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ब्रिक क्या है ? परिभाषा , प्रकार , स्टैण्डर्ड साइज तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रीकल डायरी

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ब्रिक क्या है ? ब्रिक जिसे हिंदी मे ईंट कहते है एक प्रकार का  बिल्डिंग मटेरियल है जिसका उपयोग मकान की दीवारे, खंभे, फर्श और अन्य स्थायी ढांचे  बनाने के लिए किया जाता है  बनाने के लिए किया जाता है। इसका निर्माण मिटटी , सीमेंट , रेत आदि से किया जाता है। सामान्यतः यह आयताकार होती है।  ब्रिक के डायमेंशन का महत्व बिल्डिंग निर्माण में ईंट के आकार का बहुत ही महत्व है। जबसे ब्रिक की खोज हुई है तब से इसका उपयोग मकान बनाने के अतिरिक्त अन्य दूसरे कामो में होता रहा है और विभिन्न कामो में विभिन्न प्रकार के ईंट का उपयोग किया जाता है। दुनिया भर के अलग अलग देश में ब्रिक की साइज़ भिन्न भिन्न होती है। निचे विभिन्न प्रकार के ब्रिक तथा उनके साइज दिए गए है : विभिन्न प्रकार के ईंट  Modular Brick: इस ब्रिक में Mortar के मोटाई को ईंट के डायमेंशन के साथ जोड़ा जाता है। मिलीमीटर में मॉडुलर ब्रिक की डायमेंशन    (194 x 92 x 57) (​7 5⁄8 × ​3 5⁄8 × ​2 1⁄4 inches). Modular Economo : इस ब्रिक का डायमेंशन निम्न है :194 x 92 x 92 Engineering Brick:  वैसे स्थान जहा विशेष प्रकार की मज...

मेसनरी पियर्स : परिभाषा , प्रकार तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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Masonary Piers क्या है ? बिल्डिंग स्ट्रक्चर मे मजबूती और सहारा देने के लिए पत्थर या ईंटो की चिनाई से बने मजबूत स्तंभो को Masonry Piers कहते है। ये भारी भार उठाने मे सक्षम होते है और अक्सर मेहराब, बीम, लिनटेल या छत को सपोर्ट करते है।ये आम तौर पर ईंट, पत्थर या कंक्रीट ब्लॉको से बने होते है जो मजबूत मोर्टार से जुड़े होते है।सनरी पियर्स विभिन्न आकार के होते है लेकिन आम तौर पर आयताकार, वर्गाकार या गोलाकार आकार मे देखने को मिलते हैं। उनके निर्माण में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री और तकनीक भिन्न हो सकती है लेकिन आम तौर पर वे ठोस चिनाई से बने होते है जिसमे पत्थर या ईंट के ब्लॉक को मोर्टार से जोड़ा जाता है।  मेसनरी पियर्स के प्रकार  सॉलिड पियर्स ये सबसे प्रचलित मेसनरी पियर्स है जो पूर्ण रूप से ईंट, पत्थर या कंक्रीट ब्लॉक से बने होते है। ये मजबूत और टिकाऊ होते है और बड़े भार को सपोर्ट करने में सक्षम होते है। जैसे निचे चित्र में दिखाया गया है। कम्पोजिट पियर्स ये  ऐसा पियर्स होता है जिसके केंद्र में मजबूत पिलर्स होते है और ये चारो तरफ से चिनाई से घिरा होता है। ये  ठोस पियर्स ...

पियर फाउंडेशन: परिभाषा, प्रकार, लाभ तथा अनुप्रयोग

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Pier Foundation क्या है ? पियर फाउंडेशन एक गहरी नीव है जो स्ट्रक्चर के भार को गहरी, मजबूत मिट्टी या चट्टान तक पहुंचाने के लिए उपयोग की जाती है। इसकी संरचना स्तंभ के समान होती है जो जमीन के नीचे गहराई तक जाता है और ऊपर से स्ट्रक्चर को सहारा देती है। पियर फाउंडेशन का उपयोग अक्सर कमजोर मिट्टी, ढलान वाली जमीन या जल निकायो के ऊपर संरचना के लिए किया जाता है। पियर फाउंडेशन के प्रकार सिविल इंजीनियरिंग में विभिन्न प्रकार के पियर फाउंडेशन का उपयोग किया जाता है। उनमे से कुछ विशेष प्रकार के पियर फाउंडेशन निचे बताये गए है : कंक्रीट पियर ये सबसे प्रचलित  पियर है जो  कंक्रीट से बने होते है। इनका निर्माण निरंतर अंतराल पर स्ट्रक्चर को सपोर्ट करने के लिए किया जाता है। इस प्रकार के पियर्स का उपयोग ओवर ब्रिज में अधिक देखने को मिलता है। मेट्रो या शहर में ओवर ब्रिज सपोर्ट के लिए इस पियर का उपयोग किया जाता है। चूँकि यह कंक्रीट का बना हुआ होता है इसलिए इसमें दीमक या जंग लगने की समस्या नहीं होती है। यह लम्बे समय तक टिके रहते है।  स्टील पियर जैसे नाम से ज्ञात होता है की ये स्टील के बने होते है। स्...

