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कंपनसेशन थ्योरम क्या है ? परिभाषा ,उपयोग के नियम ,व्याख्या तथा उदहारण - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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कंपनसेशन थ्योरम क्या है ? कंपनसेशन थ्योरम को हिंदी में क्षतिरपूर्ति प्रमेय कहते है। यह  प्रमेय विधुत परिपथ के विश्लेषण में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जिसके मदद से जटिल परिपथ को सरल बनाकर प्रवाहित विधुत धाराओं और वोल्टेजों का पता लगाया जाता है। इस प्रमेय के अनुसार  यदि किसी रैखिक विधुत परिपथ के  किसी ब्रांच  में परिवर्तन किया जाता है तब  उस ब्रांच  में विधुत धारा या वोल्टेज में होने वाले परिवर्तन को परिपथ के अन्य हिस्सों में परिवर्तित करके ठीक किया जा सकता है बशर्ते कि परिवर्तन  के बाद  परिपथ के कुल प्रतिरोध में कोई परिवर्तन न हो। दूसरे शब्दों में, यदि आप सर्किट के  किसी ब्रांच  में कुछ बदलते हैं, तो आप सर्किट  के अन्य हिस्सों में बदलाव करके उस बदलाव के प्रभाव को संतुलित कर सकते हैं जिससे सर्किट का समग्र व्यवहार पहले  जैसा बना रहे। कंपनसेशन प्रमेय उपयोग करने के नियम  सबसे पहले उस ब्रांच का चयन करे जिसमे  बदलाव करना  हैं। उस  ब्राँच का प्रतिरोध बदलें। परिपथ के अन्य हिस्सों में प्रतिरोधों को इस तरह बदलें कि परिप...

सब्स्टिटूशन थ्योरम क्या है ? परिभाषा , व्याख्या , प्रक्रिया तथा उदहारण

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सब्स्टिटूशन थ्योरम क्या है ? सब्स्टिटूशन थ्योरम को हिन्दी मे प्रतिस्थापन प्रमेय कहते है। जटिल विधुत परिपथ के विश्लेषण में प्रतिस्थापन प्रमेय (Substitution Theorem) एक महत्वपूर्ण टूल है जिसके मदद से परिपथों को सरल बनाने और परिपथ के किसी शाखा में प्रवाहित विधुत धारा या वोल्टेज का पता लगाने में मदद मिलता है। इस प्रमेय के अनुसार  विधुत परिपथ में किसी भी शाखा को उसके समतुल्य प्रतिरोध या स्रोत से प्रतिस्थापित किया जा सकता है तथा इस  बदलाव से परिपथ के शेष अन्य भाग में  प्रवाहित विधुत धारा या वोल्टेज पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा।  सब्स्टिटूशन थ्योरम की व्याख्या  इस प्रमेय के अनुसार यदि किसी नेटवर्क के किसी ब्रांच में प्रवाहित विधुत धारा या वोल्टेज का मान पहले से ज्ञात है तब उस नेटवर्क को किसी दूसरे वोल्टेज या करंट श्रोत से विस्थापित किया जा सकता है जिसका मान उस नेटवर्क से प्रवाहित होने वाली विधुत धारा या वोल्टेज के सामान हो। अगर आसान भाषा में बोले तो प्रतिस्थापन थ्योरम हमें किसी विधुत परिपथ में एक एलिमेंट को उसके समतुल्य एलिमेंट से प्रतिस्थापित करने की अनुमति देता है। इसके ल...

