Oscilloscope क्या होता है?
यह एक प्रकार का विधुतीय उपकरण जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के तरंग (Wave) के Waveform को एनालिसिस करने के लिए किया जाता है। इसे Oscillograph या CRO के नाम से जाना जाता है। CRO का पूरा नाम Cathode Ray Oscilloscope होता है। यह एक या एक से अधिक टाइम के साथ बदलने वाले वोल्टेज या करंट सिग्नल के ग्राफ को Two डायमेंशन में समय के सापेक्ष X तथा Y अक्ष (Axis) पर प्रदर्शित करता है।
ग्राफ़िक्स रूप में निर्देशित सिग्नल के आयाम ,आवृति ,आवर्त काल ,तरंगदैर्घ्य आदि का अध्ययन किया जाता है। इसका उपयोग ,इंजीनियरिंग ,मेडिकल ,विज्ञान आदि के क्षेत्र में किया जा रहा है। यह मुख्य रूप से वोल्टेज से संचालित होता है इसलिए दुसरे भौतिक राशि जैसे विधुत धारा ,दाब , त्वरण आदि को किसी ट्रान्सडूसर के मदद से वोल्टेज में परिवर्तित करने के बाद CRO में भेजा जाता है।
Oscilloscope की संरचना कैसी होती है?
यह एक कम्पलीट मापने वाली डिवाइस होती है। इसे विभिन्न प्रकार के छोटे छोटे पुर्जो को आपस में जोड़कर तैयार किया जाता है। Oscilloscope में लगने वाले महत्वपूर्ण कॉम्पोनेन्ट निम्न है :-
- कैथोड रे ट्यूब (Cathode Ray Tube)
- इलेक्ट्रॉनिक गन (Electronic Gun)
- डीफ्लेक्टिंग प्लेट (Deflecting Plate)
- फ्लोरोसेंट स्क्रीन (Fluorescent Screen)
- ग्लास एन्वेलप (Glass Envelop)
कैथोड रे ट्यूब (CRT) क्या होता है?
यह एक निर्वात ट्यूब (Vacuum Tube) होता है। यह Oscilloscope का बहुत महत्वपूर्ण अंग होता है क्योकि यह अदृश्य विधुत सिग्नल को देखने लायक सिग्नल में परिवर्तित करता है। इसके पीछे वाले भाग में इलेक्ट्रान गन के साथ साथ Vertical तथा Horizontal डीफ्लेक्टिंग प्लेट लगी रहती है। इसका अगला भाग फ्लोरोसेंट स्क्रीन होता है। इलेक्ट्रान गन से बहुत तेज चलने वाला इलेक्ट्रान प्रकाश पुंज निकलता है। इस इलेक्ट्रान प्रकाश पुंज को Vertical Deflecting Plate द्वारा CRT पर ऊपर नीचे तथा Horizontal plate द्वारा दाय- बाय घुमाया जाता है। इस तरह CRT स्क्रीन पर कही भी प्रकाश पुंज को घुमाया जा सकता है। यह प्रकाश पुंज स्क्रीन के जिस भाग पर पड़ता है वहा दृश्य प्रकाश उत्पन्न हो जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक गन क्या होता है?
यह भी CRO का महत्वपूर्ण अंग होता है। इससे इलेक्ट्रॉन्स उत्पन्न किया जाता है और इन सभी उत्पन्न इलेक्ट्रॉन्स को एक प्रकाश पुंज के रूप में परिवर्तित किया जाता है। इलेक्ट्रान गन से इलेक्ट्रान उत्पन्न करने के लिए एक पूरा सिस्टम तैयार किया जाता है जिसे इलेक्ट्रान गन असेंबली कहा जाता है। इलेक्ट्रान गन असेंबली में मुख्य रूप से एक कैथोड ,एक एनोड ,एक हीटर,Pre-accelerating Anode ,एक focusing Anode तथा Accelerating एनोड होता है। कम तापमान पर ज्यादा मात्रा में इलेक्ट्रॉन्स उत्पन्न करने के लिए कैथोड पर बेरियम तथा स्ट्रोन्सियम की परत चढ़ा दी जाती है।
कैथोड ग्रिड से उत्पन्न होने के बाद इलेक्ट्रान कण्ट्रोल ग्रिड से गुजरता है। कण्ट्रोल ग्रिड निकेल से बना हुआ बेलनाकार ग्लास होता है जो CRT के बीच में इसके अक्ष (Axis)के साथ सकेंद्रिय रखा रहता है। इसका मुख्य कार्य कैथोड से निकलने वाले इलेक्ट्रान प्रकाश पुंज के तीव्रता को नियंत्रित करना होता है। जब इलेक्ट्रान प्रकाश पुंज कण्ट्रोल ग्रिड से निकलता है तब इसके गति को Accelerating या Pre-accelerating एनोड के मदद से बढाया अर्थात त्वरित किया जाता है।
Accelerating एनोड में विधुत क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए इस पर 1000 से 1500 वोल्ट का वोल्टेज आरोपित किया जाता है। इस विधुत क्षेत्र से जब इलेक्ट्रॉन्स निकलते है तब उन पर एक बल कार्य करने लगता है जिससे वे त्वरित हो जाते है।
Accelerating एनोड से गुजरने के बाद इलेक्ट्रॉन्स प्रकाश पुंज को Focusing इलेक्ट्रोड पर फोकस किया जाता है। इस इलेक्ट्रोड से निकलने के बाद horizontal तथा Vertical प्लेट से होते हुए प्रकाश पुंज स्क्रीन पर पड़ता है।
डीफ्लेक्टिंग प्लेट क्या होता है?
