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Circuit Breaker In Hindi : परिभाषा ,कंस्ट्रक्शन ,कार्य सिध्दांत तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

Circuit Breaker क्या होता है?

हमने अक्सर देखा है की जब तेज की आंधी या तूफान आता है तब हमारे घर की इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई बंद हो जाती है और जैसे ही यह आंधी या तूफान थम जाता है ,इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई पुनः शुरू हो जाती है। क्या हमने सोचा है ऐसा क्यों होता है।
Circuit Breaker In Hindi
 Circuit Breaker 

ऐसा इसलिए होता है जब तेज हवा चलती है तब ट्रांसमिशन लाइन से जुडी तारे एक दूसरे से टकराती है या टूट जाती है जिससे बहुत ही ज्यादा मात्रा में विधुत धारा का प्रवाह होने लगता है। 

इस दशा में ट्रांसमिशन लाइन से जुड़ा हुआ सर्किट ब्रेकर सर्किट को ओपन कर देता है जिससे इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई बंद हो जाता है। 

Circuit Breaker एक Mechanical Device होता है जो विधुत Circuit में एक स्विच की तरह कार्य करता है। जब Electrical Circuit में कोई फॉल्ट उत्पन्न होता है तब इलेक्ट्रिकल सर्किट में प्रवाहीत विधुत धारा का मान अचानक बढ़ जाता है।

यदि इस कंडीशन में प्रवाहीत विधुत धारा के परिमाण को कम नहीं किया गया तब यह इलेक्ट्रिकल सर्किट से जुड़े  पॉवर सप्लाई सिस्टम को नुकशान पंहुचा सकता है। इसलिए प्रवाहीत Faulty विधुत धारा को रोकने तथा Faulty सर्किट को मुख्य सर्किट से अलग करने के लिए Circuit Breaker का उपयोग किया जाता है।   

Circuit Breaker को इलेक्ट्रिकल सर्किट को क्लोज्ड या ओपन कर इससे जुड़े हुए विधुत उपकरण को सुरक्षा प्रदान करने के लिए ही डिज़ाइन किया गया है। आज के आधुनिक समय में पावर सप्लाई सिस्टम द्वारा बहुत ज्यादा मात्रा में हाई वोल्टेज पर विधुत ऊर्जा का उपयोग किया जा रहा है।  

इतनी ज्यादा मात्रा में विधुत ऊर्जा को सुरक्षित रूप से प्रवाहीत करने के लिए ,बहुत सारे प्रकार के विधुत उपकरण पावर सप्लाई सिस्टम के साथ जुड़े होते है। अगर गलती से इस पावर सप्लाई सिस्टम में  किसी प्रकार का Fault उत्पन्न हो जाता है तब इससे जुड़े सभी प्रकार के विधुत उपकरण ख़राब हो सकते है।

पावर सप्लाई सिस्टम तथा इससे जुड़े हुए विधुत उपकरण को Fault Current से बचाने के लिए जितना जल्दी  हो सके उतना जल्दी, सिस्टम को Faulty पार्ट्स से अलग करना होता है। और इसी कार्य के लिए सर्किट ब्रेकर का उपयोग किया जाता है। 

Working Principle of Circuit Breaker 

Circuit Breaker के मुख्य दो हिस्से होते है जिनमे से एक घूमने वाला होता है जो Moveable  Contact कहलाता है तथा दूसरा फिक्स्ड होता है जो Fixed Contact कहलाता है। जब सर्किट ब्रेकर सामान्य अवस्था में कार्य करता है तब ये दोनों Contact एक दूसरे से जुड़े हुए  होते है। 

इस कंडीशन में इन दोनों Contact को इलेक्ट्रोड्स कहते है। ये दोनों इलेक्ट्रोड एक दूसरे से ,एक स्प्रिंग द्वारा उत्पन्न दाब के कारण जुड़े रहते है। जब इलेक्ट्रिकल सर्किट को ओपन करना होता है तब सर्किट ब्रेकर से जुड़े लॉजिक सर्किट को ओपन करने का सिग्नल दिया जाता है जो Relay के मदद से Circuit Breaker के Movable Contact को फिक्स्ड Contact से अलग कर देता है।

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इसके विपरीत जब इलेक्ट्रिकल सर्किट को ऑन करना होता है तब लॉजिक सर्किट को ऑन का सिग्नल दिया जाता है जो दुबारा Relay के मदद से Movable Contact को Fixed Contact से जोड़ देता है। सर्किट ब्रेकर का इस प्रकार कार्य करने का तरीका देखने में बड़ा आसान लगता है लेकिन यह बड़ा ही जटिल प्रक्रिया है।

 चूँकि सर्किट ब्रेकर बहुत ही हाई वोल्टेज पर कार्य करता है इसलिए जब Movable Contact को Fixed Contact से जोड़ा या अलग किया जाता है उस समय दोनों इलेक्ट्रोड के बीच हाई Voltage Difference होने के कारण, हाई वोल्टेज वाले इलेक्ट्रोड से बहुत ही ज्यादा मात्रा में इलेक्ट्रान निकलते है। 

यदि दोनों इलेक्ट्रोड के बीच मौजूद Dielectric Material  का  Dielectric स्ट्रेंथ Voltage Difference से कम हुआ तब इन इलेक्ट्रान की संख्या बहुत कम समय में बहुत ज्यादा हो जाएगी  जो एक आग के लपट की रूप ले लेगी  जिससे सर्किट ब्रेकर ब्लास्ट कर सकता है। 

सर्किट ब्रेकर को ब्लास्ट होने से बचाने  लिए दोनों इलेक्ट्रोड के बीच प्रॉपर Dielectric स्ट्रेंथ वाला पदार्थ डालना होता है। ज्यादातर सर्किट ब्रेकर में Dielectric Material के तौर पर हवा (air),तेल (Oil) निर्वात (Vaccum), SF6
का उपयोग किया जाता है।

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