सुपरपोजीशन प्रमेय क्या है ? परिभाषा ,व्याख्या ,सीमाएं तथा उदहारण -हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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सुपरपोजीशन प्रमेय क्या है ? सुपरपोज़िशन थ्योरम को हिंदी में अध्यारोपण प्रमेय कहते है। विधुत परिपथ विश्लेषण मेंअध्यारोपण प्रमेय (Superposition Theorem) एक प्रभावशाली टूल है जो जटिल परिपथों को सरल घटकों में विघटित करके उसके  व्यवहार को समझने में मदद करता है।  किसी रैखिक विधुत  परिपथ में अध्यारोपण प्रमेय यह बताता है कि किसी एक विशेष शाखा में कुल धारा या वोल्टेज सभी स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे स्रोतों द्वारा उस शाखा में प्रवाहित या प्रेरित धाराओं या वोल्टेजों के बीजगणितीय योग के बराबर होती है।  दूसरे शब्दों में यदि आप परिपथ को एक-एक करके अलग-अलग स्रोतों के साथ विश्लेषित करते हैं और फिर दोनों परिणामों को जोड़ते हैं तो आपको समग्र परिपथ के लिए कुल धारा या वोल्टेज मिल जाएगी। सुपर पोजीशन थ्योरम का उपयोग कैसे करे   किसी जटिल परिपथ को हल करने से पहले निम्न स्टेप को फॉलो करे  परिपथ से जुड़े वोल्टेज स्रोतों को शॉर्ट्स करे तथा करंट स्रोतों को ओपन सर्किट करे।   परिपथ में केवल एक श्रोत को चालू करे तथा जिस शाखा में वोल्टेज या करंट ज्ञात करना है उसे ज्ञात करे।...

मीटर ब्रिज : परिभाषा ,कार्य सिद्धांत ,फार्मूला ,उपयोग तथा सावधानी - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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मीटर ब्रिज की परिभाषा मीटर ब्रिज एक विधुत मापन उपकरण जो किसी चालक के प्रतिरोध ज्ञात करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे स्लाइड वायर मीटर भी कहते है। यह व्हीटस्टोन ब्रिज के सिद्धांत पर कार्य करता है। यह व्हीटस्टोन ब्रिज की तुलना में ज्यादा सटीक मान ज्ञात करता है। इस मापन यंत्र को 1833 में सैमुअल हंटर क्रिस्टी ने सबसे पहले बनाया था जिसे बाद में 1843 में प्रोफेसर व्हीटस्टोन ने इसमें सुधार किया। इसमें एक मीटर लंबा एक समान प्रतिरोध (Uniform Resistance) का तार होता है जो एक लकड़ी के तख्ते में लगा हुआ होता है।इस तार के ऊपर एक जॉकी (परिवर्तनशील प्रतिरोध) लगी हुई होती है जिसे तार पर घुमाया जा सकता है। मीटर ब्रिज का समीकरण  मीटर ब्रिज के मदद से अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात करने के लिए निचे दिए गए फार्मूला का उपयोग किया जाता है  जहाँ  R_x = अज्ञात प्रतिरोध का मान R = ज्ञात प्रतिरोध का मान l = जॉकी की स्थिति बाएं सिरे से 100 Cm = तार की कुल लंबाई मीटर ब्रिज का कार्य सिद्धांत  मीटर ब्रिज व्हीटस्टोन ब्रिज के सिद्धांत पर कार्य  करता है। व्हीटस्टोन ब्रिज एक विधुत  परि...

ऑप्टिकल सेंसर : परिभाषा ,कार्य सिध्दांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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ऑप्टिकल सेंसर किसे कहते है ? यह एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक विधुत उपकरण है जो प्रकाश  या दूसरे विधुत चुंबकीय तरंगो को डिटेक्ट कर उसे इलेक्ट्रिकल सिग्नल में परिवर्तित करता है। इस उपकरण की मदद से किसी प्रकाश किरण के तीव्रता को विधुत सिग्नल में परिवर्तित कर किसी दूसरे डिवाइस द्वारा दिखाया जाता है। इसका उपयोग कांटेक्ट लेस (जिसे छू नहीं सकते) वस्तु को डिटेक्ट करने के लिए करते है।  ऑप्टिकल सेंसर का कार्य सिध्दांत  ऑप्टिकल सेंसर में एक कंपोनेंट होता है जो प्रकाश का पता लगा सकता है। यह कंपोनेंट फोटोडायोड, फोटोट्रांजिस्टर, फोटोवोल्टेक सेल या अन्य प्रकाश संवेदनशील तत्व हो सकता है। जब प्रकाश इस कंपोनेंट पर पड़ता है, तो यह प्रकाश की तीव्रता के अनुसार एक विधुत धारा या वोल्टेज उत्पन्न करता है और इसी वोल्टेज या करंट के परिमाण को दिखाया जाता है। प्रकाश सेंसर द्वारा उत्पन्न विधुत सिग्नल आम तौर पर कमजोर और एनालॉग होता है। इसे और उपयोगी बनाने के लिए, सेंसर में एंप्लिफायर या सिग्नल कंडीशनिंग सर्किट्री शामिल की जाती है जो सिग्नल की मजबूती को बढ़ाते हैं और आगे की प्रोसेसिंग के लिए उचित स्वरूप मे...

