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Oscillator in hindi : परिभाषा ,कार्य सिध्दांत ,प्रकार तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

 दोलित्र क्या है?

निम्न (Low) आवृति वाले प्रत्यावर्ती विधुत धारा या वोल्टेज को जनरेटर या इन्वर्टर के मदद से उत्पन्न किया जा सकता है और उपयोग के लिए किया भी जाता है लेकिनं कुछ ऐसे विधुत डिवाइस होते है जिनको संचालित करने के लिए उच्च आवृति(जैसे 20 MHz ,500KHz 50 GHz) की आवश्यकता होती है और इतने उच्च परिसर के आवृति को इन्वर्टर या जनरेटर द्वारा उत्पन्न करना आसान नहीं होता है। इतने उच्च परिसर वाले आवृति उत्पन्न करने वाले विधुत परिपथ को Oscillator कहा जाता है। Oscillator को हिंदी में दोलित्र कहते है। 

एक दोलित्र एक विधुत परिपथ होता है जो बिना किसी इनपुट के एक निरंतर, दोहराए जाने वाले, वैकल्पिक तरंग का उत्पन करता है। ऑसिलेटर मूल रूप से एक डीसी स्रोत से यूनिडायरेक्शनल करंट फ्लो को एक वैकल्पिक तरंग में परिवर्तित करते हैं जिसकी आवृत्ति परिपथ के घटको द्वारा पहले से निर्धारित किया हुआ होता है।  

दोलित्र का कार्य सिध्दांत क्या है?

दोलित्र के कार्य सिध्दांत को पूर्णरूप से समझने के लिए हम एक LC टैंक सर्किट के कार्य विधि को समझते है जिसे निचे दिए गए चित्र में दिखाया गया है। चित्र में एक पहले से आवेशित (चार्ज) कैपेसिटर C तथा अनावेशित इंडक्टर L जुड़ा हुआ है। कैपेसिटर में निहित विधुत ऊर्जा इंडक्टर के तरफ प्रवाहित होने लगती है और धीरे धीरे कपैसिटर अनावेशित होने लगता है। 

जब कपैसिटर पूर्ण रूप से अनावेशित हो जाता है तब इंडक्टर में निहित विधुत ऊर्जा पुनः दुबारा कपैसिटर के तरफ प्रवाहित होने लगती है और इंडक्टर अनावेशित होने लगता हैऔर यह प्रक्रिया लगता चलता रहता है अर्थातआवर्त रूप से विधुत ऊर्जा का प्रवाह कैपासिटर से इंडक्टर तथा इंडक्टर से कैपासिटर के तरफ  होता रहता है। इस आवर्त रूप से परिवर्तन की आवृति ही दोलित्र की आवृति होती है। 
Oscillator In Hindi

इस परिपथ में उत्पन्न आवृति सदैव एक सामान नहीं रहती है क्योकि  कैपासिटर तथा इंडक्टर के आंतरिक प्रतिरोध के कारण समय के साथ विधुत ऊर्जा का ह्रास होता रहता है जिससे यह समय के साथ घटता जाता है और अंत में शून्य हो जाता है। यदि परिपथ में प्रतिरोध के कारण ह्रास होने वाली विधुत उर्जा के मात्रा को बाहर से देते रहे तब यह Oscillation सदैव बना रहेगा। 

दोलित्र परिपथ का निर्माण कैसे किया जाता है?

दोलित्र एक प्रकार का पॉजिटिव फीडबैक पर कार्य करने वाला एम्प्लीफायर होता है। जिसमे एम्पलीफायर से प्राप्त आउटपुट को पुनः दुबारा इनपुट को दे दिया जाता है। एम्पलीफायर में एक मौजूद ट्रांजिस्टर आधारित एम्पलीफायर इनपुट वोल्टेज को आवर्धित करता है तथा इसका फीडबैक सिस्टम इसमें होने वाली विधुत ऊर्जा हानि को इंगित कर बाहर से विधुत उर्जा श्रोत से पूर्ति करता रहता है जिससे आउटपुट के रूप में Oscillation बना रहता है। जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है। 
Oscillator

दोलित्र कितने प्रकार का होता है?

Oscillator विभिन्न प्रकार के होते है लेकिन इसे दो मुख्य वर्ग में वर्गीकृत किया जाता है जो निम्न है :
  • हर्मोनिक्स दोलित्र ( Harmonics Oscillator)
  • रिलैक्सेशन दोलित्र (Relaxation Oscillator)
वैसा दोलित्र जिसमे विधुत उर्जा का प्रवाह एक्टिव कॉम्पोनेन्ट से पैसिव कॉम्पोनेन्ट के तरफ होता है तथा आवृति को फीडबैक से नियंत्रित किया जाता उसे हर्मोनिक्स दोलित्र कहा जाता है जबकि रिलैक्सेशन दोलित्र में विधुत उर्जा एक्टिव तथा पैसिव कॉम्पोनेन्ट के बीच एक्सचेंज होते रहता है तथा इसमें आवृति का निर्धारण चार्जिंग तथा डिसचार्जिंग के टाइम नियतांक से किया जाता है। इसके अतरिक्त दोलित्र को निम्न मुख्य वर्गों में वर्गीकृत किया गया है :-
  • वेन ब्रिज ऑसिलेटर
  • RC फेज़ शिफ्ट 
  • हार्टले थरथरानवाला ऑसिलेटर
  • वोल्टेज कंट्रोल ऑसिलेटर
  • कोलपिट्स ऑसिलेटर
  • क्लैप ऑसिलेटर्स
  • क्रिस्टल ऑसिलेटर
  • आर्मस्ट्रांगऑसिलेटर
  • ट्यून्ड कलेक्टर ऑसिलेटर
  • गन ऑसिलेटर
  • क्रॉस-युग्मित ऑसिलेटर
  • रिंग ऑसिलेटर
  • डायट्रॉन ऑसिलेटर
  • ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक ऑसिलेटर

दोलित्र के उपयोग क्या है?

  • विभिन्न प्रकार के ऑडियो तथा विडियो सिस्टम में 
  • विभिन्न रेडियो ,टीवी तथा संचार प्रणाली में 
  • कंप्यूटर ,इन्वर्टर ,मेटल डिटेक्टर आदि में 
  • माइक्रो प्रोसेसर तथा माइक्रो कंट्रोलर 

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