माइल्ड स्टील : परिभाषा , गुण ,लाभ हानि एवं उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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माइल्ड स्टील क्या है ? ऐस स्टील जिसमे कार्बन की मात्रा बहुत ही कम होती है उसे माइल्ड स्टील कहते है। माइल्ड स्टील को हिंदी में मृदु इस्पात या हल्का इस्पात कहते है। माइल्ड स्टील में कार्बन की मात्रा बहुत ही कम (0.15 %) पाई जाती है। कार्बन की मात्रा कम होने की वजह से यह अन्य लोहे की तुलना में नरम तथा लचीला होता है। लचीला होने के साथ ही यह बहुत मजबूत होता है जिसके कारण विभिन्न क्षेत्रो में इसका उपयोग किया जाता है।  माइल्ड स्टील के गुण  माइल्ड स्टील के गुण निम्न है : मजबूती:  माइल्ड  स्टील भले ही हल्का होता है  लेकिन यह लोहे की तरह ही मजबूत होता है। इसमें भार सहने की असीम क्षमता होती है इसलिए इसका उपयोग विभिन्न संरचनात्मक कार्यों में किया जाता है।  लचीलापन:  लचीलापन माइल्ड स्टील का एक महत्वपूर्ण गुण है।  इसे आसानी से मोड़ा जा सकता है और वांछित आकार में ढाला जा सकता है।  माइल्ड स्टील के इस गुण का उपयोग विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के निर्माण में किया जाता है।  वेल्डिंग योग्यता :  माइल्ड स्टील को आसानी से वेल्ड किया जा सकता है जिससे इसका उपय...

रेत : परिभाषा ,प्रकार ,विशेषता तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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 Sand क्या है ? सैंड एक बिल्डिंग मटेरियल है जिसका उपयोग सिविल इंजीनियरिंग में बिल्डिंग ,ब्रिज ,सड़क आदि के निर्माण में किया जाता है। इसे हिंदी में रेत या बालू कहते है। भवन निर्माण में सीमेंट रेत तथा पानी को आपस में मिश्रित कर मोर्टार का निर्माण किया जाता है। मोर्टार को मजदुर मशाला कहते है। रेत के उपयोग से निर्मित भवन के दीवारों में मजबूती आती है।   image source :unsplash.com  रेत का निर्माण कैसे होता है ? रेत को मुख्य रूप से समुन्द्र या नदियों से प्राप्त किया जाता है। नदियों या समुन्द्रो में कंकड़ या चट्टानों को आपस में टकराकर टूटने या अपरदन से होता है। ज्यादातर नदिया पहाड़ियों से निकलती है। नदियों के पानी के साथ पहाड़ो से चट्टानो के टुकड़े बहकर एक दूसरे से टकराते है और अंत में टूटकर रेत का निर्माण करते है। इसके अतिरिक्त समुन्द्रो में पाए जाने वाले जलीय जीव जब मरते है तब उनके हड्डियों के टूटने से भी रेत का निर्माण होता है। रेत की संरचना  रेत मूल रूप से चट्टान के टुकड़े या खनिज कणों या समुद्री सामग्री के छोटे छोटे दानेदार टुकड़ो से बनी होती है यह मुख्य रूप से सिलिकेट...

मोर्टार : परिभाषा ,प्रकार ,विशेषता तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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मोर्टार क्या है ? यह एक विशेष प्रकार का मिश्रण है जिसका उपयोग पुल या भवन निर्माण में ईंट या पथरो को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है। मकान निर्माण में कार्य करने वाले कारीगर  या मजदूर इसे मशाला कहते है। मोर्टार बनाने के लिए रेत (बालू ),सीमेंट ,सुरकी ,पानी।,चुना या सीमेंट की जरुरत पड़ती है। इन सभी अवयवों को निश्चित अनुपात में मिलाकर कर मोर्टार का निर्माण किया जाता है। ईंटो को मजबूती से बांधकर रखने के लिए इंसान मोर्टार का उपयोग वर्षो से करता आ रहा है। आधुनिक समय में सीमेंट ,रेत तथा पानी को निश्चित अनुपात में मिलाकर मोर्टार बनाया जाता है। सीमेंट के उपयोग से ईंटो के बीच बंधन मजबूत होता है।  मोर्टार कितने प्रकार का होता है ? मोर्टार के निर्माण में मजबूती प्राप्त करने के लिए उपयोग किये गए मुख्य अवयव के आधार पर मोर्टार को पाँच वर्गों में वर्गीकृत किया गया है जो निम्न है : सीमेंट मोर्टार (Cement Mortar) चुना मोर्टार (Lime Mortar) सुरकी मोर्टार(Surkhi  Mortar) गेज मोर्टार (Gauge  Mortar) मिट्टी मोर्टार(Mud Mortar) सीमेंट मोर्टार क्या होता है ? यह वर्तमान समय में सिविल कार्य म...

