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विधुत धारा : परिभाषा ,मात्रक तथा धारा बहाव की दिशा - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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विधुत धारा क्या होती है?

आवेश प्रवाह की दर को विधुत धारा कहते है। किसी चालक से विधुत धारा के प्रवाह का मतलब हुआ की उस चालक से आवेश प्रवाहित हो रहे है। जब चालक को किसी विधुत उर्जा श्रोत (जैसे बैटरी ,सोलर सेल ,जनरेटर आदि) से जोड़ा जाता है तब विधुत उर्जा श्रोत से ऋण आवेशित इलेक्ट्रान निकलकर चालक से होकर चलने लगते है। इस प्रकार ऋण आवेशित इलेक्ट्रान के प्रवाह की दर विधुत धारा कहलाती है। धातुयिक पदार्थ (Conducting Material) में बहुत ही ज्यादा मात्र में मुक्त इलेक्ट्रान (Free Electrons) रहते है इसलिए जब धतुयिक पदार्थ को किसी विधुत उर्जा श्रोत से जोड़ा जाता है तब उससे विधुत धारा का प्रवाह होने लगता  है। धन आवेशित या  ऋण आवेशित दोनों प्रकार के पदार्थ के  प्रवाह के दर को  विधुत धारा कहते है। विधुत धारा को किताब में निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है :-
किसी चालक के पृष्ठ क्षेत्रफल से प्रति सेकंड प्रवाहित होने वाले आवेश के दर को विधुत धारा कहा जाता है। 
यदि किसी चालक  से  t समय में प्रवाहित होने वाले कुल आवेश की संख्या Q है तब चालक से प्रवाहित विधुत धारा (I) को निम्न तरीके से व्यक्त किया जा सकता है :-
Electric Current in Hindi
विधुत धारा के होती है?

विधुत धारा की इकाई क्या होती है?

 विधुत धारा एक भौतिक राशी है इसलिए इसका मापन जरुरी है।चूँकि परिभाषा से ज्ञात  होता है कि विधुत धारा एक व्युत्पन राशी (Derived Quantity) है इसलिए इस मात्रक भी उत्पन्न किया जा सकता है। 
आवेश का मात्रक कूलम्ब (C) होता है तथा समय का मात्रक सेकंड (S) इसलिए विधुत धारा का मात्रक 
Electric  Current in hindi
विधुत धारा कामात्रक
इस प्रकार प्राप्त विधुत धारा के मात्रक (C/s) को एम्पियर कहा जाता है। यह विधुत धारा का SI मात्रक होता है होता है। इसे अंग्रेजी के बड़े अक्षर A से सूचित किया जाता है। विधुत धारा को हमेशा अंग्रेजी के बड़े अक्षर I द्वारा लिखा जाता है। 
यदि किसी चालक से एक सेकंड में एक कूलाम का आवेश प्रवाहित होता है तब उस चालक से प्रति सेकंड प्रवाहित होने वाली विधुत धारा को निम्न तरीके से ज्ञात किया जा सकता है :-
विधुत धारा I = (1C) / (1s)
   विधुत धारा I = 1 C/s = 1 A 

चालक से विधुत धारा का प्रवाह कैसे होता तथा इसकी दिशा क्या होती है?

जैसे ही किसी  धातु के तार के दोनों सिरों के बीच विभवान्तर (Voltage Difference) को आरोपित किया जाता है वैसे धातु में मौजूद मुक्त इलेक्ट्रान निम्न विभव(Low Voltage) से उच्च  विभव (High Voltage) के तरफ भागने लगते है। चूँकि इलेक्ट्रान आवेशित होते है इसलिए उनके इस प्रकार भागने की वजह से धातु से विधुत धारा का प्रवाह होने लगता है। जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है। 
flow of electron in conductor

धातु से प्रवाहित विधुत धारा की दिशा क्या होती है?

आधुनिक इलेक्ट्रान वैधुत  सिद्धांत के अनुसार जब धातु के चालक को विधुत सेल से जोड़ा जाता है तब विधुत सेल के ऋणात्मक सिरे से  ऋण आवेशित इलेक्ट्रान निकलकर चालक से होते हुए बैटरी या सेल के धनात्मक सिरे के तरफ भागने लगते है। अर्थात इलेक्ट्रान लो वोल्टेज से हाई वोल्टेज ते तरफ भागने लगते है। चालक के अन्दर इलेक्ट्रान जिस दिशा में भागते है उसके विपरीत दिशा में विधुत धारा का प्रवाह होता है। अर्थात धातु से विधुत धारा का प्रवाह हाई वोल्टेज से लो वोल्टेज के तरफ होता है। किसी भी बैटरी या सेल में उसके  धनात्मक सिरे (Positive Terminal) का वोल्टेज ऋणात्मक(Negative terminal) के वोल्टेज से ज्यादा होता है इसलिए बैटरी या सेल के धनात्मक सिरे ऋणात्मक सिरे के तरफ विधुत धारा का प्रवाह होता है। 

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