-->

रेत : परिभाषा ,प्रकार ,विशेषता तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

Post a Comment

 Sand क्या है ?

सैंड एक बिल्डिंग मटेरियल है जिसका उपयोग सिविल इंजीनियरिंग में बिल्डिंग ,ब्रिज ,सड़क आदि के निर्माण में किया जाता है। इसे हिंदी में रेत या बालू कहते है। भवन निर्माण में सीमेंट रेत तथा पानी को आपस में मिश्रित कर मोर्टार का निर्माण किया जाता है। मोर्टार को मजदुर मशाला कहते है। रेत के उपयोग से निर्मित भवन के दीवारों में मजबूती आती है।  
sand
image source :unsplash.com 

रेत का निर्माण कैसे होता है ?

रेत को मुख्य रूप से समुन्द्र या नदियों से प्राप्त किया जाता है। नदियों या समुन्द्रो में कंकड़ या चट्टानों को आपस में टकराकर टूटने या अपरदन से होता है। ज्यादातर नदिया पहाड़ियों से निकलती है। नदियों के पानी के साथ पहाड़ो से चट्टानो के टुकड़े बहकर एक दूसरे से टकराते है और अंत में टूटकर रेत का निर्माण करते है। इसके अतिरिक्त समुन्द्रो में पाए जाने वाले जलीय जीव जब मरते है तब उनके हड्डियों के टूटने से भी रेत का निर्माण होता है।

रेत की संरचना 

रेत मूल रूप से चट्टान के टुकड़े या खनिज कणों या समुद्री सामग्री के छोटे छोटे दानेदार टुकड़ो से बनी होती है यह मुख्य रूप से सिलिकेट खनिजों और सिलिकेट रॉक के दानेदार कणों से बना  होता है।रेत मुख्य रूप से  क्वार्ट्ज  का बना होता है क्योकि इसमें मौसम के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी गुण होते हैं। इसके अतिरिक्त रेत में पाए जाने वाले अन्य दूसरे मुख्य अवयव  बनाने वाले खनिज जैसे ऐंफ़िबोल और अभ्रक पाए जाते हैं। टूमलाइन, जिरकोन आदि जैसे भारी खनिज  की भी कुछ मात्रा  रेत में पाई जाती है। वीच पर पाए जाने वाले  अधिकांश रेत ग्रे या टैन क्वार्ट्ज और फेल्डस्पार से बनी होती है।

रेत कितने प्रकार की होती है ?

रेत का वर्गीकरण करना आसान नहीं है क्योकि अलग अलग श्रोतो से प्राप्त रेत में अलग अलग प्रकार की विशेषता पाई जाती है। लेकिन रेत में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार के अवयवों के आधार पर रेत को निम्नांकित प्रकार से वर्गीकृत किया गया है :
ग्लास सैंड : इस प्रकार के रेत में सिलिकॉन डाई ऑक्साइड मुख्य अवयव के रूप में पाया जाता है। 
अपरिपक़्व रेत : इस प्रकार का रेत केवल एक ही प्रकार के अवयव से बना होता है। 
जिप्सम सैंड : इस प्रकार के रेत में जिप्सम  मुख्य अवयव के रूप में पाया जाता है। 
सिलिका सैंड : इस प्रकार के रेत में सिलिका मुख्य अवयव के रूप में पाया जाता है। 
पिट सैंड : इस सैंड के निर्माण पृथ्वी के अंदर होता है। इसमें मुख्य रूप से आयरन ऑक्साइड पाया जाता है। 
नदियों से प्राप्त सैंड : इस रेत में मुख्य रूप से सिलिका ऑक्साइड पाया जाता है। 
समुन्द्र से प्राप्त सैंड : इस रेत में मुख्य रूप से सिलिका ऑक्साइड ,क्वार्ट्ज़  तथा लेड पाया जाता है। 
ग्रीन सैंड : इस रंग ग्रीन होता है। 
रेगिस्तान सैंड : यह रेगिस्तानों में पाया जाता है। 

रेत की विशेषता 

सिविल कार्य में उपयोग होने वाले रेत में निम्न विशेषता होनी चाहिए :
  • रेत पूर्णरूप से अक्रिय होना चाहिए। 
  • रेत का कण पूर्ण रूप से गोलाकार होना चाहिए। 
  • रेत में किसी प्रकार के नमकीन कण मौजूद नहीं होनी चाहिए 
  • रेत में मिटटी के कण नहीं होने चाहिए। 
  • इसमें कार्बनिक कण नहीं होने चाहिए।  

रेत का उपयोग 

  • इसका उपयोग मकान निर्माण में किया जाता है। 
  • सड़क निर्माण में रेत का उपयोग किया जाता है। 
  • पानी को छानने में भी रेत का उपयोग किया जाता है। 

यह भी पढ़े 

Post a Comment

Subscribe Our Newsletter