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Ferranti Effect In Hindi:परिभाषा .व्याख्या तथा प्रभावित करने वाले कारक - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 फेरांटी प्रभाव क्या होता है?

हम सभी जानते है की जब ट्रांसमिशन लाइन द्वारा विधुत उर्जा को एक स्थान से दुसरे स्थान पर भेजा जाता है तब ट्रांसमिशन लाइन के आंतरिक प्रतिरोध की वजह से कुछ वोल्टेज ड्राप हो जाता है। जिससे ट्रांसमिशन लाइन के अंतिम छोर जिसे Receiving End कहते है पर प्राप्त वोल्टेज का परिमाण ,प्रारंभिक छोर से भेजे गए वोल्टेज के परिमाण से कम प्राप्त होता है।लेकिन माध्यम तथा लम्बी दुरी के ट्रांसमिशन लाइन में यह देखा जाता है Receiving End पर प्राप्त वोल्टेज का परिमाण ,प्रारंभिक छोर से भेजे गए वोल्टेज के परिमाण से ज्यादा है। Receiving End पर इस प्रकार वोल्टेज बढ़ने की घटना  फेरांटी प्रभाव कहलाता है। 

फेरांति प्रभाव पॉवर सिस्टम  में होने वाली अवांछनीय घटनाओं में से एक है। Receiving End पर वोल्टेज के परिमाण में वृद्धि ,ट्रांसमिशन लाइन के Capacitance तथा Inductance की वजह से होता है। सन 1887 में सर्वप्रथम  सर सेबस्टियन ज़ियानी डे फेरांति ने  ट्रांसमिशन लाइन पर उसके Capacitance तथा Inductance के प्रभाव का व्याख्या किया था। ट्रांसमिशन लाइन पर Capacitance तथा Inductance के कारन ,Receiving End पर वोल्टेज के परिमाण में वृद्धि को इन्होने फेरांटी प्रभाव का नाम दिया। जब ट्रांसमिशन लाइन Ending पर हलके विधुत लोड या ओपन सर्किट होता है तब ही फेरांति प्रभाव देखने को मिलता है। 

फेरांटी प्रभाव क्यों उत्पन्न होता है?

यह प्रभाव ट्रांसमिशन लाइन के चार्जिंग करंट की वजह से होता है। जब किसी कैपासिटर को प्रत्यावर्ती विधुत धारा से जोड़ा जाता है तब कैपासिटर में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा को चार्जिंग करंट कहते है। कभी कभी इसे कैपासिटर करंट भी कहा जाता है। ट्रांसमिशन लाइन में Capacitance तथा Inductance दो महत्वपूर्ण पैरामीटर होते है। छोटी दुरी के ट्रांसमिशन लाइन ये दोनों पैरामीटर उतने ज्यादा प्रभावी नहीं होते है जितने लम्बे तथा मध्य दुरी वाले ट्रांसमिशन लाइन में प्रभावी होते है। 

240 km या इससे ज्यादा लम्बी दुरी के ट्रांसमिशन लाइन का  Capacitance पुरे ट्रांसमिशन लाइन के लम्बाई के अनुदिश सामान रूप से वितरित रहता है। जब ट्रांसमिशन लाइन के सेंडिंग एंड पर प्रत्यावर्ती विधुत धारा को आरोपित किया जाता है तब ,ट्रांसमिशन लाइन से जुड़े विधुत लोड की तुलना में ,इसका Capacitance ज्यादा मात्रा में करंट को लेता (Absorb) है। ज्यादा मात्रा में विधुत धारा लेने की वजह से चार्ज हो जाता है।  जब ट्रांसमिशन लाइन को किसी हलके लोड या नो लोड पर रखा जाता है तब ,Capacitance में संरक्षित विधुत उर्जा की वजह से Receiving End के वोल्टेज का परिमाण बढ़ जाता है। 

फेरांटी प्रभाव को प्रभावित करने वाले कारक क्या है?

हमने देखा की फेरांटी प्रभाव मुख्य रूप से चार्जिंग करंट की वजह से`होता है।जो की ट्रांसमिशन लाइन के capacitance से संबंधित है। यदि ट्रांसमिशन लाइन के Capacitance का मान ज्यादा होगा तब फेरांति प्रभाव भी ज्यादा होगा। वे सभी कारक जो किसी कापसिटर के Capacitance को प्रभावित करते है ,वे सभी ट्रांसमिशन लाइन के Capacitance के लिए उत्तरदायी होंगे। 

फेरांटी प्रभाव को कम कैसे किया जाता है?

चूँकि फेरांटी प्रभाव पॉवर सिस्टम को प्रभावित करता है इसलिए यह जरुरी हो जाता है की इसके प्रभाव को कम किया जाए। चूँकि यह ट्रांसमिशन लाइन में उत्पन्न हुए Capacitance की वजह से होता है इसलिए इसको काउंटर करने के लिए एक Inductive रिएक्टर को ,Receiving End पर ट्रांसमिशन लाइन के साथ समान्तर क्रम (Parallel) में जोड़ दिया जाता है। इसे शंट रिएक्टर कहा जाता है। यह ट्रांसमिशन लाइन में उत्पन्न Capacitance सोख लेता है जिससे ट्रांसमिशन लाइन का Capacitance थोडा कम हो जाता है। फेरांति प्रभाव को कम करने का दूसरा तरीका यह की Receiving End को हमेशा किसी Inductive लोड के साथ जोड़ा रखा जाए जो Capacitance को Absorb करते रहे। 

फेरांटी प्रभाव से हानि क्या होती है?

स्किन प्रभाव तथा प्रोक्सिमिटी प्रभाव की तरह फेरांति प्रभाव भी पॉवर सिस्टम को प्रभावित करता है। चूँकि फेरांति प्रभाव की वजह से Receiving End का वोल्टेज बढ़ जाता है। यदि ऐसा कोई विधुत उपकरण जो Sending End वोल्टेज पर कार्य करने के लिए डिजाईन किया गया हो ,उसे अगर ट्रांसमिशन लाइन के Receiving End पर जोड़ दिया जाए तब डैमेज हो जायेगा। इसके अतिरिक्त वोल्टेज के परिमाण बढ़ जाने की वजह से दुसरे विधुत ऊर्जा हानि भी बढ़ जाती है जिससे पॉवर सिस्टम की दक्षता (efficiency) कम हो जाती है। 

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