thyristor क्या होता है ?
यह एक विशेष प्रकार का चार परत(लेयर)वालाअर्ध्दचालक इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस है जिसमे तीन टर्मिनल होते है। ये तीन टर्मिनल एनोड (A) ,कैथोड (K) तथा गेट (G) कहलाते है। इसे SCR भी कहा जाता है जिसका मतलब सिलिकॉन कंट्रोल्ड रेक्टी फायर होता है। यह एक यूनिडायरेक्शनल डिवाइस होता है अर्थात इससे एक ही दिशा में विधुत धारा का प्रवाह होता है। चूँकि इसमें अर्ध्दचालक की चार परते होती है इसलिए इसमें तीन PN जंक्शन होता है जो आपस में श्रेणी क्रम में जुडा हुआ होता है। जब गेट पर छोटे परिमाण का वोल्टेज आरोपित किया जाता है तब एनोड तथा कैथोड के बीच विधुत धारा का प्रवाह होने लगता है। इसलिए यह विधुत सर्किट में ट्रांजिस्टर की तरह स्विच की तरह कार्य करता है।
Thyristor का Symbol क्या होता है?
अन्य दुसरे इलेक्ट्रॉनिक्स कॉम्पोनेन्ट की तरह thyristor को भी कागज पर एक चिन्ह द्वारा दिखाया जाता है जिसे सिंबल कहते है। Thyristor के सिंबल को निचे दिए गए चित्र में दिखाया गया है।
Thyristor का कंस्ट्रक्शन कैसा होता है?
Thyristor चार परत से बना हुआ इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस होता है जिसमे P-टाइप तथा N- टाइप अर्ध्दचालक का उपयोग किया जाता है। इन चार प्रकार से लगाए गए परत से तीन Junction (J1 , J2 तथा J3 )का निर्माण होता है। जैसे की निचे के चित्र में दिखाया है। इन तीनो Junction से ,तीनों टर्मिनल जुड़े हुए होते है। एनोड थायरिस्टर का बेसिक टर्मिनल होता है जिससे विधुत धारा डिवाइस में प्रवेश करता है और कैथोड से बाहर निकलता है।
Thyristor में प्रयुक्त अर्ध्दचालक परत की डोपिंग एकसमानं नहीं होती है। गेट तथा एनोड की तुलना में कैथोड हाइली डोप्ड होता है। बीच में मौजूद N परत की डोपिंग सबसे कम होती है। कम डोपिंग के साथ साथ इसकी मोटाई भी बहुत कम होती है। कम डोपिंग तथा पतला होने की वजह से लो वोल्टेज पर यह आसानी से ब्रेक हो जाता है। जब एक बार Thyristor से विधुत धारा का प्रवाह होने लगता है तब गेट वोल्टेज हो हटा लेने से विधुत धारा का प्रवाह रूकता नही है। गेट वोल्टेज को हटा लेने के बाद प्रवाहित होने वाली विधुत धारा का परिमाण जब एक नियत मान से कम हो जाता है तब विधुत धारा का प्रवाह अचानक बंद हो जाता है। विधुत धारा का वह मिनिमम मान जो thyristor से ऑन की अवस्था में प्रवाहित होता है उसे Latching Current कहते है। Latching Current का मिनिमम वैल्यू जिसके बाद thyristor से विधुत धारा का प्रवाह बंद हो जाये उसे Holding Current कहा जाता है।
Thyristor कार्य कैसे करता है?
Thyristor का उपयोग विधुत सर्किट में स्विचिंग के लिए किया जाता है। जब डायोड के एनोड को किसी बैटरी के धनात्मक सिरा तथा कैथोड को ऋणात्मक सिरा से जोड़ा जाता है तब प्रथम जंक्शन J1 तथा तीसरा जंक्शन J3 फॉरवर्ड बायस हो जाता है। जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है।प्रथम जंक्शन J1 तथा तीसरा जंक्शन J3 के फॉरवर्ड बायस होने के बाद दूसरा जंक्शन J2 रिवर्स बायस में रहता है। दुसरे जंक्शन के रिवर्स बायस में होने की वजह से एनोड तथा कैथोड के बीच में किसी भी प्रकार के विधुत धारा का प्रवाह नहीं होता है। Thyristor के इस स्थिति को फॉरवर्ड ब्लॉकिंग मोड कहा जाता है। जब किसी दुसरे विधुत श्रोत द्वारा गेट टर्मिनल को कैथोड के सापेक्ष धनात्मक वोल्टेज दिया जाता है तब दूसरा जंक्शन J2 फॉरवर्ड बायस हो जाता है जिससे कैथोड तथा एनोड के बीच विधुत धारा का प्रवाह होने लगता है।
फॉरवर्ड ब्लॉकिंग मोड़ क्या होता है ?
thyristor की वह अवस्था जिसमे एनोड तथा कैथोड (जंक्शनJ1 & J3 ) के फॉरवर्ड बायस होने के बावजूद भी किसी भी प्रकार के विधुत धारा का प्रवाह न हो ,thyristor के इस अवस्था को फॉरवर्ड ब्लॉकिंग मोड कहा जाता है।
रिवर्स ब्लॉकिंग मोड क्या होता है ?
thyristor की वह अवस्था जिसमे एनोड तथा कैथोड (जंक्शनJ1 & J3 ) के रिवर्स बायस तथा जंक्शन J2 रिवर्स बायस होने के वजह से किसी भी प्रकार के विधुत धारा का प्रवाह न हो ,thyristor के इस अवस्था को रिवर्स ब्लॉकिंग मोड कहा जाता है।
thyristor का उपयोग
- इसका उपयोग स्विच की तरह किया जाता है।
- यह डीसी तथा ए०सी मोटर में स्पीड कण्ट्रोल करने के लिए उपयोग किया जाता है।
- इसका उपयोग इन्वर्टर में किया जाता है।
- इसका उपयोग रिले में किया जाता है।
- यह बैटरी चार्जर में उपयोग किया जाता है।
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