-->

इंजीनियरिंग मटेरियल : चालक कुचालक तथा अर्ध्द्चालक पदार्थ - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

Post a Comment

चालकता तथा प्रतिरोधकता 

चालकता किसी भी पदार्थ का भौतिक गुण होता है जिससे यह ज्ञात होता है की यह पदार्थ अपने से होकर प्रवाहित होने वाली विधुत धारा का सपोर्ट कितना करता है। जो पदार्थ विधुत धारा प्रवाह का विरोध जितना ही कम करता है उसकी चालकता उतनी ज्यादा होती है। किसी पदार्थ के चालकता के विपरीत गुण को प्रतिरोधकता कहा जाता है। चालकता के आधार पर सभी पदार्थ को तीन मुख्य वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है :-
  • सुचालक 
  • कुचालक या विधुतरोधी 
  • अर्ध्द्चालक 

सुचालक क्या होता है?

वे पदार्थ जिसकी चालकता 108mho/meter से 106mho/meter के रेंज में होता है उस पदार्थ को सुचालक कहा जाता है। सुचालक विधुत धारा को आसानी से अपने से होकर प्रवाहित होने देता है। तांबा चांदी ,सोना अल्युमिनियम विधुत के अच्छे चालक होते है। विधुत धारा का चालन करने की वजह से सुचालक पदार्थ का उपयोग विधुत सर्किट बनाने में किया जाता है। हमारे घरो में उपयोग किये जाने वाले सभी प्रकार के विधुत वायर सुचालक ही होते है। चांदी दुनिया का सबसे अधिक चालकता वाला पदार्थ होता है लेकिन महंगा होने की वजह से इस का उपयोग विधुत परिपथ में नहीं किया जाता है। यदि चांदी का उपयोग विधुत परिपथ में किया जाए तब विधुत परिपथ में बहुत ही कम मात्रा में विधुत ऊर्जा की हानि होगी लेकीन महंगा होने की वजह से इसका  उपयोग विधुत परिपथ में नहीं किया जाता है। चांदी के तुलना में तांबा की चालकता थोड़ी कम होती है लेकिन यह सस्ता होता है इसलिए इसका उपयोग ज्यादा मात्रा में विधुत परिपथ में किया जाता है। कभी कभी अल्युमिनियम का भी उपयोग विधुत परिपथ में किया जाता है लेकिन चांदी सोना तथा तांबा के तुलना में इसकी चालकता थोड़ी कम होती है लेकिन सस्ता होने की वजह से विधुत परिपथ में इसका उपयोग किया जाता है। 

कुचालक क्या होता है?

वैसे पदार्थ जिसकी चालकता 10-5mho/meter से कम होता है वैसे पदार्थ को कुचालक या विधुतरोधी  कहा जाता है। शुद्ध जल की चालकता होती है जो बहुत ही कम है। इसलिए शुद्ध जल विधुत का कुचालक होता है। जिस पदार्थ की चालकता जितनी ही कम होती है उस पदार्थ की प्रतिरोधकता उतनी ही ज्यादा होती है। कागज ,लकड़ी ,चाक ,कलम आदि कुछ कुचालक है। ये पदार्थ अपने से होकर प्रवाहित होने वाली विधुत धारा का विरोध करते है। कुचालक पदार्थ से विधुत धारा का प्रवाह नहीं हो पाता है। विधुत को रोकने की इस गुण की वजह से कुचालक का उपयोग ,चालक के उपरी सतह पर विधुतरोधी पदार्थ के रूप में किया जाता है। 

अर्ध्द्चालक क्या होता है?

वैसे पदार्थ जिसकी चालकता 104mho/meter से 10-3mho/meter के बीच होती है उसे अर्ध्दाचालक कहा जाता है। वैसे आसान भाषा में बोले तो जिस पदार्थ की चालकता सुचालक तथा कुचालक के मध्यतर अर्थात बीच में होता है वैसे पदार्थ को अर्ध्द्चालक कहा जाता है। इस प्रकार के पदार्थ के परमाणु के बाहरी कक्षा में चार इलेक्ट्रान होते है। कार्बन ,सिलिकॉन तथा जर्मेनियम जैसे पदार्थ अर्ध्द्चालक के उदहारण है। अर्धचालक पदार्थ में कुछ अशुद्ध पदार्थ को मिला दिया जाता है तब इनकी चालकता बहुत ही ज्यादा मात्रा में बढ़ जाती है। अर्ध्द्चालक पदार्थ की चालकता तापमान बढ़ने से भी बढ़ती है। अर्ध्द्चालक पदार्थ का उपयोग डायोड ,ट्रांजिस्टर ,मोस्फेट आदि जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस बनाने के लिए किया जाता है। 

यह भी पढ़े 

Post a Comment

Subscribe Our Newsletter