फ्लक्स मीटर : परिभाषा ,कार्य सिद्धांत ,लाभ ,हानि तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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फ्लक्स मीटर क्या है ? यह एक मापक यन्त्र है जिसके मदद से किसी चुम्बकीय परिपथ से जुड़े चुम्बकीय फ्लक्स के परिमाण को मापा जाता है। इसमें कोइल या सेंसर लगा हुआ होता है जो चुंबकीय फ्लक्स को डिटेक्ट कर विधुतीय सिगनल में परिवर्तित करता है। इस विधुतीय सिग्नल को सांख्यिक रूप में स्केल पर इसके मात्रक वेबर में व्यक्त किया जाता है। फ्लक्समीटर बैलिस्टिक गैल्वेनोमीटर का उन्नत रूप है जिसमे लो कंट्रोलिंग टार्क तथा ज्यादा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक डंपिंग होती है।  फ्लक्स मीटर का कार्य सिध्दांत  फ्लक्स मीटर फैराडे के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिद्धांत पर कार्य करता है। फ्लक्स मीटर के कार्य सिद्धांत को समझने के लिए फैराडे के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिध्दांत को समझना होगा जिसके अनुसार यदि किसी  वायर से सम्बंधित चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन किया जाए तो उस  वायर में विधुत वाहक बल (EMF) उत्पन्न हो जाती है। इस प्रकार उत्पन्न विधुत वाहक बल का परिमाण चुम्बकीय परिवर्तन होता है।   फ्लक्स मीटर की संरचना एवं बनावट  फ्लक्स मीटर की संरचना एवं बनावट को निचे के चित्र में दिखाया गया है। एक स्थायी चुम्बक क...

वेन ब्रिज Oscillator : परिभाषा ,सर्किट डायग्राम ,कार्य सिध्दांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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वेन ब्रिज Oscillator क्या है ? यह एक खास प्रकार का दोलित्र है जिसमे आवर्ती प्रकृति का तरंग उत्पन्न करने के लिए मैक्स वेन द्वारा विकशित वेन ब्रिज सर्किट का उपयोग किया जाता है।इससे साइन वेव उत्पन्न किया जाता है। वेन ब्रिज सर्किट में चार प्रतिरोध तथा दो कैपेसिटर एक दूसरे के साथ चतुर्भुज के आकार जुड़े हुए होते है जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है।  जैसे की निचे के परिपथ में दिखाया गया है चतुर्भुज के दो भुजा में केवल प्रतिरोध  जुड़े हुए है त था अन्य दो भुजा के में प्रतिरोध तथा कैपेसिटर जुड़े जुड़े हुए है जिनमे  (R 1  तथा C 1 ) श्रेणी तथा  (R 2   तथा C 2  ) समान्तर क्रम में जुड़े हुए है। श्रेणी क्रम में जुड़े हुए कैपेसिटर तथा प्रतिरोध एक High Pass Filter तथा समांतर क्रम वाला कैपेसिटर तथा प्रतिरोध Low Pass Filter की तरह कार्य करता है। इसलिए इन दोनों भुजाओ को Frequency सेंसिटिव  भुजा कहते है क्योकि ये दोनों भुजा एक निश्चित Frequency पर ही इनपुट को एम्पलीफायर में प्रवेश करने देती है। जिस Frequency पर वेन ब्रिज Oscillator कार्य करता है उसे Resonant Fre...

