परमाणु संरचना
अर्धचालक (Semiconductor) जैसे सिलिकॉन तथा जर्मेनियम के बाह्य शेल में चार इलेक्ट्रान होते है। जर्मेनियम के नाभिक(Nucleus) में कुल 32 प्रोटोन होते है तथा प्रोटोन के धन आवेश (Positive Charge) को निष्प्रभाव करने के लिए नाभिका के चारों ओर विभिन्न कक्षा में ऋणावेशित (Negative Charge) इलेक्ट्रान चक्कर लगाते रहते है। नाभिक के चारो ओर इलेक्ट्रान का वितरण इस प्रकार होता है।
Ge 1s2 2s2 2p6 3s2
3p6 3d10 4s2 4p2
(2,8,32,4)
ऊपर दिए गए इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से मालूम होता है की पहले कक्षा में 2 ,दूसरे कक्षा में 8 तीसरे कक्षा में 32 तथा अंतिम चौथे कक्षा में 4 इलेक्ट्रान मौजूद है। इसी तरह सिलिकॉन परमाणु के अंदर इलेक्ट्रान का वितरण
Si = 1s2 2s2 2p6 3s2 3p2
(2,8,4)
ऊपर दिए गए विन्यास के अनुसार सिलिकॉन परमाणु के अंतिम Valence शेल में कुल 4 इलेक्ट्रान मौजूद है। किसी भी तत्व के परमाणु के अंतिम valence शेल में चार इलेक्ट्रान मौजूद हो तो वह तत्व एक अर्धचालक के जैसा व्यवहार करता है।
आयनीकरण (Ionization)
यदि किसी परमाणु के बाह्य कक्षा से एक इलेक्ट्रान को निकल दिया जाये तो उस परमाणु में एक इलेक्ट्रान की कमी हो जाने की वजह से परमाणु के अंदर ऋणावेश की कमी हो जाती है। परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या पहले की सामान ही होती है।
परमाणु के अंदर इलेक्ट्रान तथा प्रोटोन की संख्या असंतुलित हो जाने की वजह से पूरा परमाणु अपनी उदासीनता खो देता है तथा एक नया गुण प्राप्त कर लेता है जिसे इस परमाणु को आवेशित परमाणु कहते है।
परमाणु से एक इलेक्ट्रान का निकल जाने के वजह से ,प्रोटॉनों की संख्या बढ़ जाती है जिससे परमाणु के अंदर धनावेशित प्रोटोन का प्रभाव बढ़ जाता और परमाणु धन आवेशित (Positively Charged) हो जाता है।
इसके विपरीत यदि परमाणु के अंदर किसी बाह्य श्रोत से एक इलेक्ट्रान को डाल दिया जाये तो इसमें इलेक्ट्रानो की संख्या प्रोटॉनों संख्या से ज्यादा हो जाती है और परमाणु के अंदर ऋण आवेशित इलेक्ट्रान का प्रभाव बढ़ जाता है और परमाणु ऋण आवेशित (Negatively Charged) हो जाता है।
किसी परमाणु के अंदर इलेक्ट्रान डालने या निकलने की प्रक्रिया जिससे परमाणु अपनी उदासीनता खोकर एक आयन (Ion) की तरह व्यवहार करने लगता है ,Ionization कहलाता है।
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