Extra High वोल्टेज क्या होता है?
वर्तमान समय में विधुत उर्जा का उत्पादन और इसका ट्रांसमिशन बहुत ही जटिल (Complex) प्रक्रिया है। विधुत उर्जा का डिमांड इतना तेजी से बढ़ता जा रहा है की इसकी आपूर्ति करना मुश्किल हो गया। पॉवर प्लांट में विधुत उर्जा का उत्पादन लो वोल्टेज पर किया जाता है। इस लो वोल्टेज को स्टेप अप ट्रांसफार्मर के मदद से 33000 वोल्टेज या इससे अधिक वोल्टेज तक बढाया जाता है और फिर उसे ट्रांसमिशन लाइन के मदद से सुदूर उपयोग करने वाले स्थान पर भेजा जाता है।
वर्तमान समय में यदि भेजने वाले वोल्टेज का परिमाण 300KV से कम होता है है तब उसे हाई वोल्टेज कहा जाता है। इसके अतिरिक्त यदि भेजने वाले वोल्टेज का परिमाण 300KV से 765KV तक होता है तब उसे Extra High Voltage अर्थात EHV कहा जाता है। यदि भेजने वाले वोल्टेज का परिमाण 765KV से ज्यादा हो जाता है तब उसे अल्ट्रा हाई वोल्टेज अर्थात UHV कहा जाता है। इंडिया जैसे विकाशील देश में विधुत उर्जा का वितरण 66 KV से लेकर 400KV वोल्टेज पर किया जाता है। अतिरिक्त हाई वोल्टेज (EHV) विधुत उर्जा को भेजने का बहुत लाभ होता है जिसकी चर्च इस पोस्ट में किया जायेगा।
हमने अक्सर देखा है की EHV लाइन्स वाले विधुत टावर पर छः लाइन्स (कंडक्टर) लगी हुई होती है। इन छः लाइन्स में से केवल टीन का उपयोग थ्री फेज पॉवर सप्लाई के लिए किया जाता है। शेष बची अन्य तीन लाइन्स ,कोई प्रॉब्लम आने पर उपयोग की जाती है। जब EHV पर विधुत धारा को लंबी दुरी तक भेजा जाता है तब प्रत्येक 250 किलोमीटर के दुरी पर एक सबस्टेशन स्थापित किया जाता है जहा फ़िल्टर के मदद से ,वोल्टेज में निहित हर्मोनिक्स को कम किया जाता है।
इंडिया में विधुत उर्जा का उत्पादन 11 हज़ार वोल्टेज पर किया जाता है।ट्रांसमिशन लाइन द्वारा इसे भेजने के लिए इस उत्पादित वोल्टेज को दुबारा स्टेप अप वोल्टेज के मदद से 132, 220 या 400 kV तक बढाया जाता है। हाई वोल्टेज पर विधुत उर्जा का वितरण कई मायनों में फायदेमंद होता है।
थ्री फेज में प्रवाहित होने वाली विधुत पॉवर को निम्न सूत्र के मदद से ज्ञात किया जाता है :-
जिसमे P = प्रवाहित होने वाली विधुत शक्ति
V = आरोपित वोल्टेज का परिमाण
I = प्रवाहित होने वाली विधुत धारा
Cosφ = पॉवर सिस्टम का पॉवर फैक्टर
यदि इस फार्मूला में कुल विधुत शक्ति तथा पॉवर फैक्टर को नियत कर दिया जाए और प्रवाहित होने वाली विधुत` धरा को ज्ञात किया जाए तब यह कुछ ऐसा होगा :-
इस फार्मूला से यह ज्ञात होता है की ट्रांसमिशन लाइन से प्रवाहित होने वाली विधुत धारा आरोपित वोल्टेज के परिमाण के व्युत्क्रमानुपाती (Inverse) होता है। इसका मतलब यह की यदि वोल्टेज के परिमाण को बढ़ाये तो प्रवाहित होने वाली विधुत धारा का परिमाण कम होता जायेगा।
Extra High Voltage पर विधुत उर्जा वितरण के लाभ एवं हानि
हाई वोल्टेज पर विधुत धारा प्रवाहित करने के निम्न लाभ है :-
- वोल्टेज का परिमाण बढ़ाने पर विधुत धारा का परिमाण कम होता है। जिससे मोटे आकार तथा वजन वाले विधुत चालक की जरुरत नहीं पड़ती है जिससे शुरुवाती लागत बहुत कम हो जाता है।
- विधुत धारा कम होने की वजह से ,ट्रांसमिशन लाइन में वोल्टेज ड्राप बहुत कम होता है जिससे ट्रांसमिशन सिस्टम का वोल्टेज रेगुलेशन ठीक रहता है।
- ट्रांसमिशन लाइन में होने वाली (3I2R) हानि कम हो जाती है जिससे इसकी दक्षता(Efficiency) बढ़ जाती है।
- वोल्टेज का परिमाण बढ़ने से ट्रांसमिशन लाइन में उपयोग होने वाले दुसरे सामान जैसे इंसुलेटर ,टावर ,चालक आदि का लागत कम हो जाता है जिससे ट्रांसमिशन लाइन डिजाईन का कुल लगत बहुत कम हो जाता है।
हाई वोल्टेज पर विधुत धारा प्रवाहित करने के निम्न लाभ है :-
- वोल्टेज के परिमाण बढ़ने की वजह से दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है।
- वोल्टेज परिमाण बढ़ने से इसे सुरक्षा देने वाली विधुत उपकरण जैसे (Switchgear) का खर्चा बढ़ जाता है।
- दुर्घटना से बचने के लिए लम्बे विधुत पोल की जरूत पड़ती है जिससे पोल या टावर का खर्चा बढ़ जाता है।
- कोरोना हानि की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
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