ट्रांसफार्मर के प्रकार
इलेक्ट्रिकल पॉवर सिस्टम में भिन्न भिन्न कार्य के लिए भिन्न प्रकार के ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है। जैसे विधुत धारा उत्पादन(Generation) ,संचरण(Transmission) ,वितरण (Distribution) तथा इसके उपयोग के लिए ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है। यह इलेक्ट्रिकल पॉवर सिस्टम का एक मुख्य हिस्सा है। इलेक्ट्रिकल पॉवर सिस्टम में उपयोग किये जाने वाले सभी प्रकार के ट्रांसफार्मर निम्न है :-
- थ्री फेज ट्रांसफार्मर
- सिंगल फेज ट्रांसफार्मर
- पोटेंशियल ट्रांसफार्मर
- स्टेप अप ट्रांसफार्मर
- स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर
- डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर
- करंट ट्रांसफार्मर
सिंगल फेज ट्रांसफार्मर क्या होता है?
सिंगल फेज ट्रांसफार्मर एक स्थैतिक इलेक्ट्रिकल मशीन होता है जो फैराडे के म्यूच्यूअल इंडक्शन सिधांत पर कार्य करता है। यह स्थिर आवृति (Constant Frequency) पर (AC) विधुत उर्जा को एक सर्किट से दुसरे सर्किट में वोल्टेज को अप या डाउन कर ट्रान्सफर करता है। ट्रांसफार्मर में उपयोग किये गए विधुत सर्किट को वाइंडिंग कहते है। ट्रांसफार्मर के प्राइमरी साइड लगाये गए वाइंडिंग को प्राइमरी वाइंडिंग तथा सेकेंडरी साइड वाले वाइंडिंग को सेकेंडरी वाइंडिंग कहते है। ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग में AC Supply तथा सेकेंडरी वाइंडिंग में विधुत लोड को जोड़ा जाता है।
थ्री फेज ट्रांसफार्मर क्या होता है?
यदि तीन सिंगल फेज ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग को आपस में स्टार या डेल्टा तथा सेकेंडरी वाइंडिंग को भी आपस में स्टार या डेल्टा में जोड़ दिया जाए तो इस प्रकार तीनो ट्रांसफार्मर को आपस में जोड़ने से एक ट्रांसफार्मर प्राप्त होगा जिसमे तीन प्राइमरी टर्मिनल या वाइंडिंग तथा तीन सेकेंडरी टर्मिनल होंगे। इस प्रकार प्राप्त ट्रांसफार्मर को थ्री फेज ट्रांसफार्मर कहते है। अर्थात थ्री फेज ट्रांसफार्मर तीन सिंगल फेज ट्रांसफार्मर का बैंक होता है। थ्री फेज ट्रांसफार्मर का उपयोग वैसे जगह पर होता है जहा पर विधुत उर्जा का उत्पादन बड़े स्तर पर होता है।
थ्री फेज ट्रांसफार्मर का उपयोग विधुत उर्जा उत्पादन, संचरण तथा वितरण में किया जाता है। वैसे थ्री फेज ट्रांसफार्मर को बनाने के लिए तीन सिंगल फेज ट्रांसफार्मर के जगह पर तीन वाइंडिंग को एक फ्रेम के अन्दर रखकर बनाया जाता है। तीन वाइंडिंग को एक ही फ्रेम के अन्दर रखकर थ्री फेज ट्रांसफार्मर बनाना आसान तथा सस्ता होता है। थ्री फेज ट्रांसफार्मर के वाइंडिंग को आपस में स्टार - स्टार या स्टार डेल्टा या डेल्टा - डेल्टा या डेल्टा स्टार में जोड़ा जाता है।
पोटेंशियल ट्रांसफार्मर क्या होता है?
इस ट्रांसफार्मर का उपयोग हाई वोल्टेज को मापने के लिए किया जाता है इसलिए इसे इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफार्मर भी कहते है। पोटेंशियल ट्रांसफार्मर को कभी कभी वोल्टेज ट्रांसफार्मर भी कहा जाता है। जिस ट्रांसमिशन लाइन का हाई वोल्टेज मापना होता है उस ट्रांसमिशन लाइन को ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग से जोड़ा जाता है तथा दुसरे अन्य वोल्टेज मापने वाले यन्त्र (Voltmeter) को ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी वाइंडिंग से जोड़ा जाता है। पोटेंशियल ट्रांसफार्मर का मुख्य कार्य प्राइमरी वाइंडिंग से जुड़े हाई वोल्टेज को एक सुरक्षित लो वोल्टेज तक स्टेप डाउन करना होता है यह हाई वोल्टेज एक सुरक्षित वोल्टेज तक स्टेप डाउन हो जाती है तब इसे एक कम रेंज के voltmeter द्वारा माप लिया जाता है और उसे ट्रांसफार्मर के वाइंडिंग के फेरो की संख्या से गुणा कर दिया जाता है। इसके बाद जो राशि प्राप्त होती है वह हाई वोल्टेज का परिमाण होता है।
स्टेप अप ट्रांसफार्मर क्या होता है?
