Varistor क्या होता है ?
यह एक दो टर्मिनल वाला इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस होता है। इसका उपयोग विधुत परिपथ को ओवर वोल्टेज से सुरक्षा के लिए किया जाता है। इस डिवाइस का आंतरिक प्रतिरोध आरोपित किये गए इनपुट वोल्टेज पर निर्भर करता है। Varistor शब्द अंग्रेजी के दो शब्द Variable तथा Resistor से बना हुआ है। Variable का मतलब बदलना तथा Resistor का मतलब प्रतिरोध होता है। अर्थात यह एक ऐसा प्रतिरोध होता है जिसका प्रतिरोध बदलता रहता है। Varistor का प्रतिरोध आरोपित इनपुट वोल्टेज के अनुसार बदलता रहता है। इसलिए इसे Voltage Dependent Resistor भी कहा जाता है। जिसे संक्षिप्त में VDR बोला जाता है। जिस विधुत उपकरण को हाई वोल्टेज से सुरक्षा प्रदान करना होता है उसके समांतर क्रम (Parallel) में Varistor को जोड़ा जाता है।
Varistor सिंबल तथा वास्तविक चित्र
विधुत परिपथ निर्माण या डिजाईन में Varistor को एक चित्र द्वारा दिखाया जाता है। इसे ही Varistor का सिंबल कहा जाता है। Varistor का सिंबल निचे दिखाए गए चित्र के अनुसार होता है
Varistor के प्रकार
Varistor का वर्गीकरण इसके बॉडी को बनाने वाली धातु के उपयोग के आधार पर किया जाता है। ज्यादा उपयोग किये जाने वाले दो प्रकार के Varistor निचे दिए गए है :
- सिलिकॉन कार्बाइड Varistor
- मेटल ऑक्साइड Varistor
सिलिकॉन कार्बाइड Varistor क्या होता है?
जैसे की इसके नाम से ज्ञात होता है कि इसके बाहरी बॉडी को बनाने के लिए सिलिकॉन कार्बाइड का उपयोग किया जाता है। जब तक बाज़ार में नया Varistor नहीं आया था तब इस Varistor का उपयोग बड़े स्तर पर किया जाता था। आज के समय में इस Varistor का उपयोग हाई वोल्टेज वाले उपकरण के सुरक्षा के लिए बड़े स्तर पर किया जाता है। इस Varistor में एक कमी यह है की जब इसे विधुत परिपथ से जोड़ा जाता है तब यह बहुत ही ज्यादा विधुत धारा को खीचता (Draw) करता है। इससे ज्यादा मात्रा में ऊष्मा के रूप में उर्जा उत्पन्न होता है और Varistor गर्म हो जाता है। जिससे बहुत ज्यादा मात्रा में विधुत उर्जा की हानी होती है।
मेटल ऑक्साइड Varistor क्या होता है?
सिलिकॉन कार्बाइड में उत्पन्न कमी को देखते हुए मेटल ऑक्साइड Varistor को बनाया गया। यह विधुतीय उपकरण को transient वोल्टेज से बढ़िया सुरक्षा प्रदान करता है और आज के समय में बहुत ही ज्यादा मात्रा में उपयोग किया जा रहा है। इस Varistor के बॉडी को धातु के ऑक्साइड से बनाया जाता है। इसके लिए मुख्य रूप से जिंक ऑक्साइड का उपयोग किया जाता है। इसको बनाने के लिए 90 प्रतिशत जिंक ऑक्साइड तथा 10 प्रतशित दुसरे धातु (बिस्मथ ,मैगनीज कोबाल्ट)आदि के मिश्रण का उपयोग किया जाता है। 10 प्रतिशत मिलाए गए दुसरे मिश्रण जिंक ऑक्साइड में Binding का कार्य करते है। धातुओ के इस ऑक्साइड मिश्रण को दो दुसरे धातुयिक प्लेट के बीच में डाल दिया जाता है। इन दोनों धातु केर प्लेट को पतले वायर से जोड़ कर बाहर निकाल दिया जाता है। जो इसके टर्मिनल का कार्य करती है। Varistor के बनावट की संरचना निचे के चित्र में दिखाया गया है।
Image Credit:https://www.circuitstoday.com/varistor-working |
Varistor कार्य कैसे करता है?
चूँकि varistor एक हाई पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स कॉम्पोनेन्ट है इसलिए इसके कार्य करने की सिद्धांत को वोल्टेज तथा विधुत धारा के ग्राफ के मदद से समझा जा सकता है। Varistor के लिए वोल्टेज तथा विधुत धारा के बीच के संबंध को निचे एक ग्राफ द्वारा दिखाया गया है।
ऊपर दिए गए ग्राफ से ज्ञात होता है की जब Varistor के दोनों टर्मिनल के बीच आरोपित वोल्टेज का मान निम्न अर्थात लो होता है उस वक्त उसका प्रतिरोध उच्च होता है जिससे किसी भी प्रकार के विधुत धारा का प्रवाह नहीं होता है। लेकिन जैसे जैसे आरोपित वोल्टेज का मान बढ़ता जाता है तब Varistor का प्रतिरोध कम होता जाता है। एक निश्चित वोल्टेज के बाद Varistor का प्रतिरोध बहुत कम हो जाता है जिससे Varistor से विधुत धारा प्रवाहित होने लगती है। जिस उपकरण को उच्च वोल्टेज से सुरक्षा करना होता है उसके दोनों टर्मिनल के समांतर में varistor को जोड़ा जाता है जब विधुत उपकरण पर उच्च वोल्टेज आरोपित होता है तब Varistor का प्रतिरोध कम हो जाता है जिससे प्रवाहित होने वाली विधुत धारा उपकरण में जाने की बजाय Varistor से प्रवाहित होने लगती है और उपकरण जलने से बच जाता है।
Varistor के लाभ
- यह उच्च वोल्टेज से सुरक्षा प्रदान करता है।
- यह पोलर डिवाइस नहीं होता है। अर्थात इसके टर्मिनल से दोनों दिशा में विधुत धारा प्रवाहित हो सकती है।
Varistor के हानि
- यह एक महंगा विधुत डिवाइस होता है।
- इसका उपयोग केवल हाई वोल्टेज में ही किया जाता है।
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