वेन ब्रिज : परिभाषा ,सूत्र तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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Wien Bridge क्या है ? यह एक प्रकार का ए०सी ब्रिज सर्किट है जिसका उपयोग अज्ञात कपैसिटर का Capacitance ज्ञात करने के साथ HF Frequency Oscillator में किया जाता है। इस सर्किट में कुल चार प्रतिरोध तथा दो कपैसिटर का उपयोग किया जाता है। इस परिपथ को पहली बार 1891 में मैक्स वेन ने  Develop किया था। यह ब्रिज सर्किट व्हीटस्टोन ब्रिज की तरह संतुलन की अवस्था में कार्य करता है। एक वेन ब्रिज परिपथ को निचे के चित्र में दिखाया गया है।  वेन ब्रिज परिपथ का निर्माण  जैसे की उपर दिए गए परिपथ में दिखाया गया है की एक चतुर्भुज के चारों भुजा के अनुदिश प्रतिरोध तथा कैपेसिटर को जोड़ा गया है जिसमे एक भुजा AB के अनुदिश कैपेसिटर तथा प्रतिरोध एक दूसरे के समांतर तथा दूसरे भुजा AD के अनुदिश श्रेणी क्रम में जुड़े हुए है। अन्य दो भुजा BC तथा CD के अनुदिश दो प्रतिरोध जुड़े हुए है। विकर्ण BD के अनुदिश एक पोटेंसियोमीटर D को जोड़ा गया है जो इसमें प्रवाहित होने वाली विधुत धारा को ज्ञात करेगा। जब यह ब्रिज परिपथ संतुलन की अवस्था में होता है तब विकर्ण BD से किसी भी प्रकार की विधुत धारा का परवाह नहीं होता है और इस दशा ...

Electrical Full Form - (160 से ज्यादा) इलेक्ट्रिकल से संबंधित सभी प्रकार के फुल फॉर्म हिंदी में - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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इलेक्ट्रिकल फुल फॉर्म क्या है? इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग तथा इलेक्ट्रिकल से संबंधित कार्य करने वाले तकनीशियन या इंजिनियर काम करते वक्त कुछ शोर्ट शब्दों का उपयोग करते है जितने भी नौसिखिए लोग या इलेक्ट्रिकल से संबंधित ज्ञान न  रखने वाले लोग होते है उन्हें इन शोर्ट शब्दों का मतलब मालुम नहीं होता है | इस पोस्ट में इलेक्ट्रिकल में उपयोग किये जाने वाले सभी प्रकार के शोर्ट कीवर्ड या शब्द की जानकारी दी गई है हम उम्मीद करते है यह पोस्ट आपको पसंद आएगी  A  - Ampere(एम्पीयर ) AAAC - All Aluminum Alloy Conductor(आल एल्युमिनियम एल्वाय कंडक्टर) AAC - All Aluminum Conductor (आल एल्युमिनियम  कंडक्टर) AC - Alternating Current(अल्टरनेटिंग करंट ) ACCB - Air Case Circuit Breaker(एयर  केस सर्किट ब्रेकर ) ACDB - Alternating Current Distribution Board (अल्टरनेटिंग करंट डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड ) ACSR - Aluminium Conductors Steel Reinforced( एल्युमिनियम  कंडक्टरस स्टील रेनफोर्सेड ) ADC - Analog To Digital Converter(एनालॉग टू डिजिटल कनवर्टर ) AFC - Automated Frequency Control(ऑटोमेटेड फ्...

त्रुटि : परिभाषा ,विभिन्न प्रकार के त्रुटी ,सूत्र तथा उदहारण - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 एरर क्या होता है? विज्ञानं तथा इंजीनियरिंग में मापन का बहुत ही महत्व है। इंजीनियरिंग में उपयोग की जाने वाली सभी प्रकार के भौतिक राशियों को मापना बहुत ही जरुरी होता है। यदि मापी गई राशियों में किसी भी प्रकार गलती हो जाती है तब परिमाण में त्रुटी देखने को मिलती है अर्थात हमारी उपेक्षा के अनुसार परिमाण नहीं मिलता है। मापन के बाद परिमाण या तो बढ़ जाता है या घट जाता है। मापी गई राशि का इस प्रकार से अपने वास्तविक मान से विचलित होना ही ही एरर अर्थात त्रुटी कहलाता है।  त्रुटी को साधारण भाषा में इस प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है : किसी भौतिक राशि के वास्तविक मान तथा मापे गए मान के अंतर को त्रुटी कहा जाता है ।  यदि किसी भौतिक राशि (जैसे विधुत धारा) को दो अलग अलग धारामापी से मापा जाए तब इसकी कोई गारंटी नहीं है की दोनों धारामापी एक ही रीडिंग दिखाए। इस प्रकार दोनों धारामापी के रीडिंग में आए हुए अंतर को त्रुटी कहा जाता है। किसी भौतिक राशि में उत्पन्न हुए त्रुटी को समझने के लिए हमें भौतिक राशि से संबंधित दो पद को के बारे में जानना पड़ेगा। ये दो पद है : भौतिक राशि का वास्तविक मान (Tru...

