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Direct Current(DC) तथा Alternating Current (AC) में अंतर | दिष्ट तथा प्रत्यावर्ती धारा में अंतर - हिंदी इलेक्ट्रिकल डायरी

 प्रत्यावर्ती विधुत धारा क्या होता है?

कोई भी विधुत धारा जिसका परिमाण किसी निश्चित समय अंतराल में बदलता रहे उसे प्रत्यावर्ती विधुत धारा कहते है।  जैसे यदि हमारे घर में उपयोग होने वाली विधुत धारा की आवृति 50 Hz है तब इसका मतलब हुआ की इसका आवर्त काल 0.02 सेकंड है अर्थात यह विधुत धारा 0.01 सेकंड के समय अन्तराल में धनात्मक दिशा में बदलती है तब अगले 0.01 सेकंड के समय अन्तराल में ऋणात्मक दिशा में अपने शिखर मान को प्राप्त करेगी। प्रत्यावर्ती विधुत धारा के परिमाण में परिवर्तन इतनी तेजी से होता है की इसे हमारी आँखे पहचान नही पाती है। 

प्रत्यावर्ती विधुत धारा की विशेषता 

  • प्रत्यावर्ती धारा का मान और दिशा आवर्त रूप से बदलती रहती है। 
  • प्रत्यावर्ती वोल्टेज तथा प्रत्यावर्ती विधुत धारा में कलांतर (Phase Difference) हो सकता है। 
  • रासायनिक प्रभाव में इनका उपयोग नहीं किया जाता है। 
  • इस विधुत धारा से बैट्रियो को आवेशित(चार्ज) नही किया जा सकता है। 
  • प्रत्यावर्ती धारा को मापने वाले यंत्र धारा के उष्मीय प्रभाव पर कार्य करते है। 
  • चोक कुंडली के मदद से बिना उर्जा क्षय के प्रत्यावर्ती धारा के परिमाण को कम किया जा सकता है। 
  • ट्रांसफार्मर के मदद से प्रत्यावर्ती वोल्टेज तथा प्रत्यावर्ती विधुत धारा के परिमाण को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। 
  • प्रत्यावर्ती विधुत धारा का उत्पादन खर्च कम होता है। 
  • यह अधिक खतरनाक होता है। 

दिष्ट धारा (DC) क्या होता है?

वैसी विधुत धारा जिसकी दिशा सदैव नियत रहे अर्थात कभी नहीं बदले उसे दिष्ट धारा कहते है। इसका परिमाण भी नियत रहता है लेकिन यह कभी कभी बदलता भी है। चूँकि दिष्ट धारा की दिशा बदलती नहीं है इसलिए उसकी आवृत्ति शून्य होती है। दिष्ट धारा का मुख्य श्रोत विधुत सेल ,सोलर सेल आदि होता है। 

दिष्ट  विधुत धारा की विशेषता 

  • दिष्ट धारा की दिशा कभी नहीं बदलती है। 
  • दिष्ट धारा  का उपयोग वैधुत अपघटन में किया जाता है। 
  • संचायक सेल को दिष्ट धारा से आवेशित किया जाता है। 
  • दिष्ट धारा को मापने वाले यंत्र चुंबकीय प्रभाव पर कार्य करते है। 
  • विधुत धारा के परिमाण को कम करने के लिए प्रतिरोध का उपयोग किया जाता है जिसमे विधुत उर्जा की हानि  होती है। 
  • दिष्ट वोल्टेज को ट्रांसफार्मर द्वारा बढ़ाया या घटाया नहीं जा सकता है। 
  • दिष्ट धारा का उत्पादन महंगा होता है। 
  • दिष्ट धारा को लंबे दुरी तक प्रेषित नहीं किया जा सकता है। 
  • कम वोल्टेज पर यह खतरनाक नहीं होता है। 

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