लुब्रीकेंट : परिभाषा ,प्रकार,गुण तथा उपयोग - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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स्नेहक किसे कहते है ? वैसा पदार्थ जो किसी दो घूमने वाली सतह के बीच लगाने से उनका घर्षण कम हो जाता है उसे स्नेहक कहते है।स्नेहक को अंग्रेजी में लुब्रीकेंट कहते है। दो सतहों के बीच लुब्रीकेंट के प्रयोग से उनके बीच चिकनाहट आ जाती है जिससे घर्षण कम हो जाता है। दोनों सतहों के बीच चिकनाहट लाना लुब्रिकेशन कहलाता है। इंजीनियरिंग में बहुत सारी मशीन एक दूसरे से शाफ़्ट या बेल्ट के माध्यम से जुडी हुई होती है  तथा सापेक्षिक गति करती है जिनमे घर्षण के कारण ऊर्जा के एक भाग स्वतः नष्ट हो जाता है। या मशीने घीसकर नष्ट हो जाती है। मशीनों में इस प्रकार से होने वाली हानि या नुकशान को कम करने के लिए उनंके बीच लुब्रीकेंट का उपयोग किया जाता है। लुब्रीकेंट विभिन्न प्रकार के होते है जिनका वर्गीकरण निचे किया गया है।  उच्च श्रेणी के लुब्रीकेंट के पास क्या  गुण होने चाहिए ? एक उच्च किस्म के लुब्रीकेंट के पास निम्न गुण होने चाहिए : लुब्रीकेंट के श्यानता (Viscocity) की रेंज ज्यादा होनी चाहिए।  तापमान  के साथ श्यानता में परिवर्तन नहीं  होना चाहिए।  लुब्रीकेंट रासायनिक रूप से अक्रिय हो...

RMC in Hindi : परिभाषा ,फुलफॉर्म लाभ तथा हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

RMC full form क्या है ? यह सिविल इंजीनियरिंग में उपयोग किया जाने वाला एक शब्द है जिसका फुल फॉर्म Ready Mixed Concrete होता है। हिंदी में इसका अर्थ पहले से तैयार किया हुआ कंक्रीट है। इंडिया में जिस स्थान पर सिविल का कार्य होता है उस स्थान पर कंक्रीट को तैयार किया जाता है लेकिन जो विकसित देश है वहाँ पर पहले से तैयार कंक्रीट को गाड़ी में भर कर कार्य स्थल पर पहुंचाया जाता है।  Full Form of RMC = Ready Mixed Concrete  वर्तमान समय में इंडिया में बहुत सी कंपनीयो  ने RMC प्लांट लगा रखा है जो कार्यस्थल पर जरुरत के हिसाब से पहले से तैयार  मिक्स्ड कंक्रीट की सप्लाई करती है। इसके निर्माण के लिए आवश्यक सभी अवयव (रेत ,सीमेंट ,पानी ,पत्थर आदि) को प्लांट में रखा जाता है। इसका निर्माण एक अनुभवी इंजीनियर के देख रेख में किया जाता है। आवश्यक सभी अवयव को एक निश्चित अनुपात में मिलाकर कंक्रीट को तैयार किया जाता है और उसके बाद गाड़ियों या ट्रको में भरकर इसे कार्यस्थल पर भेजा जाता है। ये गाड़िया मिक्सर ट्रक कहलाती है क्योकि ये कार्यस्थल तक मिक्स्ड कंक्रीट को घुमाते हुए लती है।  RMC का मूल...

टिम्बर : परिभाषा ,प्रकार ,गुण ,उपयोग के लाभ एवं हानि - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

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टिम्बर किसे कहते है? लकड़ी का वह प्रकार जिसका उपयोग घर या मकान के निर्माण में किया जाता है उसे Timber कहते है। इसे  हिंदी में इमारती लकड़ी कहते है। कनाडा और अमेरिका में इसे लंबर (Lumber) कहते है। मकान निर्माण में लकड़ी का उपयोग मुख्य भार को वहन करने के लिए किया जाता है। पुराने समय में लोग घर निर्माण में लकड़ी का ही उपयोग करते थे। आधुनिक समय में भवन निर्माण के लिए विशेष डायमेंशन वाले लकड़ी का उपयोग स्ट्रक्चर निर्माण के वक्त किया जाता है। इसलिए एक सिविल इंजीनियर को टिम्बर की जानकारी रखना जरुरी हो जाता है।  टिम्बर का प्रकार (Types of Timber) टिम्बर को मुख्य रूप से दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है जो निम्न है : नरम लकड़ी (सॉफ्टवुड ) कठोर लकड़ी (हार्डवुड ) नर्म लकड़ी (Softwood ) वैसी लकड़ी जो ज्यादा कठोर नहीं होती है ,जिसका घनत्व बहुत ही कम होता है तथा आसानी से आग में जलने लगती है उसे नर्म लकड़ी की श्रेणी में रखा जाता है। इस प्रकार की लकड़ी वैसे पौधों से प्राप्त की जाती है जिनमे बीज उसके फूल में लगाने की बजाए टहनियों पर लगते है। सॉफ्ट होने की वजह से ये पौधे आसानी से कट जाते है। इन पौधों की...