थर्मोकपल : परिभाषा ,कार्य सिध्दांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 थर्मोकपल क्या होता है?  यह एक प्रकार का सेंसर होता है जिसका उपयोग तापमान मापने के लिए किया जाता है। इसके मदद से बड़े परास(Wide range) तक तापमान को मापा जा सकता है।यह विभिन्न औद्योगिक क्षेत्र , घर, कार्यालय आदि में उपयोग  किया जाने वाला एक सरल, मजबूत और सस्ता तापमान सेंसर है। इसके निर्माण में दो विभिन्न प्रकार के धातुओ के एक सिरे को आपस में जोड़कर तैयार किया जाता है। धातुओ के जंक्शन को जब गर्म किया जाता है तब उसके अन्य दुसरे सिरों के बीच वोल्टेज उत्पन्न होता है जो जंक्शन के तापमान के समानुपाती होता है।  थर्मोकपल किस सिध्दांत पर कार्य करता है?  यह सीबैक प्रभाव पर कार्य करता है जिसके अनुसार यदि दो भिन्न धातुओ को एक एक सिरों को आपस में जोड़कर एक जंक्शन बनाया जाए जिसे हॉट जंक्शन कहते है।और अन्य दुसरे सिरे को खुला छोड़ दिया जाए। इसके बाद धातुओ के जंक्शन के तापमान में परिवर्तन किया जाए तब खुला छोड़े गए दुसरे सिरों के बीच विभवान्तर उत्पन्न होने लगता है जिसका परिमाण जंक्शन के तापमान के अंतर के समानुपाती होता है। जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है।  चूँकि खुले हुए स...

मेगर : परिभाषा ,प्रकार ,कार्य सिध्दांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 मेगर क्या होता है? यह एक विधुतीय मापक उपकरण है जिसका उपयोग इलेक्ट्रिकल उपकरण जैसे केबल ,ट्रांसफार्मर  वाइंडिंग  ,मोटर वाइंडिंग आदि के इंसुलेशन का प्रतिरोध मापने के लिए किया जाता है।  इसे मेगाओममीटर भी कहते है।  इसे सर्व प्रथम विधुत मापक यंत्र बनाने वाली कंपनी मेगर ने बनाया था इसलिए इसे  मेगा ओममीटर की बजाए मेगर   कहते  है। इस यन्त्र का उपयोग 50 मेगा ओम से अधिक प्रतिरोध को मापने के लिए किया जाता है। एक साधारण ओम मीटर या प्रतिरोध मापने वाला यंत्र 10 मेगा ओम से अधिक प्रतिरोध का मापन सटीकता से नहीं कर पाता है क्योकि उसमे बहुत ही कम परिमाण वाले वोल्टेज का उपयोग किया जाता है।   विधुतीय उपकरण में इंसुलेशन क्या होता है? विधुत धारा प्रवाह के लिए चालक का उपयोग किया जाता है अर्थात चालक विधुत धारा प्रवाह के लिए पथ का निर्माण करता है। विधुत धारा अपने पथ से लीकेज होकर बाहर न निकल जाए इसके लिए उसके ऊपर कुचालक की परत चढ़ा दी जाती है जिसे इंसुलेशन कहते है। इंसुलेशन का आंतरिक प्रतिरोध बहुत ही ज्यादा होती है।  मेगर का कार्य सिध्दांत क्या है? यह...

