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Amplifier in Hindi : परिभाषा ,प्रकार तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 एम्पलीफायर क्या होता है ?

एम्पलीफायर एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस होता है जो कमजोर सिगनल को मजबूत सिगनल में परिवर्तित करता है।  अर्थात यह कमजोर सिगनल के शक्ति को बढाता है। यह कमजोर सिगनल के आयाम के परिमाण को बढ़ा देता है। सामान्यतः कोई भी सिगनल वोल्टेज या विधुत धारा के रूप में होता है। एम्पलीफायर को हिंदी में प्रवर्धक कहा जाता है। दैनिक जीवन में इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के संगीत संबंधित विधुत मशीन तथा संचार प्रणाली में किया जाता है। जैसे आपके घर में बजने वाला होम थिएटर भी एक प्रकार का एम्पलीफायर ही होता है। यह आपके मोबाइल फ़ोन में बजने वाले गीत के कमजोर सिगनल के शक्ति को बढ़ा देता है जिससे होम थिएटर का स्पीकर तेजी के साथ बजता है। 

एम्पलीफायर का वर्गीकरण 

चूँकि एम्पलीफायर का उपयोग संचार प्रणाली में किया जाता है इसलिए यह विभिन्न प्रकार के आवृति पर कार्य करता है इलसिए अलग अलग आवृति पर कार्य करने की वजह से एम्पलीफायर को चार मुख्य भागो में विभाजित किया जाता है जो निम्न है :-
  • Class A  Amplifier 
  • Class B   Amplifier 
  • Class C   Amplifier 
  • Class AB  Amplifier 
एम्पलीफायर में एक जोड़ा इनपुट तथा एक जोड़ा आउटपुट टर्मिनल होता है। एम्पलीफायर को एक बंद बॉक्स के रूप में समझा जा सकता है जिसमे विभिन्न प्रकार के प्रवर्धित करने वाले विधुत उपकरण जुड़े हुए होते है।एम्पलीफायर के आउटपुट टर्मिनल से इनपुट सिगनल का आवर्धित मान प्राप्त होता है। 
एक आदर्श (Ideal)एम्पलीफायर के निम्न तीन गुण होता है :-
  • इनपुट रेजिस्टेंस 
  • आउटपुट रेजिस्टेंस 
  • गेन (Gain)
गेन एक प्रकार का मात्रक हीन तथा विमहीन राशि होता  है जो इनपुट तथा आउटपुट के बीच संबंध स्थापित करता है। एक आदर्श एम्पलीफायर का इनपुट रेजिस्टेंस अनंत तथा आउटपुट रेजिस्टेंस शून्य होना चाहिए। वास्तव में एम्पलीफायर का सर्किट डायग्राम बहुत ही जटिल होता है लेकिन अध्ययन करते समय इसे एक त्रिभुज के आकृति द्वारा दिखाया जाता है जिसमे एक जोड़ा इनपुट टर्मिनल तथा एक जोड़ा आउटपुट टर्मिनल होता है। जैसे निचे दिखाया गया है :-
एम्पलीफायर

गेन (Gain) क्या होता है ?

किसी एम्पलीफायर के लिए गेन को आउटपुट तथा इनपुट के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जाता है जैसे 
आउटपुट  तथा इनपुट सिगनल के अनुपात को गेन कहा जाता है। 

यह इनपुट तथा आउटपुट सिगनल के बीच संबंध को दर्शाता है। यह एम्पलीफायर के शक्ति को पर्दर्शित करता है। इससे यह ज्ञात होता है की एम्पलीफायर किसी कम शक्ति वाले इनपुट सिगनल को कितना आवर्धित करेगा। जिस एम्पलीफायर की आवर्धन क्षमता जितनी ज्यादा होती है वह इनपुट सिगनल को उतना ही ज्यादा आवर्धित करता है। जैसे यदि किसी एम्पलीफायर का गेन 50 है और इसको इनपुट के रूप में 5 वोल्ट का सिगनल दिया जाता है तब इसके आउटपुट में (50 x 5 =250 वोल्ट) मिलेगा। गेन को अंग्रेजी के बड़े अक्षर A द्वारा सूचित किया जाता है।एम्पलीफायर के लिए तीन प्रकार का गेन होता है :-

  • Voltage Amplifier Gain(Av)
  • Current Amplifier Gain(Ai)
  • Power Amplifier Gain(Ap)

 वोल्टेज गेन क्या होता है ?

यदि किसी एम्पलीफायर में वोल्टेज के रूप में इनपुट सिगनल दिया गया हो और आउटपुट भी वोल्टेज के  रूप में प्राप्त हो रहा है तब इस एम्पलीफायर के आउटपुट तथा इनपुट के अनुपात को वोल्टेज गेन कहा जायेगा और इसे निम्न तरीके से लिखा जा सकता है :-
Voltage Gain formula
A_{v} =\frac{V_{0} }{V_{i}}

करंट  गेन क्या होता है ?

यदि किसी एम्पलीफायर में करंट के रूप में इनपुट सिगनल दिया गया हो और आउटपुट भी करंट के  रूप में प्राप्त हो रहा है तब इस एम्पलीफायर के आउटपुट तथा इनपुट के अनुपात को करंट गेन कहा जायेगा और इसे निम्न तरीके से लिखा जा सकता है :-
करंट गेन
current gain

पॉवर गेन क्या होता है ?

किसी एम्पलीफायर के लिए आउटपुट पावर तथा इनपुट पॉवर के अनुपात को एम्पलीफायर का आउटपुट गेन कहते है और इसे करंट गेन तथा वोल्टेज गेन के गुणनफल के रूप में व्यक्त किया जाता है :-
पॉवर गेन
power gain

आइडियल एम्पलीफायर की विशेषता ( Characteristics of ideal Amplifier)

एक आइडियल एम्पलीफायर के पास निम्न विशेषता होनी चाहिए :-
  • एम्पलीफायर का गेन (A) इनपुट सिगनल के साथ नियत रहना चाहिए अर्थात इनपुट सिगनल बदलने से आउटपुट गेन को बदलना नहीं चाहिए 
  • गेन को इनपुट सिगनल के फ्रीक्वेंसी से प्रभावित नहीं होना चाहिए 
  • एम्पलीफायर के आउटपुट सिगनल में किसी भी प्रकार के हर्मोनिक्स नहीं होने चाहिए 
  • वातावरण के तापमान में परिवर्तन होने से गेन में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं होना चाहिए 
  • गेन को लंबे समय तक स्टेबल बने रहना चहिये 

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