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Relay In Hindi : परिचय , बनावट तथा कार्य सिधांत

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हमने अक्सर देखा है जब हमारे घर की बिजली चली जाती है तभी एक कट की आवाज़ आती है और हमारे घर में लगा हुआ इन्वर्टर चालू हो जाता है। यह काम इतना तेजी से होता है की हमें इसका आभास भी नहीं होता है।
 इसके के बारे में हम जब किसी भी व्यक्ति से पूछते है तो यह कहता है की यह Relay की वजह से होता है। Relay  क्या होता है और यह इस कार्य को कैसे करता है ? यह हमें कोई नहीं बताता है। आज आप इस पोस्ट के माध्यम से Relay से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त करेंगे। 

Relay क्या होता है? (What is Relay?) 

यह एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक स्विच होता है। इलेक्ट्रॉनिक स्विच का मतलब इस स्विच को चालू या बंद करने के लिए किसी इंसान की जरुरत नहीं होती है बल्कि इसे चालू या बंद होने के लिए केवल विधुत सप्लाई की जरुरत होती है। 

आज कल विधुत सर्किट को आटोमेटिक बनाने के लिए रिले का उपयोग किया जा रहा है। Relay का उपयोग पावर सिस्टम में लगे हुए विभिन्न प्रकार के विधुत उपकरण को सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जाता है।
Relay हमारे घरो में उपयोग किये जाने वाले सामान्य स्विच से बिलकुल अलग होते है। सामान्य स्विच को हमें अपने हाथो से ऑपरेट करना होता है जबकि Relay सेल्फ ऑपरेट होता है। 

Relay की बनावट (Construction of Relay)

वैसे तो Relay का भौतिक आकार विभिन्न प्रकार का होता है। इसलिए विभिन्न प्रकार के रिले की बनावट भी अलग अलग होती है। Relay का भौतिक आकार कुछ भी इनके कार्य करने के आधार पर इन्हे दो भागो में डिवाइड किया जाता है। Relay में Switching का कार्य दो प्रकार से होता है :-
  •  Electrically 
  • Mechanically
चूँकि Relay का कार्य आटोमेटिक Switching करना होता है इसलिए Relay में पावर सप्लाई को ऑन या ऑफ करने के लिए कुल तीन पिन होते है जैसा की निचे के चित्र में दिखाया गया है।
इन तीन पिन में एक कॉमन पिन होता है जो की लोड के साथ जुड़ा रहता है तथा दो अन्य पिन में से एक पिन कॉमन पिन से जुड़ा रहता है इसलिए इसे नार्मल क्लोज (NC) पिन तथा दूसरे पिन को नार्मल ओपन पिन (NO) कहा जाता है।
इसके अलावा Relay में एक Electromagnet  होता है जो अलग से दो टर्मिनल द्वारा किसी दूसरे पावर श्रोत (बैटरी) से जुड़ा रहता है। कभी कभी बड़े स्तर के Relay में Movable पिन को कण्ट्रोल करने के लिए स्प्रिंग का भी उपयोग किया जाता है। 

Relay In HIndi

Relay का कार्य सिद्धांत (Working Principle Of Relay)

जैसे की हम सभी जानते है की Relay Automatic Switch की तरह कार्य करता है। जैसा की ऊपर के सर्किट में दिखाया गया है। इसके कार्य सिद्धांत को समझने के लिए एक उदाहरण का सहारा लेते है। 

मान लीजिए आपको एक सोलर से चलने वाला एक लाइट बनाना है जो दिन के समय में ऑफ रहे तथा रात के वक्त स्वतः ऑन हो जाये। इसके लिए आपको ऊपर दिखाए गए रिले का प्रयोग करना होगा। जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है।
रात के समय जब सूर्य नही रहेगा तब सोलर से किसी भी प्रकार का विधुत धारा का परवाह नहीं होगा और Relay नार्मल क्लोज (NC) की अवस्था में रहेगा जिससे बल्ब बैटरी से जुड़कर जलता रहेगा। 

दिन के समय जब सूर्य की रोशनी सोलर पर पड़ेगी तब सोलर प्लेट से विधुत धारा का प्रवाह होने लगेगा जिससे सोलर से जुड़ा हुआ  Relay का Coil एक Electromagnet (विधुत चुम्बक) बन जायेगा और नार्मल Closed पिन को अपनी तरफ आकर्षित कर लेगा जिससे बल्ब का कनेक्शन बैटरी से हट जायेगा और बल्ब बंद हो जायेगा। 
और यह कनेक्शन NO पिन से जुड़ जायेगा जिससे सोलर से विधुत धारा का प्रवाह बैटरी में होने लगेगा और बैटरी चार्ज हो जायेगा। और यह प्रक्रिया ऐसी ही चलती रहेगी। 


Relay से संबंधित ज्यादा जानकारी के लिए इस वीडियो को देखे। 


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