्रकार के स्टेबिलिटी को स्टेडी स्टेट स्टेबिलिटी कहते है। जैसे किसी लाइव बस से 100 वाट बल्ब को जलाने के लिए कनेक्शन ले लेना। इसे पुनः दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है जो निम्न है :
- डायनामिक स्टेबिलिटी
- स्टैटिक स्टेबिलिटी
डायनामिक स्टेबिलिटी
किसी बाहरी छोटी कारण की वजह से पावर सिस्टम में होने वाली Unstability जो 5 से 10 सेकंड के अंदर स्वतः समाप्त हो जाती है डायनामिक स्टेबिलिटी कहलाती है। यह मुख्य रूप से लोड में ऊर्जा परवाह या जनरेटर के तरफ से ऊर्जा प्रवाह में परिवर्तन की वजह से होता है।
स्टैटिक स्टेबिलिटी
पावर सिस्टम की ऐसी अवस्था जिसमे वह बिना किसी बाहरी नियंत्रक डिवाइस के ही स्वतः स्टेबिलिटी को प्राप्त कर लेता है तब इस प्रकार के स्टेबिलिटी को स्टैटिक स्टेबिलिटी कहते है।
ट्रांजिएंट स्टेबिलिटी क्या होती है ?
पावर सिस्टम की ऐसी क्षमता जिसमे वह किसी बहुत बड़े बाहरी कारण के वजह से Unstable होने बाद स्वतः खुद को स्टेबल कर सामान्य रूप से विधुत ऊर्जा प्रवाह को बनाये रखता है तब इस प्रकार के स्टेबिलिटी को ट्रांजिएंट स्टेबिलिटी कहते है। किसी पावर सिस्टम में ट्रांसिएंट स्टेबिलिटी लोड को लाइव बस से अचानक हटाने या जोड़ने की वजह से होती है।
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