सब्स्टिटूशन थ्योरम क्या है ?
सब्स्टिटूशन थ्योरम को हिन्दी मे प्रतिस्थापन प्रमेय कहते है। जटिल विधुत परिपथ के विश्लेषण में प्रतिस्थापन प्रमेय (Substitution Theorem) एक महत्वपूर्ण टूल है जिसके मदद से परिपथों को सरल बनाने और परिपथ के किसी शाखा में प्रवाहित विधुत धारा या वोल्टेज का पता लगाने में मदद मिलता है। इस प्रमेय के अनुसार
विधुत परिपथ में किसी भी शाखा को उसके समतुल्य प्रतिरोध या स्रोत से प्रतिस्थापित किया जा सकता है तथा इस बदलाव से परिपथ के शेष अन्य भाग में प्रवाहित विधुत धारा या वोल्टेज पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा।
सब्स्टिटूशन थ्योरम की व्याख्या
इस प्रमेय के अनुसार यदि किसी नेटवर्क के किसी ब्रांच में प्रवाहित विधुत धारा या वोल्टेज का मान पहले से ज्ञात है तब उस नेटवर्क को किसी दूसरे वोल्टेज या करंट श्रोत से विस्थापित किया जा सकता है जिसका मान उस नेटवर्क से प्रवाहित होने वाली विधुत धारा या वोल्टेज के सामान हो। अगर आसान भाषा में बोले तो प्रतिस्थापन थ्योरम हमें किसी विधुत परिपथ में एक एलिमेंट को उसके समतुल्य एलिमेंट से प्रतिस्थापित करने की अनुमति देता है। इसके लिए हम निचे दिए गए विधुत परिपथ का सहारा लेते है।
image credit :https://circuitglobe.com/ |
इस थ्योरम के अनुसार हम प्रतिरोध शाखा को V3 वोल्टेज श्रोत या I1 करंट श्रोत से प्रतिस्थापित कर सकते है जैसे की निचे सर्किट में दिखाया गया है।
image credit :https://circuitglobe.com/ |
- सबसे पहले उस शाखा का चयन करें जिसमें आप धारा या वोल्टेज ज्ञात करना चाहते हैं।
- सभी वोल्टेज श्रोत को शार्ट तथा करंट श्रोत को ओपन कर उस शाखा का समतुल्य प्रतिरोध या वोल्टेज या करंट ज्ञात करें। इसके लिए ओम नियम, किरचॉफ के नियमों या अन्य विधियों का उपयोग करके किया जा सकता है।
- उस चयनित शाखा को उसके समतुल्य प्रतिरोध या वोल्टेज या करंट स्रोत से बदलें।
- इस प्रकार से सरलीकृत परिपथ का विश्लेषण करें और उस विशिष्ट शाखा में धारा या वोल्टेज ज्ञात करें।
Post a Comment
Post a Comment