जैसे नाम से ही ज्ञात होता है यह प्राइमरी वाइंडिंग में दिए लो एoसी वोल्टेज को स्टेप अप करता है। स्टेप अप से हमारा मतलब है लो परिमाण वाले एoसी वोल्टेज को हाई परिमाण वाले ए०सी वोल्टेज में बदलता है। स्टेप अप ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग में मोटे अनुप्रस्थ क्षेत्रफल वाले तार का प्रयोग किया जाता है तथा इसके विपरीत सेकेंडरी वाइंडिंग में प्राइमरी वाइंडिंग की तुलना में पतले तार का प्रयोग किया जाता है। चूँकि इस ट्रांसफार्मर द्वारा लो वोल्टेज को हाई वोल्टेज में बदला जाता है इसलिए प्राइमरी वाइंडिंग में फेरो(Turns) की संख्या सेकेंडरी वाइंडिंग की तुलना में कम होता है।
स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर क्या होता है?
इस ट्रांसफार्मर के नाम से ही ज्ञात होता है की यह हाई एoसी वोल्टेज को लो एoसी में परिवर्तित करता है। स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर ,स्टेप अप ट्रांसफार्मर के विपरीत कार्य करता है। इस ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग में पतले तार (Wire) का प्रयोग किया जाता है तथा इसके विपरीत सेकेंडरी वाइंडिंग में प्राइमरी वाइंडिंग की तुलना में मोटे तार का प्रयोग किया जाता है। स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग में फेरो की संख्या सेकेंडरी वाइंडिंग की तुलना ज्यादा होती है। दोनों तरफ वाइंडिंग में फेरो की संख्या आरोपित हाई वोल्टेज तथा आउटपुट लो वोल्टेज के परिमाण पर निर्भर करता है।
डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर क्या होता है?
जो ट्रांसफार्मर हमारे गाव,शहर, इंडस्ट्री या मुहाला में हाई वोल्टेज को लो वोल्टेज में बदलने के लिए लगाये जाते है उन्हें डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर कहते है। डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर की क्षमता (Rating) अन्य ट्रांसफार्मर की तुलना में बहुत ही कम होता है जैसे 11 KV,6.6 KV ,3.3 KV आदि डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर का मुख्य कार्य सबस्टेशन से 33KV या 11 KV पर आने वाली विधुत उर्जा को 220 या 440 वोल्ट में स्टेप डाउन करना होता है। जिसे आसानी से छोटे स्तर के ग्राहक विधुत उर्जा का उपयोग कर सके।
करंट ट्रांसफार्मर क्या होता है?
करंट ट्रांसफार्मर का उपयोग हाई वोल्टेज वाले ट्रांसमिशन लाइन में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा को मापने के लिए किया जाता है। इस लिए करंट ट्रांसफार्मर को भी इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफार्मर कहा जाता है। करंट ट्रांसफार्मर का प्रयोग हाई वोल्टेज विधुत उपकरण में सुरक्षा (Protection) प्रदान करने के लिए भी किया जाता है। करंट ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग में बहुत ही कम फेरो की संख्या होती है। कभी कभी प्राइमरी वाइंडिंग में केवल एक सिंगल वायर ही होता है। इसके विपरीत सेकेंडरी वाइंडिंग में फेरो की संख्या ज्यादा होती है। हाई वोल्टेज पर प्रवाहित विधुत धारा को मापने के लिए करंट ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग को ट्रांसमिशन लाइन के साथ श्रेणी क्रम (Series Connection) में जोड़ा जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य दुसरे उपकरण जैसे` voltmeter,Wattmeter तथा Ammeter आदि को ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी वाइंडिंग में जोड़ा जाता है। ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी वाइंडिंग से जुड़े Ammeter द्वारा सेकेंडरी वाइंडिंग में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा को मापकर जब उसे सेकेंडरी वाइंडिंग के कुल फेरो की संख्या से गुणा किया जाता है तब इस प्रकार प्राप्त संख्यात्मक मान ट्रांसमिशन लाइन में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा होती है।
माना की
ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग में प्रवाहित विधुत धारा = I1 (मापने वाली विधुत धरा)
ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी वाइंडिंग में प्रवाहित विधुत धारा = I2 (Ammeter द्वारा मापा हुआ)
ट्रांसफार्मर के प्राइमरी वाइंडिंग में कुल फेरो की संख्या = N1
ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी वाइंडिंग में कुल फेरो की संख्या = N2
ट्रांसफार्मर के समीकरण से हम जानते है की
चूँकि प्राइमरी वाइंडिंग में कुल फेरो की संख्या = N1= 1
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