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Self Induced EMF in Hindi : परिभाषा ,सूत्र तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 Self Induced emf क्या होता है?

किसी कुंडली में खुद के द्वारा उत्पन्न चुंबकीय फ्लक्स के कारण यदि emf उत्पन्न हो जाये तब इस प्रकार से उत्पन्न होने वाली emf को Self Induced emf कहते है। इसे हिंदी में स्वतः प्रेरित विधुत वाहक बल कहते है। इस घटना को हम एक उदहारण द्वारा समझते है। 

माना की एक कुंडली है जिसमे कुल फेरो (turn) की संख्या N है। जब इस  कुंडली (Coil) में विधुत धारा प्रवाहित किया जाता है तब इस कुंडली में ,विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। यह चुंबकीय क्षेत्र कुंडली से संबंधित होकर चुंबकीय फ्लक्स उत्पन्न करता है। यदि कुंडली में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा की प्रवृति प्रत्यावर्ती (AC) होगी तब इससे उत्पन होने वाली चुम्बकीय फ्लक्स की प्रवृति भी प्रत्यावर्ती होगी।
(प्रत्यावर्ती का मतलब समय के साथ बदलने वाला होता है।)
चूँकि यह चुंबकीय फ्लक्स इस कुंडली से उत्पन्न हुआ है इसका मतलब  हुआ की यह इससे लिंक भी है और हम फैराडे के इंडक्शन सिद्धांत से जानते है कि यदि कोई प्रत्यावर्ती चुंबकीय फ्लक्स किसी N फेरो वाली कुंडली से लिंक करेगा तब उसमे विधुत वाहक बल अर्थात emf उत्पन्न कर देगा। और इस प्रकार उत्पन्न होने वाली विधुत वाहक बल का परिमाण चुंबकीय फ्लक्सके परिवर्तन दर के समानुपाती होगी। यदि कुंडली द्वारा उत्पन्न होने वाली चुम्बकीय फ्लक्स को (𝛟) मान लिया जाए तो इसमें उत्पन्न होने वाली Self Induced emf को गणितीय रूप में निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है। 
Self Induced emf ∝ फ्लक्स परिवर्तन की दर 
किसी कुंडली में उत्पन्न होने वाली कुल चुंबकीय फ्लक्स उसमे प्रवाहित होने वाली विधुत धारा (I) के परिमाण के समानुपाती होता है। इसका मतलब यह हुआ की कुंडली में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा के परिमाण को बढाया जाए तब इससे संबंधित चुम्बकीय फ्लक्स का परिमाण भी बढेगा। अर्थात चुम्बकीय फ्लक्स (𝛟) को निम्न तरीके से लिखा जा सकता है। 
\phi \propto I
चूँकि कुंडली में उत्पन्न होने वाली विधुत वाहक बल (emf) फ्लक्स परिवर्तन के समानुपाती है और उत्पन्न होने वाली फ्लक्स प्रवाहित होने वाली विधुत धारा के समानुपाती है अतः emf सीधे तौर पर प्रवाहित होने वाली विधुत धारा परिवर्तन के समानुपाती होगा 
यदि Self Induced emf = e 
e ∝ विधुत धारा परिवर्तन दर 
e \propto \frac{\mathrm{d} I }{\mathrm{d} t}
ऊपर दिए समीकरण से यदि समानुपाती के चिन्ह को हटाया जाए तब इसके बदले एक नियतांक को रखना पड़ेगा। जैसे:-
e =L \frac{\mathrm{d} I }{\mathrm{d} t}
इस समीकरण में प्रयुक्त नियतांक L को दिए गए Coil का Self Inductance या स्वतः प्रेरित गुणांक कहा जाता है। ऊपर दिए गए समीकरण से ज्ञात होता है  की किसी कुंडली में स्वतः प्रेरित विधुत वाहक बल का परिमाण विधुत धारा के परिवर्तन दर तथा कुंडली के Inductance (L) पर निर्भर करता है। 

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