ट्रांसफार्मर में विधुत उर्जा ह्रास क्या होता है?
ट्रांसफार्मर विधुत से संचालित होने वाला विधुत मशीन होता है। ट्रांसफार्मर में जब विधुत उर्जा प्रवाहित किया जाता है तब उस विधुत उर्जा का कुछ भाग ट्रांसफार्मर को संचालित करने में ही खर्च हो जाता है। ट्रांसफार्मर में खर्च होने वाले इस विधुत उर्जा को ही ट्रांसफार्मर लोस कहते है। ट्रांसफार्मर में विभिन्न प्रकार का विधुत उर्जा लोस होता है।
ट्रांसफार्मर में कितने प्रकार विधुत उर्जा ह्रास (Loss)होता है?
ट्रांसफार्मर में होने वाले विधुत उर्जा ह्रास निम्न है :-
- आयरन लोस (Iron Loss)
- हिस्टैरिसीस लोस (hysteresis Loss)
- एड्डी करंट लोस(Eddy Current Loss)
- कॉपर लोस (Copper Loss)
- स्ट्रै लोस (Stray Loss)
- डाई इलेक्ट्रिक लोस (Dielectric Loss)
आयरन लोस क्या होता है ?
जैसे नाम से ही ज्ञात होता है आयरन लोस अर्थात लोहा में होने वाला ह्रास (Loss)। ट्रांसफार्मर में उत्पन्न चुम्बकीय फ्लक्स जब लोहे के कोर से होकर गुजरते है तब लोहा में मौजूद Reluctance के कारण फ्लक्स का कुछ भाग खर्च हो जाता है। लोहे में खर्च होने वाले इस चुंबकीय फ्लक्स को ही आयरन लोस कहा जाता है। आयरन लोस दो प्रकार के होते है :-
- एड्डी करंट लोस
- हिस्टैरिसीस लोस
एड्डी करंट लोस क्या होता है?
कोर से प्रवाहित होने वाली चुमबकीय फ्लक्स की प्रवृति प्रत्यावर्ती होती है। चूँकि ट्रांसफार्मर का चुम्बकीय कोर आयरन से बना हुआ होता है जो की एक धातु है। इस कोर से जब चुंबकीय फ्लक्स लिंक करता है तब इसमें एक वोल्टेज (EMF) उत्पन्न कर देता है। इस वोल्टेज के कारण कोर में एक प्रकार का विधुत धारा संचालित होने लगता है जिसे एड्डी करंट (Eddy Current) कहा जाता है। इस विधुत धारा के कारण कोर में (I2R) जो उर्जा ह्रास होता है उसे एड्डी करंट लोस कहते है। ट्रांसफार्मर में होने वाले एड्डी करंट लोस को निम्न फार्मूला द्वारा ज्ञात किया जाता है :-
जहा
P = पॉवर वाट (W) में
K = एक नियतांक है जिसे ट्रांसफार्मर का गुणनांक कहते है। इसका मान कोर में प्रयुक्त पदार्थ पर निर्भर करता है।
B = चुंबकीय फ्लक्स डेंसिटी है।
f = आरोपित प्रत्यावर्ती वोल्टेज की आवृति है।
V = चुंबकीय पदार्थ की आयतन है।
t = चुंबकीय कोर की मोटाई है।
हिस्टैरिसीस लोस क्या होता है ?
ट्रांसफार्मर के कोर से प्रवाहित होने वाले चुंबकीय फ्लक्स की प्रवृति प्रत्यावर्ती होता है। जिससे कोर में एक प्रत्यावर्ती लूप बनने लगता है। जिससे चुंबकीय पदार्थ में मौजूद परमाणु एक चुंबकीय बल का अनुभव करने लगते है और इस बल के कारण अपने स्थान से विस्थापित होने लगते है। यह प्रक्रिया हमेशा होते रहता है जिससे चुंबकीय पदार्थ गर्म हो जाता है। इस प्रकार होने वाली विधुत उर्जा ह्रास हो हिस्टैरिसीस लोस कहा जाता है। हिस्टैरिसीस लोस को निम्न फार्मूला द्वारा ज्ञात किया जाता है :-
जहा
K = एक नियतांक है जिसका मान कोर में प्रयुक्त पदार्थ पर निर्भर करता है।
B = चुंबकीय फ्लक्स घनत्व है।
f = AC वोल्टेज की आवृति है।
V = कोर का आयतन है।
ट्रांसफार्मर में कॉपर लोस क्या होता है ?
ट्रांसफार्मर के प्राइमरी तथा सेकेंडरी वाइंडिंग में मौजूद आंतरिक प्रतिरोध के कारण जो विधुत ऊर्जा का ह्रास होता है उसे कॉपर लोस कहते है। यह प्राइमरी तथा सेकेंडरी वाइंडिंग में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा पर निर्भर करता है। यदि प्राइमरी वाइंडिंग में प्रवाहित विधुत धारा (I1)तथा सेकेंडरी वाइंडिंग में प्रवाहित विधुत धारा (I2) है। प्राइमरी वाइंडिंग का प्रतिरोध (R1) तथा सेकेंडरी वाइंडिंग का प्रतिरोध (R2) है तब ट्रांसफार्मर में होने वाले कॉपर लोस को निम्न फार्मूला द्वारा ज्ञात किया जा सकता है :-
स्ट्रै लोस क्या होता है?
ट्रांसफार्मर के कोर से प्रवाहित होने वाली चुंबकीय फ्लक्स का कुछ अंश ,ट्रांसफार्मर से बाहर हवा से लिंक कर जाता है। जो एक का फ्लक्स में लोस होता है। हवा में होने वाली इस चुंबकीय फ्लक्स हानि को स्ट्रै लोस कहा जाता है। ट्रांसफार्मर में होने वाला यह ह्रास ,अन्य प्रकार के लोस के तुलना में बहुत कम होता है इसलिए इसे इग्नोर कर दिया जाता है।
डाई इलेक्ट्रिक लोस क्या होता है?
ट्रांसफार्मर में प्राइमरी तथा सेकेंडरी वाइंडिंग को अलग करने वाले पदार्थ में होने वाली विधुत उर्जा ह्रास को डाई इलेक्ट्रिक लोस लोस कहा जाता है।
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