PIN Diode क्या होता है?
यह एक दो टर्मिनल वाला इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस होता है जिसे P तथा N टाइप अशुद्ध अर्द्धचालक(P तथा N) के बीच में शुद्ध अर्द्धचालक (intrinsic) के लेयर को डालकर बनाया जाता है। दोनों P तथा N पदार्थ के बीच शुद्ध अर्द्धचालक पदार्थ डालने की वजह से डायोड के Junction का आंतरिक विधुत क्षेत्र (Electric Field)बढ़ जाता है जिससे ज्यादा मात्रा में इलेक्ट्रॉन्स - होल्स उत्पन्न होने लगते है। ज्यादा मात्रा में इलेक्ट्रॉन्स होल्स उत्पन्न होने की वजह से डायोड की चालकता बढ़ जाती है। ज्यादा चालकता होने की वजह से यह Weak Signal को भी आसानी से डिटेक्ट कर लेता है। PIN Diode का उपयोग फोटो डिटेक्टर की तरह प्रकाश उर्जा को विधुत उर्जा में बदलने के लिए भी किया जाता है।
P तथा N Junction के बीच शुद्ध अर्द्धचालक रहने की वजह से दोनों Junction के बीच की दुरी बढ़ जाती है। जिसके वजह से Diode के Capacitance कम हो जाता है क्योकि Capacitance दोनों प्लेट (N तथा P) के दुरी (d) के व्युत्क्रमानुपाती होता हो।
Symbol of PIN Diode
PIN डायोड का सिंबल निचे के चित्र में दिखाया गया है। निचे दिए गए चित्र में डायोड के दो टर्मिनल है जिन्हे एनोड तथा कैथोड कहा जाता है। PIN डायोड में एनोड धनात्मक तथा कैथोड ऋणात्मक टर्मिनल होता है।
PIN डायोड का निर्माण (Construction of PIN Diode)
PIN डायोड एक तीन लेयर (P लेयर ,N लेयर तथा Intrensic लेयर) का इलेक्ट्रॉनिक्स देवीचे होता है। P लेयर का निर्माण शुद्ध अर्द्धचालक में त्रिसंयोजक (trivalent) अशुद्ध पदार्थ को मिलाकर किया जाता है जबकि N लेयर का निर्माण शुद्ध अर्द्धचालक में पंचसंयोजक (Pentavalent) पदार्थ को मिलाकर किया जाता है। Intrensic लेयर शुद्ध अर्द्धचालक होता है। PIN डायोड के Construction को निचे के चित्र में दिखाया गया है।
PIN Diode का कार्य सिद्धांत (Working of PIN Diode)
दुसरे सामान्य डायोड की तरह ही PIN डायोड कार्य करता है। चूँकि सामान्य अवस्था में Intrensic लेयर की चौड़ाई ज्यादा होती है इसलिए कोई भी आवेश वाहक (होल्स तथा इलेक्ट्रॉन्स) अपने Junction को पार नहीं कर पाते है। फिर भी intrensic लेयर तथा N लेयर के बीच , N लेयर से इलेक्ट्रॉन्स निकलकर Intrensic लेयर में चले जाते है जिससे इसके पास एक depletion लेयर का निर्माण हो जाता है। यह प्रक्रिया P तथा Intrensic लेयर के बीच भी होता है और वहा भी एक depletion लेयर बन जाता है। PIN डायोड भी अन्य डायोड की तरह फॉरवर्ड तथा रिवर्स बायस मोड में कार्य करता है।
फॉरवर्ड बायस मोड़ में PIN डायोड का कार्य सिधांत
जब डायोड के P क्षेत्र को किसी बैटरी के Positive तथा N क्षेत्र को Negative टर्मिनल से कनेक्ट किया जाता है तब इस प्रकार के कनेक्शन को फॉरवर्ड बायस कहा जाता है। जब PIN डायोड को फॉरवर्ड बायस में जोड़ा जाता है तब P क्षेत्र से (होल्स) तथा N क्षेत्र से (इलेक्ट्रॉन्स) आवेश वाहक Intrensic लेयर के तरफ भागते है। फॉरवर्ड वोल्टेज आरोपित करने पर depletion लेयर की चौड़ाइ कम होने लगती है इसलिए डायोड का आंतरिक प्रतिरोध कम होने लगता है। जैसे जैसे फॉरवर्ड वोल्टेज को बढ़ाते है वैसे वैसे ज्यादा मात्रा में इलेक्ट्रॉन्स तथा होल्स Junction के तरफ भागते है और डायोड से प्रवाहित होने वाली विधुत धारा का परिमाण बढ़ने लगता है और PIN डायोड एक सामान्य डायोड की तरह कार्य करने लगता है। वोल्टेज बढ़ाने से प्रवाहित विधुत धारा का मान बढ़ता है तथा डायोड का आंतरिक प्रतिरोध कम होता है इसलिए कहते है की PIN डायोड के पास Variable Resistance का गुण होता है।
रिवर्स बायस मोड़ में PIN डायोड का कार्य सिधांत
जब डायोड के N क्षेत्र को बैटरी के धनात्मक टर्मिनल तथा P क्षेत्र को बैटरी के ऋणात्मक टर्मिनल से कनेक्ट किया जाता है तब इसे रिवर्स बायस मोड़ में कहा जाता है। आरोपित रिवर्स वोल्टेज लगातार बढ़ने से Depletion लेयर की चौड़ाई लगातार बढ़ने लगती है क्योकि N लेयर में मौजूद फ्री इलेक्ट्रान बैटरी के धनात्मक तथा P क्षेत्र में मौजूद होल्स बैटरी के ऋणात्मक टर्मिनल के तरफ अपने ऊपर एक आकर्षण बल का अनुभव करने लगते है। इस बल के कारण ये Intrensic लेयरदूर भागने लगते है। आरोपित वोल्टेज लगातार बढ़ने से वोल्टेज का एक ऐसा मान (Value) जिस पर Intrensic लेयर में मौजूद सभी आवेश वाहक (इलेक्ट्रॉन्स तथा होल्स) बाहर निकल आते है उस वोल्टेज Swept Out Voltage कहा जाता है। सामान्यतः इस वोल्टेज का मान - 2V होता है।
रिवर्स बायस मोड़ में PIN डायोड एक कैपासिटर की तरह कार्य करता है जिसमे P तथा N लेयर दो समान्तर प्लेट की तरह कार्य करते है।
PIN डायोड का प्रयोग (Application of PIN Diode)
PIN डायोड का प्रयोग निम्न तरीके से किया जाता है :-
- फोटो डिटेक्टर
- वोल्टेज रेक्टिफायर
- रेडियो फ्रीक्वेंसी स्विच
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