तीन वाटमीटर द्वारा थ्री फेज में पॉवर कैसे मापा जाता है - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 वाटमीटर क्या होता है? यह एक विधुत उर्जा मापक यन्त्र है जिसके मदद से किसी विधुत परिपथ में प्रवाहित होने वाली विधुत उर्जा को नापा जाता है। इसमें दो क्वाइल होती है जिनमे से एक को करंट क्वाइल तथा दुसरे को पोटेंशियल क्वाइल कहा जाता है। करंट क्वाइल का आंतरिक प्रतिरोध बहुत ही कम होता है तथा इसे विधुत लोड के साथ श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है जिससे की लोड करेंट इससे होकर वाटमीटर में प्रवाहित करे।  पोटेंशियल क्वाइल का आंतरिक प्रतिरोध ज्यादा होता है तथा इसे  करेंट क्वाइल के अक्रॉस जोड़ा जाता है।  थ्री फेज या अधिक फेज वाले पॉवर सिस्टम में जुड़े हुए लोड में खपत विधुत उर्जा को ज्ञात करने के लिए एक से ज्यादा वाटमीटर की आवश्यकता होती है। जब थ्री फेज या इससे अधिक फेज वाले सिस्टम की उर्जा मापने के लिए एक से अधिक वाटमीटर का उपयोग किया जाता है तब मापे गए विधुत उर्जा के परिमाण में सटीकता तथा अधिक शुध्दता होती है।   किसी पोलीफेज सिस्टम की विधुत ऊर्जा मापने के लिए उपयोग की जाने वाली कुल वाटमीटर की संख्या ज्ञात करने के लिए ब्लोंडेल थ्योरम का उपयोग किया जाता है जिसके अनुसार यदि किसी ...

Oscillator in hindi : परिभाषा ,कार्य सिध्दांत ,प्रकार तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 दोलित्र क्या है? निम्न (Low) आवृति वाले प्रत्यावर्ती विधुत धारा या वोल्टेज को जनरेटर या इन्वर्टर के मदद से उत्पन्न किया जा सकता है और उपयोग के लिए किया भी जाता है लेकिनं कुछ ऐसे विधुत डिवाइस होते है जिनको संचालित करने के लिए उच्च आवृति(जैसे 20 MHz ,500KHz 50 GHz) की आवश्यकता होती है और इतने उच्च परिसर के आवृति को इन्वर्टर या जनरेटर द्वारा उत्पन्न करना आसान नहीं होता है। इतने उच्च परिसर वाले आवृति उत्पन्न करने वाले विधुत परिपथ को Oscillator कहा जाता है।  Oscillator को हिंदी में दोलित्र कहते है।  एक दोलित्र एक विधुत परिपथ होता है जो बिना किसी इनपुट के एक निरंतर, दोहराए जाने वाले, वैकल्पिक तरंग का उत्पन करता है। ऑसिलेटर मूल रूप से एक डीसी स्रोत से यूनिडायरेक्शनल करंट फ्लो को एक वैकल्पिक तरंग में परिवर्तित करते हैं जिसकी आवृत्ति परिपथ के घटको द्वारा पहले से निर्धारित किया हुआ होता है।   दोलित्र का कार्य सिध्दांत क्या है? दोलित्र के कार्य सिध्दांत को पूर्णरूप से समझने के लिए हम एक LC टैंक सर्किट के कार्य विधि को समझते है जिसे निचे दिए गए चित्र में दि...

Accuracy, Precision and Sensitivity परिभाषा ,फार्मूला तथा उदहारण - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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एक्यूरेसी क्या होती है? एक्यूरेसी का सही अर्थ शुध्दता या सटीकता होता है। विज्ञानं तथा इंजीनियरिंग में भौतिक राशियों के मापन में एक्यूरेसी अर्थात शुध्दता का उपयोग बहुत ही ज्यादा किया जाता है। किसी मापक यंत्र के एक्यूरेसी का अर्थ यह होता है की मापक यंत्र द्वारा लिया गया रीडिंग या माप वास्तविक मान के कितना नजदीक है। मापक यंत्र द्वारा लिया गया माप वास्तविक मान के जितना ही नजदीक होता है उस मापक यंत्र की शुध्दता उतनी ही अधिक होती है। जिस मापक यंत्र की शुध्दता जितनी अधिक होती है उसका ही उपयोग ज्यादा किया जाता है।  मान लीजिए आपकी ऊंचाई 183 सेमी है। यदि हम इसे किसी उपकरण जैसे टेप या फीता से मापते हैं तो यह 182.9995 सेमी निकलता है। अब इसे किसी दुसरे मापक यंत्र जैसे स्केल  से मापने पर 195 सेमी का परिणाम प्राप्त होता है। इससे  हम देख सकते हैं कि पहले माप से प्राप्त मान आपकी ऊंचाई के वास्तविक मान (183 सेमी) के करीब है इससे हम कह सकते है की  पहला माप दूसरे की तुलना में अधिक सटीक है। Precision क्या होता है?  जब किसी मापक यंत्र से किसी भौतिक राशि को बार बार मापते है तब वह बार ...