Bolometer क्या होता है?
Bolometer एक औजार (Instrument) है जिसका उपयोग विधुत चुंबकीय तरंग की शक्ति (Power) मापने के लिए किया जाता है। Bolometer आपतित विधुत चुंबकीय तरंग की शक्ति ,तरंग द्वारा किसी प्रतिरोधी पदार्थ (Resistive Element) पर उत्पन्न किये गए तापमान द्वारा उस पदार्थ के प्रतिरोध (Resistance) में किये गए परिवर्तन के रूप में मापता है। इस डिवाइस को अमेरिकी वैज्ञानिक सैमुअल पायारपोंत ने सर्वप्रथम 1878 में बनाया था। इस डिवाइस में तापमान को Sense करने वाले पदार्थ का उपयोग किया जाता है। सामान्य रूप से Temperature Sensitive पदार्थ के रूप में Thermistor या Baretter का उपयोग किया जाता है।
Bolometer का कार्य तथा कार्य सिद्धांत
Bolometer का कार्य सिद्धांत किसी पदार्थ के तापमान में हुए परिवर्तन के कारण उसके प्रतिरोध (Resistance) में होने वाले परिवर्तन पर आधारित है। बोलोमीटर दो भाग में बटा हुआ होता है। बोलोमीटर का अग्र भाग जिस पर विधुत चुंबकीय तरंग टकराती है। यह एक पतले धातु का प्लेट होता है। इस धातु के प्लेट का तापमान बदलता रहता है। बोलोमीटर का दूसरा भाग इसके नीचे होता है जिसका तापमान नियत (Constant) रहता है। बोलोमीटर के उपरे तथा निचले भाग दोनों एक दुसरे से एक धातु द्वारा जुड़े हुए होते है जिसे थर्मल लिंक कहा जाता है। बोलोमीटर का अग्र भाग एक अवशोषक(absorber) की तरह कार्य करता है। जब कोई तरंग इस पतले धातु के प्लेट पर पड़ती है तब यह गर्म होने लगता है जिससे इसका तापमान बढ़ने लगता है। जब इसका तापमान निचे वाले भाग के तापमान से ज्यादा होता है तब इस तापमान वृद्धि को एक थर्मामीटर द्वारा माप लिया जाता है। तापमान वृद्धि होने की वजह से धातु प्लेट का प्रतिरोध भी बढ़ने लगता है।
बोलोमीटर का सर्किट डिजाईन ,ब्रिज सर्किट की तरह किया जाता है। इस ब्रिज सर्किट के एक भुजा में तापमान को Sense करने वाले प्रतिरोध (Resistor) को जोड़ा जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य भुजा में तीन ज्ञात प्रतिरोध का उपयोग किया जाता है। इस ब्रिज सर्किट में एक डिफरेंशियल एम्पलीफायर तथा एक Oscillator का भी प्रयोग किया जाता है। सामान्य अवस्था में बोलोमीटर का सर्किट संतुलित (Balanced) रहता है।
जिस विधुत चुंबकीय तरंग की उर्जा मापना होता है उस तरंग को तापमान सेंस करने वाले प्रतिरोध पर आरोपित किया जाता है। इस प्रतिरोध पर तरंग आपतित होने की वजह से इस तापमान बढ़ने लगता है ,तापमान बढ़ने की वजह से इसका प्रतिरोध भी बढ़ने या घटने लगता है। प्रतिरोध में परिवर्तन होने की वजह से ब्रिज असंतुलित(Unbalanced) हो जाता है। ब्रिज से जुड़े डिफरेंशियल एम्पलीफायर की मदद से इस परिवर्तन को ज्ञात किया जाता है। सर्किट से जुड़ा हुआ Oscillator ,ब्रिज को संतुलित करने के लिए समय समय पर आवश्यकता अनुसार आवृति उत्पन्न करता रहता है जिससे ब्रिज असंतुलित नहीं होता है।
प्रतिरोध के मान में होने वाला परिवर्तन उस प्रतिरोध पर पड़ने वाले विधुत चुंबकीय तरंग के उर्जा के कारण तापमान में होने वाले परिवर्तन के समानुपाती होता है। यदि विधुत चुंबकीय तरंग की उर्जा को P तथा तापमान में होने वाले परिवर्तन को (△T) द्वारा सूचित करे तब इसे गणितीय रूप में निम्न तरीके से लिखा जा सकता है।
P ∝ △T
P = K(△T)
यहाँ K एक नियतांक (Constant) है। जिसे समानुपाती नियतांक कहते है।
बोलोमीटर के उपयोग तथा लाभ
बोलोमीटर के उपयोग तथा लाभ निम्न है :-
लाभ
- अन्य पार्टिकल डिटेक्टर के तुलना में बोलोमीटर बहुत ज्यादा Efficient तथा Sensitive होता है।
- बोलोमीटर को किसी भी प्रकार के कुलिंग की जरुरत नहीं पड़ती है और यह रूम टेम्परेचर पर कार्य करता है।
- बोलोमीटर नॉन ionizing कॉम्पोनेन्ट जैसे फोटोन तथा Ionizing कॉम्पोनेन्ट Ions आदि को भी डिटेक्ट के लेता है
उपयोग
- बोलोमीटर का उपयोग तापमान में होने वाले परिवर्तन को मापता है।
- तापमान में होने वाले परिवर्तन को मापने के लिए बोलोमीटर का उपयोग किया जाता है।
- थर्मल कैमरा में बोलोमीटर का उपयोग किया जाता है।
- बोलोमीटर का उपयोग थर्मल स्कैनिंग में किया जाता है।
- बोलोमीटर का उपयोग जंगल में लगने वाली आग को डिटेक्ट करने के लिए किया जाता है।
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