इलेक्ट्रान गन से निकलने के बाद इलेक्ट्रान प्रकाश पुंज एक जोड़ी Deflecting प्लेट से गुजरता है। स्क्रीन पर अलग अलग प्रकार के प्रतिबिम्ब उत्पन्न कारने के लिए प्रकाश पुंज को स्क्रीन के अलग अलग भाग पर आरोपित करना पड़ता है। Deflecting प्लेट प्रकाश पुंज को स्क्रीन के अलग अलग भाग में Deflect करते रहते है। Horizontal प्लेट इलेक्ट्रान प्रकाश पुंज को दाय बाय तथा Vertical Deflecting प्लेट प्रकाश पुंज को ऊपर निचे स्क्रीन पर deflect करता है। इसके डिफ्लेक्शन के गति को इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किट द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
फ्लोरोसेंट स्क्रीन क्या होता है?
यह CRT का अगला भाग होता है जिसे Face Plate कहते है। यह लगभग 100 mm x 100 mm डायमेंशन का ग्लास होता है जो सामने से थोडा वक्र (Curve) होता है। यह पिघले हुए सीसे को सांचे में डाल कर बनाया जाता है। Face Plate के आंतरिक सतह को फ़ास्फ़रोस के लेप से लेपित किया जाता है। फोस्फोरस विधुत उर्जा को प्रकाश उर्जा में परिवर्तित करता है। जब`इलेक्ट्रान गन से निकले तेज गति वाले इलेक्ट्रान इस फास्फोरस लेपित ग्लास से टकराते है तब प्रकाश उत्पन्न करते है जो हमें दिखाई देता है।
Oscilloscope(CRT) कैसे कार्य करता है ?
जब इलेक्ट्रॉन्स से इलेक्ट्रान प्रकाश पुंज निकलता है तब यह कण्ट्रोल ग्रिड से गुजरता है। कण्ट्रोल ग्रिड में प्रकाश पुंज के तीव्रता को नियंत्रित किया जाता है। यदि कण्ट्रोल ग्रिड के एनोड का वोल्टेज हाई नेगेटिव होगा तब यह बहुत ही कम मात्रा में इलेक्ट्रॉन्स को कण्ट्रोल ग्रिड से गुजरने देगा जिससे स्क्रीन पर इलेक्ट्रॉन्स टकराने के बाद कम मात्रा में प्रकाश उत्पन्न होगा जिससे डिम स्पॉट दिखाई देगा। इसके विपरीत यदि एनोड पर पॉजिटिव हाई वोल्टेज होगा तब ग्रिड से ज्यादा मात्रा में इलेक्ट्रॉन्स पास होंगे और स्क्रीन पर टकराने के बाद ज्यादा मात्रा में प्रकाश उत्पन्न होगा जिससे चमकीला स्पॉट दिखाई देगा।
Image Credit:https://www.eeeguide.com/block-diagram-of-oscilloscope |
कण्ट्रोल ग्रिड से निकलने के बाद इलेक्ट्रान Accelerating तथा Focusing एनोड पर पहुचता है जहा इसके गति को बढाकर स्क्रीन के एक बिंदु पर फोकस कर दिया जाता है। Accelerating एनोड से निकलने के बाद इलेक्ट्रान Deflecting प्लेट से होकर गुजरता है। स्क्रीन के जिस बिंदु पर इलेक्ट्रॉन्स को टकराना होता है उस बिंदु पर deflecting प्लेट द्वारा इलेक्ट्रॉन्स को deflect कर दिया जाता है।
CRT का उपयोग क्या है?
CRT का उपयोग निम्न तरीके से किया जाता है :-
- वोल्टेज मापने में
- करंट मापने में
- किसी सिग्नल का Waveform जानने के लिए
- किसी तरंग की पहचान करने के लिए
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